Badi Didi ki chudai sex story: नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम रवीना है। उस वक्त मैं 22 साल की थी, अब 23 की हूँ। ये मेरी पहली और सच्ची कहानी है। लोग अक्सर यही सोचते हैं कि सेक्स का जुनून सिर्फ लड़कों में होता है, पर सच ये है कि लड़कियों के अंदर भी वैसा ही तूफान उठता है, बस हम उसे छुपाना बेहतर जानती हैं। मेरी सारी सहेलियाँ चुपके-चुपके ऐसी कहानियाँ पढ़ती थीं और एक-दूसरे को बताकर हँसती थीं। आज मैं अपनी वो बारिश वाली रात आपको बता रही हूँ, जिसने ये साबित कर दिया कि एक लड़का और लड़की के बीच आखिर में सिर्फ एक ही रिश्ता बचता है, वो आप अच्छे से समझते हैं।
पिछले साल की बात है। बारिश का मौसम था। कॉलेज की छुट्टी होते ही अचानक बादल फट पड़े और तेज बारिश शुरू हो गई। मैं कॉलेज के कंपाउंड में कुछ देर रुकी, पर एक घंटे तक बारिश नहीं रुकी। रात होने लगी थी, इसलिए मैं पूरी तरह भीगते हुए घर की ओर दौड़ी। घर पहुँचते-पहुँचते सात बज चुके थे। चारों तरफ अंधेरा था और घर में बिजली भी गुल थी।
मैंने डोरबेल बजाई। दरवाजा मेरे छोटे भाई वरुण ने खोला। वो मुझसे दो साल छोटा था, अभी 20 का होते ही 21 में चल रहा था। मुझे देखते ही उसकी आँखें फैल गईं। मेरे गीले कपड़े शरीर से चिपक गए थे, पूरा कर्व्स साफ दिख रहा था। वो बोला, “दीदी, आप तो पूरी तरह भीग गई हो।” मैं ठिठुरते हुए बोली, “रेनकोट ले जाना भूल गई थी, चल जल्दी चाय बना दे, बहुत ठंड लग रही है।” वरुण मुस्कुराया और बोला, “ओके दीदी, अभी बनाता हूँ।”
मैं अपने कमरे में चली गई। बाहर बारिश थोड़ी धीमी पड़ी थी, पर तेज हवा चल रही थी। मैंने मोमबत्ती जलाई और कमरे तक गई, पर कमरे तक पहुँचते-पहुँचते हवा ने उसे बुझा दिया। मैं बाथरूम में गीले कपड़े बदलने गई। एक-एक करके सारे कपड़े उतारे। ब्रा-पैंटी तक सब भीगे हुए थे। तभी याद आया कि तौलिया तो लिया ही नहीं। मैंने बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खोला। अंदर घुप्प अंधेरा था। कुछ दिख नहीं रहा था। नंगी ही मैं धीरे-धीरे अलमारी की ओर बढ़ी, जो दरवाजे के ठीक पास थी।
बस अलमारी तक पहुँची ही थी कि अचानक बिजली आ गई। तेज रोशनी से मेरी आँखें चौंधिया गईं। जब आँखें खोलीं तो मैं सन्न रह गई। वरुण ठीक मेरे सामने खड़ा था। एक हाथ में चाय का कप, दूसरे में बुझी हुई मोमबत्ती। उसकी नजर मेरे 34C के नंगे बूब्स पर जमी थी, फिर नीचे मेरी नंगी चूत पर। वो ऐसे देख रहा था जैसे उसका सारा खून लंड में दौड़ गया हो। मैंने फटाक से एक हाथ से चूत और दूसरे से बूब्स छुपाए और चीख पड़ी, “वरुण!!!” फिर दौड़कर बाथरूम में घुस गई।
बाहर से वरुण हड़बड़ाया हुआ बोला, “सॉरी दीदी… वो चाय लाया था… मोमबत्ती हवा से बुझ गई थी… मैं चाय टेबल पर रख देता हूँ।” और चला गया। मुझे गुस्सा भी आ रहा था, शर्म भी, पर फिर सोचा इसमें उसकी क्या गलती। मैं भी तो जवान हूँ, गोरा रंग, 34-26-34 का फिगर, भीगे बाल। आईने में खुद को देखा तो सच में कयामत लग रही थी। चूत पर हल्के बालों पर हाथ फेरा तो हल्की सी सिहरन हुई।
मैंने सलवार-सूट पहना और किचन में आ गई। वरुण से नजरें नहीं मिला पा रही थी। वो भी असहज था। मैंने ही बात शुरू की, “पापा ऑफिस गए हैं न?” वो बोला, “हाँ दीदी, नाइट शिफ्ट है, सुबह आएँगे। और सॉरी दीदी वो कमरे में…” मैंने कहा, “कोई बात नहीं, कभी-कभी हो जाता है। बस आगे से ध्यान रखना। चलो खाना बनाते हैं, भूख लगी है।” वो हामी भरकर मेरे साथ लग गया।
हमारे घर में सिर्फ हम तीन लोग थे, इसलिए सारे काम मिल-बाँट कर करते थे। खाना बनाते वक्त हम इधर-उधर की बातें करने लगे। अचानक मेरी गांड वरुण से टकराई। मुझे कुछ चुभा। पीछे मुड़कर देखा तो उसके पायजामे में साफ तंबू बना हुआ था। वो शर्मिंदा सा अनजान बनने की कोशिश कर रहा था। मैंने भी इग्नोर कर दिया। पर इससे उसे हिम्मत मिली। थोड़ी देर बाद उसने जानबूझकर अपना खड़ा लंड मेरी गांड से सटाया। मैं हट गई, पर वो फिर करीब आ गया। मैंने देखा कि वो मेरे बूब्स को तिरछी निगाहों से घूर रहा था। दुपट्टा मैंने हटा रखा था, पूरा शेप साफ दिख रहा था।
खाना तैयार हुआ। हम नौ बजे खाने बैठे। टीवी देखते हुए खा रहे थे। अचानक वरुण बोला, “दीदी, आपसे एक बात पूछूँ?” मैंने कहा, “हाँ बोलो।” वो हिचकिचाया, फिर बोला, “आप बहुत खूबसूरत हो।” मैंने पूछा, “मतलब?” उसकी आवाज में कामुकता थी। वो बोला, “वो आज आपको बिना कपड़ों के देखा न, तब पता चला कि आप कितनी सेक्सी हो।” मैं गुस्से से चिल्लाई, “बंद कर ये बकवास, नहीं तो एक थप्पड़ मारूँगी। चुपचाप खाना खा।”
खाना खत्म करके हम सोफे पर टीवी देखने लगे। आधा घंटा बाद मैंने चैनल बदलने को कहा। मुझे सीरियल देखना था, वरुण WWE देख रहा था। रिमोट उसके बगल में था। मैंने झटके से छीन लिया और चैनल बदल दिया। फिर रिमोट सोफे पर रखकर उस पर बैठ गई। वरुण बोला, “रिमोट मुझे देती हो या नहीं?” मैंने मना किया, “नहीं दूँगी, जो करना है कर लो।” वो कुछ देर चुप रहा। फिर अचानक उसने दोनों हाथ मेरी गांड पर रखे और मुझे अपनी ओर खींच लिया। एक झटके में मैं उसकी गोद में थी। उसने रिमोट ले लिया, पर मुझे नहीं छोड़ा।
मैं छुड़ाने की कोशिश करने लगी। वो मजबूती से पकड़े था। मैं चीखी, “ये क्या कर रहे हो वरुण!!” वो बोला, “आपने ही कहा था न, जो करना है कर लो।” मैं गुस्से में बोली, “बेशर्म, आने दो पापा को…” मैंने उसके नाक पर मुक्का मारा तो वो छोड़कर पीछे हटा। मैं उठी और दुपट्टा लेकर जाने लगी। पर उसने पीछे से कमर पकड़कर मुझे फिर सोफे पर पटक दिया। मेरी चीख निकल गई। उसने फटाफट मेरे मुँह में रुमाल ठूँस दिया। दुपट्टे से हाथ बाँध दिए। मैं छुड़ाने की पूरी कोशिश करने लगी। एक लात उसके लंड पर जा लगी। वो दर्द से दोहरा हो गया। मुझे मौका मिला। मैं उठी, पर उसने फिर पकड़ लिया और पटक दिया।
वरुण गुस्से में बोला, “साली बहुत लात चलाती है, रुक आज तुझे सिखाता हूँ।” उसने मेरे दोनों पैर फैलाए और मेरे ऊपर लेट गया। एक हाथ से सलवार का नाड़ा खोला और सलवार नीचे खींच दी। दूसरे हाथ से बूब्स मसलने लगा। फिर अपनी पैंट-अंडरवियर उतारकर अपना 6 इंच का मोटा लंड बाहर निकाला। मेरी पैंटी में हाथ डालकर चूत सहलाने लगा। मैं छटपटा रही थी। उसने पैंटी साइड की और लंड की टोपी चूत पर रखी। एक जोरदार झटका, आधा लंड अंदर। मेरी चीख रुमाल में दब गई, आह्ह्ह्ह… दूसरा झटका और पूरा लंड अंदर तक। दर्द से मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। खून बह रहा था। वो लंड अंदर-बाहर करने लगा। अब मैंने विरोध बंद कर दिया।
कुछ मिनट बाद वो रुका। मेरे मुँह से रुमाल निकाला। मैं हाँफ रही थी। वो घबरा गया था। पानी लाकर मेरे मुँह पर मारा। होश आया तो मैं रोते हुए बोली, “प्लीज मुझे खोल दो, तुम्हें जो करना है कर लो, पर धीरे-धीरे।” वो खुश हो गया। अपने सारे कपड़े उतार दिए। उसका लंड खून से सना हुआ था। उसने रुमाल से पोंछा और मेरे होंठों पर रख दिया। मैंने मुँह फेर लिया। उसने सिर पकड़ा और बोला, “प्लीज दीदी ले लो न, वरना फिर जबरदस्ती करनी पड़ेगी।” मेरे पास चारा नहीं था। मैंने होंठ खोले और उसकी टोपी मुँह में ले ली। धीरे-धीरे पूरा लंड मुँह में लिया। ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… वो मजे से मेरे मुँह को चोदने लगा। उसका लंड खून और लार से चिपचिपा हो गया था। पाँच मिनट तक उसने मुँह चोदा।
फिर मेरे हाथ खोल दिए। मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मैं बिलकुल नंगी थी। उसने मेरी चूत का खून साफ किया। मुझे गोद में बिठाया। मैंने मुँह फेर लिया। पर वो मेरे बूब्स चूसने लगा। जीभ से निप्पल चाटने लगा। आह्ह… वरुण… ह्ह… आह्ह… वो एक बूब को मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसता, दूसरा हाथ से मसलता। फिर दूसरा बूब। मेरे निप्पल्स एकदम टाइट हो गए। दस मिनट तक बूब्स को प्यार किया। फिर नीचे आया। मेरी नाभि में जीभ घुमाई। कमर को सहलाया। जाँघें चूमने लगा। दोनों जाँघों के अंदरूनी हिस्से को चाटता हुआ ऊपर आया। मैं सिहर रही थी। आह्ह… वरुण… नहीं… प्लीज… आह्ह्ह… पर वो नहीं रुका। मेरी चूत पर हल्के बाल थे। उसने जीभ से क्लिट को चाटना शुरू किया। फिर चूत की फाँक में जीभ डाली। आह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह… वरुण… क्या कर रहे हो… आह्ह्ह… वो क्लिट को जीभ से रगड़ता रहा। मेरी कमर अपने आप ऊपर उठने लगी। आह्ह… ह्हााा… ओह्ह्ह… वरुण… आह्ह्ह्ह… दस मिनट तक चूत चाटता रहा। मेरी चूत पूरी गीली और फूल चुकी थी।
फिर वो उठा। मुझे सोफे पर लिटाया। मेरे पैर फैलाए। अपना लंड फिर चूत पर रखा। इस बार धीरे-धीरे अंदर किया। अब दर्द नहीं था, सिर्फ मजा था। वो धीरे-धीरे झटके देने लगा। आह्ह… वरुण… आह्ह… धीरे… ओह्ह्ह… वो मेरे ऊपर लेटा हुआ बूब्स चूसता रहा और लंड अंदर-बाहर करता रहा। पंद्रह मिनट तक मिशनरी में चोदा। फिर मुझे घुमाया। डॉगी स्टाइल में किया। मेरी गांड ऊपर थी। वो पीछे से लंड पेल रहा था। थप्प… थप्प… थप्प की आवाजें गूँज रही थीं। आह्ह… वरुण… जोर से… आह्ह्ह… मैं खुद बोल पड़ी। वो और तेज चोदने लगा। मेरे बूब्स लटककर झूल रहे थे। वो उन्हें पकड़कर मसल रहा था।
फिर उसने मुझे उठाया। सोफे पर खुद बैठा और मुझे ऊपर बिठाया। मैंने खुद लंड पकड़कर चूत में लिया और ऊपर-नीचे होने लगी। आह्ह… ओह्ह्ह… वरुण… आह्ह्ह… वो नीचे से जोर-जोर से झटके मार रहा था। मेरे बूब्स उछल रहे थे। वो उन्हें पकड़कर मसल रहा था। बीस मिनट तक इस पोजीशन में चुदाई की। फिर मुझे दीवार से सटा कर खड़ा किया। एक पैर ऊपर उठाया और खड़े-खड़े चोदा। मेरी चीखें पूरे घर में गूँज रही थीं। आह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… वरुण… फाड़ दो आज… आह्ह्ह… आखिर में उसका गर्म माल मेरी चूत में छूटा। मैं भी कई बार झड़ चुकी थी।
हम दोनों हाँफ रहे थे। उसने मुझे बाहों में लिया। मैंने उसके होंठ चूम लिए। पूरी रात हमने कई बार चुदाई की। कभी 69 में, कभी साइड से, कभी मैं ऊपर, कभी वो ऊपर। सुबह तक मेरी चूत सूज गई थी, पर मजा इतना था कि आज भी याद करके तन गर्म हो जाता है।