Hostel girl sex story – Old uncle blowjob sex story: जब मेरे घर वाले इन्दौर में पूरी तरह सेटल हो गए तो पापा ने मुझे लड़कियों के हॉस्टल में डाल दिया, वहाँ रहते हुए मैंने बी.एससी पूरी की, हॉस्टल के ठीक बगल में पापा के पुराने दोस्त रहते थे, पापा ने उन्हें मेरा लोकल गार्जियन बना दिया था, वो अंकल कोई 57-58 साल के थे, उनका बिजनेस दूर-दूर तक फैला हुआ था, दिन-रात टूर, मीटिंग्स, घर संभालने का वक्त ही नहीं मिलता था, आंटी गुजर चुकी थीं, दो बेटे थे जो बिजनेस में हाथ बँटाते थे, घर में अंकल अकेले ही रहते थे।
उन्होंने अपनी एक चाबी मुझे भी दे रखी थी, मैं रोज शाम को उनके यहाँ कम्प्यूटर यूज़ करने चली जाती थी, कभी अंकल मिलते, कभी नहीं, उस दिन मैं जैसे ही अंदर घुसी तो देखा अंकल सोफे पर बैठे ड्रिंक ले रहे थे और लैपटॉप पर कुछ काम निपटा रहे थे, मैं हमेशा की तरह कम्प्यूटर ऑन करके ईमेल चेक करने लगी।
आज अंकल बार-बार मेरी तरफ देख रहे थे, उनकी निगाहें मेरे बदन पर रेंग रही थीं, मुझे तुरंत अहसास हो गया कि आज अंकल का मूड कुछ और ही है, वो बोले, नेहा लगता है तुम्हें कम्प्यूटर की बहुत जरूरत है जो रोज आती हो, मैं मुस्कुरा कर बोली, हाँ अंकल, पापा अभी नहीं दिला रहे, अंकल ने ग्लास रखा और धीरे से कहा, अगर चाहो तो ये पूरा सेट तुम्हारा हो सकता है, बस एक छोटा सा काम करना पड़ेगा, मैं तो खुशी से उछल पड़ी, सच अंकल, बोलो ना क्या करना है, मैं तपाक से उनके पास पहुँच गई।
अंकल ने आँख मारते हुए कहा, कुछ खास नहीं नेहा, वही जो तुम पहले कई बार कर चुकी हो, मैं एकदम से चौंकी, लेकिन फिर समझ गई कि बात कहाँ जा रही है, मैं शरमाते हुए बोली, अरे वाह अंकल, तब तो कम्प्यूटर तो मेरा हो गया, मैं हँस पड़ी, अंकल ने धीरे से कहा, चलो उस कमरे में, मैं उनके पीछे-पीछे बेडरूम में चली गई, अंदर घुसते ही उन्होंने दरवाज़ा बंद किया और कुंडी लगा दी।
मुझे थोड़ा डर लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए, लेकिन मेरा शक सच साबित हुआ, अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और फुसफुसाए, नेहा मैं बरसों से अकेला हूँ, तुम्हें देखते ही मेरे अंदर की मर्दानगी फिर से जाग उठी है, प्लीज मेरी मदद कर दो, मैंने थोड़ा नाटक किया, अंकल आप तो पापा के उम्र के हैं, पर मन ही मन कम्प्यूटर की याद आ रही थी, और ये भी कि अंकल ने कहा था कि तुम पहले कई बार कर चुकी हो, उन्हें कैसे पता चला, मैं समझ गई थी कि मेरा ईमेल पासवर्ड शायद मेज पर छूट गया था और उन्होंने मेरी सारी चैट्स पढ़ ली थीं।
अंकल मुस्कुराए, बोले, नेहा मुझे सब पता है, तुम्हें कोई खतरा नहीं, मेरी उम्र अब ऐसी नहीं रही, और ये घर तो तुम्हारे लिए हमेशा खुला है, अपने दोस्त को भी बुला सकती हो कभी, मैं शरमाकर उनकी छाती से लिपट गई, अंकल ने तुरंत मेरे चूतड़ दबा दिए, आह्ह्ह, मैंने होंठ आगे बढ़ाए, उन्होंने मुझे पूरी तरह अपने आगोश में ले लिया, उनके होंठों से तेज दारू की खुशबू आ रही थी, पर मुझे अच्छी लगी, उन्होंने मेरी जींस की बटन खोली, ज़िप नीचे की, मैंने खुद झुककर जींस उतार दी और टॉप भी निकाल फेंका।
अंकल मेरे जिस्म को बड़े प्यार से सहलाने लगे, मेरी साँसें तेज हो गईं, मेरे बोबे फड़कने लगे, ब्रा एकदम तंग लगने लगी, पैंटी गीली हो चली थी, अंकल ने पुरानी ब्रा को एक झटके में खींचकर फाड़ दिया, फिर पैंटी पर हाथ रखा और जोश में आकर उसे भी फाड़ डाला, मैं बोली, अंकल ये क्या, अब मैं क्या पहनूँगी, अंकल हाँफते हुए बोले, अब तुम मेरी रानी हो, कुछ भी नहीं पहनना, चलो मेरे साथ, एक से एक सैक्सी सेट दिलवाऊँगा, कहते हुए उन्होंने मुझे गोदी में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।
मेरे दोनों पाँव फैलाए और मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया, आह्ह्ह्ह नेहा कितनी रसीली है तेरी बुर, उनकी जीभ मेरे दाने पर फिरने लगी, गी..गी..गी.. मैं तड़प उठी, आह्ह्ह अंकल, मेरी चूत से पानी निकलने लगा, वो जीभ अंदर तक घुसा रहे थे, मैं कमर उछालने लगी, ओह्ह्ह्ह ऊउइइ, फिर अंकल ने मेरे पाँव और ऊपर उठा दिए, मेरी गाण्ड हवा में आ गई, दोनों हाथों से चूतड़ अलग किए और गाण्ड के छेद पर जीभ घुसा दी, हाय अंकल गुदगुदी हो रही है, ऊईईईई मार डाला, वो जोर-जोर से गाण्ड चाटने लगे, मैं बेकाबू हो गई।
कुछ देर बाद अंकल ने पूरे बदन की मालिश शुरू की, मैं उनसे लिपट पड़ी, उनकी शर्ट-पैंट फटाक से उतार दी, उनका बदन बिल्कुल चिकना था, एक भी बाल नहीं, गोरा और मांसल, उनका लण्ड लटकता हुआ था, मोटा और लम्बा, सुपारा पूरी तरह खुला हुआ, लाल और चमकदार, मैंने लण्ड हाथ में लिया और सहलाने लगी, अंकल के मुँह से सिसकारी निकलने लगी, आह्ह्ह्ह नेहा कितने साल बाद किसी ने छुआ है, मसल डाल बेटी।
मैं जोश में आकर मुठ्ठ मारने लगी, उनका लण्ड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था, पर फिर भी थोड़ा नरम-नरम सा था, मैं उन पर सवार हो गई, चूत के द्वार पर लण्ड रखा और नीचे बैठने की कोशिश की, पर बार-बार फिसल जा रहा था, अंकल बोले, बस ऐसे ही रगड़ो नेहा, मैं उनकी छाती से लिपट गई और चूत को लण्ड पर रगड़ने लगी, आह्ह्ह ओह्ह्ह, लेकिन अंदर नहीं जा रहा था, मैंने झुककर लण्ड मुँह में लिया और चूसने लगी, ग्ग्ग्ग..ग्ग्ग्ग..गी..गी..गों..गों, अंकल ने मेरे सिर को पकड़कर मुँह चोदा, उनके चूतड़ उछल रहे थे, मैंने सुपारे को दाँतों से काटा, बस फिर क्या था, एक तेज पिचकारी मेरे मुँह में छूट गई, आह्ह्ह्ह्ह नेहा ले ले सारा, वो जोर-जोर से झटके दे रहे थे, मैं पूरा रस पी गई, लण्ड को खींच-खींच कर आखिरी बूँद तक निकाल ली।
अंकल का लण्ड मुरझा गया, वो हाँफते हुए लेट गए, मैं अभी भी अधूरी थी, पलंग से नीचे उतरी, दो उंगलियाँ चूत में डालकर तेज-तेज अंदर-बाहर करने लगी, आह्ह्ह्ह ऊउइइइइ, कुछ ही पलों में मैं भी झड़ गई, पूरा बदन काँप उठा, फिर उठकर बाथरूम में मुँह-हाथ धोया, बाहर आई तो अंकल दरवाजे पर खड़े थे, बोले, नेहा तुझे कैसे थैंक्स कहूँ, आज से ये घर और सब कुछ तेरा है, चलो डिनर करते हैं।
मैंने शरारत से पूछा, अंकल आपका तो खड़ा ही नहीं होता ठीक से, फिर इतना सारा पानी कैसे निकला, अंकल हँसे, बेटी लण्ड भले बूढ़ा हो जाए, इच्छाएँ नहीं मरतीं, उन्हें शांत करना पड़ता है तभी काम में मन लगता है, नौकर को आवाज़ लगाई, डिनर लगवाया और बोले, मेरी गाड़ी ले जाओ और ये पूरा कम्प्यूटर सेट नेहा बेटी के हॉस्टल में लगवा दो।
मैं मन ही मन बहुत खुश थी कि बिना पूरी चुदाई के ही कम्प्यूटर मिल गया, डिनर के बाद जब हॉस्टल जाने लगी तो अंकल ने फिर मुझे गले लगाया, मैंने उनके गाल पर किस किया और बोली, अंकल दुखी मत होना, तुम्हारी नेहा है ना, अब हर प्यास बुझाऊँगी, अंकल मुझे प्यार भरी निगाहों से जाते हुए देखते रहे।