Virgin girl sex story: नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम कल्पना है। मैं पंजाब की रहने वाली एक 19 साल की लड़की हूँ। मेरी कहानी उस दिन की है जब मैंने पहली बार अपनी कुंवारी चूत का आनंद किसी मर्द के साथ लिया। यह मेरी ज़िंदगी की सबसे खास और यादगार घटना है।
हमारे घर में एक पेइंग गेस्ट रहने आया था, जिसका नाम अमर था। अमर देखने में हैंडसम और बहुत ही स्मार्ट था। उसकी कातिलाना स्माइल मुझे पहली ही नजर में भा गई थी। मैं मानती हूँ कि उसके जैसी शख्सियत पर कोई भी लड़की फिदा हो जाती।
अमर हमारे घर में कुछ ही दिन पहले आया था। उसकी उम्र 24 साल की थी और वह मथुरा का रहने वाला था। वह हमारा परिवार बहुत अच्छे से घुलमिल गया था, और धीरे-धीरे मैं भी उससे दोस्ती करने लगी।
पहली बार जब मैंने उसे देखा, तो कुछ अजीब सा महसूस हुआ। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। शायद यह मेरी उम्र का असर था, या फिर अमर का चार्म। उसके पास आते ही मेरी नजरें बार-बार उसकी तरफ चली जातीं। मैंने उसे कुछ महसूस नहीं होने दिया, लेकिन अंदर ही अंदर मैं उसकी तरफ खिंचती चली गई।
पहली बार जब अमर ने मुझे देखा, तो उसकी आँखों में कुछ अलग सा भाव था। वह मुस्कुराया और मैं अंदर ही अंदर शर्मा गई। उस दिन मैंने महसूस किया कि उसकी नजरें मेरे जिस्म पर टिक गई थीं, और यह बात मुझे अजीब तरीके से अच्छी लगी।
धीरे-धीरे हमारी बातें शुरू हो गईं। अमर का स्वभाव बहुत ही मिलनसार था, और मैं भी उससे खुलकर बातें करने लगी। शुरुआत में वह छोटी-छोटी चीज़ों के लिए मुझसे मदद मांगता, लेकिन मैं जानती थी कि वह बस मुझसे बात करने का बहाना ढूंढता था। मुझे भी उसकी बातें अच्छी लगने लगीं।
जल्द ही, हमारी बातचीत व्हाट्सएप तक पहुँच गई। रात को जब सब सो जाते, तब हम चैट पर खुलकर बात करते। कभी-कभी वह मजाक में सेक्सी बातें करने लगता, और मुझे यह सुनकर हल्की सी झिझक और खुशी महसूस होती। वह अपनी बातों से मुझे गर्म कर देता, और मैं खुद को रोक नहीं पाती थी।
एक रात उसने कहा, “कल्पना, अगर मैं तुम्हारे कमरे में आऊं, तो तुम मुझे भगा तो नहीं दोगी?” मैंने हँसते हुए कहा, “अगर किसी ने देख लिया, तो क्या होगा?” वह बोला, “कोई नहीं देखेगा। बस, तुम कहो तो मैं आ जाऊं।”
मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैंने उसे अपने कमरे में बुला लिया। यह पहली बार था जब मैंने किसी लड़के को अपने इतने करीब आने दिया। मैंने जल्दी से अपने कमरे को हीटर से गर्म कर दिया और दरवाजा बंद करके इंतजार करने लगी।
जैसे ही वह कमरे में आया, मेरे दिल की धड़कनें और तेज हो गईं। उसने आते ही मुझे कसकर गले लगा लिया। उसकी बाहों में आते ही मेरे अंदर एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई। उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया, और मैं पूरी तरह से उसके हवाले हो गई।
हम दोनों बिस्तर पर बैठ गए। उसने मेरे होठों पर ऐसे किस किया कि मेरी सांसें थमने लगीं। 10 मिनट तक हम यूं ही एक-दूसरे के होंठों से खेलते रहे। उसके बाद उसने पानी मांगा, और हम दोनों ने पानी पिया।
कुछ ही देर में, मेरे शरीर ने उस दर्द को पूरी तरह भुला दिया और उसकी हर मूवमेंट के साथ मैं और ज्यादा आनंदित महसूस करने लगी। मैंने अपनी कमर को तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया, और अब उसके हर झटके के साथ मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं।
“आह्ह… हाँ… ओह गॉड, और तेज़ करो!” मैंने कहा, और उसने मेरी बात मानते हुए अपनी रफ़्तार बढ़ा दी।
उसके लंड का टोपा जब मेरी बच्चेदानी से टकराता, तो मेरा पूरा शरीर सिहर उठता। 20-25 झटकों के बाद, मैंने अपनी चूत से गर्म पानी छोड़ दिया। मेरी सांसें तेज़ हो चुकी थीं, और मेरा शरीर थकान और आनंद के बीच झूल रहा था।
लेकिन वह अभी रुका नहीं। उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैं उसकी ओर झुकी, और उसने मेरे होठों को फिर से चूमना शुरू कर दिया। उसकी सांसों की गर्मी ने मेरे अंदर की आग को फिर से जगा दिया।
कुछ ही देर में, उसने अपनी गति को तेज किया, और मैं उसके हर झटके के साथ अपनी चूत को कसकर उसकी तरफ खींचने लगी। “हाँ, हाँ, और तेज़… फक मी… हार्डर!” मैं चीखते हुए बोल रही थी।
फिर, अचानक उसने एक जोरदार झटका मारा, और मैंने महसूस किया कि उसके लंड से गर्म पानी मेरी चूत के अंदर भर रहा था। वह थक कर मेरे ऊपर गिर गया, लेकिन मैं अभी भी उसकी बाँहों में सिमटी हुई थी।
उसके बाद हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में पड़े रहे। उसके होठों पर मेरी हल्की सी मुस्कान थी, और मैं उसके चेहरे को देखकर सोच रही थी कि यह मेरी ज़िंदगी की सबसे यादगार रात थी। उसने मेरी तरफ देखा और कहा, “आई लव यू, कल्पना।”
मैंने उसकी बात सुनकर हल्के से मुस्कुरा दिया और उसके गाल पर किस कर दिया। “आई लव यू टू,” मैंने जवाब दिया।
उसके चेहरे पर थकान के साथ संतुष्टि साफ झलक रही थी। उसने मुझे अपनी बाहों में कसकर पकड़ा, और मैं उसकी गर्मी में सुकून महसूस कर रही थी। मेरे होठ उसकी छाती पर टिके हुए थे, और मेरी उंगलियाँ उसके बालों में हल्के-हल्के घूम रही थीं।
लेकिन मेरी चूत ने तो जैसे उसके लंड की गर्मी को फिर से बुला लिया था। मैंने उसके शरीर में एक बार फिर हरकत महसूस की। उसने मेरी आँखों में झाँका और हल्के से मुस्कुराते हुए मेरा माथा चूम लिया।
उसने धीरे-धीरे मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी चूत को अपने हाथों से सहलाने लगा। मेरी सिसकारियाँ एक बार फिर पूरे कमरे में गूँजने लगीं। “आह्ह… हाँ… मुझे पागल मत बनाओ,” मैंने उससे कहा।
वह मुस्कुराया और मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी हर पंखुड़ी पर घूम रही थी, और उसने मेरी चूत के हर कोने को चाट-चाट कर साफ कर दिया। मेरे शरीर में फिर से वही सिहरन दौड़ने लगी।
“क्या स्वाद है तुम्हारे चूतरस का,” उसने मुझे देखते हुए कहा। मैं शरमा गई और उसकी तरफ देखने लगी।
उसने अपने लंड को फिर से मेरी चूत पर रखा और इस बार पूरे जोर से अंदर तक घुसा दिया। इस बार दर्द नहीं, सिर्फ आनंद था। मैंने अपनी कमर को हिलाते हुए उसकी हर हरकत का साथ दिया।
कुछ देर बाद उसने मुझसे कहा, “घोड़ी बनो।” मैं उसकी बात मानते हुए घोड़ी की पोजीशन में आ गई। उसने पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डाला और जोर-जोर से झटके मारने लगा। मेरी आवाजें फिर से कमरे में गूँजने लगीं।
“ओह्ह… आह्ह… और तेज़ करो!” मैं चिल्ला रही थी। उसने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी, और मैं अपनी गांड को उचकाते हुए उसकी हर हरकत का जवाब देने लगी।
“हाँ… हाँ… और करो… ओह्ह,” मैं चिल्लाते हुए झड़ गई। लेकिन वह रुका नहीं। उसने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी।
कुछ देर और चोदने के बाद, उसने अपना गर्म पानी मेरी चूत में छोड़ दिया। मैंने उसकी गर्मी को महसूस किया और उसके नीचे गिर गई।
सुबह के 4:30 बज चुके थे। उसने मुझे अपनी बाहों में कसकर पकड़ लिया, और हम दोनों ने एक दूसरे को लंबा सा किस किया। उसके बाद मैं अपने कमरे में वापस आ गई।
उस रात के बाद, हम दोनों को जैसे चुदाई का नशा लग गया। जब भी मौका मिलता, हम चुदाई के लिए तैयार रहते। उसकी हर हरकत ने मुझे दीवाना बना दिया था।
कुछ महीनों बाद, मुझे अपनी पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ जाना पड़ा। लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती। चंडीगढ़ में मैंने अमर के साथ और भी कुछ खास पल बिताए। उसने न सिर्फ मुझे, बल्कि मेरी सहेली को भी पेल दिया।
वह कहानी मैं आपको अगली बार बताऊँगी।