चाचा की रखैल

Chacha Bhatiji sex – हेलो दोस्तों, मेरा नाम रूबी है और मैं दिल्ली में अपने मम्मी-पापा के साथ रहती हूँ। मैं कॉलेज में पढ़ती हूँ और मेरी उम्र 21 साल है। मेरी खूबसूरती को देखकर हर लड़का मेरे पीछे पागल हो जाता है। और हो भी क्यों न, आखिर मैं हूँ ही इतनी सुंदर। मेरा फिगर 32-28-32 है, जो हर किसी को दीवाना बना देता है। मेरे गोल-गोल चूचे, पतली कमर और भरी हुई गांड को देखकर लड़कों के लंड खड़े हो जाते हैं और वो मेरे बारे में सोचकर ही अपना पानी निकाल लेते हैं।

18 साल की उम्र में ही मैंने अपने पहले बॉयफ्रेंड के लंड का स्वाद चख लिया था। उसने मेरी चूत की गुफा में अपना लंड डालकर मुझे चुदाई का पहला मजा दिया था। उसके बाद तो न जाने कितने बॉयफ्रेंड बने और मैंने कितनों से अपनी चूत मरवाई। हर बार नया लंड लेने का मजा ही अलग है। हर बार चुदाई में एक नया रोमांच, नया जोश और नया स्वाद मिलता है।

मेरे मम्मी-पापा के बारे में बताऊँ तो मेरे पापा बिजनेसमैन हैं। उनकी एक फैक्ट्री है और वो दिनभर अपने काम में व्यस्त रहते हैं। मेरी मम्मी हाउसवाइफ हैं और घर को बखूबी संभालती हैं। मैं घर की इकलौती लड़की हूँ, इसलिए मुझे बहुत लाड़-प्यार मिलता है। जो मन करता है, वही पहनती हूँ, वही करती हूँ। मेरे घरवाले मुझे बहुत चाहते हैं और मेरी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं।

अब चलो, ये सब तो मेरे बारे में हो गया। अब मैं तुम्हें अपनी कहानी पर ले चलती हूँ। एक दिन मैं कॉलेज से घर लौटी और डाइनिंग टेबल पर बैठ गई। वहाँ मुझे एक शादी का कार्ड दिखा। मैंने मम्मी से पूछा, “ये किसकी शादी का कार्ड है?” मम्मी ने बताया कि मेरे चाचा जी की लड़की की शादी है और हम सब कल गाँव जा रहे हैं। ये सुनकर मैं बहुत खुश हो गई। मम्मी पैसे लेकर मार्केट में सामान खरीदने चली गईं।

मैंने सबसे पहले पार्लर जाकर अपनी टांगों और बाहों की वैक्सिंग करवाई, फिर हेयरस्टाइल बनवाया और फेशियल भी करवाया ताकि शादी में मैं सबसे खूबसूरत लगूँ। वहाँ से निकलकर मैंने एक सुंदर सा सूट खरीदा और घर लौटकर मम्मी को दिखाने लगी। तभी शाम को पापा भी आ गए। तब तक मैं और मम्मी ने पैकिंग पूरी कर ली थी। रात का डिनर करके हम सब सो गए, क्योंकि सुबह जल्दी उठकर गाँव के लिए निकलना था। शादी भले ही एक हफ्ते बाद थी, लेकिन हम पहले जा रहे थे ताकि शादी की तैयारियों में मदद कर सकें।

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सुबह मैं 8 बजे तक उठ गई। नहा-धोकर मैंने एक टाइट टॉप और घुटनों से थोड़ी ऊपर वाली स्कर्ट पहनी। लिपस्टिक, आईलाइनर लगाकर और हाई हील बेली पहनकर मैं तैयार हो गई। मेरे बाद मम्मी-पापा भी तैयार हो गए और हम सब सुबह 9 बजे कार में बैठकर गाँव के लिए निकल पड़े। गाँव पहुँचने में 4 घंटे लगने थे। कार में बैठे-बैठे मैं बोर हो रही थी कि तभी मेरी आँख लग गई। जब आँख खुली तो मैंने पापा से पूछा, “हम कहाँ पहुँच गए?” पापा ने कहा, “रूबी, हम गाँव आ गए।”

ये सुनकर मैं बहुत खुश हुई। करीब 10 मिनट बाद हम अपने गाँव वाले घर पर पहुँच गए। वो घर इतना बड़ा था कि हवेली जैसा लग रहा था। वहाँ मेरे चाचा जी, जिनकी उम्र 40 साल थी, और ताई जी, जिनकी उम्र 50 साल थी, रहते थे। हम कार से उतरे और अंदर गए। चाचा जी और ताई जी हमारा स्वागत करने के लिए खड़े थे। पापा पहले उनसे मिले, फिर चाचा जी ने मेरी तरफ देखा। मैंने मुस्कुराते हुए उन्हें नमस्ते किया।

चाचा जी ने कहा, “भाई, रूबी तो काफी बड़ी हो गई है और समझदार भी।”

ये कहकर चाचा जी ने मुझे गले लगा लिया। गले लगते वक्त मेरे चूचे उनकी छाती से दब गए, जिससे मुझे थोड़ा अजीब लगा। लेकिन मैंने उस बात को वहीं खत्म कर दिया। फिर ताई जी से मिली। उन्होंने भी मुझे देखकर कहा, “बड़ी समझदार और सुंदर हो गई है।”

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पापा ने हँसते हुए कहा, “आखिर लड़की किसकी है!”

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पापा की बात सुनकर सब हँसने लगे। फिर हम सब अंदर गए और बाकी रिश्तेदारों से मिले। मस्ती-मजाक में कब रात हो गई, पता ही नहीं चला। हम सब काफी थक गए थे, इसलिए खाना खाकर सो गए। गाँव की ठंडी हवाएँ इतनी सुकून दे रही थीं कि मैं सपनों की दुनिया में खो गई।

सुबह जब उठी तो 9 बज चुके थे। सब शादी के काम में व्यस्त थे। मैं नहाने के लिए बाथरूम गई। कपड़े उतारकर नहाने बैठी। पहले मैंने अपने चूचों पर साबुन लगाया, फिर बाहों और टांगों पर। जैसे ही मेरा हाथ मेरी चूत पर गया, मुझे वो गर्म और गीली महसूस हुई। ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत किसी लंड की भूखी हो। मैंने ऊपर से चूत को रगड़ना शुरू किया। मेरे शरीर में गर्मी बढ़ने लगी। धीरे-धीरे मैंने अपनी एक उंगली चूत में डाल दी और जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगी। मेरी चूत को गर्म लंड चाहिए था, लेकिन अभी के लिए उंगली ही लंड का काम कर रही थी।

मजे में मेरे मुँह से “आआह्ह… ऊऊह्ह…” की आवाजें निकलने लगीं। एक हाथ से मैं चूत को रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से अपने निप्पल को मसल रही थी। करीब 10 मिनट बाद मेरी चूत ने एक जोरदार पिचकारी मारी और सारा पानी बाहर निकाल दिया। मैंने 2 मिनट आराम किया, फिर नहाकर कपड़े पहने और बाहर आ गई।

आज मैंने हरे रंग की स्कर्ट और सफेद टॉप पहना था। बाहर आकर मैं मम्मी के साथ शादी की तैयारियों में मदद करने लगी। 45 मिनट बाद मुझे याद आया कि मेरी गीली पैंटी बाथरूम में ही रह गई थी। मैं वापस बाथरूम गई तो देखा कि मेरी पैंटी गीली पड़ी थी, लेकिन वो पानी से नहीं, किसी के वीर्य से पूरी तरह भीगी हुई थी। मैं हैरान थी कि आखिर कौन है जो मेरी चूत मारना चाहता है। मैं कुछ समझ नहीं पाई, इसलिए पैंटी धोकर बाहर आ गई।

बाहर चाची खड़ी थीं। मैंने उनसे पूछा, “नहाने कौन गया था?” चाची ने कहा, “पता नहीं रूबी, क्या हुआ?”

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मैंने कहा, “कुछ नहीं चाची।”

तभी चाची की लड़की, जिसकी शादी थी, पास आई और बोली, “रूबी, अभी मैं नहाने गई थी और मुझसे पहले पापा गए थे।”

उसकी बात सुनकर मैं समझ गई कि ये काम चाचा जी का है। मैं हैरान थी कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं। फिर मैं मम्मी के पास चली गई और घर के काम में लग गई। इन सब में कब शाम हो गई, पता ही नहीं चला।

उस वक्त गर्मी बहुत थी और मेरे जिस्म में तो वैसे भी आग लगी रहती थी। मैं पसीने से पूरी भीग गई थी। मेरा टॉप मेरे बदन से चिपक गया था और ब्रा साफ दिख रही थी। मम्मी ने मुझे फिर से नहाने भेज दिया। इस बार मैंने नहाने के बाद अपनी ब्रा वहीँ छोड़ दी ताकि पता चल सके कि वो शख्स कौन है।

नहाकर मैं पीछे की सीढ़ियों पर छिप गई। करीब 10 मिनट बाद चाचा जी बाथरूम में गए और 20 मिनट बाद बाहर आए। उनके बाहर आने के बाद मैं अंदर गई तो देखा कि मेरी ब्रा पर उनके लंड का पानी लगा हुआ था। अब मैं पक्का यकीन कर चुकी थी कि चाचा जी मेरी चूत मारना चाहते हैं।

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मैंने ब्रा को हाथ में लिया। उसमें से उनके वीर्य की खुशबू आ रही थी। मैंने उसे सूंघा तो मेरे होश उड़ गए। मेरे ऊपर चुदाई का भूत सवार हो गया। मैंने ब्रा को वैसे ही पहन लिया। जैसे ही मेरे सूखे निप्पल उनके वीर्य से टकराए, वो खड़े हो गए। मेरी चूत में फिर से खुजली शुरू हो गई। मैंने ब्रा उतारी और उस पर लगे वीर्य को अपने चूचों पर मलने लगी। ब्रा पर बचा वीर्य मैंने जीभ से चाट लिया। उसका स्वाद नमकीन और गजब का था। मैंने बिना देर किए अपनी पैंटी उतारी और चूत में तीन उंगलियाँ डाल दीं। 10 मिनट बाद मेरी चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया।

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मैंने अब मन बना लिया कि चाचा जी मुझे चोदना चाहते हैं और उनका पानी इतना मस्त है तो उनका लंड कितना मस्त होगा। ये सोचकर मैंने तय कर लिया कि अब बस मेरी तरफ से इशारा मिलना बाकी है। मैंने ब्रा धोई और हाथ में लेकर बाहर आ गई। बाहर चाचा जी फोन पर किसी से बात कर रहे थे। मैं उन्हें तिरछी नजरों से देखते हुए जा रही थी और वो मुझे देख रहे थे।

मैंने उन्हें देखकर हल्का सा मुस्कुराया। वो भी मुस्कुराने लगे। जब मैं चल रही थी, उनकी नजर मेरी गांड पर थी। मैं समझ गई कि वो मेरी चूत चाहते हैं और मैं उनका लंड लेना चाहती थी। अगले दिन लेडीज संगीत था। सुबह उठकर मैंने नहा-धोकर एक लहंगा-चोली पहनी। चोली मेरे ब्रा तक थी और लहंगा मेरी कमर पर। बाकी का बदन नंगा था। मैंने हल्का मेकअप किया, बाल खुले छोड़े और तैयार हो गई।

मैं हवेली के आँगन में गई, जहाँ सारा प्रोग्राम हो रहा था। वहाँ पहुँचकर मैं सबके साथ डांस करने लगी। मैंने देखा कि चाचा जी मुझे ही घूर रहे थे। मैं अपनी कमर हिलाते हुए डांस कर रही थी। तभी डीजे वाले ने “जलेबी बाई” गाना लगा दिया। मैं मल्लिका शेरावत की तरह नाचने लगी। चाचा जी ने मेरे डांस को देखकर हूटिंग भी की।

मैं ऐसे ही नाच रही थी कि चाचा जी की लड़की, जो मेरे साथ नाच रही थी, ने कहा, “क्या बात, चाचा जी नहीं नाचते क्या?”

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वो बोली, “नाचते हैं, रुक मैं उन्हें ले आती हूँ।”

वो चाचा जी को स्टेज पर ले आई। उनके आने के बाद छोटे-बड़े, बूढ़े सब स्टेज पर नाचने लगे। इसी भीड़ में चाचा जी मेरे करीब आए और मेरे चूतड़ों को हाथ में लेकर दबा दिया। ये सब इतनी तेजी से हुआ कि किसी को कुछ पता नहीं चला। फिर मैं स्टेज से उतर गई और चाचा जी भी मेरे पीछे उतर आए। मेरे पास आकर बोले, “बहुत अच्छा डांस करती हो। किसी से सीखा है या खुद आता है?”

मैंने कहा, “खुद आता है।”

चाचा जी बोले, “अच्छा जी, तो मुझे भी सिखाओ। मैं हवेली के पीछे वाले कमरे में तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ।”

ये कहकर चाचा जी वहाँ से चले गए। मैं भी सबसे नजर बचाकर वहाँ पहुँच गई और सीधा कमरे में चली गई। चाचा जी ने किवाड़ बंद कर लिया और मेरे करीब आते ही मुझे अपनी बाहों में भर लिया।

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मैंने कहा, “चाचा जी, आप क्या चाहते हैं?”

चाचा जी बोले, “तुम तो जैसे कुछ जानती ही नहीं।”

ये कहते ही उन्होंने मेरी चोली के ऊपर से ही मेरे चूचों को हाथों में लेकर दबाना शुरू कर दिया। उधर उन्होंने अपने पजामे का नाड़ा खोल दिया और पजामा नीचे गिर गया। उनका 7 इंच का मोटा लंड मेरे सामने था। मैं तो उस पर टूट पड़ी। मैंने उसे मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। “चप… चप…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। चाचा जी ने मेरी चोली और लहंगा उतार दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। उन्होंने मेरी ब्रा खोल दी और मेरे चूचों को मुँह में भरकर चूसने लगे। “आआह्ह… चाचा जी… ऊऊह्ह…” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।

उनके होंठ मेरे निप्पल पर थे, और वो उन्हें जीभ से चाट रहे थे। मेरे निप्पल कड़क हो गए थे। मैंने उनके लंड को और जोर से चूसा। उनकी साँसें तेज हो रही थीं। “रूबी, तू तो जन्नत की हूर है,” उन्होंने कहा। मैंने हँसते हुए कहा, “चाचा जी, अभी तो बस शुरुआत है।”

फिर चाचा जी ने मुझे 69 की पोजीशन में लिटा दिया। मैं उनके लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी और वो मेरी चूत को चाट रहे थे। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी। “आआह्ह… चाचा जी… और चाटो… ऊऊह्ह…” मैं सिसकार रही थी। उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। करीब 5 मिनट बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैं बिस्तर पर घुटनों के बल झुक गई। मेरी गांड उनकी तरफ थी।

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चाचा जी ने मेरी पैंटी नीचे खींच दी और मेरी चूत पर अपना लंड रखा। “रूबी, तैयार हो?” उन्होंने पूछा। मैंने हल्के से सिर हिलाया। उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा और उनका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया। “आआह्ह्ह… चाचा जी… धीरे…” मैं चीख पड़ी। लेकिन वो रुके नहीं। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “थप… थप… थप…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। मेरी चूत में दर्द और मजा दोनों हो रहे थे। “चाचा जी… आआह्ह… और जोर से…” मैं चिल्लाई।

उन्होंने मेरे चूचों को पीछे से पकड़ लिया और उन्हें मसलते हुए मेरी चूत को चोदने लगे। “रूबी, तेरी चूत तो बहुत टाइट है… आह्ह…” वो बोले। मैंने कहा, “चाचा जी, आपका लंड तो मेरी चूत को फाड़ रहा है… ऊऊह्ह…” करीब 5 मिनट बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं हाँफ रही थी, लेकिन चाचा जी का अभी बाकी था।

उन्होंने मुझे सीधा लिटाया और मेरी टांगें अपने कंधों पर रखीं। फिर से उनका लंड मेरी चूत में घुस गया। “आआह्ह… चाचा जी… और चोदो…” मैं चिल्ला रही थी। वो मेरे चूचों को दबाते हुए धक्के मार रहे थे। “रूबी, तेरी चूत का मजा ही अलग है,” वो बोले। मैंने कहा, “चाचा जी, आपका लंड मेरी चूत को जन्नत दिखा रहा है।”

करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद चाचा जी ने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी गांड पर रख दिया। “रूबी, अब तेरी गांड की बारी है,” उन्होंने कहा। मैं थोड़ा डर गई, लेकिन उत्साह भी था। “चाचा जी, धीरे करना…” मैंने कहा। उन्होंने मेरी गांड पर थोड़ा तेल लगाया और धीरे से अपना लंड अंदर डाला। “आआह्ह्ह… चाचा जी… दर्द हो रहा है…” मैं चीखी। लेकिन वो धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगे। “थप… थप…” की आवाजें गूँज रही थीं।

करीब 5 मिनट बाद मेरी गांड ने उनके लंड को स्वीकार कर लिया। अब दर्द की जगह मजा आने लगा। “चाचा जी… और जोर से… आआह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। उन्होंने मेरी कमर पकड़ी और जोर-जोर से मेरी गांड चोदने लगे। “रूबी, तेरी गांड तो और भी मस्त है,” वो बोले। 10 मिनट बाद उन्होंने अपना सारा पानी मेरी गांड में छोड़ दिया। मैं हाँफ रही थी। मेरा पूरा बदन पसीने से भीग गया था।

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मैंने कहा, “चाचा जी, I love you… मुझे अपनी रखैल बना लो।”

चाचा जी ने हँसते हुए मेरा मुँह पकड़ा और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने उसे फिर से चूसना शुरू किया। “चप… चप…” की आवाजें फिर से गूँजने लगीं। उनका लंड फिर से खड़ा हो गया। “रूबी, तू तो कमाल है,” वो बोले। फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत में फिर से लंड डाल दिया। इस बार वो धीरे-धीरे चोद रहे थे, जैसे हर पल का मजा लेना चाहते हों। “आआह्ह… चाचा जी… और चोदो…” मैं सिसकार रही थी।

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद उन्होंने फिर से मेरी चूत में पानी छोड़ दिया। मैं थककर चूर हो गई थी, लेकिन खुशी से पागल थी। “चाचा जी, आपने तो मुझे जन्नत दिखा दी,” मैंने कहा। वो हँसे और बोले, “रूबी, तू मेरी रखैल बन चुकी है।”

फिर तो जितने दिन मैं वहाँ रही, हर रात चाचा जी के साथ चुदाई का दौर चला। हर बार नया मजा, नया रोमांच। हम दोनों ने खूब मजे किए।

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