दूध वाली की बेटी का दूध

नमस्ते दोस्तों,

मेरा नाम राहुल है, और मैं आज आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे दिल में आग की तरह धधक रही है। ये कहानी है मेरी दूध वाली आंटी की बेटी, रानी, की, जो कुछ महीनों पहले ही जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी। रानी का गोरा रंग, भरे हुए उभार, और वो मासूम सी मुस्कान किसी का भी दिल चुरा सकती थी। लेकिन मेरी कहानी शुरू होती है उस आग से, जो मेरे मन में तब भड़की जब मैंने अपनी दूध वाली आंटी, शांति, के साथ हिसाब-किताब करने की ठानी।

शांति आंटी, जो हमेशा अपने दूध में पानी मिलाकर मुझे ठगती थी, मेरे लिए रोज का सिरदर्द बन चुकी थी। मैं हर सुबह उनके पास दूध लेने जाता, और हर बार उनकी चालबाजी मुझे चुभती। आखिर मैंने ठान लिया कि अब इसका बदला लेना है। मैं सुबह सबसे पहले उनके घर पहुँचने लगा, और दूध निकालते वक्त उनकी हर हरकत पर नजर रखता। लेकिन एक दिन, मेरी नजर शांति आंटी की सबसे कीमती चीज पर पड़ी—उनकी बेटी, रानी। वो साड़ी में अपने काम कर रही थी, और उसका वो भरा हुआ बदन, वो कसी हुई कमर, और वो गीले बाल मेरे दिल में तीर की तरह चुभ गए। बस, उसी पल मैंने फैसला कर लिया कि बदला तो रानी से ही लूँगा, लेकिन प्यार और वासना के रंग में रंगा हुआ।

मैंने अब अपना सारा ध्यान रानी पर लगा दिया। रोज सुबह दूध लेने के बहाने मैं उससे बातें करने लगा। कभी उसकी पढ़ाई के बारे में पूछता, कभी हँसी-मजाक करता। शांति आंटी मुझे देखतीं, लेकिन कुछ कह नहीं पाती थीं। शायद उन्हें मेरी मंशा का अंदाजा था, लेकिन मेरे मासूम चेहरे और मीठी बातों ने उन्हें चुप कर रखा था। मेरे दिमाग में जो तूफान चल रहा था, वो सिर्फ मैं ही जानता था। धीरे-धीरे मैं रानी के और करीब आने लगा। मैं उसे दूध लेते वक्त अपने पास बुलाता, और शांति आंटी के सामने ही उससे चिपक-चिपक कर बातें करता। रानी भी मेरी इन हरकतों से शरमाती, लेकिन उसकी आँखों में एक चमक थी, जो मुझे और उकसा रही थी।

कुछ हफ्तों में मैं रानी के इतना करीब आ गया कि वो मेरे साथ खुलकर हँसने-बोलने लगी। मैं जानता था कि अब वक्त आ गया है। एक शाम मैं शांति आंटी के घर के पास से गुजर रहा था। सूरज ढल चुका था, और गली में हल्का अंधेरा छा गया था। तभी मुझे रानी दिखी, वो अपने घर के बाहर पानी भर रही थी। उसकी साड़ी गीली हो चुकी थी, और उसका बदन पानी में चमक रहा था। मैंने फटाफट दिमाग दौड़ाया और उसे बुलाया, “रानी, इधर आ ना, थोड़ा बाहर चलते हैं, तुझे कुछ दिखाता हूँ!” वो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन मेरी बातों में आ गई।

मैं उसे पास की एक सुनसान गली में ले गया, जहाँ एक पुराना गोदाम था। वहाँ कोई आता-जाता नहीं था। मैंने पहले उसे एक ठेले से गोलगप्पे और आइसक्रीम खिलाई, ताकि वो मेरे साथ और सहज हो जाए। रानी हँस रही थी, और उसकी हँसी मेरे बदन में बिजली दौड़ा रही थी। मैंने उसे गोदाम के पीछे ले जाकर कहा, “रानी, मैं तुझे एक जादू दिखाता हूँ, लेकिन इसके लिए तुझे मेरी बात माननी पड़ेगी।” वो मासूमियत से मुस्कुराई और बोली, “कैसा जादू, राहुल भैया?” मैंने उसका हाथ पकड़ा और धीरे-धीरे अपनी उंगलियों से उसकी कलाई को सहलाने लगा। उसकी साँसें तेज होने लगीं, और वो मुझे रोकने की कोशिश करने लगी, “ये क्या कर रहे हो?”

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मैंने हार नहीं मानी। मैंने उसकी आँखों में देखा और धीरे से कहा, “रानी, बस थोड़ा मजे की बात है, तुझे अच्छा लगेगा।” मैंने उसके हाथ को और जोर से पकड़ा और अपनी उंगलियों से उसके नरम हाथों को सहलाते हुए उसे पास खींच लिया। उसकी साँसें अब मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं। मैंने मौका देखकर उसके गालों को छुआ और धीरे से अपने होंठ उसके होंठों के पास ले गया। पहले तो वो पीछे हटी, लेकिन मैंने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसके होंठों को चूम लिया। उसका बदन काँप रहा था, लेकिन वो मुझे रोक नहीं रही थी। मैंने उसके होंठों को धीरे-धीरे चूसना शुरू किया, और उसकी साँसें अब गर्म हो चुकी थीं।

मैंने अब उसकी साड़ी के पल्लू को धीरे से खींचा, और वो मेरे सामने सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी। उसका गोरा बदन चाँदनी में चमक रहा था, और उसके उभार मेरे दिल की धड़कन बढ़ा रहे थे। मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किए, और वो शरमाते हुए बोली, “राहुल भैया, ये गलत है…” मैंने उसकी बात अनसुनी की और उसके कंधों को चूमते हुए कहा, “रानी, बस एक बार, तुझे स्वर्ग का मजा दूँगा।” मैंने उसका ब्लाउज उतार दिया, और उसकी ब्रा में कैद उसके भरे हुए चुचे मेरे सामने थे। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसके चुचों को दबाना शुरू किया, और उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं। “आह… राहुल भैया… ये क्या… उफ्फ…” उसकी आवाज में शरम और वासना दोनों थी।

मैंने अब उसकी ब्रा भी खींचकर उतार दी। उसके गोल, नरम चुचे मेरे सामने नंगे थे, और उनके गुलाबी निप्पल मेरे मुँह में पानी ला रहे थे। मैंने एक चुचे को अपने हाथ में पकड़ा और उसे जोर-जोर से मसलने लगा, जैसे कोई पके आम को निचोड़ता है। रानी की सिसकारियाँ अब तेज हो गई थीं, “आह… धीरे… दर्द हो रहा है…” मैंने उसकी बात अनसुनी की और उसके एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया। मैं उसे चूसने लगा, जैसे कोई बच्चा दूध पीता है। उसका नरम चुचा मेरे मुँह में था, और मैं अपनी जीभ से उसके निप्पल को चाट रहा था। रानी का बदन अब पूरी तरह से मेरे कब्जे में था। वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिरा रही थी और सिसकार रही थी, “उफ्फ… राहुल… ये क्या कर रहे हो… आह…”

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मैंने अब उसकी साड़ी और पेटीकोट को पूरी तरह से उतार दिया। वो मेरे सामने सिर्फ पैंटी में खड़ी थी। उसकी गोरी जाँघें और उसकी पैंटी में छुपी उसकी चूत मेरे लंड को पागल कर रही थी। मैंने उसे गोदाम के एक पुराने टेबल पर बिठा दिया और उसकी एक टांग को ऊपर उठाकर टेबल पर रख दिया। उसकी पैंटी अब गीली हो चुकी थी, और उसकी चूत की खुशबू मेरे नथुनों में घुस रही थी। मैंने अपनी उंगलियों से उसकी पैंटी को एक तरफ खींचा और उसकी गुलाबी चूत को देखा। वो इतनी नरम और रसीली थी कि मेरा लंड मेरे पैंट में तंबू बना रहा था। मैंने पहले अपनी उंगली पर थूक लगाया और उसकी चूत के होंठों पर धीरे-धीरे रगड़ना शुरू किया। रानी का बदन काँप रहा था, और वो सिसकार रही थी, “आह… राहुल… ये क्या… उफ्फ… मत करो…”

मैंने उसकी सिसकारियों को नजरअंदाज किया और अपनी उंगली को उसकी चूत के अंदर डाल दिया। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगली आसानी से अंदर-बाहर होने लगी। मैंने अब दो उंगलियाँ डालीं और उसे और तेजी से चोदने लगा। रानी की साँसें अब टूट रही थीं, और वो मेरे कंधों को पकड़कर सिसकार रही थी, “आह… राहुल… बस करो… मैं मर जाऊँगी… उफ्फ…” मैंने उसकी चूत को उंगलियों से चोदते हुए उसके चुचों को फिर से मुँह में लिया और उन्हें चूसने लगा। रानी का बदन अब पूरी तरह से मेरे हवाले था।

अब मैंने अपनी पैंट उतारी और मेरा 7 इंच का लंड बाहर निकाला। रानी ने उसे देखा और उसकी आँखें फट गईं। वो बोली, “राहुल भैया… ये तो बहुत बड़ा है… मैं नहीं ले पाऊँगी…” मैंने उसकी बात अनसुनी की और अपने लंड पर थूक लगाकर उसे उसकी चूत के मुँह पर सेट किया। मैंने पहले धीरे से अपने लंड का सुपारा उसकी चूत में डाला। रानी की चीख निकल गई, “आह… मम्मी… दर्द हो रहा है…” मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया और धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत में पेलने लगा। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड जैसे किसी गर्म भट्टी में घुस रहा था।

मैंने अब एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। रानी की आँखों में आँसू आ गए, और वो चीख रही थी, “बस… राहुल… निकाल दो… मैं मर जाऊँगी…” मैंने उसके चुचों को मसलते हुए कहा, “रानी, बस थोड़ा बर्दाश्त कर, अब मजा आएगा।” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और उसकी चूत अब मेरे लंड को गीलेपन से लपेट रही थी। कुछ देर बाद रानी की चीखें सिसकारियों में बदल गईं, “आह… राहुल… अब अच्छा लग रहा है… और करो… उफ्फ…” मैंने अब अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसे पूरी ताकत से चोदने लगा। मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों को चीर रहा था, और हर धक्के के साथ उसके चुचे हिल रहे थे।

मैंने अब उसे टेबल से उतारा और उसे घोड़ी बनने को कहा। रानी ने मेरी बात मानी और टेबल पर हाथ रखकर अपनी गांड मेरी तरफ कर दी। उसकी गोल, नरम गांड मेरे सामने थी, और उसकी चूत गीली होकर चमक रही थी। मैंने पहले उसकी गांड पर एक चपत मारी, और वो सिसकारी, “उफ्फ… राहुल… क्या कर रहे हो…” मैंने अपने लंड को फिर से उसकी चूत पर सेट किया और एक ही झटके में पूरा लंड अंदर पेल दिया। रानी की चीख निकल गई, लेकिन अब वो मेरे हर धक्के का जवाब अपनी गांड को पीछे धकेलकर दे रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और उसे और जोर-जोर से चोदने लगा। उसकी सिसकारियाँ अब पूरे गोदाम में गूँज रही थीं, “आह… राहुल… चोद दो… और जोर से… उफ्फ… मजा आ रहा है…”

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मैंने अब एक हाथ से उसके चुचों को मसलना शुरू किया और दूसरे हाथ से उसकी चूत के दाने को रगड़ने लगा। रानी का बदन अब काँप रहा था, और वो चिल्लाई, “राहुल… मैं… मैं झड़ने वाली हूँ… आह…” उसकी चूत ने मेरे लंड को और जोर से जकड़ लिया, और वो झड़ गई। उसका गर्म पानी मेरे लंड पर बह रहा था, और मैं और तेजी से उसे चोदने लगा। मैंने अब उसे फिर से टेबल पर लिटाया और उसकी टांगें अपने कंधों पर रखकर उसे चोदना शुरू किया। मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों को छू रहा था, और हर धक्के के साथ उसका बदन हिल रहा था।

कुछ देर बाद मेरा भी होने वाला था। मैंने पूछा, “रानी, कहाँ निकालूँ?” वो सिसकारते हुए बोली, “अंदर ही… मैं गोली ले लूँगी… बस चोदते रहो…” मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और आखिरी धक्कों के साथ अपना सारा माल उसकी चूत में उड़ेल दिया। हम दोनों हाँफ रहे थे, और मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। उसका बदन पसीने से भीगा हुआ था, और वो मेरे सीने पर सिर रखकर लेट गई।

थोड़ी देर बाद हमने अपने कपड़े पहने। रानी शरमाते हुए बोली, “राहुल भैया, ये सब किसी को मत बताना…” मैंने उसे चूमते हुए कहा, “रानी, ये हमारा राज रहेगा।” उस रात के बाद, मैं और रानी जब भी मौका मिलता, एक-दूसरे के साथ वासना की आग बुझाते। शांति आंटी को शायद कुछ शक हुआ, लेकिन वो कुछ कह नहीं पाई। और मैं, मैंने अपना बदला रानी के जिस्म के रास्ते पूरा कर लिया।

दोस्तों, ये थी मेरी कहानी। आपको कैसी लगी, जरूर बताना।

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