सुबह सबसे पहले कर्नल राजेश उठे। सिगरेट सुलगाई, दो कप कॉफी बनाई और बालकनी में बैठकर कश लगाने लगे। कॉफी खत्म की तो स्वीटी अभी भी सो रही थी। कमरे का दरवाजा खटखटाया, “स्वीटी उठ जा बेटा” कहकर खुद नहाने चले गए।
कहानी का पिछला भाग: बाप की नजर बेटी की जवान चूत पर – 2
स्वीटी की आँख खुली तो रात की सारी यादें ताज़ा हो गईं। होंठों पर मुस्कान आ गई। उसने खराब स्कर्ट उतारी और आज कुछ खास पहनने का फैसला किया। नारंगी रंग की बैकलेस टॉप चुनी जो ब्रा से भी छोटी थी, पीठ पूरी नंगी और नीचे इतने छोटे शॉर्ट्स कि पैंटी भी शरमा जाए। तैयार होकर किचन में नाश्ता बनाने लगी।
राजेश नहाकर सिर्फ तौलिया लपेटे कमरे से निकले तो स्वीटी को देखकर स्तब्ध रह गए। बेटी अस्सी फीसदी नंगी खड़ी थी। रात का सारा नज़ारा फिर आँखों के सामने घूम गया। वो बालकनी में गीले कपड़े टांगकर लौटे ही थे कि स्वीटी चहकती हुई दौड़ी आई।
“हाय डैडी, गुड मॉर्निंग!” कहते हुए उसने राजेश के गले में बाहें डाल दीं और पंजों पर उठकर होंठों से होंठ मिला दिए।
आज की गुड मॉर्निंग किस रोज़ से बिल्कुल अलग थी। स्वीटी अलग नहीं हुई, राजेश भी खुद को पीछे नहीं खींचे। राजेश के हाथ स्वीटी की नंगी कमर पर पहुँचे तो जैसे बिजली दौड़ गई। दोनों जम गए।
स्वीटी ने पापा के बालों में उंगलियाँ कसीं और होंठ खोल दिए। राजेश के होंठ भी अपने आप खुल गए। जीभें मिलीं, चूसने लगे। राजेश का लंड तौलिया फाड़कर बाहर आने को बेकरार था। स्वीटी ने जीभ पापा के मुँह में सरका दी और चूचे उनकी छाती से सटा दिए।
“म्म्म… आह्ह…” दोनों की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं।
राजेश ने स्वीटी को कसकर भींच लिया। लंड अब पूरी तरह खड़ा था और स्वीटी के पेट पर ठोकरें मार रहा था। स्वीटी उचककर लंड को अपनी चूत पर महसूस करना चाहती थी। उसने राजेश के पैरों पर चढ़कर कमर लपेट ली। राजेश ने चूतड़ों को मुट्ठी में भरा और बेटी को गोद में उठा लिया।
अब दोनों बराबर लेवल पर थे। स्वीटी ने पैर पापा की कमर पर कस लिए, चूत को लंड पर टिकाकर कमर हिलाने लगी। राजेश भी लय मिलाकर धक्के देने लगे। तौलिया कब खुलकर गिरी, पता ही नहीं चला। अब बाप पूरी तरह नंगा था और बेटी उससे बेल की तरह लिपटी हुई थी।
“टिंग टिंग…” माइक्रोवेव की घंटी ने दोनों को झकझोर दिया।
राजेश ने स्वीटी को फटाफट नीचे उतारा। स्वीटी चार कदम पीछे हट गई। दोनों शर्म से जमीन में नज़रें गड़ाए खड़े थे। राजेश की नज़र तौलिया पर पड़ी जो ज़मीन पर थी। ऊपर देखा तो अपना 8 इंच का फौलादी लंड सीधा सलामी दे रहा था। वो झेंपकर तौलिया उठाया और कमरे की ओर भागे।
बीस मिनट तक कोई बाहर नहीं आया। फिर स्वीटी नाश्ता लेकर पापा के कमरे में गई। राजेश बेड पर बैठे आँसू पोछ रहे थे।
“क्या हुआ पापा, आप रो क्यों रहे हो?”
“माफ कर दो बेटा… मैंने बहुत गलत किया…” राजेश फूट-फूटकर रोने लगे।
स्वीटी ने उन्हें गले लगाया, “रोइए मत पापा, गलती सिर्फ आपकी नहीं… मेरी भी है। मैं छोटी नहीं हूँ, उन्नीस की हो गई हूँ। मैं समझती हूँ कि ममा के जाने के बाद आप कितने अकेले हो गए। मैं आपको ममा की याद दिलाती हूँ ना… इसीलिए ऐसा हुआ। इसमें किसी की गलती नहीं।”
राजेश को सुकून मिला। स्वीटी बेड पर चढ़ी, पापा की गोद में बैठ गई, दोनों पैर उनके दोनों तरफ फैलाकर सीने से लगा लिया।
“अब मैं आपका ख्याल रखूँगी पापा… जैसे ममा रखती थीं… वैसे ही…”
राजेश ने उसका चेहरा हाथों में लिया, “सच में इतना प्यार करती है मुझसे?”
“ममा से भी ज्यादा… और वैसा ही प्यार!”
राजेश मुस्कुराए, माथा चूमा, फिर गाल, नाक, ठोड़ी… पूरे चेहरे पर किसों की बौछार कर दी। स्वीटी आँखें बंद किए इंतज़ार कर रही थी कि कब होंठ चूमेंगे। आखिरकार उसने खुद होंठ आगे कर दिए।
राजेश ने बेटी के होंठ चूसने शुरू किए, “च्ल्लप… च्ल्लप… आह्ह स्वीटी…” हाथ चूचों पर पहुँच गए। स्वीटी ने टॉप ऊपर उठाकर चूचे आज़ाद कर दिए। राजेश ने टी-शर्ट फेंकी और चूचे दबाते हुए बोले, “तेरी ममा के भी ऐसे ही थे… और ऐसी ही खुशबू…”
स्वीटी हँस पड़ी, “हाँ पापा… इसीलिए तो नीचे से कुछ चुभ रहा है ना?” कहकर उसने पापा का सिर चूचों में दबा लिया।
राजेश ने स्वीटी को बेड पर पटका, घुटनों पर खड़े होकर जीन्स-कच्छा एक साथ उतार फेंका। 8 इंच का मोटा लंड लहरा रहा था। स्वीटी पहली बार इतने करीब से देख रही थी। उसने हाथ बढ़ाया, लंड पकड़ा, नसें सहलाईं, गोटियाँ मसलने लगी।
“ऐसे क्या देख रही है… अब तेरा गुलाम है ये!” राजेश ने उसका हाथ लंड पर रख दिया।
स्वीटी ने जीभ निकाली और सुपारे पर फेर दी, “च्ट्ट…” फिर गोटियाँ मुँह में लेकर चूसने लगी, “च्ल्लप… च्ल्लप…” हाथ से लंड सहलाती रही।
राजेश की साँसें तेज हो गईं, “आह्ह्ह स्वीटी… बिल्कुल तेरी ममा की तरह…”
स्वीटी ने लंड मुँह में लिया, पर पूरा नहीं जा रहा था। फिर भी कोशिश करती रही। राजेश का सब्र टूट गया। उसने स्वीटी के बाल पकड़े और गले तक धक्के मारने लगा, “ले… ले बेटी… पूरा ले… आह्ह्ह…”
दस-पंद्रह तगड़े झटकों के बाद लंड गले में पूरा उतार दिया। गर्म वीर्य की बौछार सीधे स्वीटी के पेट में जाने लगी। स्वीटी की आँखें फट गईं, साँस रुक गई, आँसू बहने लगे।
जब तक आखिरी बूंद नहीं निकली, राजेश नहीं रुका। पकड़ ढीली की तो स्वीटी ने जोर से धक्का मारकर अलग किया और खांसते-खांसते बेड पर गिर पड़ी।
राजेश को होश आया। वो घबराकर माफी माँगने लगा, पीठ सहलाने लगा। पाँच मिनट बाद स्वीटी नॉर्मल हुई तो गुस्सा होने लगी, “अपने मज़े के चक्कर में जान निकाल दोगे क्या पापा? आपकी सगी बेटी हूँ, कोई रंडी नहीं!”
राजेश ने समझाया, “तेरी ममा पूरा ले लेती थीं बेटा… तुझे देखकर वही याद आ गया… माफ कर दे…”
स्वीटी मुँह फुलाकर बैठी रही। पापा उसे मनाने में लगे थे।
प्यारे पाठकों, अब बेटी नाराज़ है… देखते हैं अगले भाग में पापा उसे कैसे मनाते हैं और कब चोदते हैं।
कहानी का अगला भाग: बाप की नजर बेटी की जवान चूत पर – 4
2 thoughts on “बाप की नजर बेटी की जवान चूत पर – 3”