अम्मी की बुर में मेरा लंड फिसल गया

Ammi ki chudai sex story – Bete ka bada indian lund : हेलो दोस्तों, मेरा नाम अफसर है, मैं बंगाल में रहता हूँ। मेरी उम्र अब 35 साल है। जब मैं 15 साल का था, तब से मैं चुदाई की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। उस वक्त मैं 8वीं कक्षा में था और स्कूल की पढ़ाई के लिए साइबर कैफे जाता था। एक दिन गलती से कुछ सेक्स साइट्स खुल गईं, जिनमें चुदाई की कहानियाँ थीं। बस तभी से मेरे दिल में ये चुदाई का कीड़ा कुलबुलाने लगा। आज तक मैंने न जाने कितनी कहानियाँ पढ़ीं, हर बार मन में एक अजीब सा जोश आता है। ये कहानी उस वक्त की है जब मैं 20 साल का था, यानी आज से 15 साल पहले। पहले मैं आपको अपने परिवार से मिलवाता हूँ।

मैं (अफसर) – 20 साल, जवान, हट्टा-कट्टा, चुदाई की कहानियों का शौकीन। अब्बू (रेहान) – 50 साल, नौकरीपेशा, सख्त मिजाज लेकिन परिवार से बहुत प्यार करने वाले। अम्मी (रोजी) – 45 साल, हाउसवाइफ, गोरी-चिट्टी, फिगर 38-34-40, भारी चूचियाँ और मोटी गाँड, जिसे देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। बाजी (शाजिया) – 28 साल, तलाकशुदा, गाँव के घर में रहती है, उसकी एक छोटी बच्ची है जो अभी दूध पीती है। फिगर 36-32-40, एकदम माल, देखकर लगता है जैसे कोई बम हो। मौसी (रोजिना) – 48 साल, विधवा, फिगर 32-30-38, पतली लेकिन सेक्सी, उसकी गाँड में एक अलग ही कशिश है।

मेरी दो और मौसियाँ हैं जो अपनी ससुराल में रहती हैं। मेरे दो बड़े भाई हैं, जो दूसरी सिटी में पढ़ाई और नौकरी करते हैं। अब कहानी पर आते हैं। ये बात उस वक्त की है जब मैं 15 साल का था, एक मासूम सा लड़का, जो बस स्कूल और पढ़ाई में ध्यान देता था। हम लोग उस वक्त किराए के मकान में रहते थे। एक कमरा और एक बरामदा था। कमरे में एक चौकी थी, जिस पर अम्मी और अब्बू सोते थे, और एक खटिया, जिस पर मैं सोता था। मैं घर का सबसे छोटा था, इसलिए सबका दुलारा था। खासकर मेरी बाजी, वो तो मुझ पर अपनी जान छिड़कती थी। अम्मी भी मुझे बहुत प्यार करती थीं।

जब से होश संभाला, मैं अम्मी और अब्बू के पैर दबाता था, जब वो कहते। एक रात की बात है, हम सब सोए हुए थे। आधी रात को किसी आवाज से मेरी नींद खुल गई। कमरे में अंधेरा था, कुछ दिख नहीं रहा था। फिर ध्यान से सुना तो ‘फच-फच-फच’ की आवाज आ रही थी। मैं सोच में पड़ गया कि ये कैसी आवाज है। तभी एक थप्पड़ जैसी आवाज आई, जैसे किसी ने किसी को चांटा मारा हो। इसके साथ ही कराहने की आवाज आई, “आह… आह… और जोर से… और जोर से!” ये अम्मी की आवाज थी। मैं चुपचाप सुनता रहा।

अम्मी बोलीं, “जी, क्या कर रहे हो? और जोर से चोदो ना! मेरी बुर तो पूरी खोल दी है, अब जोर से धक्के मारो। थोड़ा दर्द हो रहा है, लेकिन तुम फिकर मत करो, बस चोदते रहो!” अब्बू बोले, “मेरी जान, और जोर से चोदा तो तेरी बुर फट जाएगी।” अम्मी ने तपाक से जवाब दिया, “तो क्या हुआ? फटने दो! ये बुर तुम्हारी ही तो है। जैसे चाहो फाड़ो, बस जोर से चोदो!”

अब्बू ने हंसते हुए कहा, “ले, फिर संभाल अपनी बुर को!” और फिर जोर-जोर से धक्के मारने लगे। धक्कों की आवाज साफ सुनाई दे रही थी। जब अब्बू के टट्टे अम्मी की बुर से टकराते, तो ‘फच-फच’ की आवाज गूंजती। अम्मी सिसकारियाँ भर रही थीं, “आह… आह… उम्म… उम्म… मजा आ रहा है… बस थोड़ा और अंदर करो!”

अब्बू बोले, “पूरा लंड डाल दिया है, मेरी जान। अब मैं झड़ने वाला हूँ, क्या करूँ?” अम्मी ने कहा, “बस थोड़ी देर और चोदो, मैं भी झड़ने वाली हूँ… आह… आह… चोदो!” फिर अब्बू अम्मी की बुर में झड़ने लगे। अम्मी भी शायद झड़ गईं, क्योंकि वो जोर-जोर से हांफने लगीं। थोड़ी देर तक दोनों चुप रहे। करीब 10 मिनट बाद अम्मी बोलीं, “जी, अपना लंड बाहर निकालो, मुझे मूतना है। जोर से पेशाब लगी है।” अब्बू ने मजाक में कहा, “तो यहीं मूत ले!” अम्मी ने जवाब दिया, “नहीं, बिस्तर पर नहीं, मैं बाहर जाऊँगी।”

मुझे दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई दी। मैंने चुपके से देखा, बाहर से थोड़ी रोशनी आई। अम्मी बाहर निकलीं, पीछे-पीछे अब्बू भी। जैसे ही वो बाहर गए, मैंने जल्दी से लाइट ऑन की। देखा तो बिस्तर पूरा बिखरा था और बीच में गीला था। मुझे कुछ समझ नहीं आया कि ये क्या है। मैंने फट से लाइट बंद की और सो गया।

सुबह मुझे स्कूल जाना था, तो जल्दी उठ गया। देखा, अम्मी बिस्तर पर नहीं थीं। अब्बू गहरी नींद में थे। मैं बाहर आया तो अम्मी आंगन में झाड़ू लगा रही थीं। अम्मी ने प्यार से कहा, “उठ गया, बाबू?” मैंने जवाब दिया, “हाँ, अम्मी।” अम्मी बोलीं, “जा, जल्दी फ्रेश हो जा। नाश्ता तैयार है, टिफिन भी तैयार है। स्कूल भी जाना है।” मैंने कहा, “जी, अम्मी,” और बाथरूम चला गया। तैयार होकर निकला तो अम्मी अभी भी बाहर थीं। मैंने पूछा, “अम्मी, रात को आप सिसक क्यों रही थीं? अब्बू ने आपको मारा था क्या? आपके गाल पर भी निशान है।”

अम्मी घबरा गईं, उनका चेहरा जैसे रंग उड़ गया। वो बोलीं, “नहीं तो! भला तेरे अब्बू मुझे क्यों मारेंगे? वो तो हम सब से इतना प्यार करते हैं। तू इन बातों को छोड़, जा, नाश्ता कर और स्कूल जा।” मैं स्कूल चला गया। अगली दो-तीन रात तक कोई आवाज नहीं आई। फिर कुछ दिन बाद फिर से चौकी हिलने की आवाज आई, लेकिन इस बार अम्मी धीरे-धीरे बोल रही थीं।

अम्मी बोलीं, “जी, उस रात बाबू जाग रहा था। उसने सब सुन लिया था। अगली सुबह मुझसे पूछ रहा था कि अब्बू ने आपको क्यों मारा। मैंने उसे टाल दिया। जी, चोदो मुझे, लेकिन आवाज मत निकालो। धीरे-धीरे चोदो।” अब्बू बोले, “ठीक है, मेरी जान।”

और फिर वो बिना आवाज किए चुदाई में मगन हो गए। मुझे भी नहीं पता कब नींद आ गई। इस बात को दो साल बीत गए। अब शायद सब नॉर्मल हो गया था। अब्बू अब अम्मी को शायद चोदते नहीं थे। अम्मी भी कुछ उदास-उदास रहने लगी थीं।

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मैं अब 10वीं पास कर चुका था। रिजल्ट का इंतजार था, तो घर पर ही रहता था। अब्बू की नौकरी पक्की हो गई थी, तो हमें 2 BHK क्वार्टर मिल गया था। एक कमरा मेरा था, दूसरा अम्मी-अब्बू का। चुदाई का चस्का मुझे 16 साल की उम्र में ही लग गया था, जब मैंने पड़ोस की एक मौसी और उनकी बेटी को चोदा था। वो कहानी बाद में बताऊँगा। अब्बू सुबह ड्यूटी चले जाते और शाम को लौटते। दिन भर घर में मैं और अम्मी रहते।

एक दिन सुबह के 10 बजे होंगे। अम्मी घर का सारा काम निपटा कर फ्री हो गई थीं। मैं यूं ही बैठा कुछ किताबें देख रहा था। अम्मी ने कहा, “बाबू, जरा मेरे पैर दबा दे।” वो खटिया पर लेट गईं। अम्मी हमेशा साड़ी पहनती थीं, जो कमर के नीचे बांधती थीं। उनका गोरा रंग, गहरी नाभि और भारी चूचियाँ किसी को भी पागल कर दें। मैंने उनकी चूचियों को बस ब्लाउज के ऊपर से ही देखा था। अम्मी ने साड़ी को घुटनों तक उठा लिया, लेकिन जांघें ढकी थीं। मैं उनके पैर दबाने लगा।

अम्मी कुछ सोच में डूबी थीं। उनका एक हाथ साड़ी के अंदर था। अचानक उन्होंने झटके से हाथ निकाला। मैंने देखा, उनके हाथ में कुछ बाल थे। मैं समझ गया कि ये उनकी बुर की झांटें थीं, जो उन्होंने नोच ली थीं। मैंने धीरे से उनकी साड़ी को घुटनों से ऊपर सरका दिया। उनकी गोरी जांघें दिखने लगीं। अम्मी ने कुछ नहीं कहा। मैं धीरे-धीरे उनकी जांघें भी सहलाने लगा। घुटनों के नीचे दबाता और ऊपर जाते वक्त जांघों को सहलाता। अम्मी का ध्यान मुझ पर नहीं था।

ऐसे ही कुछ देर जांघें सहलाने के बाद अम्मी ने अचानक अपनी टांगें फैला दीं। साड़ी और ऊपर चढ़ गई। उनकी झांटों से भरी बुर मुझे साफ दिखने लगी। मैं एकटक उनकी बुर को देखता रहा। उसकी गुलाबी चटें, घनी झांटों के बीच, जैसे मुझे बुला रही थीं। अम्मी ने शायद मेरा हाल देख लिया। वो जोर से बोलीं, “बाबू! बाबू!”

मैंने हड़बड़ाते हुए कहा, “हाँ, अम्मी!” अम्मी बोलीं, “कहाँ खोया हुआ है?” मैंने कहा, “कहीं नहीं, अम्मी।” वो बोलीं, “तो मेरी आवाज सुनाई नहीं दे रही थी?” मैंने कहा, “जी, अम्मी, बोलिए ना, क्या बात है?”

मैं पैर दबाता रहा। मेरा लंड पैंट में तंबू बना रहा था, लेकिन अम्मी की नजर उस पर नहीं गई। वो बोलीं, “जरा ऊपर दबा, जांघों तक।” मैंने कहा, “जी, अम्मी,” और उनकी जांघें दबाने लगा। दबाते-दबाते मैं अपना हाथ उनकी बुर तक ले जाता और हल्के से सहला देता। ऐसा मैंने 3-4 बार किया। पांचवीं बार जब मेरा अंगूठा उनकी बुर को छू गया, अम्मी चिहुंक उठीं। वो बोलीं, “कहाँ दबा रहा है तू?”

मैं अनजान बनते हुए बोला, “जांघ दबा रहा हूँ, अम्मी।” वो बोलीं, “ठीक से दबा!” मैंने कहा, “जी, अम्मी,” और फिर दबाने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने फिर से अपना हाथ उनकी बुर तक ले जाया और सहलाया। मेरी उंगलियों पर कुछ चिपचिपा सा लगा। मैं समझ गया कि अम्मी की बुर पानी छोड़ रही है। तभी अम्मी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं, “क्या कर रहा है?”

मेरी तो डर के मारे हालत खराब हो गई। मैंने कहा, “अम्मी, वो… मेरा हाथ फिसल कर आपकी अंदर वाली जगह पर चला गया।” अम्मी ने गंभीर होकर कहा, “मैं कब से देख रही हूँ, तू बार-बार मेरी बुर छू रहा है। क्या बात है?”

उनके मुँह से ‘बुर’ सुनकर मैं दंग रह गया। मैं घबराते हुए बोला, “माफी माँगता हूँ, अम्मी। मुझसे गलती हो गई।” अम्मी ने मुझे देखते हुए कहा, “तुझे मेरी बुर पसंद है?” मैंने सोचा, सच बोल दूँ। मैंने कहा, “हाँ, अम्मी, पसंद तो है… और बहुत कुछ पसंद है।”

तभी अम्मी ने मेरे बाल पकड़े और जोर से खींचे। एक हाथ से अपनी साड़ी ऊपर उठाई, टांगें फैलाईं और मेरा सिर अपनी बुर पर दबा दिया। वो बोलीं, “अगर इतनी पसंद है तो चाट इसे!” और मेरा सिर जोर से दबाए रखा।

मैं छटपटाने लगा, लेकिन जैसे ही मेरा नाक उनकी बुर पर लगा, एक मादक खुशबू ने मुझे पागल कर दिया। मैंने तुरंत अपनी जीभ निकाली और उनकी बुर पर फेर दी। अम्मी सिहर उठीं। “इस्स्स… आह… इस्स्स…” उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं।

वो बोलीं, “बाबू, मेरी बुर को अच्छे से चाट। जीभ अंदर डाल!” मैंने उनकी बुर चाटते हुए कहा, “अम्मी, क्या मैं उंगली डालूँ?” अम्मी बोलीं, “नहीं, बाबू, अभी नहीं। पहले बुर चाट, फिर मैं बताऊँगी।”

मैंने करीब 10 मिनट तक उनकी बुर चाटी। उनकी चटें गीली हो चुकी थीं, पानी टपक रहा था। तभी अम्मी बोलीं, “बाबू, एक बात बोलूँ?” मैंने कहा, “जी, अम्मी, बोलिए ना।” वो बोलीं, “ये बात किसी को नहीं बताएगा ना?” मैंने कहा, “नहीं, अम्मी, पक्का नहीं बताऊँगा।” वो बोलीं, “पक्का ना, बाबू?” मैंने कहा, “हाँ, अम्मी, पक्का। आप बोलिए।”

अम्मी ने धीरे से कहा, “बाबू, मेरी बुर बहुत खुजला रही है। तू मेरी बुर की खुजली मिटाएगा?” मैंने अनजान बनते हुए कहा, “क्या मतलब, अम्मी? मैं समझा नहीं। अगर खुजली है तो मैं खुजला देता हूँ।” और मैंने उनके बुर को हल्के से खुजलाया।

अम्मी हँस पड़ीं, “पगले, ऐसे नहीं! मैं तुम्हारे सामने टांगें फैलाए लेटी हूँ और तू हाथ से खुजली कर रहा है?” मैंने कहा, “तो फिर कैसे, अम्मी?” वो बोलीं, “मेरे भोले बाबू, मेरा मतलब है मुझे अपने लंड से चोद!”

मैं चौंक गया, लेकिन मन में लड्डू फूटने लगे। मैंने कहा, “क्या, अम्मी, सिर्फ चोदूँ?” अम्मी ने गर्म होकर कहा, “मैं तुम्हारे सामने आधी नंगी हूँ। जो करना है, कर। चाहे तो मुझे पूरा नंगा कर दे!” मैंने कहा, “सच में, अम्मी? जो चाहूँ, वो कर सकता हूँ?”

तभी अम्मी उठीं, मुझे कसकर पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर चूसने लगीं। वो बोलीं, “बाबू, आज मुझे मसल दे!” मैंने कहा, “अम्मी, अगर अब्बू को पता चल गया तो?” वो बोलीं, “तू उसकी फिकर मत कर। मैं सब संभाल लूँगी। बस तू किसी को मत बताना। वैसे भी, तेरे अब्बू ने मुझे पिछले दो साल से नहीं चोदा। मेरी बुर जल रही है। मैं उंगली करके थक गई हूँ। मुझे अब तेरा लंड चाहिए!”

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मैंने कहा, “अम्मी, मैं ऐसे नहीं चोदूँगा। पहले आप अपनी बुर की झांटें साफ करो। मैं आपकी बुर को अच्छे से चाटना चाहता हूँ।” अम्मी बोलीं, “तो तू ही साफ कर दे, तेरे अब्बू का रेजर ले आ।”

मैं अब्बू का रेजर और साबुन ले आया। अम्मी से बोला, “अम्मी, नंगी हो जाओ।” वो बोलीं, “मैं कुछ नहीं करूँगी। तुझे जो करना है, कर।” मैंने कहा, “ठीक है,” और उनकी साड़ी खोल दी। अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थीं। मैंने कहा, “अम्मी, ब्रा खोल दूँ?” वो झल्लाकर बोलीं, “हरामजादे, मैंने कहा ना, जो करना है, तू कर। मैं सब कुछ करवाने को तैयार हूँ!”

मैंने एक झटके में उनकी ब्रा फाड़ दी। उनकी 38 साइज की चूचियाँ हवा में लहराने लगीं, जैसे पके हुए पपीते लटक रहे हों। गोल-गोल, भारी चूचियाँ देखकर मेरा लंड और तन गया। फिर मैंने पेटीकोट का नाड़ा इतनी जोर से खींचा कि वो मेरे ऊपर आकर चिपक गईं। मैंने उनकी चूचियों को जोर से दबाया और फिर से नाड़ा खींचा। पेटीकोट नीचे गिर गया। अब अम्मी मेरे सामने पूरी नंगी थीं।

मैंने उनकी चूचियों को पकड़कर धक्का दिया और उन पर टूट पड़ा। एक चूची चूसता, दूसरी को दबाता। उनके काले निप्पल को दाँतों से काटता। हर काटने पर अम्मी सिसक उठतीं, “इस्स्स… आह…” फिर मैंने रेजर और साबुन से उनकी बुर की झांटें साफ कीं। उनकी गुलाबी चटें अब साफ दिख रही थीं। अम्मी बोलीं, “अब आगे बढ़, बाबू।”

मैंने पहले उनके होंठ चूमे, फिर उनके कानों के पास जीभ फेरी। उनकी गर्दन को चूमा, चूचियों को दबाता रहा। फिर उनकी गहरी नाभि को चाटते हुए उनकी बुर तक पहुँचा। उनकी बुर के होंठ थोड़े बाहर निकले थे, जो और भी सेक्सी लग रहे थे। जैसे ही मैंने जीभ उनकी बुर पर फेरी, अम्मी चिहुंक उठीं, “हाय दैया… मर गई रे… कितना जलिम है तेरा जीभ!” और उन्होंने अपनी टांगें और फैला दीं।

मैं उनकी बुर के होंठों को जीभ से तान-तानकर चाटने लगा। कभी उंगली डालता, कभी जीभ। करीब 15 मिनट तक ऐसा करते-करते अम्मी ने अचानक अपनी टांगें मेरे कंधों पर दबाईं और अपनी बुर को मेरे मुँह पर जोर से रगड़ दिया। उनकी बुर से पानी का फव्वारा निकलने लगा। मेरा पूरा मुँह भीग गया। फिर वो ढीली पड़ गईं और हांफने लगीं।

मैंने कहा, “अम्मी, आप तो झड़ गईं। मेरा क्या होगा?” वो बोलीं, “अभी तो खेल शुरू हुआ है, बाबू। असली चुदाई बाकी है। चल, अब मुझे चोद!” मैंने कहा, “लेकिन अम्मी, मेरा अभी खड़ा नहीं हुआ।” वो बोलीं, “तो ला, मैं खड़ा करती हूँ।”

मैंने अपनी पैंट खोली। जैसे ही अम्मी की नजर मेरे लंड पर पड़ी, वो चौंक गईं। बोलीं, “या अल्लाह! ये तो पहले से ही खड़ा है! इतना बड़ा हथियार तेरे पास है और मुझे पता ही नहीं? अगर ये नॉर्मल है तो खड़ा होने पर कितना बड़ा होगा?” मैंने कहा, “खुद खड़ा करके देख लो।” वो बोलीं, “क्या? ये नननु नहीं, बाबू, ये तो लंड है, लंड!”

अम्मी ने मेरा लंड पकड़कर हिलाना शुरू किया। मैंने कहा, “अम्मी, हाथ से हिलाने से क्या होगा? कुछ और करो ना।” वो मेरे लंड को ऊपर-नीचे करके मुठ मारने लगीं। मैंने कहा, “ऐसे नहीं, इसे लार चाहिए।” वो बोलीं, “क्या मतलब?” मैंने कहा, “मतलब इसे मुँह में लो, चूसो इसे।”

अम्मी ने मना किया, “नहीं, मैं इसे मुँह में नहीं लूँगी। ये गंदा है। मैंने तेरे अब्बू का भी कभी नहीं लिया।” मैंने नखरे दिखाए, “ठीक है, फिर चुदाई यहीं खत्म।” और मैं पैंट पहनने लगा। अम्मी ने कहा, “अरे, मेरे बाबू, गुस्सा क्यों करता है?” और उन्होंने मेरी पैंट उतार दी। फिर मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं। पहले तो सिर्फ टोपा चूस रही थीं। मैंने कहा, “मुँह खोलो।” जैसे ही उन्होंने मुँह गोल किया, मैंने धीरे-धीरे अपना लंड उनके मुँह में उतारना शुरू किया।

मैंने कहा, “साँस नाक से लो, मुँह वैसे ही रखो।” मैंने धीरे-धीरे पूरा लंड उनके गले तक उतार दिया और उनका सिर पकड़कर दबाए रखा। उनके गले की गर्मी से मेरा लंड और मोटा हो गया। ऐसा मैंने 9-10 बार किया। जब लंड बाहर निकाला तो अम्मी की आँखों से आंसू निकल रहे थे। वो मेरे लंड को देखकर दंग रह गईं। बोलीं, “बाबू, ये तो कम से कम 10 इंच का होगा?” मैंने कहा, “हाँ, अम्मी, ये 10 इंच का ही है।”

वो बोलीं, “लेकिन इतना बड़ा लंड मैं अपनी बुर में नहीं ले पाऊँगी। तेरे अब्बू का मुश्किल से 5.5 इंच का है, वो भी खड़ा होने के बाद।” मैंने कहा, “तो क्या करना है, अम्मी? बुर चुदवानी है या छोड़ दूँ?” वो बोलीं, “नहीं, बाबू। अब जो होगा, देखा जाएगा। चाहे मेरी बुर फट जाए, मैं सह लूँगी। चल, अब डाल!”

मैंने अम्मी को बिस्तर पर लिटाया। उनकी टांगें अपने कंधों पर रखीं और बोला, “अम्मी, लंड को सही जगह पर लगाओ।” अम्मी ने मेरे लंड को पकड़कर अपनी बुर के छेद पर सेट किया और बोलीं, “हो गया, धीरे से अंदर कर।” मैंने हल्का सा धक्का मारा। मेरा लंड का टोपा उनकी बुर में घुस गया। अम्मी चिहुंक उठीं, “इस्स्स… इस्स्स… या अल्लाह, रुक जा, बाबू!”

मैंने कहा, “क्या हुआ, अम्मी? निकाल लूँ?” वो बोलीं, “नहीं, थोड़ा रुक। दर्द हो रहा है।”

मैंने सोचा, मौका अच्छा है। मैंने उनकी गर्दन दोनों हाथों से पकड़ी और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उनकी बुर को चीरता हुआ उनकी बच्चेदानी से जा टकराया। मुझे भी झटका लगा। अम्मी इतनी जोर से चीखीं कि मैं डर गया। मैंने फट से उनका मुँह अपने हाथों से बंद कर दिया। वो छटपटाने लगीं। फिर मैंने उनका मुँह छोड़कर उनके होंठ अपने होंठों से दबा लिए और उनकी चूचियों को मसलने लगा। उनकी चीख मेरे मुँह में दब गई।

मैंने जोर-जोर से धक्के मारना शुरू कर दिया। अम्मी की आँखों से आंसुओं की धार बहने लगी। थोड़ी देर बाद उनका दर्द कम हुआ, तो वो शांत हुईं। मैंने उनके होंठ छोड़े और उनके आंसुओं को चाट लिया। फिर उनकी चूचियों को पकड़कर उन्हें चोदने लगा। अब उन्हें भी मजा आने लगा था। मेरा हर धक्का उनकी बच्चेदानी से टकराता, और वो सिसक उठतीं, “आह… इस्स्स… बाबू, आज पहली बार मेरा बच्चेदानी तक लंड गया है। दर्द तो होता है, लेकिन मजा भी आ रहा है। अब तू मेरे दर्द की फिकर मत कर। जैसे मेरी बुर फाड़ी, वैसे ही मेरी बच्चेदानी भी फाड़ दे। जमकर चोद!”

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मैंने कहा, “अम्मी, अगर मैं आपकी बच्चेदानी फाड़ दूँ, तो आप बच्चा कैसे पैदा करोगी?” वो बोलीं, “अब बच्चे क्या पैदा करूँगी? 4 बच्चे तो हो ही गए हैं।” मैंने कहा, “क्या मैं कुछ बोलूँ?” वो बोलीं, “हाँ, बोल ना।” मैंने कहा, “क्या आप मेरा एक बच्चा पैदा करोगी?” अम्मी हँस पड़ीं, “पागल हो गया है क्या? मैं 45 साल की हूँ। इस उम्र में बच्चा? वैसे भी, मेरा मासिक रुक चुका है। बच्चे का कोई चांस नहीं।”

मैंने कुछ नहीं कहा और उन्हें चोदता रहा। थोड़ी देर बाद मैंने उनकी एक टांग उलटी, तो वो समझ गईं कि मैं क्या चाहता हूँ। वो घोड़ी बन गईं। जैसे ही वो उलटीं, मेरे लंड से ‘फट’ की आवाज के साथ बुर से बाहर निकल गया। मैंने पीछे से उनकी गाँड पकड़ी, लंड उनकी बुर पर सेट किया और एक ही झटके में पूरा डाल दिया। मेरा लंड फिर से उनकी बच्चेदानी से जा टकराया। अम्मी आगे को झुक गईं।

मैंने उनकी चूचियों को पकड़कर धक्के पर धक्के मारना शुरू किया। करीब 30 मिनट बाद अम्मी की बुर से फिर से फव्वारा निकलने लगा। वो झड़ गईं। उनकी बुर की गर्मी से मेरा लंड भी जवाब देने लगा। मैंने उन्हें सीधा किया और लंड उनकी बुर में डालकर चोदने लगा। वो समझ गईं कि मैं भी झड़ने वाला हूँ। बोलीं, “बाबू, लंड बाहर निकाल ले। अंदर मत झड़ना। माल मेरे पेट पर निकाल।”

मैंने कहा, “नहीं, अम्मी। एक शर्त पर लंड बाहर निकालूँगा। मैं अपना माल बर्बाद नहीं करना चाहता। या तो बुर से पियो या मुँह से। जल्दी बोलो, क्या करोगी?” मैं धक्के मारता रहा। अम्मी सोच में पड़ गईं। तभी मैंने 3-4 धक्के और मारे और पूरा लंड उनकी बुर में उतारकर झड़ने लगा। मैं इतना झड़ा कि अम्मी का पेट फूलने लगा। वो बोलीं, “या अल्लाह! तूने मेरी बुर में ही झड़ दिया!” मैंने कहा, “मैंने आपको ऑप्शन दिया था, लेकिन आपने देर कर दी।”

अम्मी ने कहा, “अगर मेरे पेट में बच्चा रह गया तो?” मैंने कहा, “तो क्या हुआ? बच्चे को जन्म नहीं दोगी?” वो सोचने लगीं, फिर प्यार से मुझे चूमते हुए बोलीं, “जरूर देती, लेकिन अब मेरा बच्चा नहीं रुकेगा।” हम दोनों हँसने लगे।

घड़ी देखी तो 2 बज रहे थे। यानी पिछले 4 घंटे से हम चुदाई में लगे थे। मैंने कहा, “अम्मी, रात को आप अब्बू के साथ सोती हो। अगर मेरा मन चुदाई का हुआ तो?” वो बोलीं, “नहीं, बाबू। ये गलती नहीं कर सकते। अगर तेरे अब्बू को जरा भी भनक लग गई तो हम दोनों की खैर नहीं। जब तेरे अब्बू होंगे, तब नहीं। वैसे भी, अब मैं पूरी की पूरी तेरी हूँ। बस नाम के लिए तेरे अब्बू के पास रहूँगी।”

वो उठने लगीं, लेकिन मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने कहा, “अम्मी, इसे देखो। इसे और चाहिए।” वो बोलीं, “तो रोका किसने है?” मैंने कहा, “तो हो जाए?”

मैंने अम्मी को बिस्तर पर पटका और उनके ऊपर चढ़ गया। फिर से धक्के पर धक्के मारने लगा। कमरा फिर से ‘फच-फच-फच’ की आवाज से गूंज उठा। इस बार अम्मी जोश में थीं। वो बोलीं, “शाबाश, बाबू! बहुत बढ़िया! आज मेरी बुर की प्यास बुझी है। जोर-जोर से चोद! फाड़ तो दिया मेरी बुर को, अब और फैलाओ इसे! चोद… आह… आह… इस्स्स… क्या दम है रे तेरे लंड में! तेरा लंड वहाँ तक जा रहा है, जहाँ तेरा बाप सोच भी नहीं सकता। मेरा नाभि फट जाएगा, चोद… और चोद!” और उन्होंने अपनी टांगें और फैला दीं।

मैंने कहा, “अम्मी, लो मेरा लंड अपनी इस पानी वाली बुर में। संभालो मेरे धक्के!” और ‘गुच-गुच-गुच’ की आवाज के साथ चोदने लगा। मेरे टट्टे उनकी बुर से टकराते, तो ‘फच-फच’ की आवाज गूंजती। दोपहर का वक्त था, पड़ोस के लोग सो रहे थे, इसलिए अम्मी पूरे जोश में चुद रही थीं। मैं उनकी चूचियों पर थप्पड़ मार-मारकर चोदने लगा। अम्मी नीचे से अपनी गाँड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थीं। वो बोलीं, “हाँ, बाबू, चोद अपनी अम्मी को!”

वो जितना बोलतीं, मैं उतने ही जोर से धक्के मारता। उनका पूरा बदन थरथराने लगा। करीब 40 मिनट बाद मैं झड़ने वाला था। अम्मी इस बीच दो बार झड़ चुकी थीं। मैंने कहा, “अम्मी, मेरी तरफ देखो।” उनकी आँखों में देखते हुए मैं उनकी बुर में झड़ने लगा। वो बोलीं, “तू बहुत बदमाश है। मेरा ध्यान अपनी तरफ खींचकर मेरी कोख फिर से भर दी। कोई बात नहीं, वैसे भी मेरा मासिक रुक गया है। मैं प्रेग्नेंट नहीं होऊँगी।”

हम दोनों हँसने लगे। इसके बाद मैंने अम्मी को दो बार और चोदा। दोनों बार माल उनकी बुर में ही डाला। उनकी बुर दबल तोरी की तरह फूलकर लाल हो गई थी। फिर हमने एक साथ नहाया, खाना खाया। तब तक अब्बू के आने का वक्त हो गया था। अब्बू आए, सब नॉर्मल हो गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

लेकिन अम्मी की चाल बदल गई थी। अब्बू ने पूछा, “क्या हुआ?” तो अम्मी बोलीं, “पैर फिसल गया था, थोड़ी मोच आ गई है।” अब्बू को क्या पता कि उनकी बीवी का पैर अपने बेटे के लंड पर फिसला था, जिसकी वजह से उनकी चाल थोड़ी टेढ़ी हो गई थी।

तो दोस्तों, कैसी लगी मेरी असली कहानी का पहला भाग? कमेंट में जरूर बताइए। दूसरा भाग जल्द ही आएगा।

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