Indian Hotel Me Chudai Ki Kahani पढ़े। मैंने बस में एक अनजान महिला के साथ इन होटल में उत्कृष्ट मज़ा लिया। मैंने उससे पहले चूत नहीं मारी थी। मैंने साहस करके उससे बात की।
यह बात 2019 की गर्मी की है।
10 बजे मैं घर से निकला।
जुलाई का महीना था।
जैसा कि आप लोग जानते हैं, जून के महीने में बहुत गर्मी होती है।
मेरी पिछली कहानी
दस बजे सुबह ऐसा लग रहा था जैसे दोपहर के दो बजे हो गए हों।
मुझे पता नहीं क्यों बहुत गर्मी लगती है और मैं पसीने से तर हो जाता हूँ।
जब मैं घर में रहता हूँ, मैं हमेशा AC चला कर सोता हूँ। मेरा काम बिना AC के संभव नहीं है।
गर्मी उस दिन मुझे चिड़चिड़ा और परेशान कर रही थी ।
मैं सहज महसूस नहीं कर पा रहा था। मैं बार-बार सोचता था कि मैं भारत में क्यों पैदा हुआ। अमेरीका जैसी ठंडी जगह में पैदा क्यों नहीं हो गया?
इतना ही हुआ।
मैं बस में सीट लेने के लिए जल्दी से ऊपर चढ़ा और एक महिला को अनजाने में धक्का मार दिया।
मैंने उससे सॉरी कहा और बैठ गया।
बस चल पड़ी।
जहां मुझे जाना था, वहाँ पहुंचने में एक घंटे लग गया।
मैंने अनजाने में उस महिला को धक्का दिया क्योंकि वह शादीशुदा थी।
वह सुंदर दिखती थी।
वह मेरे बाद महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर बैठ गई।
खिड़की से बाहर देखते हुए मैं खुद को खुश कर रहा था। फिर मैंने अपने सिर को उस महिला की सीट की ओर बायीं ओर घुमाया।
वह एकटक मुझे देख रही थी।
मैं खिड़की से बाहर देखने लगा, फिर से दायीं ओर सिर घुमाकर।
कुछ देर बाद मैं फिर से बायीं ओर मुड़ गया।
वह अभी भी मेरी ओर एकटक देखती रही।
मैंने सोचा कि इत्तफाक हो सकता है।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि वह महिला मेरी ओर बहुत उत्सुक होकर देख रही है।
उसकी आंखों में कुछ ख्वाहिश का भाव था।
वह चुदासी थी?
क्या वह किसी मर्द से सम्भोग करने की कोशिश कर रही थी?
वह इस तरह देखने के कारण कहीं बीमार तो नहीं थी?
मेरे मन में ऐसे कई प्रश्न उठने लगे।
मैं 27 साल का था लेकिन आज भी कुंवारा था।
मेरी लड़कियों से बातचीत करना बहुत मुश्किल था। मैं बहुत शर्मिंदा था, शायद इसी कारण मैं लड़कियों से डरता था।
मेरे दोस्त मुझे लुल्ल कहते थे।
अब जो लड़का लड़की से डरेगा, वह उससे कैसे बोलेगा? उसे चोदने और पटाने के तरीके
मैं अपने चम्पूपने को खुद कोसता था। पर मेरे होंठ कांपने लगे जैसे ही कोई लड़की मेरे सामने आई।
मैं कुछ नहीं कह सका।
वह सुंदर दिखने वाली शादीशुदा महिला आज मुझे घूरे जा रही थी, जिससे मेरा दिल धक्क सा हो गया।
फिर मैं उसे देखने लगा।
मैं भी एकटक उसे देखने लगा।
मैं नहीं जानता कि उस महिला को कितना मजा आ रहा होगा, लेकिन धीरे-धीरे मुझे उसे ताड़ने में बहुत मज़ा आने लगा।
वह महिला बस कुछ देर रुकी और सड़क किनारे खड़ी हो गई।
वह लगातार मुझे देख रही थी।
बस चली गई।
जब मैं खिड़की से बाहर देखा तो वह शादीशुदा महिला अब भी मुझे ही देख रही थी।
मेरा खून बह गया।
मुझे 2-3 सेकंड में जो भी फैसला लेना है, जल्दी लेना होगा।
बस ड्राइवर से अचानक मैंने बस रोकने को कहा।
बस रुक गई और मैं उतर गया।
मेरा इंतजार उस महिला ने किया।
बस चली गई।
आज मुझे उससे बात करनी थी, हालांकि मेरा दिल धड़क रहा था।
मैं धीरे-धीरे उसके पास गया, उसके बिल्कुल पास पहुंचा।
मैं उससे क्या कहूँ?
मैंने कहा-हैलो?
उसने मुझे भी हैलो कहा और मुझे घूरने लगी।
वह अचानक कहां चला जाए?
गुरु, ये बात बाद में होगी। आपको पहले चूत देगी।मेरे मन ने कहा।
उसका सीधा विचार देखकर मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया।
मैंने पूछा: क्या किसी होटल में जाना चाहिए?
सही है, उसने कहा।
मैंने साहस दिखाया और पहल की।
जीवन में पहली बार मैंने साहस दिखाया।
उसकी सहमति जानकर मैंने उसका हाथ और कसके पकड़ लिया।
हम दोनों प्रेमी प्रेमिकाओं की तरह चले गए।
मैं सारी दुनिया को जलाऊँ, सबको दिखाऊँ कि गाँडुओ मुझे लल्लू कहते थे, देखो आज भी मेरे पास भी माल है।
प्रिय, मेरा मन सिर्फ यही करना चाहता था।
हम दोनों होटल पहुंचे।
मैं किराया जानता था।
रिसेप्शनिस्ट ने पूछा कि कमरा घंटा या दिन के हिसाब से चाहिए?
मैंने कहा कि दिन भर चाहिए।
उसने कहा: ओके पांच सौ रुपये।
मैंने अपना डेबिट कार्ड देकर भुगतान किया, फिर हम दोनों कमरे में चले गए।
मैंने कायदे से कमरे का दरवाजा बंद कर दिया!
द्वार पर पहुंचते ही मैंने शादीशुदा महिला के गुलाबी होंठ चूसने लगा।
आज शायद मेरी जीवन में पहली बार मैं खुद को भाग्यशाली समझ रहा था।
वरना, शायद मैं हमेशा बुरा रहा हूँ।
उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
अब नाम वाम पूछना बेकार लग रहा था।
क्या करेगा काजी जब मियां बीवी राजी?
उसके उभारों पर मेरा हाथ जाने लगा।
वह भी चुदवाने के लिए पूरी तरह उत्सुक थी।
उसने मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
हम दोनों बिस्तर पर जा पहुँचे।
उसकी सुंदर आंखों को मैंने कई बार चूमा।
कुछ देर पहले यही नशीली आंखें मुझे दूर से ताड़े जा रही थी।
क्योंकि किसी औरत को प्यार करके चोदने में सबसे बड़ा आनंद मिलता है, मैंने उसे बहुत प्यार वाला अहसास दिया।
मैं उसे अपनी पत्नी मानने लगा और चुम्मा चाटने लगा।
मैंने उसके होंठों को गहराई से पीया।
मैं भी किसी अन्य महिला को बांहों में लेकर उफान मारने लगा।
मैं उसके मम्मे दबाऊँ या उसे चोद दूँ..।मुझे पहले क्या करना चाहिए मैं सोचने लगा।
फिर मैंने सोचा कि ये महिला वापस नहीं जाएगी; ये जा भी सकती है अगर इसका मन बदला, इसलिए पहले इसे चोद लूँ, फिर हाल चाल पूछूँगा।
मैंने तुरंत पैंट और चड्डी उतारी, शर्ट नहीं उतारी।
आज शायद वह महिला घर से निकली थी क्योंकि उसे लगता था कि वह किसी गैर मर्द का लंड खाएगी।
वह यही सोचकर निकली थी।
उसकी सफ़ेद चड्डी और साड़ी पेटीकोट को मैंने उतार दिया।
मैंने उसकी चूत को देखा।
चूत को उंगली से खोलकर देखा।
उसकी चूत के दोनों लब पूरी तरह खुले हुए थे, जो चीख चीख कर गवाही दे रहे थे कि वह बहुत अच्छी तरह से चुद गयी था।
वह मैं नहीं जानता कि वह अपने पति से चुदी है या इसी तरह गैर मर्दों से चुदी है।
मैं चोदूँ खाऊँ और आगे बढ़ूँ क्योंकि मुझे मुफ्त माल मिला।
मैं उसे मारने लगा।
मैं कुंवारा था।
उसकी फटी हुई चूत के बावजूद मुझे कोई दर्द नहीं हुआ।
पर मुझे खुशी और संतोष था कि मैं एक गैर महिला को चोद रहा था।
मैंने उसके ब्लॉउज़ को भी निकाल दिया था और उसे २० मिनट तक धकापेल चोदा।
बाद में मैंने सिर्फ उसकी चूत में पानी डाला।
वह बहुत आराम से चुदवायी।
भी मुझे डर लगा कि ये महिला मुझे फंसा सकती है; कहीं पुलिस स्टेशन में जाकर बताये कि मैंने उसको बलपूर्वक चोदा है।
लेकिन मैं इतना डरूंगा तो किसी औरत को चोद नहीं पाऊंगा।
उस दिन मैंने अपने जीवन का सबसे बड़ा खतरा उठाया।
मैं झड़ने के बाद थक गया और हांफने लगा।
मैं उसके बगल में सो गया।
वह महिला, जो कोई भी थी, परमेश्वर का प्रकाश बनकर मेरी जिंदगी में प्रवेश की।
उसके चेहरे पर खुशी का भाव था।
उसने टांगों को फैलाया।
दो पल बाद उसने मेरी ओर देखा।
मुझे पता चला कि, चाहे सिर्फ आज के लिए ही हो, ये औरत मुझसे कम से कम एक दिन के लिए प्यार करती है।
मैं भी उसके लबों, गालों, होंठों और आंखों पर देखने लगा। धड़ाधड़ मुस्कराया।
अब मेरे मन से हर संदेह दूर हो गया।
हर संदेह दूर हो गया।
मैं उसी को अपनी प्रेयसी, प्रेमिका और पत्नी मानने लगा।
मैं उसके गले से चिपक गया।
मैं भी बिना घबराहट चिपक गया।
मेरे हाथों ने उनकी गोल गोल जांघों को सहलाने लगा।
आज मेरी सड़ी हुई किस्मत पहली बार बदल गई।
मैं अपने भाग्य पर गर्व करने लगा।
हम दोनों ने कुछ नहीं कहा।
उसकी पहचान के बारे में कुछ कहना या पूछना मुझे बेमानी लग रहा था।
जब मैंने उसे चोद दिया, तो अब क्या पूछना?
उन्होंने पूछा कि क्या तुम मुझसे मिलते रहोगे या बस इतना ही?
वाह! यह महिला शायद लंबे समय से किसी आदमी की आस लगाए हुए थी।
मैंने कहा कि मैं मिलता रहूँगा।
उसके आंसू बह गए।
मैंने पूछा: आपका आदमी?
उन्होंने कहा कि वह मुझे नहीं चाहता है। मैं इतना खूबसूरत नहीं हूँ। मैं सिर्फ नाम की औरत हूँ क्योंकि मैं दहेज़ लेकर नहीं आयी थी।उसके कार्यालय में उसकी सेक्रेटरी है। बेवकूफ! एक महिला को चोदकर दूसरी को ठोकता है!
मैं क्रोधित हो गया।
फिर मैंने सोचा कि क्या वह मुझसे चुदवाती अगर उसका पति ऐसा नहीं करता।
मैं अपने मन में उसके पति को धन्यवाद देने लगा।
मेरे दो बच्चे हैं, वह कहती थी।
मैं सिर हिलाया।
उसने कहा कि बच्चे होने के बाद मेरे पति ने मुझसे चुदाई नहीं की। आज तीन वर्ष हो गए!
ठीक है, ये महिला कई साल से मेरी तरह प्यासी थी।
जोड़ी राम मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी। मैं एक महिला का भूखा था, वह भी एक आदमी की भूखी थी।
मैंने फिर से कहा कि अगर आप मिलने आओगे, तो मैं जरूर आऊंगा।
फिर हम चिपक गए और चुप हो गए।
अब मैं उसको सिर्फ अपनी पत्नी समझने लगा।
हम दोनों ने कुछ दो घंटे आराम किया।
फिर हम दोनों को फिर से चार्ज किया गया।
मैंने फिर से उसकी आंखों को चूमा।
मैंने कहा कि ब्लॉउज़ बाहर निकालो!
वह जान गई कि आज मैं तीन साल का मजा ब्याज सहित उसको भुगतान करूँगा।
उसने बिना किसी नखरा किए ब्रा और ब्लॉउज़ उतारे।
उसके बड़े, ढीले स्तन थे। झूल रहे थे।
मैंने उसके स्तन को मुँह में एक भर लिया।
बच्चों का दूध पीने से शायद उसके स्तनों की काली निप्पल्स थोड़ी बड़ी हो गईं। थोड़ा ऐंठ भी गया था।
मैंने ऐतराज नहीं किया और रुखा सूखा पीने लगा और लगातार पीता चला गया।
मैं अपने भाग्य को पूरी तरह से जानता था।
जो कुछ मिल रहा है, उसे कभी बर्बाद नहीं करना चाहिए। किस्मत को लात मारने वाले को किस्मत भी लात मारती हैं।
कुछ मिनट बाद, ढीले स्तन कसने लगे।
ये मुझे पसंद आया।
मैं दूसरी छाती को दोगुने जोश से पीने लगा।
वह महिला गर्म होने लगी।
मैं भी कस के दूध पीने लगा।
फिर मैं उसके पेट पर बैठकर उसके मुँह में लंड डाला।
वह महिला बिना किसी बहाने के चूसने लगी।
हम दोनों बहुत जोश में आ गए।
वह मेरे लंड को हाथ से मसलने और चूसने लगी।
उससे पूछने का मन हुआ कि क्या तुम अन्य आदमियों से भी चुदवाती हो?
फिर मैंने सोचा कि यह अच्छा नहीं होगा।
यह मर्दों से भी चुदवाती है, तो क्या? मुझे चूत दे रही हैं। ये पर्याप्त है।
मैंने उसका मुँह अच्छी तरह चोदा और फिर उसको करवट करके लिटा दिया।
उन्होंने एक पैर आगे करके मोड़ दिया, जबकि दूसरा पैर सीधा था।
उसकी चूत मिली, उसके छेद में लंड डालकर मजे से चोदने लगा।
बिस्तर में कूदकर उसे चोदा।
दोनों पुट्ठे ऊपर आ गए जब मैंने उसको पेट के बल लिटा दिया और नीचे तकिया लगाया।
मैंने उसके पुट्ठे सहलाते हुए उसे हाथ से थोड़ा और ऊपर किया।
दो बार चूम भी लिया। मैंने उसकी नंगी पीठ को प्यार से चूमा।
आज मेरा भाग्य मेहरबान था।
मैंने उसकी पीठ पर अच्छी तरह हाथ फेरा।
फिर उसके दोनों पुट्ठों के नीचे चूत का छेद ढूंढा और उसे चोदने लगा।
औरत को पेट के बल लेटाकर चोदने का मजा बहुत अच्छा था।
मैंने अपनी गति बढ़ा दी।
मैं खुशी से उसे चोदने लगा।
फिर मेरा जोश बढ़ गया और मैंने उसके दोनों हाथ ऐसे पकड़ लिए जैसे पुलिस चोर को पकड़ लेती है।
मैं उसे दोनों हाथों से कसकर पकड़ने लगा।
फिर, लगता था कि मैं झड़ने वाला हूँ, मैंने लंड को चूत से निकालकर मुँह पर डाल दिया।
औरत को बदनाम करके उसे चोदने में शायद विशेष आनंद मिलता है।
मैंने ऐसा ही किया।
उसके मुँह, आंख, नाक और छातियों पर मेरा वीर्य गिरा।
मैंने उसे कुछ देर तक पानी नहीं पौंछने दिया।
मैं अपनी दो उंगलियों से उसकी चूत को फेंटने लगा।
मैंने अपनी उंगलियों से उसकी बुर को काफी देर तक फेंटा।
वह खुशी से अंगड़ाई लेने लगी।
मैंने उससे कहा, “आज तुम्हारे भाग्य में मेरा लंड लिखा है।”
वह अब तड़पने लगी। मुझे और अधिक जोश आया।
मैं कसके उंगली को और अधिक कसने लगा।
फिर मैंने उसकी चूत को तीन उंगलियों से चोदा।
अब कुछ मिनट आराम करने लगा।
मेरी मर्दानगी और ताकत अभी भी बाकी थी।
एक घूँट पानी पीने के बाद मैंने उसको एक बार फिर कुतिया बना दिया और बहुत चोदा।
दोस्तो, ये शायद मेरी जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण क्षण और दिन था।
मैंने अपनी जिंगदी को पूरी तरह से छोड़ दिया था। मैंने उसको रंडियों की तरह खूब चोदा।
फिर एक उंगली उसकी गांड में डालकर दूसरी उंगली से उसकी गांड चोदी।
फिर उसकी गांड को दो उंगली से फेंटी।
दोस्तो, मैं आपको बता नहीं सकता कि खुलकर किसी दूसरे की पत्नी को चोदने में जो मजा मिलता है, शायद अपनी पत्नी को चोदने में नहीं मिलता।
मैं उस दिन ऑफिस नहीं गया और रात आठ बजे तक उसको चोदता रहा।
चुदाई के बाद आराम करना शुरू कर देता।
जब शरीर भर जाता, फिर से चोदता।
मैंने उसका फोन नंबर प्राप्त किया।
वह हफ्ते में दो बार मुझसे मिलने आती थी और होटल में खुलकर गर्म भोजन करती थी।
मेरे ऑफिस से बाहर आकर मेरा इंतजार करती थी, कभी बस स्टॉप पर, कभी टैक्सी स्टैंड पर!
बिना डर के हर बार खुलकर चुदवाती थी।
ये मेरी चुदाई कहानी थी। आपको Indian Hotel Me Chudai Ki Kahani कैसा लगा? कृपया बताएं।