Papa ne Birthday par Beti ki seal todi sex story: मेरा जन्मदिन था, और मैं, क्रांति, 19 साल की हो चुकी थी। मेरे लंबे, घने बाल और भूरी आँखें मुझे हमेशा से खास बनाती थीं, और मेरा फिगर 34-28-36 तो जैसे मेरी जवानी की निशानी था। सुबह-सुबह मेरा दिल उत्साह से भरा था। मुझे पता था कि पापा ने मेरे जन्मदिन के लिए शाम को एक शानदार पार्टी रखी है। मैं जल्दी से बिस्तर से उठी, नहाई, और एक हल्की गुलाबी नाइटी पहनकर हॉल में चली गई। नाइटी इतनी पतली थी कि मेरे सख्त, गोल स्तन और निप्पल हल्के-हल्के नजर आ रहे थे। मैंने अपने बाल खुले छोड़े थे, जो मेरी कमर तक लहरा रहे थे।
हॉल में सिर्फ पापा, राजेश, बैठे थे। पापा 45 साल के थे, लेकिन उनकी फिट बॉडी, चौड़ा सीना, और खुरदरी दाढ़ी उन्हें किसी जवान मर्द की तरह दिखाती थी। वो सोफे पर अखबार पढ़ रहे थे, लेकिन जैसे ही मैं हॉल में आई, उनकी नजरें मुझ पर टिक गईं। मैंने देखा कि वो मेरी नाइटी के ऊपर से मेरे स्तनों को घूर रहे थे। मुझे थोड़ा अजीब लगा, लेकिन मैंने कुछ कहा नहीं। मैंने अपनी मासूम आवाज में पूछा, “पापा, मम्मी कहाँ गईं?”
पापा ने अखबार नीचे रखा और बोले, “तेरी मम्मी बाजार गई हैं, तेरा जन्मदिन का तोहफा लेने।” उनकी आवाज में कुछ अलग सा था, जैसे कोई गहरी चाहत। मैंने मुस्कुराते हुए पूछा, “और पापा, आपने मेरे लिए क्या तोहफा लिया है?” मैं सोफे के पास खड़ी थी, और मेरी नाइटी हल्की सी ऊपर खिसक गई थी, जिससे मेरी गोरी जांघें थोड़ी दिखने लगी थीं।
पापा ने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा, उनकी आँखें मेरी कमर और कूल्हों पर रुक गईं। “बेटी, मेरा तोहफा तो तुझे मम्मी के ना होने पर ही खोलना होगा,” उन्होंने धीमी, गहरी आवाज में कहा। उनकी बात में कुछ शरारत थी, जो मुझे थोड़ा अटपटा लगा, लेकिन मैंने हँसते हुए कहा, “ठीक है, पापा! दिखाइए ना, क्या है?” मैंने अपनी नाइटी को थोड़ा नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन वो और टाइट होकर मेरे शरीर से चिपक गई।
“पहले मेरे पास आ, बेटी। यहाँ बैठ,” पापा ने सोफे पर अपनी बगल में जगह दिखाते हुए कहा। मैं भोलेपन से उनके पास जाकर बैठ गई। मेरी नाइटी का गला हल्का सा नीचे सरक गया, और मेरे स्तनों का ऊपरी हिस्सा साफ दिखने लगा। पापा की नजरें वहाँ टिकी थीं। उन्होंने पूछा, “बता, तेरी कमर कितनी है?”
“28 इंच,” मैंने मासूमियत से जवाब दिया, अपने बालों को कंधे के पीछे करते हुए।
“वाह! इतनी टाइट कमर!” पापा ने हँसते हुए कहा। उनकी आवाज में कुछ ऐसा था कि मेरा दिल धक-धक करने लगा। “खड़ी हो जरा, मैं नाप लूँ,” उन्होंने कहा। मुझे थोड़ा अजीब लगा, लेकिन पापा की बात मानना मेरी आदत थी। मैं खड़ी हो गई। मेरी नाइटी मेरे कूल्हों पर चिपक रही थी। पापा ने अपने हाथ मेरी कमर पर रखे, फिर धीरे-धीरे मेरे पेट पर फेरने लगे। उनके हाथ ऊपर बढ़े और मेरे स्तनों को हल्के से छू गए। मेरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई। मुझे अहसास हुआ कि मैंने नाइटी के नीचे ना ब्रा पहनी थी, ना पैंटी। पापा को भी ये बात समझ आ गई थी।
“पेट तो तेरा काफ़ी टाइट है, पर ये चूचियाँ… उफ्फ, बेटी, बड़ी मस्त हैं,” पापा ने बेशर्मी से कहा। मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया। “पापा, ऐसे मत बोलिए ना,” मैंने धीमी आवाज में कहा, लेकिन मेरी साँसें तेज हो रही थीं। “अरे, ठीक है, ठीक है। जरा ठीक से नाप लूँ,” पापा ने हँसते हुए कहा। अचानक उन्होंने मेरी चूचियों को जोर से दबा दिया। “उम्म… पापा!” मेरी सिसकारी निकल गई। मेरे निप्पल नाइटी के ऊपर से सख्त होकर उभर आए। मैंने आँखें बंद कर लीं, मेरा शरीर काँप रहा था। “पापा… ये क्या कर रहे हो?” मैंने काँपती आवाज में पूछा।
“अरे, बेटी, अभी तो बस शुरू हुआ है,” पापा ने हँसते हुए कहा। मैंने आँखें खोलीं और एक कदम पीछे हट गई। “पापा, ये गलत है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में डर के साथ-साथ कुछ और भी था, जैसे कोई उलझन। पापा ने मेरी बात अनसुनी की और बोले, “अच्छा, अब कमर का नाप लूँ।” वो मेरे पीछे आए और अपने हाथ मेरी कमर से नीचे सरकाते हुए मेरी गाँड पर ले गए। उनकी उंगलियाँ मेरी गाँड की दरार पर हल्के से फिर रही थीं। “उम्म… बेटी, तू तो एकदम तैयार माल है,” उन्होंने धीमी आवाज में कहा।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। “पापा, इसका क्या मतलब?” मैंने मासूमियत से पूछा, लेकिन मेरी साँसें भारी हो रही थीं। पापा ने मुस्कुराते हुए कहा, “चल, मेरे कमरे में आ। तेरा तोहफा तुझे वहाँ दूँगा।” मुझे कुछ गलत होने का अहसास हो रहा था, लेकिन पापा के साथ ऐसा कुछ होने की बात मुझे अजीब भी लग रही थी। फिर भी, मैं उनके पीछे उनके बेडरूम में चली गई।
कमरे में पापा ने बिस्तर के पास रखी एक टेबल से एक काला बैग निकाला और मुझे थमाते हुए बोले, “जा, बाथरूम में इसे खोल और जो है, उसे पहनकर आ।” मैंने बैग लिया और हिचकिचाते हुए बाथरूम में चली गई। जब मैंने बैग खोला, तो उसमें एक लाल, नेट वाली ब्रा और एक छोटी सी थॉन्ग पैंटी थी। ब्रा इतनी पारदर्शी थी कि उसमें से सब कुछ साफ दिखता था, और थॉन्ग इतनी छोटी थी कि वो बस नाम की पैंटी थी। मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया। “पापा, ये क्या है?” मैंने बाथरूम से बाहर आवाज लगाई।
“वही जो तूने कभी नहीं पहना, लौंडिया!” पापा ने हँसते हुए जवाब दिया। मैंने थोड़ा हिचकिचाते हुए अपनी नाइटी उतारी और उस लाल ब्रा और थॉन्ग को पहन लिया। जब मैंने खुद को बाथरूम के बड़े आईने में देखा, तो मुझे अपनी जवानी पर गर्व हुआ। मेरी चूचियाँ नेट वाली ब्रा में से साफ दिख रही थीं, मेरे निप्पल सख्त होकर बाहर की तरफ उभरे हुए थे। थॉन्ग मेरी गाँड को और भी उभार रही थी, और मेरी चूत का हल्का सा उभार उसमें साफ नजर आ रहा था। मैं सोच में पड़ गई कि ऐसे पापा के सामने कैसे जाऊँ, लेकिन तभी पापा की आवाज आई, “क्या हुआ, लौंडिया? जल्दी बाहर आ!”
मैं घबराते हुए बाहर आ गई। जैसे ही पापा ने मुझे उस लाल ब्रा और थॉन्ग में देखा, उनकी आँखें चमक उठीं। मेरी चूचियाँ ब्रा में से जैसे दो रसीले आम उभर रही थीं, और मेरी थॉन्ग में मेरी चूत का उभार साफ दिख रहा था। “बेटी, तू तो एकदम आइटम लौंडिया लग रही है,” पापा ने कहा, उनकी आवाज में लालच साफ झलक रहा था।
“पापा, ये आइटम लौंडिया क्या होता है?” मैंने मासूमियत से पूछा, लेकिन मेरी आँखों में अब एक अजीब सी चमक थी। पापा मेरे पास आए और बिना कुछ कहे, मेरी एक चूची को जोर से पकड़ लिया। “उफ्फ… पापा!” मैंने सिसकारी भरी। पापा ने मेरी चूची को जोर से चूँटा, जिससे मेरा निप्पल ब्रा में से और उभर आया। “जिसकी चूचियाँ इतनी भारी और रसीली हों, उसे आइटम कहते हैं,” उन्होंने कहा और मेरी दूसरी चूची को भी जोर से दबाया। “उम्म… आह…” मेरी साँसें तेज हो गई थीं, मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं।
पापा ने मौका देखकर अपना हाथ मेरी थॉन्ग में डाल दिया और मेरी चूत की फाँकों पर उंगलियाँ फिराने लगे। “और जिसकी चूत इतनी टाइट और रसीली हो, उसे लौंडिया कहते हैं,” उन्होंने कहा। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत के दाने पर रगड़ रही थीं, और मेरा बदन काँपने लगा। “पापा… ये… ये गलत है,” मैंने धीमी आवाज में कहा, लेकिन मेरा शरीर अब मेरी बात नहीं मान रहा था। मेरी चूत गीली होने लगी थी, और मेरी जांघों पर हल्का सा रस बहने लगा था।
पापा ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और उसे फेंक दिया। मेरी चूचियाँ अब पूरी तरह नंगी थीं, गोल, सख्त, और रसीली। पापा ने झुककर मेरे एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगे। “उम्म… आह… पापा…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं। उनकी जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो मेरी दूसरी चूची को जोर-जोर से दबा रहे थे। मेरा बदन अब पूरी तरह गर्म हो चुका था। पापा ने मेरी थॉन्ग को भी नीचे खींच दिया, और मेरी चूत पूरी तरह नंगी हो गई। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत के अंदर-बाहर होने लगीं, और मेरी सिसकारियाँ और तेज हो गईं। “पापा… उफ्फ… ये क्या… आह…”
“बेटी, अभी तो तुझे असली मजा मिलेगा,” पापा ने कहा और मुझे बिस्तर पर धकेल दिया। उन्होंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी। उनका मस्कुलर बदन, चौड़ा सीना, और हल्के बालों वाली छाती मुझे और उत्तेजित कर रही थी। पापा ने अपनी चड्डी उतारी, और उनका 8 इंच का मोटा, सख्त लंड बाहर आ गया। मैंने जब उसे देखा, तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। “पापा… ये तो बहुत बड़ा है,” मैंने घबराते हुए कहा, मेरी आवाज में डर और उत्तेजना दोनों थे।
“हाँ, लौंडिया, यही वो लंड है जिसने तुझे बनाया,” पापा ने हँसते हुए कहा। “अब इसे चूस, मेरी रानी।” मुझे समझ नहीं आया कि क्या करूँ। मैंने हिचकिचाते हुए उनके लंड को हाथ में लिया। वो गर्म, सख्त, और भारी था। पापा ने मेरा सिर पकड़ा और लंड को मेरे होंठों पर लगाया। “मुँह खोल, बेटी,” उन्होंने कहा। मैंने धीरे से मुँह खोला, और पापा ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया।
“उम्म… ग्लप… ग्लप…” मैंने उनके लंड को चूसना शुरू किया। मेरा मुँह छोटा था, लेकिन मैं पूरी कोशिश कर रही थी। पापा को मजा आने लगा। “हाँ, लौंडिया, ऐसे ही चूस… उफ्फ, तू तो जन्मजात रंडी है,” उन्होंने कहा। मेरी चूत अब इतनी गीली थी कि मेरी जांघों पर रस की धार बह रही थी। मैं अपने पापा के लंड को चूस रही थी, और मेरा बदन उत्तेजना से काँप रहा था। पापा ने मेरे बाल पकड़े और धीरे-धीरे अपने लंड को मेरे मुँह में अंदर-बाहर करने लगे। “उम्म… बेटी, तेरा मुँह तो तेरी चूत जितना ही टाइट है,” उन्होंने कहा।
कुछ देर बाद पापा ने मुझे बिस्तर पर लिटाया। उन्होंने एक कंडोम निकाला और अपने लंड पर चढ़ाया। “अब तू मेरी रानी बनेगी,” उन्होंने कहा और मेरी टाँगें चौड़ी कर दीं। मेरी चूत गीली और गुलाबी थी, जैसे कोई ताजा फूल। पापा ने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा, जिससे मेरी सिसकारियाँ और तेज हो गईं। “उफ्फ… पापा… आह… ये क्या…” मैं सिसक रही थी।
पापा ने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। “आआह्ह… पापा… दर्द हो रहा है!” मैं चीख पड़ी। मेरी चूत से हल्का सा खून निकला, लेकिन पापा रुके नहीं। “बस, बेटी, अभी मजा आएगा,” उन्होंने कहा और धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। “उम्म… आह… पापा… धीरे…” मेरी सिसकारियाँ अब आहों में बदल रही थीं। मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं।
पापा ने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और गहरे धक्के मारने लगे। “उफ्फ… तेरी चूत तो जन्नत है, लौंडिया,” उन्होंने कहा। मैं अब पूरी तरह मस्त हो चुकी थी। “पापा… आह… और जोर से…” मैंने सिसकारी भरी। पापा ने मेरी कमर पकड़ी और मुझे घोड़ी बना दिया। “अब ले, मेरी रानी,” उन्होंने कहा और पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया। “आआह्ह… उफ्फ… पापा… हाय…” मेरी चीखें और सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
लगभग 25 मिनट तक पापा ने मुझे अलग-अलग पोजीशन में चोदा। कभी मुझे बिस्तर के किनारे लिटाकर, कभी मुझे अपनी गोद में बिठाकर। एक बार उन्होंने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया और मेरी एक टाँग उठाकर मेरी चूत में लंड डाला। “उफ्फ… पापा… तेरी लौंडिया की चूत को और चोदो,” मैं अब खुलकर बोल रही थी। मेरी चूत पूरी तरह खुल चुकी थी, और मैं हर धक्के का मजा ले रही थी।
“बेटी, तू तो मेरी रंडी बन गई,” पापा ने हाँफते हुए कहा। मैंने अपनी चूचियों को खुद दबाते हुए कहा, “पापा, बस चोदते रहो… उफ्फ… आह…” पापा ने चुपके से कंडोम निकाल दिया और एक जोरदार धक्के के साथ मेरी चूत में झड़ गए। “उफ्फ… आह…” मैं भी उसी वक्त झड़ गई। मेरी चूत से पापा का गर्म रस बाहर बह रहा था, और मेरा बदन सुकून से भर गया।
जब मैंने आँखें खोलीं, तो मैंने अपनी चूत को देखा। वो पूरी तरह भोसड़ा बन चुकी थी। “पापा, आपने कंडोम क्यों निकाला?” मैंने नाराजगी से कहा। पापा ने हँसते हुए कहा, “अरे, बेटी, मजा तो बिना कंडोम के ही आता है।” मैं बाथरूम गई, अपनी चूत साफ की, और जब लौटी तो देखा कि पापा फिर से अपना लंड हिला रहे थे।
“पापा, आपने ये ठीक नहीं किया। अगली बार कंडोम के साथ ही चोदना,” मैंने गुस्से में कहा, लेकिन मेरी आँखों में एक शरारत थी। पापा मुस्कुराए। उन्हें समझ आ गया था कि मैं अब उनकी सौतन बन चुकी थी।
अब घर में चुदाई का सिलसिला चल पड़ा था। मेरा और पापा का रिश्ता अब सिर्फ बाप-बेटी का नहीं, बल्कि कुछ और भी था। कई बार मेरा गर्भ भी गिराया गया, लेकिन पापा सुधरने का नाम नहीं ले रहे थे।
आपको मेरी और पापा की ये कहानी कैसी लगी? क्या मुझे ऐसा करना चाहिए था? कमेंट में बताइए!