हेलो दोस्तों, मेरा नाम प्रतिमा है, और मैं 19 साल की हूँ। मेरा फिगर 36-26-38 है, और मैं चुदाई की दीवानी हूँ। जब से मेरी पहली चुदाई हुई, तब से मेरी ज़िंदगी बस लंड और चूत के इर्द-गिर्द घूमती है। अब तक मैं 25 मर्दों के साथ मज़े ले चुकी हूँ। अब मैं अपनी कहानी पर आती हूँ।
ये बात पिछले साल की है। मेरे छोटे भाई का इम्तिहान दो दिन बाद शुरू होने वाला था, और उसका पहला पेपर मैथ्स का था। लेकिन उसकी आँखों की रोशनी कम हो गई थी, तो मम्मी उसे डॉक्टर के पास ले गई थीं। मेरा भाई और उसका दोस्त रवि मिलकर पढ़ाई करने वाले थे। रवि की कोचिंग में अगले दिन मैथ्स का टेस्ट था, जो स्कूल के एग्जाम से पहले था। मेरा भाई मैथ्स में मास्टर था, और रवि एकदम टपोरी टाइप का लड़का था। वो मस्तीखोर, बदतमीज़, और पढ़ाई में बिल्कुल कच्चा था। वो हमारे मोहल्ले में एक छोटी-सी खोली में रहता था। मेरा भाई उसे आज हमारे घर पर मैथ्स सिखाने वाला था। लेकिन भाई ने रवि को नहीं बताया था कि वो डॉक्टर के पास जा रहा है।
दोपहर को रवि हमारे घर आ धमका। मैं उस वक्त घर पर अकेली थी। मैंने उसे बताया, “अरे, भाई तो डॉक्टर के पास गया है। क्या उसने तुझे नहीं बताया कि आज वो घर पर नहीं होगा?” रवि बोला, “नहीं यार, उसने कुछ नहीं कहा। क्या मैं उसकी मैथ्स की किताब ले जा सकता हूँ?” मैंने कहा, “अरे, तू यहीं रुक, पढ़ाई कर ले। शायद भाई एक-दो घंटे में आ जाए।”
वो अंदर आया और सोफे पर धम से बैठ गया। उसने मुझसे पानी माँगा। मैं किचन से पानी लाई और उसे दे दिया। फिर मैं भाई की मैथ्स की किताब लाने अंदर चली गई। जब वापस आई, तो देखा कि वो मेरी किताब पढ़ रहा था, जो मैं पहले पढ़ रही थी और सोफे पर छोड़ दी थी। वो एक रोमांटिक मैगज़ीन थी, जिसमें इश्क-मोहब्बत के आर्टिकल और कुछ हॉट तस्वीरें थीं। मैंने झट से किताब छीनी और उसे डाँटा, “ये क्या पढ़ रहा है?” लेकिन वो बेशर्मों की तरह हँसने लगा। फिर उसने सॉरी कहा और भाई की किताब लेकर पढ़ने लगा। उसके चेहरे पर हमेशा एक बदमाशी वाली स्माइल रहती थी, जैसे उसे मेरा कोई राज़ पता चल गया हो।
मैं वहाँ से उठकर अपने रूम में चली गई और अपनी मैगज़ीन फिर से पढ़ने लगी। लेकिन मन में खटका हुआ कि कहीं ये बदमाश कुछ सामान न उठा ले। मैं वापस हॉल में गई, तो देखा वो सोफे पर लेटकर पढ़ रहा था। मैं हैरान थी कि ये लड़का इतना ढीठ कैसे हो सकता है? मैंने उसे उठने को नहीं कहा और सोच लिया कि इसके पास बैठ जाऊँ, शायद मुझे देखकर उठ जाए। मैं सोफे पर उसके बगल में बैठ गई। उसने बस अपने पैर हटाए और मुझे जगह दी, लेकिन उसका ध्यान किताब पर ही था। मैं अपने मोबाइल में मैसेज टाइप करने लगी। अचानक मैंने उसकी तरफ देखा, तो वो मुझे घूर रहा था, और वो भी कब से! उसकी नज़र मेरे चेहरे पर नहीं, मेरे सीने पर थी।
तब मुझे याद आया कि रवि के आने से पहले मैंने अपनी ब्रा उतार दी थी। मैं मैगज़ीन पढ़ते-पढ़ते अपनी चूचियों को सहला रही थी, और रवि के अचानक आने पर ब्रा पहनना भूल गई। मेरी टी-शर्ट टाइट थी, और मेरे निप्पल उसमें से साफ दिख रहे थे। मैंने जल्दी से मैगज़ीन से अपने सीने को ढक लिया। मैंने रवि से कुछ नहीं कहा, क्योंकि मैं शर्मिंदगी में बोल ही नहीं पाई। मेरा भाई मेरे लिए बच्चा है, और उसके दोस्त भी मुझे बच्चे ही लगते थे, भले ही रवि मुझसे बड़ा हो। हममें चार साल का फर्क है, और मैंने कभी छोटे लड़कों को उस नज़र से नहीं देखा।
मैं चुपचाप बैठी रही और मैगज़ीन में देखने लगी। फिर मैंने चोरी से रवि की तरफ देखा, तो वो भी मुझे घूर रहा था। हम दोनों एक-दूसरे की आँखों में बिना कुछ बोले देखने लगे। उसकी नज़रों में कोई डर नहीं था, वो बिंदास मेरी आँखों में देख रहा था। मेरी धड़कनें तेज़ हो गईं, और मुझे ये अहसास जाना-पहचाना लगा। मैंने नज़रें हटाईं और मैगज़ीन में देखने लगी। लेकिन फिर से उसकी तरफ देखा, तो वो मेरे पूरे बदन को नशीली नज़रों से निहार रहा था। तभी मुझे उसकी पैंट में उसके तने हुए लंड का उभार दिखा। मेरी चूत से पानी रिसने लगा, और मुझे समझ आ गया कि ये जोश का अहसास क्या था।
मैं जल्दी से उठी और अपने रूम की तरफ भागी। रवि भी फटाक से उठकर बैठ गया और मुझे जाते हुए गौर से देखने लगा। रूम में घुसते वक्त मैंने सोफे पर बैठे रवि की तरफ देखा। हम पाँच सेकंड तक एक-दूसरे को घूरते रहे। फिर मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया। अंदर जाकर मैंने अपने कपड़े उतार फेंके और खुद को सहलाने लगी। मैंने अपनी चूत में उंगली डाल दी। लेकिन ये गलत था। मुझे रवि की वजह से गर्मी चढ़ रही थी। मेरी चूत लंड माँग रही थी, और मेरा अपने ऊपर काबू नहीं था। वो हॉल में था, और मैं अपने रूम में नंगी होकर चूत को ठंडा करने की कोशिश कर रही थी।
तभी मुझे दरवाज़े के नीचे से दिखा कि कोई बाहर खड़ा है। मैं समझ गई कि ये रवि है। मैं ज़मीन पर लेट गई और अपनी चूत को सहलाने लगी। रवि भी नीचे झुककर दरवाज़े के गैप से मुझे देख रहा था। मैं जानबूझकर उसे अपनी चूत दिखा रही थी। तभी डोरबेल बजी। मैंने जल्दी से कपड़े पहने और बाहर गई। हॉल में रवि की किताब सोफे पर थी, लेकिन वो गायब था। फिर से डोरबेल बजी। मैंने दरवाज़ा खोला, तो वॉचमैन था, जो लाइट का बिल देने आया था। मैंने बिल लिया और दर Nan:वाज़ा बंद करके रवि को ढूँढने लगी। तभी मुझे हॉल में ज़मीन पर एक अंडरवियर मिली। मैंने उसे उठाया और रवि को खोजने लगी। बाथरूम में वो नहीं था। फिर मैं भाई के रूम में गई, तो वो खिड़की की तरफ चुपचाप खड़ा था।
मैंने पूछा, “यहाँ क्या कर रहा है?” वो चुप रहा, फिर मुझे घूरते हुए बोला, “मुझे डर लगा कि कोई आ गया, तो मैं यहाँ छुप गया।” मैंने पूछा, “ये तेरी अंडरवियर है?” उसने कहा, “हाँ।” मैंने पूछा, “इसे क्यों उतारा?” उसने नशीली नज़रों से देखते हुए कहा, “बस ऐसे ही।” मैंने ज़ोर दिया, “साफ-साफ बता, क्यों उतारी?” वो चुप रहा। मैंने कहा, “जब तक नहीं बताएगा, मैं तुझे अंडरवियर नहीं दूँगी।” मैं अंडरवियर लेकर हॉल में गई और सोफे पर बैठ गई। मुझे शक था कि वो नंगा हुआ होगा, और बेल बजने पर जल्दी में कपड़े लेकर भाग गया। लेकिन मैं जानना चाहती थी कि वो नंगा होकर क्या करने वाला था।
वो काफ़ी देर तक रूम से बाहर नहीं आया। मैं फिर भाई के रूम में गई, तो देखा वो बेड पर नंगा बैठा अपना लंड हिला रहा था। उसने मुझे देखा, लेकिन उसकी आँखों में ज़रा भी डर नहीं था। मेरे भाई के दोस्त ने मेरे सामने बिंदास लंड हिलाया, बिना किसी शर्म के। उसका लंड क़रीब सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा था, एकदम तनकर खड़ा। मैं उस खूबसूरत लंड को देखकर हैरान थी। उम्र में बड़ी होने के बावजूद मैं कुछ न बोल सकी। मैं उसे डाँटने का नाटक भी नहीं कर पाई। मैं चुपचाप हॉल में लौट आई और किताब पढ़ने का नाटक करने लगी।
तभी रवि वैसे ही नंगा हॉल में आया और मेरे सामने खड़ा हो गया। वो ज़ोर-ज़ोर से लंड हिलाने लगा। मैं उसे भगाना चाहती थी, या कम से कम भगाने का नाटक करना चाहती थी, लेकिन मेरी चूत लंड की भूखी थी। मेरा मुँह लंड के लिए तरस रहा था। मेरे बदन में बिजली-सी दौड़ रही थी। मैं किताब में देखती रही। रवि ने मेरे हाथ से किताब छीनकर फेंक दी और मुझे घूरने लगा। मैंने उसकी तरफ देखा, तो उसने मुझे किस का इशारा किया और लंड को ज़ोर से हिलाया। मैं एक मिनट तक उसके लंड को निहारती रही। मुझे उस पर टूट पड़ना था, लेकिन वो मेरे भाई का दोस्त था। वो मुझे या भाई को ब्लैकमेल कर सकता था। फिर भी मेरा शरीर कुछ और कह रहा था।
मैंने धीमी आवाज़ में कहा, “बस कर यार।” उसने कहा, “ले ना।” मैं चुप रही। वो मेरे मुँह के पास लंड ले आया। मुझे उसके लंड की मादक ख़ुशबू आने लगी। मैं झुकी थी, माथे पर हाथ रखे। उसका लंड मेरे होंठों से बस थोड़ा दूर था। अगर वो ज़रा सा आगे आता, तो लंड मेरे होंठों को छू लेता। मैंने फिर लंड को देखा, फिर उसकी आँखों में। वो मेरे पास आकर सोफे पर लेट गया और लंड हिलाने लगा। हम एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे। वो ज़ोर-ज़ोर से हिलाता रहा। आख़िरकार उसका वीर्य निकल गया, ढेर सारा, और मैं बस उसके लंड को देखती रही। वो दो मिनट वैसे ही पड़ा रहा, फिर बाथरूम गया, लंड धोया, और मेरे पास नंगा ही थककर बैठ गया।
मैंने पूछा, “ये क्या था?” उसने कहा, “तुझे देखकर जोश चढ़ गया।” वो मेरे सामने अपने मोटे लंड को हिलाता रहा, वीर्य गिराया, और अब बिना शर्म के नंगा बैठकर बातें कर रहा था। हम कुछ देर चुप रहे। फिर उसने सोफे पर लेटते हुए मेरी गोद में सिर रखा। मैं चुप रही। उसने उंगली से मेरे निप्पल को छूना शुरू किया। मुझे उसका ऐसा करना मज़ेदार लग रहा था। मैं ख़ामोश रही। वो काफ़ी देर तक मेरे निप्पल सहलाता रहा। जब मैं कुछ नहीं बोली, तो उसने मेरे बूब्स दबाने शुरू किए। मैं अब भी शांत थी। उसने टी-शर्ट के ऊपर से मेरे निप्पल को दाँतों से काटना शुरू किया, खींचने लगा। मेरा शरीर शांत था, लेकिन मैं कुछ नहीं सोच रही थी। जो हो रहा था, होने दे रही थी।
उसने मेरी टी-शर्ट को नीचे से थोड़ा ऊपर किया और मेरे नंगे बूब्स को चूमने, काटने, सहलाने लगा। फिर उसने मेरी टी-शर्ट उतरवा दी। मेरी गोद में सिर रखकर वो मेरे बूब्स से खेल रहा था। मेरी नाभि को चाटने लगा। जब उसने मेरी नाभि में जीभ डाली, तो मेरे मुँह से सिसकियाँ निकल गईं। फिर वो मेरी चूत को जींस के ऊपर से चाटने लगा। उसने मेरी जींस उतार दी, फिर पैंटी भी। वो मेरी चूत को चाटने लगा। बीच-बीच में रुककर मेरी चूत को गौर से देखता, जैसे पहली बार चूत देख रहा हो। मैंने उसका साथ देना शुरू किया। जब उसने मेरी चूत में जीभ डाली, तो मैंने अपने पैर उसके सिर के चारों ओर लपेट लिए और ज़ोर-ज़ोर से “आह्ह… उफ्फ… माँ…” करने लगी।
उसने मुझे लेटाया और मेरे ऊपर लेट गया। वो मुझे चूमने लगा। फिर वो घुटनों पर खड़ा हुआ और मुझे बैठाया। हम एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे। उसने अपना लंड मेरे होंठों पर रगड़ना शुरू किया। मैंने मुँह खोला और उसका लंड पूरा अंदर ले लिया। मैं काफ़ी देर तक चूसती रही। चूसते वक्त वो सेक्सी आहें भर रहा था। उसकी “आह… आह…” सुनकर मुझे मज़ा आ रहा था। वो मेरे मुँह की चुदाई करने लगा। उसका लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मैं उसकी गर्मी को महसूस कर रही थी। मैंने उसकी गोलियों को सहलाया, जिससे वो और उत्तेजित हो गया। क़रीब पाँच मिनट तक मैंने उसका लंड चूसा, उसकी मादक ख़ुशबू और स्वाद मेरे मुँह में घुल रहा था।
अचानक उसने लंड बाहर निकाला, मुझे ज़ोर से चूमा, और मेरे पैर फैलाकर लंड मेरी चूत में डालने लगा। डालते वक्त थोड़ा दर्द हुआ, क्योंकि उसका लंड मोटा था। मैंने कहा, “लंड पर थोड़ा थूक लगा।” उसने वैसा ही किया और मेरे पैरों के बीच लेटकर मुझे चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। वो चुदाई के दौरान मेरे होंठों को चूमता रहा, मेरे निप्पल को मसलता रहा। मैं सिसक रही थी, “आह… रवि… और ज़ोर से… चोद दे मुझे…” उसकी हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। पाँच मिनट बाद उसने मेरी चूत में ही वीर्य निकाल दिया। उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में फैल गया, और वो मेरे ऊपर वैसे ही पड़ा रहा।
लेकिन मेरी चुदाई अभी अधूरी थी। मेरी चूत में आग लगी थी, जो एक बार के झड़ने से नहीं बुझने वाली थी। उसने मुझे काफ़ी देर तक चूमा, फिर बैठ गया। मैं लेटी रही, उसे देखती रही। वो फिर मेरे पास आया और मेरे निप्पल चूसने लगा। उसने मेरे बूब्स को मसला, चूसा, और काटा। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… रवि… और चूस… मेरे बूब्स को खा जा…” उसने मेरी चूत को फिर से चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत की गहराइयों में जा रही थी, मेरे क्लिट को चूस रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “आह… रवि… और चाट… मेरी चूत को चूस ले…” मेरी चूत फिर से गीली हो गई, और उसका लंड भी फिर से तन गया।
उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया। उसका मोटा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर गया। मैं चिल्लाई, “आह… धीरे…” लेकिन वो रुका नहीं। उसने मेरे कूल्हों को पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ हिल रही थीं। मैं सिसक रही थी, “उफ्फ… रवि… और ज़ोर से… चोद दे मुझे…” उसने मेरी कमर पकड़ी और अपनी स्पीड बढ़ा दी। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और कमरे में “थप-थप” की आवाज़ गूँज रही थी। मैं अपने बूब्स को मसल रही थी, और वो मेरे कूल्हों पर थप्पड़ मार रहा था। हर थप्पड़ के साथ मेरी सिसकियाँ और तेज़ हो रही थीं।
क़रीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसने कहा, “प्रतिमा, मेरा होने वाला है।” मैंने कहा, “मेरे मुँह में निकाल।” उसने लंड बाहर निकाला, मुझे बैठाया, और मेरे मुँह में लंड डाल दिया। मैंने ज़ोर-ज़ोर से चूसा, उसकी गोलियों को सहलाया। उसका गर्म वीर्य मेरे मुँह में छूट गया। मैंने उसका सारा रस पी लिया, और उसका लंड चाटकर साफ कर दिया। वो हाँफते हुए मेरे बगल में लेट गया। लेकिन मेरी आग अभी भी बुझी नहीं थी। मैंने उसका लंड फिर से पकड़ा और चूसना शुरू किया। उसका लंड फिर से खड़ा हो गया।
इस बार उसने मुझे सोफे पर लेटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरी चूत पर लंड रगड़ा, फिर एक ज़ोरदार धक्के में पूरा लंड अंदर पेल दिया। मैं चीखी, “आह… मर गई!” लेकिन वो रुका नहीं। वो मेरे बूब्स को मसलते हुए मुझे चोदने लगा। उसका लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था, और मैं मज़े में सिसक रही थी, “आह… रवि… और तेज़… फाड़ दे मेरी चूत…” उसने मेरे निप्पल को दाँतों से काटा, और मैं दर्द और मज़े में चिल्ला रही थी। उसकी स्पीड इतनी तेज़ थी कि सोफा हिल रहा था। वो मेरे होंठों को चूम रहा था, मेरी जीभ को चूस रहा था। मैंने उसके कूल्हों को पकड़ा और उसे और गहराई में धकेला।
पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गई। मेरी चूत से रस बह रहा था, और मेरे पूरे बदन में कंपकंपी थी। लेकिन रवि अभी रुका नहीं। उसने मुझे पलटा और मेरी गांड में उंगली डाल दी। मैंने कहा, “नहीं, गांड में नहीं।” लेकिन उसने मेरी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। मैं दर्द से कराह रही थी, “आह… धीरे… फट जाएगी।” उसने मेरी कमर पकड़ी और धीरे-धीरे गांड मारने लगा। पहले दर्द हुआ, लेकिन फिर मज़ा आने लगा। मैं सिसक रही थी, “आह… रवि… और मार… मेरी गांड को फाड़ दे…” उसने स्पीड बढ़ा दी, और उसका लंड मेरी गांड की गहराइयों में जा रहा था। क़रीब दस मिनट बाद वो मेरी गांड में ही झड़ गया। उसका गर्म वीर्य मेरी गांड में फैल गया।
हम दोनों हाँफते हुए सोफे पर पड़े रहे। उसका वीर्य मेरी गांड से रिस रहा था। मैंने उसे चूमा और पूछा, “ये सब कहाँ से सीखा?” उसने बताया कि उसने अपनी कोचिंग टीचर के साथ चुदाई की थी, जो 42 साल की थी और तीन बच्चों की माँ। मैंने पूछा, “किसी के सामने नंगा होकर लंड हिलाते वक्त डर नहीं लगा?” उसने कहा, “तेरे सामने जोश इतना चढ़ गया कि डर गायब हो गया।”
उस दिन के बाद हमने 15 बार चुदाई की। रवि अब चुदाई में उस्ताद हो गया है। वो 20-25 मिनट तक दो-दो बार चोदता है। उसे हर बार अलग-अलग स्टाइल में वीर्य निकालने में मज़ा आता है। मैं उसे कभी नहीं बुलाती। वो ख़ुद किसी ना किसी बहाने घर आ धमकता है। अगर घर खाली हो, तो हॉल में, छत पर, या सीढ़ियों पर चुदाई हो जाती है। स्कूल के एग्जाम के दिनों में भी उसने मुझे कई बार चोदा। मेरी चूत अब उसकी दीवानी है, और वो मेरी आग का इकलौता इलाज है।