Mami sex story – Suhagraat with mami sex story: मेरा नाम सोमेश प्रभु है, 22 साल का हूँ, मुंबई में इंजीनियरिंग फाइनल ईयर कर रहा हूँ। घर में सब मुझे सोमी कहते हैं, मामा भी।
उस दिन दोपहर के करीब तीन बजे डोरबेल बजी। मैंने दरवाजा खोला तो सामने मामा और उनके बगल में मामी खड़ी थीं। मैंने पहले कभी नहीं देखा था उन्हें। हल्का गुलाबी साड़ी, उसमें भी गोरा रंग और चमक रहा था, मांग में नई-नई सिंदूर, मंगलसूत्र लहरा रहा था, काजल की लकीरें, लाल लिपस्टिक। जैसे ही वो मुस्कुराईं, मेरे तो होश उड़ गए। बड़े-बड़े दूध, पतली कमर, चौड़ी गांड, लंबे घने बाल। मैंने मन ही मन कहा, “मामा तू तो लॉटरी मार लाया है यार”।
मामा ने गले लगाया, “सोमी, ये तेरी नई मामी, राधिका”। मामी ने शरमाते हुए हाथ जोड़े, “नमस्ते सोमेश”। आवाज में मिठास थी, आँखें नीची थीं।
अंदर आते ही मम्मी-मामा गले मिले। बातों-बातों में पता चला कि शादी को अभी पंद्रह दिन भी नहीं हुए। उनके घर में नाना-नानी साथ रहते हैं, छोटा सा दो कमरे का मकान, प्राइवेसी नाम की कोई चीज नहीं। मामा बोले, “सोमी, सोचा तेरे यहाँ आकर दो-चार दिन आराम से हनीमून मनाएँ” और आँख मारते हुए हँसे। मामी शरमा कर इधर-उधर देखने लगीं।
हम सब हँसने लगे। चाय-नाश्ता हुआ। मामी मेरे बगल में सोफे पर बैठी थीं। उनकी साड़ी का पल्लू बार-बार खिसक रहा था, गुलाबी ब्लाउज में गहरी क्लीवेज साफ दिख रही थी। खुशबू ऐसी आ रही थी कि लंड अपने आप खड़ा होने लगा। मैंने टाँग पर टाँग चढ़ा ली ताकि किसी को पता न चले।
अचानक नाना का फोन आया। नानी की तबीयत बहुत खराब। मम्मी घबरा गईं। मामा बोले, “चलो अभी निकलते हैं”। मम्मी ने मामी से कहा, “बेटा तुम यहीं रुको, खाना-पीना सोमेश देख लेगा”। मामी ने हाँ में सिर हिलाया। पापा पहले से ही दिल्ली टूर पर थे। बस पंद्रह मिनट में मामा-मम्मी निकल गए।
घर में सन्नाटा छा गया। सिर्फ मैं और मामी।
मामी सोफे पर बैठी मोबाइल देख रही थीं। मैं किचन में जाकर पानी का ग्लास लेकर आया। उनके सामने रखा, “मामी, पानी पी लो”। वो मुस्कुराईं, “थैंक यू सोमेश”। मैं उनके सामने बैठ गया। थोड़ी देर खामोशी रही। फिर मैंने बात शुरू की, “मामी, आप बहुत सुंदर लग रही हो”। वो शरमा कर बोलीं, “अरे सोमेश… ऐसा मत बोलो”। मैंने कहा, “सच कह रहा हूँ, मामा बहुत लकी हैं”। वो हल्के से हँसीं, “अच्छा जी?”।
फिर बातें बढ़ीं। मैंने पूछा, “मामा ने अभी तक कुछ किया भी या नहीं?” वो चौंकीं, फिर शरमाते हुए बोलीं, “क्या सोमेश… ऐसी बातें?” मैंने कहा, “अरे मामी, मैं अपना समझ के पूछ रहा हूँ”। वो धीरे से बोलीं, “नहीं… घर में सब रहते हैं ना, मौका ही नहीं मिला”। उनकी आँखों में हल्की सी शिकायत थी, और कुछ और भी था।
मैंने कहा, “मामी, आप फ्रेश हो जाओ, मैं आपके लिए कुछ बनाता हूँ”। वो उठीं, “हाँ, थोड़ा फ्रेश हो लूँ”। मैंने कहा, “मेरे रूम का बाथरूम यूज कर लो, बड़ा है”। टॉवल देकर मैंने उन्हें रूम तक छोड़ा।
दोस्त का फोन आ गया। मैं बेड पर बैठकर बात करने लगा। अचानक नजर गई – बाथरूम का दरवाजा पूरा बंद नहीं हुआ था, और बेड से लगा हुआ बड़ा शीशा साफ-साफ अंदर का नजारा दिखा रहा था। मामी ने साड़ी का पल्लू निकाला, फिर ब्लाउज की हुक खोल दी। गुलाबी ब्रा में बड़े-बड़े दूध उछल कर बाहर आए। फिर पेटीकोट, साड़ी नीचे गिरी। अब सिर्फ ब्रा और पैंटी। मैंने फोन पर हाँ-हूँ करते हुए देखता रहा।
मामी ने शावर ऑन किया। साबुन लगाया। आँखें बंद थीं। मैंने धीरे से उठकर बाहर गया और बाथरूम का मुख्य वाल्व बंद कर दिया। वापस बेड पर आकर बैठ गया।
पानी बंद हुआ। मामी ने पेटीकोट से आँखें पोंछीं। अब सिर्फ पिंक पैंटी में थीं। दूध पूरी तरह खुले। मैंने देखा उनका चेहरा लाल हो गया। आवाज लगाई, “सोमेश… पानी क्यों बंद हो गया?” मैंने बाहर से कहा, “मामी, अंदर से देखना पड़ेगा”। वो बोलीं, “अच्छा तुम बता दो, मैं कर लूंगी”। मैंने कहा, “नहीं होगा तुमसे”। वो हँस पड़ीं, “अच्छा बाबा, नाटक बंद करो, पानी चालू कर दो वरना यहीं रहूंगी”। मैंने वाल्व खोल दिया। अब उन्हें पता चल गया कि मैं सब देख रहा था।
वो बोलीं, “सोमेश… अब देखना बंद करो, मुझे बाहर आना है”। मैंने मस्ती में कहा, “ऐसे ही आ जाओ ना”। वो बोलीं, “पागल हो गए हो? मैं तुम्हारी मामी हूँ”। मैंने हँसकर कहा, “मामा के सामने भी तो अभी तक ऐसे नहीं आई ना”। खामोशी। फिर धीरे से बोलीं, “सोमेश… शरम आ रही है यार”। मैंने कहा, “मामी, या तो तुम बाहर आओ या मैं अंदर आता हूँ”। वो बोलीं, “अच्छा जी? बहुत हिम्मत हो गई है तुममें?” बस, मैंने दरवाजा खोला और अंदर घुस गया।
मामी ने टॉवल से छाती छुपाने की कोशिश की। मैंने एक झटके में टॉवल खींच लिया। पूरी नंगी खड़ी थीं। गुलाबी निप्पल, चिकनी चूत पर हल्के बाल। मैंने कहा, “मामी, तुम सच में परी हो”। वो शरमाते हुए बोलीं, “सोमेश… बाहर निकलो ना”। मैंने कहा, “बस एक किस?” वो मुस्कुराईं, “अच्छा… कर लो”।
मैंने उन्हें दीवार से सटाया। लंबा गहरा किस किया। जीभ अंदर डाली। वो भी पूरा साथ देने लगीं। मेरे हाथ उनके दूध पर थे। भारी-भारी दूध दबा रहा था। निप्पल उंगलियों से मसल रहा था। वो सिसक रही थीं, “आह्ह्ह… सोमेश… एक किस कहा था… ये सब क्या?” मैंने हँसकर कहा, “मामी, तुम भी तो चाह रही हो ना?” वो कुछ नहीं बोलीं, बस साँसें तेज हो गईं।
मैंने अपना टी-शर्ट उतारा। जींस खोली। सिर्फ बॉक्सर में रह गया। मेरा 8 इंच का लंड तंबू बनाए खड़ा था। मामी की नजर वहाँ चली गई। आँखें फटी की फटी। वो धीरे से बोलीं, “ये तो मामा से दोगुना है… मार डालोगे क्या?” मैंने हँसते हुए कहा, “मारूँगा नहीं मामी, स्वर्ग दिखाऊँगा”।
मैंने उनके दूध मुँह में लिया। जोर-जोर से चूसा। निप्पल को दाँतों से काटा। वो मेरे बाल पकड़कर दबाने लगीं, “आह्ह्ह… सोमेश… बहुत अच्छा लग रहा है… चूसो ना… इह्ह्ह्ह… ऐसे ही”। फिर मैं नीचे आया। घुटनों पर बैठ गया। उनकी चूत सूँघी। हल्की सी खुशबू। जीभ से चाटना शुरू किया। चूत के होंठ चुसने लगा। क्लिट पर जीभ घुमाई। वो काँपने लगीं, “आह्ह्ह… ह ह ह… सोमेश मेरी जान… क्या कर रहे हो… ऊउईईई… मर जाऊँगी”।
दो उंगलियाँ डालीं। बहुत टाइट थी। वो उछल पड़ीं, “आह्ह्ह… धीरे… आज तक किसी ने छुआ तक नहीं”। मैंने धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया। तीसरी उंगली भी डाली। अब थोड़ी ढीली पड़ने लगी थी।
फिर मामी ने मुझे ऊपर खींचा। बॉक्सर नीचे किया। लंड बाहर आया। वो आँखें फाड़कर बोलीं, “ये तो बहुत बड़ा है सोमेश… कैसे जाएगा?” फिर खुद घुटने पर बैठ गईं। पहले सुपारे को चूमा, फिर मुँह में लिया। ग्ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग्ग… गी गी गों गों गोग… पूरा गले तक लेने की कोशिश की। मैंने सिर पकड़कर हल्के धक्के दिए। उनकी आँखों से पानी निकलने लगा, पर वो नहीं रुकीं।
फिर हम 69 में आ गए। मैं उनकी चूत चाट रहा था, वो मेरा लंड। कमरे में सिर्फ चपचप और ग्ग्ग्ग्ग की आवाजें। मैंने तेल लिया, उनकी चूत पर अच्छे से मला। उंगलियों से अंदर-बाहर। अब चूत चिकनी हो गई थी।
मामी तड़प कर बोलीं, “सोमेश… बस अब और नहीं सहा जाता… डाल दो ना अपनी मामी की चूत में”। मैंने उन्हें काउंटर पर लिटाया। टाँगें चौड़ी कीं। लंड का सुपारा चूत पर रगड़ा। वो मचल उठीं, “सोमेश… फाड़ दो आज अपनी मामी की चूत को… मामा के लिए कुछ मत छोड़ना”।
एक जोर का धक्का। आधा लंड अंदर। वो चीख पड़ीं, “आआआआह्ह्ह्ह… मर गई… सोमेश बहुत दर्द है”। मैं रुका नहीं। दूसरा धक्का। पूरा 8 इंच अंदर। खून की बूंदें निकलीं। वो रोने लगीं, “निकालो… मर जाऊँगी”। मैंने धीरे से कहा, “मामी, बस थोड़ी देर… फिर मजा आएगा”।
धीरे-धीरे झटके देने शुरू किए। पहले दर्द था, फिर वो खुद कमर उछालने लगीं, “आह्ह्ह… हाँ सोमेश… अब अच्छा लग रहा है… और तेज”। मैंने स्पीड बढ़ाई। पच-पच-पच… बाथरूम में गूँज रही थी। वो चिल्ला रही थीं, “आह्ह्ह… फाड़ दो अपनी मामी को… ह्हीईईई… और तेज… हाँ ऐसे ही… तेरी मामी तेरी रंडी है आज”।
वो चार बार झड़ चुकी थीं। चूत से सफेद झाग निकल रहा था। आखिर मैंने भी उनकी चूत में सारा माल उड़ेल दिया। इतना गाढ़ा वीर्य कि बाहर बहने लगा।
हम दोनों पसीने से तर थे। मैंने उन्हें गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया। तीन दिन तक मामा-मम्मी के आने तक हमने हर कमरे में, हर पोजीशन में चुदाई की। कभी घोड़ी बनाकर, कभी दीवार से सटाकर, कभी सोफे पर, कभी किचन में। मामी की चूत सूज गई थी, पर चेहरे पर अलग ही चमक थी।
जब मामा आए तो मामी की आँखों में मेरे लिए कुछ और ही था। अब भी जब मौका मिलता है, मामी मैसेज करती हैं – “सोमेश, तेरी मामी फिर प्यासी है, आ जा”।