Student ki virgin gand chudai sex story – मैं नीलम, 18 साल की, अपनी जिंदगी की उस सच्ची घटना को बयान करने जा रही हूँ, जिसने मेरे दिल-दिमाग को पूरी तरह झकझोर दिया। उस वक्त मैं बारहवीं क्लास की तैयारी में थी, ग्यारहवीं अभी-अभी पास की थी। मेरा फिगर ऐसा था कि लोग मुझे देखकर पागल हो जाते थे। मेरे हिप्स 34 इंच के, सीना 30 इंच का, और कमर इतनी पतली कि शायद 26 इंच से भी कम। जब मैं चलती थी, तो मेरे हिप्स का उभार कुछ इस तरह हिलता था कि हर मर्द की नजर बस मेरी गान्ड पर ठहर जाती। लड़के पीछे-पीछे फुसफुसाते, “नीलम, तेरी गान्ड तो कयामत है! ऐसी मस्त गान्ड तो सपने में भी नहीं देखी!” कुछ तो कहते, “यार, इसकी चाल देख, लंड अपने आप खड़ा हो जाता है।”
मेरी चाल में एक अनोखा रिदम था, जैसे मेरे हिप्स अपने आप नाचते थे। मेरी सहेलियाँ मुझे टोकतीं, “नीलम, कभी अकेले बाहर मत निकलना। तेरे हिप्स को देखकर कोई मर्द कंट्रोल नहीं कर पाएगा। तेरा बलात्कार तक हो सकता है!” मैं उनकी बातों को हँसी में उड़ा देती, लेकिन कहीं न कहीं ये बातें मेरे दिमाग में घर कर जाती थीं। आज मैं अपनी जिंदगी का वो सच सुनाने जा रही हूँ, जो मेरे लिए एक कभी न भूलने वाला अनुभव बन गया।
पापा और मम्मी ने बारहवीं बोर्ड की तैयारी के लिए मई से ही मेरे लिए ट्यूशन शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने अरविन्द सर को चुना, जो फिजिक्स और केमिस्ट्री पढ़ाते थे। अरविन्द सर, उम्र करीब 35 साल, लंबे-चौड़े, गठीले बदन वाले, चेहरे पर हमेशा एक रहस्यमयी मुस्कान। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे थोड़ा घबराती थी, लेकिन साथ ही एक अनजाना आकर्षण भी पैदा करती थी। उनकी आवाज में एक गहराई थी, जो मेरे कानों में रस घोलती थी। वो घर आने लगे, और ट्यूशन शुरू हो गया। मैं रोज सलवार-कुर्ता पहनकर, दुपट्टा संभालकर उनके सामने बैठती। सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी दुनिया बदल गई।
एक दोपहर ट्यूशन के दौरान मेरे बैग में अचानक एक कॉकरोच घुस गया। मैं डर के मारे चीख पड़ी और खड़ी हो गई। सर ने बैग को उलट-पुलट किया, लेकिन वो कॉकरोच मेरी सलवार के अंदर चला गया। मैं इतना घबरा गई कि बिना सोचे सलवार का नाड़ा खोलकर उसे उतार फेंका। कॉकरोच बाहर निकला और भाग गया, लेकिन तभी मुझे एहसास हुआ कि मैं सर के सामने सिर्फ गुलाबी पैंटी में खड़ी हूँ। मेरी पैंटी मेरी चूत के उभार को ढक रही थी, जो गीली होने की वजह से और साफ दिख रही थी। सर की नजरें उस पर जमी थीं। उनकी आँखों में एक जंगली भूख थी, जैसे वो मुझे अभी बिस्तर पर पटक देंगे।
मैं शर्म से लाल हो गई। जल्दी से सलवार उठाई, दूसरे कमरे में भागी, और उसे पहनकर वापस आई। मैंने दुपट्टा ठीक किया और चुपचाप पढ़ने बैठ गई। लेकिन सर का ध्यान अब किताबों पर नहीं था। वो बार-बार मेरे सीने को, मेरी कमर को, मेरी जाँघों को घूर रहे थे। उनकी नजरें मेरे कुर्ते के ऊपर से मेरे बूब्स के उभार को चीर रही थीं। मैंने शर्माते हुए पूछा, “सर, कुछ गलत हुआ क्या?”
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सर ने धीरे से, लेकिन एक अजीब सी गर्मी भरी आवाज में कहा, “नीलम, कुछ गलत नहीं होता। जो हुआ, वो बहुत अच्छा हुआ। मैं तुमसे एक पर्सनल बात करना चाहता हूँ। वादा करो, किसी को नहीं बताओगी। मैं तुम्हें कुछ खास पढ़ाई का सामान दूँगा।” मैंने बिना ज्यादा सोचे वादा कर दिया, “सर, मैं किसी को नहीं बताऊँगी। आप जो भी देंगे, मैं पढ़ लूँगी।” सर ने मुस्कुराते हुए थैंक्यू कहा, उनकी आँखों में एक चालाकी सी चमकी, और बोले कि वो कुछ लाने जा रहे हैं।
वो करीब एक घंटे बाद लौटे और मेरे हाथ में 25-30 कम्प्यूटर प्रिंटआउट थमा दिए। बोले, “इन्हें आज रात पढ़ना। ध्यान रखना, कोई और न देखे। इसे संभालकर रखना।” मैंने कागज ले लिए, और सर चले गए। घर पहुँचते ही मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया और उन कागजों को खोला। जैसे ही पढ़ना शुरू किया, मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई। उनमें ट्यूशन टीचर और स्टूडेंट के बीच चुदाई की कहानियाँ थीं। हर कहानी में ट्यूशन के बहाने लड़की और टीचर के बीच गर्मागर्म सेक्स का जिक्र था।
एक कहानी में टीचर लड़की के बूब्स को धीरे-धीरे दबाता था, उसकी चूत को सहलाता था, और वो लड़की गर्म होकर टीचर का लंड मुँह में ले लेती थी। फिर वो पूरी तरह खुल जाती थी, और टीचर उसकी चूत में लंड डालकर उसे चोदता था। इन कहानियों को पढ़ते हुए मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी उठने लगी। मेरी चूत में खुजली सी होने लगी, जैसे कोई आग सुलग रही हो। मैं रातभर वही कहानियाँ पढ़ती रही। मेरे दिमाग में अरविन्द सर और मैं उन कहानियों के किरदार बन गए। मैं खुद को लड़की और सर को टीचर के रूप में देखने लगी। मेरी साँसें तेज हो रही थीं, और मेरी पैंटी गीली होने लगी थी।
रात में जब नींद आई, तो सपने में अरविन्द सर आए। उन्होंने मेरी पैंटी खींचकर उतार दी और अपना मोटा, 7 इंच का लंड मेरे मुँह में डाल दिया। वो मेरी चूत को जीभ से चाटने लगे, जैसे कोई भूखा शेर शिकार को चट कर रहा हो। मेरे हाथ बाँधकर मेरी ब्रा फाड़ दी और मेरे बूब्स को जोर-जोर से दबाने लगे। फिर मेरी गान्ड को चूमा, चाटा और बोले, “नीलम, तेरी गान्ड के लिए मैं पागल हूँ।” सपने में ही उन्होंने मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी चूत को चाट-चाटकर मुझे दीवाना कर दिया। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिसल रही थी, मेरे क्लिट को सहला रही थी। मैं सिसकार रही थी, “आहह… सर… और चाटो…”
फिर सर बोले, “नीलम, मेरा लौड़ा चूस!” मैंने उनका लंड चूसा, जीभ से चाटा, जैसे कोई लॉलीपॉप हो। सर मेरे बाल पकड़कर बोले, “मैं तुझे चोदूँ?” मैंने कहा, “हाँ, सर! अपनी स्टूडेंट को चोदो! इतना चोदो कि मैं जन्नत में पहुँच जाऊँ!” सर बोले, “ठीक है, नीलम। आज मैं तुझे रंडी की तरह चोदूँगा।” उन्होंने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और एक झटके में अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया। मैं दर्द से चीख पड़ी, “आहह… सर, निकालो! बहुत दर्द हो रहा है!” लेकिन सर रुके नहीं। वो मेरी चूत में लंड अंदर-बाहर करते रहे, “फच… फच…” की आवाज गूँज रही थी। धीरे-धीरे दर्द कम हुआ, और मैं उनसे लिपट गई। उनके होंठ चूमने लगी और बोली, “सर, और चोदो! जोर से!” तभी मम्मी कमरे में आईं और चिल्लाईं, “नीलम, सुबह के 10 बज गए! अभी तक सो रही है? उठ!” मेरा सपना टूट गया।
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सुबह उठते ही वो सपना मेरे दिमाग में घूमने लगा। मेरी चूत गीली थी, और मैं बार-बार उसी ख्याल में डूब रही थी। सारा दिन मैं उसी उत्तेजना में खोई रही। मेरी पैंटी बार-बार गीली हो रही थी, और मैं बेचैन थी। शाम को 6:30 बजे सर के आने का वक्त था। मैं सलवार-कुर्ता पहनकर तैयार थी, लेकिन आज सर से आँखें नहीं मिला पा रही थी। शर्मिंदगी थी, पर साथ ही एक जंगली चाहत भी। सर ने आते ही पूछा, “नीलम, वो कहानियाँ पढ़ीं?” मैंने शर्माते हुए कहा, “जी, सर। पढ़ लिया।” उन्होंने पूछा, “कैसी लगीं?” मैंने धीमे से कहा, “अच्छी थीं, सर।”
सर ने मेरे हाथ में और प्रिंटआउट थमाए और पूछा, “घर में डीवीडी प्लेयर है?” मैंने कहा, “हाँ, सर।” वो बोले, “ये कुछ सीडी हैं। इन्हें अकेले में देखना।” फिर पढ़ाई शुरू हुई, लेकिन सर का ध्यान मुझ पर था। वो बार-बार मेरे बूब्स, मेरी कमर, मेरी जाँघों को घूर रहे थे। उनकी नजरें मेरे कुर्ते के ऊपर से मेरे निप्पल्स को ढूंढ रही थीं। जाते वक्त बोले, “नीलम, तुम्हारी हालत ठीक नहीं लग रही। ये सब इसलिए दे रहा हूँ ताकि तुम पढ़ाई के साथ जिंदगी भी एंजॉय करो। आज रात फिल्म देख लेना। अगर पसंद आई, तो कल हम प्रैक्टिकल करेंगे।” मैंने शर्माते हुए कहा, “हाँ, सर।”
सर के जाने के बाद मैंने डीवीडी प्लेयर सेट किया। मम्मी ने पूछा, “नीलम, क्या कर रही है?” मैंने कहा, “मम्मी, कुछ प्रेजेंटेशन की सीडी देखनी है।” मैंने दरवाजा बंद किया और सीडी चला दी। स्क्रीन पर एक लड़की थी, जिसे चार मर्द नंगा करके उसकी चूत और गान्ड चाट रहे थे। वो उनके बड़े-बड़े लंड मुँह में ले रही थी। फिर दो मर्दों ने उसकी चूत और गान्ड में लंड पेल दिया। लड़की चिल्ला रही थी, “आहह… फक मी! हार्ड फक मी!” मेरी हालत खराब हो गई। मेरा हाथ अपने आप पैंटी में चला गया। मैं अपनी चूत सहलाने लगी, “ऊँह… आहह…” मेरे बूब्स दबाने लगी। दो घंटे तक मैं वो फिल्म बार-बार देखती रही। मम्मी के चिल्लाने पर रुकी और सीडी छुपा दी।
रात को खाना खाया, लेकिन मन नहीं लगा। फिर वो प्रिंटआउट पढ़े। उनमें भी ट्यूशन टीचर और स्टूडेंट की चुदाई की कहानियाँ थीं। रात में फिर सपने में अरविन्द सर आए। इस बार उन्होंने मेरे मुँह में अपना रस डाल दिया। मैं सुबह तक उसी उत्तेजना में डूबी रही। दिनभर मैं यही सोचती रही कि सर कब आएँगे और प्रैक्टिकल करेंगे। मेरी चूत बार-बार गीली हो रही थी, और मैं बेचैन थी।
शाम को सर 4 बजे ही आ गए, एक घंटा पहले। संयोग से मम्मी दोपहर को मामा के घर चली गई थीं और बोली थीं कि रात 8 बजे तक लौटेंगी। पापा भी घर पर नहीं थे। सर ने आते ही पूछा, “मम्मी कहाँ हैं?” मैंने कहा, “मम्मी घर पर नहीं हैं।” सर बोले, “पापा?” मैंने कहा, “वो भी नहीं हैं।” सर की आँखों में एक जंगली चमक आ गई। वो बोले, “नीलम, तुम अकेली हो? जाओ, दरवाजा अंदर से बंद कर दो।”
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मैंने दरवाजा बंद किया और पूछा, “सर, आज क्या पढ़ाएँगे?” सर बोले, “पहले ये बताओ, वो फिल्म कैसी लगी?” मैं शर्म से चुप रही। सर ने फिर पूछा, “बताओ, नहीं तो मैं चला जाऊँगा।” मैंने धीमे से कहा, “सर, अच्छी थी।” सर बोले, “डीवीडी प्लेयर कहाँ है? दिखाओ।” मैं उन्हें टीवी वाले कमरे में ले गई। सर ने अपनी जेब से एक और सीडी निकाली और डीवीडी में डाल दी। बोले, “नीलम, मेरे साथ देखोगी?” मैंने शर्माते हुए मना किया। सर बोले, “ठीक है, तुम अकेले देखो। मैं बाहर इंतजार करता हूँ।”
मैंने सीडी चला दी। स्क्रीन पर एक भारतीय लड़की थी, जिसे तीन विदेशी मर्द सलवार-सूट उतारकर उसकी चूत और गान्ड चाट रहे थे। फिर उन्होंने टेबल पर लिटाकर उसकी गान्ड में लंड पेल दिया। मैं इतना उत्तेजित हो गई कि सलवार का नाड़ा खोलकर पैंटी में हाथ डाल लिया। मैं अपनी चूत सहलाने लगी, “ऊँह… आहह…” मेरी उंगलियाँ मेरे क्लिट को रगड़ रही थीं। टीवी पर लड़की चिल्ला रही थी, “आहह… चोदो… जोर से!”
मुझे पता ही नहीं चला कि अरविन्द सर कब अंदर आ गए। अचानक उन्होंने पीछे से मेरी पैंटी में हाथ डाल दिया और मेरी चूत में उंगली डाल दी। मैं चौंककर मुड़ी, लेकिन तभी सर ने मेरे होंठों को अपने होंठों से चूम लिया। उनकी जीभ मेरे होंठों पर फिसलने लगी, मेरे मुँह में घुस गई। मैं सिहर उठी। पहली बार किसी मर्द का स्पर्श मेरे बदन को छू रहा था। उनकी उंगली मेरी चूत में गीली हो रही थी। मैंने काँपते हुए कहा, “सर, ये ठीक नहीं है। प्लीज छोड़ दीजिए। अगर किसी को पता चल गया, तो मैं मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगी।”
सर बोले, “नीलम, मैं तुझसे प्यार करता हूँ। जिस दिन तुझे पैंटी में देखा, तेरी फूली हुई चूत, तेरी पतली कमर, तेरे मस्त बूब्स… मैं पागल हो गया। पाँच दिन से तुझे चोदने के ख्याल में मुठ मार रहा हूँ। तेरी गान्ड इतनी मस्त है कि कोई कंट्रोल नहीं कर सकता। मैं तेरी गान्ड चोदना चाहता हूँ।” उनकी गंदी बातें सुनकर मेरे बदन में आग सी लग गई। सर ने मेरे कुर्ते के ऊपर से मेरे बूब्स दबाने शुरू किए और फिर से मेरे होंठ चूमने लगे। उनकी उंगली मेरी चूत में और गहरी घुस गई, मेरे क्लिट को सहलाने लगी।
मैं कुछ बोल नहीं पाई। सर ने अपना पैंट खोलकर उतार दिया और सिर्फ अंडरवियर में रह गए। उनकी चौड़ी, नंगी छाती मेरे सामने थी। उनका लंड अंडरवियर में तना हुआ साफ दिख रहा था। वो बोले, “नीलम, तू फुल चुदवाने लायक है। टेंशन मत ले। आज मैं तुझे गंदी-गंदी बातें बोलूँगा, तू भी बोल। जितना खुलेगी, उतना मजा आएगा।”
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उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरी सलवार का नाड़ा खींचकर उतार दिया। मेरी सलवार बेड पर दूर फेंक दी। फिर बोले, “नीलम, हाथ ऊपर कर।” मैंने हाथ उठाए, और सर ने धीरे-धीरे मेरा कुर्ता ऊपर किया। जैसे ही मेरी नाभि दिखी, सर ने उसे चूम लिया। उनकी जीभ मेरी नाभि में घुसी, और मैं सिसकार उठी, “ऊँह… सर… आहह…” मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। सर बोले, “नीलम, तेरी नाभि कयामत है। इतनी सेक्सी लड़की मैंने कभी नहीं देखी।”
वो मेरे कुर्ते को और ऊपर ले गए। मेरी वाइट ब्रा में मेरे बूब्स दिखने लगे। सर बोले, “तेरे दूध कितने मस्त हैं। 32 से कम हैं न?” मैंने शर्माते हुए कहा, “हाँ, सर।” वो बोले, “इस महीने 34 कर दूँगा।” मैं हैरान थी। सर ने मेरा कुर्ता उतार दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। सर सिर्फ अंडरवियर में। उनका लंड अंडरवियर में फनफना रहा था। वो मुझे बाहों में भरकर बोले, “नीलम, तू बला की खूबसूरत है।”
उनका तना हुआ लंड मेरी चूत पर रगड़ रहा था। सर ने मेरा हाथ पकड़कर अपने अंडरवियर में डाला। जैसे ही मैंने उनका 7 इंच का मोटा लंड पकड़ा, मेरे बदन में आग सी लग गई। सर ने अंडरवियर उतार दिया। अब वो पूरी तरह नंगे थे। बोले, “नीलम, जैसे फिल्म में देखा, वैसे कर।” टीवी पर लड़की मर्दों के लंड चूस रही थी। मैं झिझक रही थी, लेकिन अंदर से मन कर रहा था। सर ने मेरे कंधों पर दबाव डाला, और मैं उनके सामने बैठ गई।
उनका लंड मेरे मुँह के सामने था। उसकी गंध ने मेरे होश उड़ा दिए। मैंने उसे पकड़ा और होंठों से छुआ। मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई। मैंने धीरे-धीरे उसे चूसना शुरू किया। मेरी जीभ उसके लंड पर फिसलने लगी। सर काँप उठे और मेरे बाल पकड़कर बोले, “नीलम, तू तो प्रोफेशनल रंडी की तरह लंड चूस रही है। आहह…!” उन्होंने मेरी ब्रा खोल दी। मेरे बूब्स बाहर आ गए। सर बोले, “नीलम, तू गजब की माल है। चल, बेड पर लेट।”
मैं खड़ी हुई। सर ने मेरे बूब्स इतने जोर से दबाए कि मैं दर्द से कराह उठी, “आहह… सर, धीरे!” लेकिन सर रुके नहीं। वो मेरे बूब्स को मुँह में लेकर चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर घूम रही थी। मैं पागल हो रही थी, “ऊँह… सर… आहह…!” मेरे हाथ अपने आप उनके लंड पर चले गए। मैं उसे रगड़ने लगी। सर ने मुझे बाहों में उठाकर बेड पर लिटा दिया। बोले, “नीलम, अब गंदी बातें बोल। जैसे कहानियों में पढ़ा। नहीं बोलेगी, तो मैं चला जाऊँगा।”
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मैंने कहा, “सर, मैं बोलूँगी। हम लड़कियाँ आपस में बहुत गंदी बातें करती हैं। आप बुरा मत मानना।” सर बोले, “इन पलों में जंगली बन जाना चाहिए, नीलम।” मैंने जोश में कहा, “अरविन्द, तू मादरचोद है! मुझे रंडी बना दे!” सर ने मेरी पैंटी खींचकर उतार दी। मेरी गुलाबी चूत उनके सामने थी। वो बोले, “नीलम, क्या मस्त चूत है तेरी! फ्रेश, अनटच!” वो मेरी चूत को चूमने लगे, मेरी जाँघों को सहलाने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत पर फिसली, और मैं सिसकार उठी, “आहह… सर… ऊँह…!”
सर ने मेरे पैरों के अँगूठे से लेकर माथे तक चूमना शुरू किया। मेरी जाँघें, मेरी पीठ, मेरी गान्ड… उनकी जीभ हर जगह घूम रही थी। वो मेरी गान्ड के छेद में उंगली डालकर चाटने लगे। बोले, “नीलम, तेरी गान्ड आज जरूर चोदूँगा।” मैं पागल हो रही थी। सर ने मेरे होंठ चूसे, मेरे बूब्स फिर से दबाए। मैं चिल्ला रही थी, “ऊँह… आहह… सर, और करो!”
तभी सर बोले, “नीलम, अब एक साथ करेंगे। तू मेरा लंड चूस, मैं तेरी चूत चाटूँगा।” वो 69 की पोजीशन में आ गए। उनका लंड मेरे मुँह में था, और उनकी जीभ मेरी चूत में। मैं उनके लंड को चूस रही थी, “ऊँह… आहह…” सर मेरी चूत चाट रहे थे, “नीलम, तेरी चूत का टेस्ट लाजवाब है। आहह…!” मैं उनकी चूत चाटने से पागल हो रही थी। मेरे मुँह में उनका लंड अंदर-बाहर हो रहा था।
करीब 25 मिनट तक हम 69 में डूबे रहे। सर मेरी चूत को चूस रहे थे, जैसे कोई भूखा शेर शिकार पर टूट पड़ा हो। उनकी जीभ मेरी चूत के होंठों को चाट रही थी, मेरे क्लिट को सहला रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “आहह… सर… और चाटो… मेरी चूत खा जाओ!” सर बोले, “नीलम, तेरी चूत की खुशबू मुझे पागल कर रही है!” मैं उनके लंड को और जोर से चूसने लगी, मेरी जीभ उनके लंड के टिप पर घूम रही थी।
फिर सर बोले, “नीलम, अब तेरी गान्ड चोदूँगा। कुतिया बन!” मैंने कहा, “हाँ, अरविन्द! मुझे कुतिया की तरह चोद! मेरी गान्ड फाड़ दे!” मैं कुतिया बन गई। सर ने मेरी गान्ड को चूमा, अपनी जीभ अंदर डाली। मैं सिसकार उठी, “आहह… सर… और करो!” वो बोले, “नीलम, तेरी गान्ड की प्यास आज बुझाऊँगा।”
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उन्होंने मेरी गान्ड पर थूक लगाया और अपना लंड मेरी गान्ड के छेद पर रखा। बोले, “नीलम, अब लंड डालूँ?” मैंने जोश में कहा, “हाँ, सर! पूरा पेल दो! मेरी गान्ड फाड़ दो!” सर ने धीरे-धीरे अपना लंड मेरी गान्ड में डाला। मैं दर्द से चीख पड़ी, “आहह… सर, निकालो! मर गई मैं!” मेरी गान्ड से खून निकलने लगा। मैं रो रही थी, “प्लीज, सर! छोड़ दो! मम्मी… पापा… बचाओ!”
लेकिन सर रुके नहीं। वो मेरी गान्ड में लंड अंदर-बाहर करने लगे। साथ में उनकी दो उंगलियाँ मेरी चूत में थीं, जो मुझे सहला रही थीं। वो बोले, “नीलम, साली रंडी! तेरी गान्ड की सुहागरात है आज!” धीरे-धीरे मेरा दर्द कम हुआ। मैं जोश में आ गई और बोली, “सर, और चोदो! मेरी गान्ड फाड़ दो! आहह…!” सर फुल स्पीड में मेरी गान्ड चोदने लगे। “फच… फच…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “ऊँह… अरविन्द… और जोर से! मेरी गान्ड हमेशा चोदते रहना!”
करीब 50 मिनट तक सर ने मेरी गान्ड चोदी। बीच-बीच में वो मेरे बूब्स दबाते, मेरी चूत में उंगलियाँ डालते। फिर बोले, “नीलम, अब दूसरी पोजीशन ट्राई करते हैं।” उन्होंने मुझे बेड पर सीधा लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। मेरी गान्ड हवा में थी। सर ने फिर से थूक लगाया और अपना लंड मेरी गान्ड में डाला। इस बार दर्द कम था, और मजा ज्यादा। मैं चिल्ला रही थी, “आहह… सर… और गहरे… फाड़ दो मेरी गान्ड!”
सर ने मेरे बूब्स पकड़े और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “फच… फच…” की आवाज के साथ उनका लंड मेरी गान्ड में अंदर-बाहर हो रहा था। मैं सिसकार रही थी, “ऊँह… अरविन्द… तू मेरा राजा है… और चोद!” सर ने मेरी चूत में फिर से उंगलियाँ डालीं और बोले, “नीलम, इमेजिन कर, तेरी चूत में भी लंड है।” मैंने सोचा कि मेरी चूत और गान्ड दोनों में लंड हैं। मेरा जोश हजार गुना बढ़ गया। मैं चिल्लाई, “सर, मेरी चूत भी चोदो! जोर से!”
तभी मेरी चूत से गर्म-गर्म पानी निकलने लगा। मैं झड़ गई। सर बोले, “नीलम, तेरी चूत तो बह रही है!” उन्होंने मेरी गान्ड और ऊपर उठाई और बोले, “अब पूरा लंड तेरी गान्ड की जड़ तक पेलूँगा।” मैंने कहा, “हाँ, सर! फाड़ दो!” सर ने “फचाक” से लंड अंदर पेल दिया। मैं चीख पड़ी, “आहह… मेरे कुत्ते! तूने मुझे जन्नत दिखा दी!”
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तभी सर हाँफने लगे और बोले, “नीलम, मेरा रस तेरी गान्ड में जा रहा है!” उन्होंने मेरे बूब्स जोर से दबाए और पूरा रस मेरी गान्ड में भर दिया। “फच… फच…” की आवाज के साथ उनकी गर्मी मेरे अंदर समा गई। फिर सर ने मुझे सामने लिटाया और मेरी चूत का रस चूसने लगे। मुझे पेशाब लगी। मैंने कहा, “सर, पेशाब आ रही है।” वो बोले, “कर दे, नीलम! मुझे पीना है।” मैंने शर्माते हुए मना किया, लेकिन सर ने मेरी चूत से निकली पेशाब पी ली और चूत को चाटकर साफ कर दिया।
फिर सर ने मेरी गान्ड को रूमाल से साफ किया और बोले, “थोड़ी देर बाद दर्द होगा। ये टैबलेट ले लेना। थोड़ा ब्लड निकला है, लेकिन चिंता मत कर। दो-तीन दिन में सब ठीक हो जाएगा।” सर ने कपड़े पहने, मैंने भी अपने कपड़े पहने। सर ने मेरे होंठ चूसे और बोले, “नीलम, तेरी चूत अभी वर्जिन है। मैं चार-पाँच दिन बाद आऊँगा।” अगले कुछ दिन मुझे गान्ड में दर्द रहा, लेकिन फिर सब ठीक हो गया। ये मेरी जिंदगी का पहला सेक्स था, वो भी गान्ड का। हर शब्द सच है।
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कहानी का अगला भाग: सेक्स की कहानियाँ पढ़ा कर टीचर ने चोदा – भाग 2
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