Village outdoor sex – khet mein chudai: मेरे ताया जी अपनी फैमिली के साथ गाँव में रहते हैं। उनका एक बेटा है, जो शादीशुदा है, और उनकी बेटी विदेश में पढ़ाई कर रही है। ताई जी का देहांत पाँच साल पहले हो गया था। उनके बेटे का नाम नीलकमल है, और उसकी शादी को दो साल हो चुके हैं। उसकी बीवी, यानी मेरी भाभी, शिवानी है। शिवानी भाभी को मैंने पहली बार उनकी शादी के दिन दुल्हन के जोड़े में देखा था। उस दिन उनकी खूबसूरती ने मुझे ऐसा भंवर में फँसाया कि मैं उसी पल से उनके दीवाना हो गया। उनकी आँखों में नशीली चमक, होंठों की गुलाबी मुस्कान, और वो भरा हुआ बदन, सब कुछ जैसे मेरे दिल में आग लगा गया।
पिछले साल कॉलेज की छुट्टियों में मैं ताया जी के गाँव गया। हमारे परिवार का भी वहाँ एक घर है, लेकिन पापा की जॉब की वजह से हम शहर में रहते हैं। गाँव में हमारे कई खेत हैं, और ताया जी का घर इन खेतों के बीचोबीच बसा है। जब मैं वहाँ पहुँचा, तो ताया जी ने मुझे गले से लगा लिया। उनकी खुशी देखकर मेरा मन भी हल्का हो गया। लेकिन मेरी नजरें तो बस शिवानी भाभी को ढूँढ रही थीं। एक साल बाद उन्हें देखा, तो वो पहले से भी ज्यादा हसीन लग रही थीं। उनका फिगर, 34-30-36, एकदम कातिलाना था। उनकी टाइट पजामी में उनकी जाँघें ऐसी चमक रही थीं, जैसे चाँदनी रात में कोई नदी बह रही हो। मैं तो बस उन्हें देखता ही रह गया, और मेरा लंड उनकी एक झलक में ही खड़ा हो गया।
भाभी ने उस दिन नीले रंग का पजामी-सूट पहना था, जो उनके जिस्म से चिपक कर उनकी हर वक्र को उभार रहा था। उनकी कमर पतली, और गोल-मटोल गांड इतनी सेक्सी थी कि मेरी नजरें बार-बार वहाँ चली जाती थीं। नीलकमल भैया शहर गए थे और कुछ दिन वहीं रुकने वाले थे। ताया जी भी अगले दिन सुबह-सुबह किसी काम से बाहर चले गए। घर में अब सिर्फ मैं और भाभी रह गए थे। सुबह नाश्ते के बाद मैं और भाभी खूब हँसी-मजाक करने लगे। भाभी की हँसी इतनी प्यारी थी कि मैं बस उन्हें देखता रहा। वो मेरे साथ बिल्कुल खुलकर बात कर रही थीं, और उनकी हर अदा मुझे और ज्यादा बेकरार कर रही थी।
फिर मैं अपने कमरे में कपड़े बदलने चला गया। कमरे की खिड़की से बाहर देखते हुए मेरी नजर भाभी पर पड़ी। वो घर के बाहर जा रही थीं, और बार-बार इधर-उधर देख रही थीं, जैसे कोई चोर की तरह चेक कर रही हों कि कोई उन्हें देख तो नहीं रहा। मेरे मन में शरारत जागी। मैंने जल्दी से कपड़े बदले और उनके पीछे चल पड़ा। खेतों के बीच का रास्ता था, और भाभी तेजी से खेतों की ओर बढ़ रही थीं। मैंने सोचा शायद वो सब्जी या कुछ और लेने जा रही होंगी। मैं थोड़ी दूर से उनका पीछा करता रहा।
करीब दस मिनट बाद भी भाभी वापस नहीं लौटीं। मेरे मन में बेचैनी बढ़ने लगी। मैंने धीरे-धीरे उनके करीब जाना शुरू किया। तभी मुझे कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। वो आवाजें थीं भाभी की आहें। “आह्ह… उह्ह…” उनकी सिसकारियाँ सुनकर मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। क्या भाभी अकेले में खुद को छू रही थीं? मेरे दिमाग में उलझन बढ़ गई। मैं और करीब गया, और जो मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए।
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खेत के एक कोने में, एक पेड़ के नीचे, भाभी एक काले-कलूटे मर्द के साथ थीं। वो मर्द, जो शायद कोई मजदूर था, भाभी को बाहों में भरकर उनके होंठ चूम रहा था। भाभी भी उसका पूरा साथ दे रही थीं। उनकी पजामी नीचे खिसक चुकी थी, और वो मर्द अपनी हथेलियों से भाभी की गोल-मटोल गांड को जोर-जोर से दबा रहा था। मैं स्तब्ध रह गया। मेरी भाभी, जो इतनी खूबसूरत थीं, इस मजदूर के साथ? मेरा गुस्सा और जलन एक साथ भड़क उठा। मैंने आगे बढ़कर जोर से कहा, “भाभी, ये क्या कर रही हो आप?”
मेरी आवाज सुनते ही दोनों चौंक गए। वो मर्द तुरंत भाग खड़ा हुआ, और भाभी घबराई हुई नजरों से मेरी ओर देखने लगीं। उनकी साँसें तेज थीं, और उनके चेहरे पर पसीना चमक रहा था। मैंने फिर सवाल किया, “ये क्या था, भाभी? वो कौन था?”
भाभी ने घबराते हुए कहा, “वो… वो बस एक मजदूर था। पास वाले खेत में काम करता है।”
“और आप उसके साथ ऐसा क्यों कर रही थीं? क्या वो आपका बॉयफ्रेंड है?” मैंने गुस्से में पूछा।
भाभी ने हँसते हुए कहा, “अरे, उसकी औकात कहाँ मेरे बॉयफ्रेंड बनने की।”
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“तो फिर आप उसके साथ ऐसा क्यों?” मैंने हैरानी से पूछा।
भाभी ने एक गहरी साँस ली और बोलीं, “क्या करूँ, कौशल। तुम्हारे भैया को मेरे लिए वक्त ही नहीं मिलता। और जब मिलता भी है, तो दो मिनट में सब खत्म। मैं तो बस… थोड़ा टाइमपास कर रही थी।”
मैंने कहा, “लेकिन भाभी, ऐसे किसी के साथ? वो तो कोई मजदूर था। आप इतनी खूबसूरत हो, आपको तो कोई भी मिल सकता है।”
भाभी ने मेरी बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, तो फिर तू ही बन जा मेरा बॉयफ्रेंड।”
मैं चौंक गया। “मैं?” मैंने हकलाते हुए पूछा।
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“हाँ, तू। क्यों, मैं तुझे अच्छी नहीं लगती?” भाभी ने शरारती अंदाज में कहा और मेरे करीब आ गईं। उनकी आँखों में एक चमक थी, जो मेरे दिल को और तेज धड़का रही थी।
“नहीं, भाभी, ऐसी बात नहीं है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी आवाज में हल्की सी काँप थी।
“तो फिर क्या बात है?” कहते हुए भाभी ने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं। उनका गर्म जिस्म मेरे बदन से टकराया, और मेरे पूरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई। “डर मत, कौशल। ये बात हमारे बीच ही रहेगी,” भाभी ने फुसफुसाते हुए कहा।
उनके ये शब्द मेरे लिए जैसे हरी झंडी थे। मैंने उन्हें अपनी बाहों में कस लिया और उनके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनके होंठों का स्वाद ऐसा था, जैसे मैंने कोई मिठास भरी शराब पी ली हो। भाभी ने भी मेरे सिर को सहलाते हुए मेरा पूरा साथ दिया। उनकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी, और हम दोनों एक-दूसरे के मुँह में खो गए। “उम्म… आह्ह…” भाभी की हल्की सिसकारी मेरे कानों में पड़ रही थी।
मैंने अपने हाथ उनकी कमर पर रखे और धीरे-धीरे उनकी गांड की ओर ले गया। उनकी गोल, नरम गांड को छूते ही मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने उनकी गांड को जोर से दबाया, और भाभी ने एक शरारती मुस्कान के साथ कहा, “बड़ा बेकरार है तू, कौशल।” मैंने हँसते हुए कहा, “भाभी, आप जैसी हसीना के सामने कौन बेकरार नहीं होगा?”
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फिर मैंने उनका सूट ऊपर खींचा और उनकी ब्रा के ऊपर से उनके भारी-भरकम चूचों को सहलाने लगा। उनकी ब्रा इतनी टाइट थी कि उनके चूचे बाहर निकलने को बेताब थे। मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला, और उनके गोरे, गोल चूचे मेरे सामने आजाद हो गए। उनके निप्पल गुलाबी और सख्त थे, जैसे कोई छोटी-छोटी मोतियाँ। मैंने झट से एक निप्पल मुँह में लिया और उसे चूसने लगा। “आह्ह… कौशल… ऐसे ही… और जोर से…” भाभी सिसकारियाँ भर रही थीं। मैंने उनके चूचों को बारी-बारी चूसा, दबाया, और उनके निप्पल्स को हल्के से काटा। भाभी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “उह्ह… हाय… तू तो मेरी जान ले लेगा…”
मैंने भाभी को खेत की नरम मिट्टी पर लिटाया और उनकी पजामी नीचे खींच दी। उनकी पैंटी गीली हो चुकी थी। मैंने उनकी जाँघों को सहलाते हुए उनकी पैंटी उतारी। उनकी चूत पूरी तरह गीली थी, और उसकी खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी और उसे चाटना शुरू किया। “आह्ह… हाय… कौशल… ये क्या कर रहा है… उफ्फ…” भाभी की आवाज में मस्ती थी। मैंने उनकी चूत की फाँकों को अपनी जीभ से खोला और अंदर तक चाटने लगा। कभी मैं उनके क्लिट को हल्के से दाँतों से कुरेदता, तो कभी अपनी जीभ को उनकी चूत के अंदर डाल देता। भाभी की जाँघें मेरे सिर को जकड़ रही थीं, और वो बार-बार सिसकार रही थीं, “आह्ह… उह्ह… बस कर… नहीं तो मैं अभी झड़ जाऊँगी…”
दस मिनट तक मैं उनकी चूत चाटता रहा। उनकी चूत से रस टपक रहा था, और मैंने सारा रस पी लिया। फिर भाभी ने मुझे नीचे लिटाया और मेरे ऊपर आ गईं। उन्होंने मेरा लंड पकड़ा और उसे देखकर मुस्कुराईं। “क्या मस्त लंड है तेरा, कौशल। इससे तो मैं रोज चुदवाना चाहूँगी,” उन्होंने शरारती अंदाज में कहा। फिर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगीं। उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और मैं सिसकारियाँ भर रहा था, “आह्ह… भाभी… आप तो कमाल हो… उफ्फ…”
पाँच मिनट तक लंड चूसने के बाद भाभी ने उसे अपनी चूत पर सेट किया और धीरे-धीरे उस पर बैठ गईं। “आह्ह… कितना मोटा है तेरा लंड… उफ्फ…” भाभी की सिसकारी ने माहौल और गर्म कर दिया। वो मेरे लंड पर ऊपर-नीचे होने लगीं, और मैं नीचे से धक्के मारने लगा। उनकी चूत इतनी गर्म और टाइट थी कि मैं जन्नत में पहुँच गया था। उनके चूचे हवा में उछल रहे थे, और मैं उन्हें जोर-जोर से दबा रहा था। “आह्ह… चोद मुझे, कौशल… और जोर से…” भाभी चिल्ला रही थीं।
करीब दस मिनट तक हम उसी पोजीशन में चुदाई करते रहे। फिर मैंने भाभी को नीचे लिटाया और उनकी टाँगें फैलाकर मिशनरी स्टाइल में उनकी चूत में लंड डाला। “पच-पच… फच-फच…” हमारी चुदाई की आवाजें खेत में गूँज रही थीं। भाभी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह्ह… उह्ह… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत…” मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और उनकी चूत को जोर-जोर से चोदने लगा।
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पंद्रह मिनट बाद मेरा निकलने वाला था। मैंने लंड बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन भाभी ने मुझे रोक लिया। “अंदर ही छोड़ दे, कौशल… मुझे तेरा माल चाहिए…” उनकी बात सुनकर मैं और उत्तेजित हो गया। मैंने जोर-जोर से धक्के मारे, और फिर अपनी सारी मलाई उनकी चूत में छोड़ दी। “आह्ह… हाय…” भाभी भी मेरे साथ झड़ गईं।
उसके बाद हम शाम तक खेत में रहे। हमने कई बार चुदाई की। कभी मैंने उन्हें घोड़ी बनाकर चोदा, तो कभी उनकी टाँगें कंधों पर रखकर उनकी चूत को रगड़ा। हर बार भाभी की सिसकारियाँ और उनकी गर्म चूत ने मुझे पागल कर दिया। उस दिन के बाद से जब भी मौका मिलता है, मैं भाभी को चोद लेता हूँ।
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