टाँगें कंधे पर रखकर चाचा ने भतीजी को रात भर पेला

Chacha bhatiji sex kahani – Taang uthakar choda sex story – Uncle niece sex story: जुलाई की उस उमस भरी रात में मेरठ की पुरानी हवेली जैसे घर में चारों तरफ गहरा सन्नाटा छाया हुआ था, हवा में पुरानी लकड़ी और मिट्टी की महक घुली हुई थी जो अब हमारे बीच की बढ़ती गर्माहट से मिलकर एक नशीली, मादक खुशबू बना रही थी, जैसे कोई पुराना राज खुलने वाला हो। मैं काव्या, इक्कीस साल की कॉलेज स्टूडेंट, अपने चाचा रवि के साथ अकेले थी, जबकि मम्मी-पापा और बाकी परिवार वाले एक रिश्तेदार की शादी में गए हुए थे, और चाचा ने मुझे अकेला न छोड़ने का बहाना बनाकर रुकने का फैसला किया था, लेकिन उनकी आँखों में वो भूख साफ झलक रही थी जो मुझे महीनों से बेचैन कर रही थी। मेरी स्लिम फिगर, पतली कमर का मादक कर्व, टाइट नाइटी में उभरी हुई चुचियाँ जो पसीने से चिपककर और भी उभारदार लग रही थीं, हमेशा मर्दों की नजरों को अपनी ओर खींचती थीं, और चाचा, चालीस साल के रौबदार, ताकतवर इंसान थे जिनका गठीला बदन, भारी आवाज और पाजामे में उभरा हुआ वो मोटा लंड मुझे हर बार सिहरन से भर देता था, उनकी नजरें मेरी चूत पर अटक जातीं, और मैं उनकी उस मोटाई को देखकर अंदर ही अंदर पानी-पानी हो जाती, महसूस करती वो गर्मी जो मेरी जांघों के बीच फैल जाती। अंदर से एक गुनगुनाहट उठती, ‘ये चाचा हैं, लेकिन उनका ये लंड… कितना चाहती हूँ इसे छूने को, डायरी में जो फैंटसी लिखी है, क्या आज सच होगी?’

रात का खाना खाकर चाचा मेरे कमरे में दाखिल हुए, उनकी भारी साँसें कमरे की हवा को और गर्म कर रही थीं, जैसे कोई तूफान आने वाला हो। मैं नाइटी में बिस्तर पर लेटी हुई थी, पसीने से तर नाइटी मेरी चुचियों को चिपककर उनके आकार को और साफ उभार रही थी, पल्लू थोड़ा सरक गया था और मेरी गुलाबी निप्पल्स हल्के से झलक रही थीं, जबकि नीचे कुछ भी नहीं था, मेरी चूत की हल्की गीलापन मुझे खुद महसूस हो रही थी, जैसे चाचा की मौजूदगी से ही वो रिसने लगी हो। चाचा की आँखें पहले मेरी चुचियों पर ठहरीं, फिर नीचे सरककर मेरी चूत की दिशा में, जहां नाइटी के नीचे की गर्मी साफ महसूस हो रही थी, और वो भूखी चमक उनकी आँखों में थी, जैसे कोई शेर अपनी शिकार को घूर रहा हो, जबकि हवेली की पुरानी दीवारों पर झरोखे से छनकर आ रही चाँदनी हमारे बदनों पर अजीब छायाएँ बना रही थी, वो डरावनी लेकिन उत्तेजक, जैसे कोई भूत देख रहा हो लेकिन वो डर मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था। “काव्या… तू रात में भी इतनी गरम क्यों लग रही है, बेटी? तेरी ये चुचियाँ… उफ्फ, दूध से भरी लग रही हैं, दबाने को जी कर रहा है,” उनकी गहरी, कर्कश आवाज ने मेरे पूरे बदन में बिजली दौड़ा दी, मेरी जांघें आपस में रगड़ने लगीं, पसीना और चूत का रस मिलकर एक चिपचिपी महक कमरे में फैलने लगी। मैं शरम से लाल हो गई लेकिन अंदर की आग ने मुझे मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया, “चाचा… आप भी कहाँ कम हैं, आपकी वो भूखी नजरें मेरी चूत को छेद रही हैं… मानो अभी घुस जाएँगी।” वो हँसे और बिस्तर के पास आकर फुसफुसाए, “क्योंकि तेरी ये रसीली चूत मेरे मोटे लौड़े को पुकार रही है, साली… आज तेरी टाँगें कंधे पर रखकर इतना पेलूँगा कि सुबह तक दर्द करेगी।”

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हमने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया, पंखे की हल्की, सुसुकारती आवाज ने माहौल को और सेक्सी बना दिया, हवा में अब हमारे पसीने और उत्तेजना की मिश्रित महक घुल चुकी थी, जो नाक में भरकर और ज्यादा पागल कर रही थी। मैंने धीरे-धीरे अपनी नाइटी उतारी, मेरा नंगा बदन चाँदनी की मंद रोशनी में चमकने लगा, गोल-गोल चुचियाँ जिनके निप्पल गुलाबी और तने हुए थे, पेट की चिकनी त्वचा पर हल्का पसीना चमक रहा था, और मेरी टाइट चूत हल्की गीली होकर चमक रही थी, उसकी मीठी-नमकीन महक अब साफ फैल रही थी। चाचा ने अपनी कुर्ती और पाजामा उतारा, उनका मोटा, काला लंड पूरा तन गया था, नसें फूली हुईं, सुपारा चमकदार और गर्म, जैसे कोई गरम लोहे की रॉड, और उसकी मर्दाना गंध मेरे नथुनों में भर गई, मुझे और बेचैन कर दिया। “काव्या, तेरी ये चूत मेरे लंड के लिए ही बनी है, रसीली और टाइट,” उन्होंने कामुक, साँस फूलती आवाज में कहा। मैंने आँखें मटकाकर, शरारत से जवाब दिया, “चाचा, आपका ये मोटा लौड़ा मेरी चूत का सच्चा मालिक है… आओ, इसे अंदर महसूस कराओ।”

मैं बिस्तर पर लेट गई, चाचा मेरे ऊपर झुक गए, उनकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर लग रही थीं, वो मस्की गंध मुझे घेर रही थी, और उन्होंने मेरी चुचियों पर चुंबन लेना शुरू किया, जीभ निप्पलों के चारों ओर घूम रही थी, चूसते हुए हल्का काटा जो दर्द और मजा का मिश्रण दे रहा था, मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं, “आह्ह्ह चाचा… आपका चुंबन मेरी चुचियों में आग लगा रहा है, ओह्ह्ह इह्ह्ह, और चूसो… हाँ वैसे ही,” जबकि उनका हाथ मेरी चूत की ओर बढ़ा, उँगलियाँ मेरी योनि की नरम पंखुड़ियों को सहलाने लगीं, धीरे-धीरे एक उंगली अंदर सरकाई, फिर दो, अंदर-बाहर करते हुए, मेरी चूत की दीवारें सिकुड़ रही थीं, चिपचिपा रस उँगलियों पर लग रहा था, बदन काँप उठा, “चाचा… आपकी उँगलियाँ मेरी चूत को पागल कर रही हैं, आह इह्ह्ह ह्ह्ह्ह, और गहराई तक… ऊईई, वो स्पॉट छू रही हैं।”

फिर चाचा ने मेरी दोनों टाँगें पकड़ीं, धीरे से ऊपर उठाईं और अपने चौड़े कंधों पर टिका दीं, मेरी चूत अब पूरी तरह खुली थी, हवा उस पर लग रही थी ठंडी लेकिन मेरी गर्मी से गीली, और उनका मोटा लंड मेरी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा, ऊपर-नीचे सरकता हुआ, मेरी क्लिट को छूता हुआ जो अब सूजकर लाल हो चुकी थी, मैं महसूस कर रही थी उसकी गर्मी, वो चिपचिपा प्री-कम जो मेरी चूत पर लग रहा था, और वो मर्दाना गंध जो मुझे और पागल बना रही थी, अंदर से सोच रही थी, ‘चाचा, ये कितना मोटा है… मेरी चूत इसे झेल पाएगी, लेकिन कितना चाहती हूँ?’ फिर एक जोरदार धक्का, आधा लंड अंदर सरका, मेरी चूत की दीवारें खिंच गईं, दर्द और मजा का तूफान उठा, “आअह्ह्ह्ह चाचा, आपका ये राक्षस लंड मेरी नाजुक चूत को चीर रहा है ओह्ह्ह्ह इह्ह्ह्ह, धीरे… लेकिन मत रुको,” मैं चीख पड़ी, मेरी आँखों से आंसू निकल आए लेकिन जांघें और सिकुड़ गईं उसे जकड़ने को, वो रुके, अंदर ही हिलाए थोड़ा, फिर धीरे-धीरे पूरा ठूँस दिया, मेरी टाइट चूत उनके लंड को जकड़ रही थी, फिर शुरू हुए धीमे लेकिन गहरे धक्के जो धीरे-धीरे तेज होते गए, हर धक्के के साथ मेरी चुचियाँ लय में हिल रही थीं, मैं उनकी छाती पर नाखून गड़ा रही थी, “आह ह ह ह चाचा और जोर से ओह्ह्ह्ह मेरी चूत में आग लगी है ऊईईई, हाँ वैसे ही… तेरे लंड की गर्मी महसूस हो रही है,” वो मेरे निप्पल चूसते रहे, कमर पकड़कर मुझे रगड़ते रहे, पसीना हमारे बदनों पर चिपक रहा था, वो नमकीन स्वाद जीभ पर आ रहा था।

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अब पलटने की बारी मेरी थी, मैं चाचा के ऊपर चढ़ गई, काउगर्ल स्टाइल में उनकी गोद में समा गई, मेरी चूत ने उनके मोटे लंड को धीरे-धीरे निगल लिया, हर इंच पर मेरी दीवारें खिंच रही थीं, गर्मी और चिपचिपाहट से भरा वो एहसास जो मुझे पागल कर रहा था, मैं ऊपर-नीचे होने लगी तेज और तेज, चुचियाँ उनके चेहरे पर मार रही थीं, जबकि नीचे से वो ठोक रहे थे जैसे कोई मशीन, “आह्ह्ह काव्या… तेरी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही है, साली रंडी की तरह उछल, हाँ… और तेज,” मैं चिल्लाई, “चाचा आपका लंड मेरी चूत को स्वर्ग दिखा रहा है ऊउइइ ऊईई, हाँ पकड़ो कमर… और ठोको नीचे से,” मेरी चूत से चूँ चप चूँ चप की गीली आवाजें कमरे में गूंज रही थीं, पसीने की बूंदें मेरी पीठ पर लुढ़क रही थीं।

डॉगी स्टाइल में मैं घुटनों के बल हो गई, चुचियाँ लटक रही थीं हिलती हुईं, चाचा पीछे से आए, उनके हाथ मेरी गांड पर फिसले जहां पसीना चिपचिपा था, लंड एक झटके में जड़ तक घुसाया, फिर शुरू हुआ तूफानी चोदन, हर धक्के में मेरी गांड थरथरा रही थी, क्लिट पर रगड़ लग रही थी, “आह्ह्ह्ह चाचा… और तेज, साले… मेरी चूत को फाड़ दो, उफ्फ इह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह, हाँ वैसे ही… तेरे इस मूसल लंड ने मुझे रंडी बना दिया है ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊईईई,” वो मेरी चुचियाँ दबाते, बाल खींचते, गांड पर थप्पड़ मारते रहे जो जलन पैदा कर रहा था लेकिन मजा दोगुना, उनकी साँसें मेरी पीठ पर लग रही थीं गरम।

69 में हम लेट गए, मैंने उनका मोटा लंड मुँह में लिया, ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग गी गी गों गों गोग, पूरा गले तक उतारने की कोशिश की, उसका नमकीन-मीठा स्वाद जीभ पर फैल रहा था, जबकि चाचा मेरी चूत चाट रहे थे, जीभ अंदर तक डालकर चूस रहे थे, जांघों के अंदरूनी हिस्से को हल्का काटा जो दर्द की वो टीस ने मेरी चूत को और गीला कर दिया, एक अजीब मजा जैसे सजा और इनाम मिलकर, “आह्ह्ह चाचा… आपकी जीभ मेरी चूत को खा रही है ओह्ह्ह्ह, और चूसो… हाँ क्लिट पर वैसे,” मैं उनका लंड और जोर से चूसने लगी, हमारी साँसें और चूसने की आवाजें कमरे में एक कामुक संगीत बना रही थीं।

रिवर्स काउगर्ल में मैंने पीठ उनकी तरफ की, लंड चूत में लिया और उछलने लगी, मेरी गांड उनके सामने हिल रही थी, चाचा मेरी गांड पर थप्पड़ मार रहे थे, चुचियाँ पीछे से मसल रहे थे, “आह्ह्ह काव्या… तेरी चूत मेरे लंड को फाड़ रही है, साली… और उछल, तेरी गांड की गर्मी महसूस हो रही है,” मैं सिसकारते हुए बोली, “चाचा आपका लंड मेरी चूत को नशे में डुबो रहा है ऊईईई, हाँ थप्पड़ मारो… जलन अच्छी लग रही है।”

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फिर मिशनरी में मैंने टाँगें फिर ऊपर कीं, चाचा ने पूरा वजन डालकर चोदा, हर धक्के में मेरी चुचियाँ उनकी छाती से टकरा रही थीं, पसीने से चिपककर, “आह्ह्ह चाचा… और गहराई तक ओह्ह्ह्ह मेरी चूत आपकी है, चोदो मुझे… हाँ होंठ चूसो,” वो मेरे होंठ चूस रहे थे, निप्पल काट रहे थे, स्वाद नमकीन और मीठा मिला हुआ।

स्टैंडिंग में मैंने दीवार का सहारा लिया, एक टाँग ऊपर उठाई, चाचा ने लंड घुसाया और दीवार से सटाकर पेलने लगे, मेरी चूत से रस टपक रहा था फर्श पर, “आह्ह्ह चाचा… आपकी ताकत कमाल है ऊईई, हाँ पकड़ो टाँग… और गहरा,” उनकी मांसपेशियाँ मेरे बदन से रगड़ रही थीं गरम।

लोटस में मैं उनकी गोद में बैठ गई, लंड पूरी गहराई तक गया, हमारी आँखें एक-दूसरे में डूब रही थीं, धीमे-धीरे हिलते रहे फिर तेज, “आह्ह्ह चाचा… आपका लंड मेरी चूत को जन्नत दिखा रहा है, हाँ कसकर पकड़ो… साँसें मिल रही हैं,” उन्होंने मेरी कमर को कसकर पकड़ा और बोले, “काव्या, तेरी चूत मेरे लंड की रानी है… उफ्फ, कितनी टाइट है।”

आखिरी बार फिर डॉगी, इस बार चाचा ने पूरी जान लगा दी, मेरी कमर पकड़ी, इतने जोर के धक्के कि मैं चीख पड़ी, “आअह्ह्ह्ह चाचा मेरी चूत फाड़ दो ओह्ह्ह्ह और तेज ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊईईईई, हाँ… तेरे लंड की नसें महसूस हो रही हैं,” मेरी चूत से फच फच फच की आवाजें आ रही थीं, आखिर चाचा ने मेरी चूत में गर्म वीर्य की पिचकारी छोड़ दी, वो गर्माहट अंदर फैल गई, मैं भी झड़ गई, बदन काँप उठा, आँखें बंद हो गईं मजा से।

हम नंगे ही एक-दूसरे की बाहों में लिपट गए, मेरी चुचियाँ उनकी छाती से चिपकी थीं, चूत में उनका लंड अभी भी धड़क रहा था, गर्म वीर्य का एहसास, लेकिन अचानक मैं हँस पड़ी—नर्वस हँसी, क्योंकि ये सब कितना गलत लेकिन कितना सही लग रहा था, वो पापी रोमांच जो डायरी की फैंटसी से निकलकर हकीकत बन गया था। चाचा ने पूछा, “क्या हुआ?” मैंने कहा, “कुछ नहीं, बस आपकी गुलामी अच्छी लग रही है, चाचा।” चाचा ने माथे पर चुंबन किया, “काव्या, तेरी टाइट चूत ने मुझे तेरा गुलाम बना दिया।” मैंने उनकी आँखों में देखकर कहा, “चाचा, आप मेरी चूत के सच्चे बादशाह हैं।”

सुबह जब परिवार वाले लौटे, हमने सामान्य व्यवहार किया, लेकिन मेरी चूत में चाचा का वीर्य अभी भी भरा हुआ था, वो गर्म एहसास मुझे याद दिला रहा था। चाचा ने मुझे एक छोटा सा कंगन दिया, जिसमें एक चिट थी: “काव्या, मेरी चूत की मालकिन, क्या तू फिर किसी रात टाँग उठाकर मेरे लंड को अपनी चूत में लेगी?” मैंने शरमाते हुए मुस्कुराया और उनकी तरफ देखा, हमारा प्यार उस रात की आग में और गहरा हो गया। उस रात की कामुक यादें मेरे दिल में बस गईं, हर बार जब मैं उस पल को याद करती हूँ, मेरी चूत फिर से सिहर उठती है, चाचा मेरे लिए सिर्फ परिवार का हिस्सा नहीं थे, बल्कि मेरी चूत के दीवाने बन गए, यह कहानी उस रात की है जो एक साधारण रात को मेरे जीवन की सबसे हॉट, सेक्सी, और इरॉटिक याद बना गई।

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