पति, पत्नी, सास, ससुर की रासलीला

Gali wali chudai story – Pariwari chudai ki kahani – मेरा नाम पार्थो है और मैं अपने मां-बाप का इकलौता बेटा हूं। मैं 28 साल का हूं। रोजाना सुबह उठते ही मैं एक्सरसाइज करता हूं, फिर नहाने से पहले शावर के नीचे खूब तेल मलता हूं। इसी वजह से मेरी तंदुरुस्ती हमेशा टॉप पर रहती है। मेरा लंड करीब 10 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा है। पहले इसका सुपारा काफी गहरा लाल रंग का था, लेकिन पड़ोस की औरतों के चूत-गांड छोड़-छोड़कर अब ये काला पड़ गया है। अब तक मैंने करीब 10-12 औरतों को छोड़ा चुका हूं। हमारे पड़ोस की औरतें मुझसे कई-कई बार अपनी चूत चुदवा चुकी हैं, और जब मौका मिलता है तो मैं उनकी चूत और गांड में अपना लंड पेलकर उन्हें जमकर चुदाई देता हूं। अब मेरी शादी हो चुकी है, इसलिए पड़ोसियों को चोदने का मौका बहुत कम मिलता है। Saas Bahu Swap

मेरी पत्नी का नाम नुपुर है और वो एक सुंदर, भरे बदन वाली औरत है। मेरी बीवी के चुचे का साइज 36C है और चूतड़ का साइज करीब 40। हमारा परिवार बहुत ही कंजर्वेटिव है, लेकिन शादी के बाद नुपुर को हमारे परिवार का ये कंजर्वेटिव रहन-सहन अच्छा नहीं लगा। उसने हमसे इस बारे में बात की और मैंने उसे बताया कि हां, मैं भी इस तरह के रहन-सहन से परेशान हूं, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता। हां, अगर तुम कुछ कर सकती हो तो तुम्हें हमारी तरफ से खुली छूट। इसके बाद नुपुर चुप हो गई और अपने काम में लग गई।

एक दिन मैं और नुपुर रात को चुदाई कर रहे थे। नुपुर मेरी उत्तेजना के कब्ज से बर्बर रही थी, जैसे ही-ही मेरे राजा छोड़ो मुझे, और जोर से छोड़ो, फाड़ दो आज मेरी चूत को लेकिन अपना लंड संभाल के रखना, अभी तो तुम्हें मेरी गांड भी फाड़नी है। मैं नुपुर की चूत जोर-जोर से चोद रहा था और बर्बरता से कह रहा था, “चुप चिनाल रंडी, पहले अपनी टांगों को और फैला अपनी चूत खोल और मेरा लंड पूरा का पूरा अंदर घुसने दे, साली की चूत में हमेशा ही खुजली रहती है, आज मैं तेरी चूत चोद-चोदकर भोसड़ा बना दूंगा। अरे मेरी चुड़ैल रानी, जरा धीरे-धीरे बोल, जैसे ही तेरी चूत को मेरा लंड दिखता है बस तू बर्बराने लगती है, जितना लंड पसंद करती है उतना ही चिल्लाती है। धीरे-धीरे बोलते तेरे ससुर और सास बगल के कमरे में हैं, वो कैसी कहेंगे।”

नुपुर ने मुझे अपनी बाहों में भरकर अपनी चूतड़ उछालते हुए कहा, “अरे सास और ससुर मेरा चिल्लाना सुन समझेंगे कि उनका लड़का अपनी बीवी की चूत चोद रहा है और इससे वो भी गरम होकर अपनी चुदाई शुरू कर देंगे। अच्छा ही होगा, मेरी सास की चूत चुदेगी, दिन भर बहुत बोलती है, मन करता है कि उनकी चूत में किसी कुत्ते का लंड पिला दूं।” मैं बोला, “चुप हरामजादी, सास-ससुर की चुदाई की बात नहीं करते।” नुपुर तुनककर बोली, “क्यों न बोलूं, क्या तुम्हारे मां-बाप के चूत और लंड नहीं है? क्या उन्होंने चुदाई का मजा नहीं लिया है, अगर ऐसा है तो तुम सास की चूत से कैसे निकले? अरे तुम्हें भी पता है, तेरे मां और बाप रोज दोपहर को खाना खाने के बाद अपने कमरे में जाकर खूब चुदाई करते हैं।”

“तेरे को कैसे मालूम कि मेरा बाप दोपहर को मेरी मां को चोदता है, क्या तूने देखा है क्या?” “अरे देखने की क्या जरूरत है, तुम्हारी मां भी चूत में लंड जाते हुए बहुत बर्बरती करती है और तेरा बाप इतना जोर-जोर से तेरी मां को चोदता है कि पलंग चरमराने लगती है। इन आवाजों को सुन-सुनकर मैं भी अपनी चूत में अपनी उंगली डालकर हिलाती हूं।” “तू बहुत चिनाल औरत है, अपने सास-ससुर की चुदाई का हिसाब रखती है। मुझे लगता है कि तू जरूर से मेरे मां-बाप की चुदाई देख चुकी है,” मैं नुपुर से बोला। नुपुर तब बोली, “हां मैं तेरे मां-बाप की चुदाई रोज देखती हूं।” “कैसे?” “अरे कैसे क्या, जब तेरे मां और बाप दोपहर का खाना खाकर अपने बेडरूम में जाते हैं तो मैं उनके कमरे की खिड़की के पीछे खड़ी हो जाती हूं, जहां से मुझे अंदर कमरे में जो हो रहा है सब साफ-साफ दिखाई देती है।”

“तो क्या तू रोज मेरे मां-बाप की चुदाई देखती रहती है? और क्या, कबसे?” “ये ही करीब दो-तीन महीने से।” “अच्छा अब बोल चिनाल रंडी, जब तेरे सास और ससुर की चुदाई देखती रहती है तो क्या उनको मालूम चलता?” “सास को ये बात मालूम नहीं, लेकिन तेरे बाप को मालूम है कि मैं खिड़की से उनकी चुदाई की सैर देख रही हूं।” “वो कैसे?” “एक दिन मैं रोज की तरह अपने सास-ससुर के बेडरूम की खिड़की के पीछे खड़ी थी और उनकी चुदाई देख रही थी कि एकाएक ससुर जी अपना लंड सास की चूत में पेलते-पेलते अपना मुंह खिड़की की तरफ घुमाया। मेरे पास इतना टाइम नहीं था कि मैं चुपचाप जाऊं और ससुर जी ने मुझे खिड़की के बाहर खड़े देख लिया। मैं भी क्या करती, मैं वही खड़ी रही और उनकी चुदाई का सीन देखती रही। ससुर जी मुझे देखकर सिर्फ मुस्कुरा दिया और सास की टांग हमारी तरफ घुमाकर हमें दिखा-दिखाकर अपना लंड सास की बुर में अंदर-बाहर करने लगे।”

“तू पूरी तरह से रंडी है, अच्छा अब बोल तूने मेरे बाप को मेरी मां को कैसे चोदते हैं।” नुपुर बोली, “एक साफ-साफ बात बता, तेरी मां नंगी होने पर बहुत सेक्सी लगती है और वो बहुत हॉट औरत है।” “कैसे मालूम?” “एक दिन मैं उनकी चुदाई देख रही थी कि देखा बाबूजी ने ससुमा के सारे कपड़े उतार दिए और मां जी बिल्कुल नंगी होकर बाबूजी से लिपट रही थी और उनका लंड अपने हाथ में पकड़कर जोर-जोर से मसल रही थी। बाबूजी एक हाथ से नंगी मां जी की चुची दबा रहे थे और दूसरे हाथ की उंगलियों से मां जी की चूत खोद रहे थे। सास जी जोर-जोर से सिसकारियां भर रही थी और बोल रही थी, ‘हां मेरे राजा, जल्दी करो, मेरी चूत तुम्हारे लंड खाने के लिए बहुत आतुर है। जल्दी से मुझे बिस्तर पर डालकर अपना लंड मेरी गर्म चूत में पेल दो और मुझे चोदो।'”

बाबूजी ने कहा, “अरे रुको, इतनी बेचैनी क्या है, जरा मुझे तुम्हारी चूत को पहले अपनी उंगली से फिर जीभ से चोदने दे, फिर मैं तेरी चूत में अपना लंड डालूंगा। अभी-अभी तो कमरे में आई हो और अभी से चूत चोदने की बात कर रही हो? अभी तो पूरा दोपहर बाकी है, पार्थो तो अभी 4-5 घंटे नहीं आएगा और उसके आने के बाद ही चाय मिलेगी।” मां जी ने ये सब सुनकर बोली, “हां तुम्हें मेरी चूत में उंगली करना है और चाटना है, वो सब बाद में कर लेना, पहले मेरी चूत में अपना लंड पेलो, मैं बहुत चुदासी हूं।” “ऐसी भी क्या बात है और इतनी जल्दी क्यों है,” बाबूजी ने मां जी से बोला। मां जी बोली, “आज सुबह मैं जब सुंदर (हमारे घर का नौकर) को जगाने के लिए गई थी तो उसके कमरे में देखा कि वो अपनी बीवी (सुधा) को पलंग के किनारे उल्टी लेटाकर उसकी चूत में पीछे से अपना लंड डालकर धड़ाधड़ चोद रहा है। सुधा बोल रही थी, ‘जल्दी निकालो नहीं तो मां जी आ जाएंगी और हमें चुदते हुए देखकर क्या कहेंगी।’ सुंदर बोला, ‘अरे चुप कर और मुझे मजे लेने दे, तेरी चूत चोदने दे, अभी हमें बहुत मजा आ रहा है। अगर इस समय मां जी भी आ जाएंगी तो मैं उनके सामने ही तुझे इसी तरफ चोदता रहूंगा।'”

उस समय सुंदर और सुधा दोनों ही पूरी तरह से नंगे थे और बगल में उनका बच्चा लेटा हुआ था। सुंदर अपने दोनों हाथों से सुधा की दोनों चुचियां पकड़कर मसल रहा था और अपनी कमर चला कर सुधा की चूत चोद रहा था। थोड़ी देर के बाद सुधा बोलने लगी, “हां जल्दी से पूरा का पूरा लंड डालकर मुझे चोदो, बहुत मजा आ रहा है। आने दो मां जी को, मैं उनके सामने ही अपनी चूत मरवा लूंगी। क्या होगा, ज्यादा से ज्यादा मां जी गरम होकर बाबूजी से अपनी चूत मरवा लेंगी। बस अब जोर-जोर से मुझे चोदो।” “मैं सुंदर और सुधा की चुदाई देखकर सुबह से ही गरम हो रही हूं और मेरी चूत में बहुत खाज हो रही है। जल्दी से तुम मुझे चोदो, नहीं तो मैं अभी जा कर सुंदर से अपनी चूत मरवा लूंगी।”

इन सब बातों को सुनकर बाबूजी ने कहा, “अरे ये तुमने पहले क्यों नहीं बताया, मैं सुबह ही तेरी चूत को चोदकर तेरी चूत की गर्मी को ठंडा कर देता। चल बिस्तर पर लेटकर अपनी टांगों को फैला और अपनी हाथ से अपनी चूत की पतिशन को खोल, मैं अभी अपना लंड तेरी चूत में डालता हूं।” फिर बाबूजी ने मां जी को पलंग पर धीरे से लिटा दिया और उनके पैर अपने कंधों पर रखकर अपना लंड मां जी की चूत में एक झटके से डाल दिया। मां जी ‘ओह! ओह!’ करने लगी और अपनी कमर उछाल-उछालकर बाबूजी का लंड अपनी चूत में लेने लगी। सास की गर्मी देखकर ससुर जी ने भी जोर-जोर से अपना लंड अंदर-बाहर करने लगे। तब बाबूजी ने कहा, “अरी सुन, जरा मुझे बता कि सुधा नंगी कैसे लगती है?” मां जी ने पूछा, “क्यों, तुम्हें इससे क्या लेना-देना?” बाबूजी बोले, “अरी कुछ नहीं, मुझे सुधा देखने में अच्छी लगती है इसलिए पूछ रहा हूं कि सुधा नंगी कैसे लगती है?” “क्या तुम सुधा को लेना चाहते हो?” मां जी ने बाबूजी से पूछा। “लेना तो चाहता हूं, लेकिन क्या वो देगी?” बाबूजी ने कहा। “तुम बहुत दिलफेंक हो, अच्छा मैं देखती हूं कि क्या कर सकती हूं। लेकिन तुम अभी मुझे जमकर चोदो, मैं चूत की खुजली से मर जा रही हूं,” मां जी ने बाबूजी से कहा।

फिर मैंने नुपुर से पूछा कि ये सब देखने के बाद तूने क्या किया? तो नुपुर ने कहा कि मैं क्या करती, मैंने अपनी उंगली से अपनी चूत की गर्मी निकाल दी। दो दिन बाद जब मैं और नुपुर अपने बिस्तर पर एक-दूसरे को चूम रहे थे तो नुपुर ने कहा, “लगता है बाबूजी हमें बहुत पसंद करते हैं।” “क्या मतलब?” “नहीं कुछ नहीं, बाबूजी हमें आजकल घूर-घूरकर देखा करते हैं और मैं जब नहाकर बाथरूम से निकलती हूं तो वो हमें ऐसे देखते हैं जैसे हमें अभी पकड़कर बिस्तर पर डालकर मेरी चूत की धुनाई कर देंगे,” नुपुर बोली। “तुम क्या बक रही हो। तुम्हारा दिमाग तो ठीक है?” मैंने नुपुर से कहा। नुपुर मुझसे बोली, “मैं बिल्कुल सही कह रही हूं, तेरा बाप मुझे अपने बिस्तर पर लेटाना चाहता है। ठीक है, मैं भी कल से तेरे बाप को पटाना शुरू कर दूंगी, तुम घबराना मत अगर तेरे बाप तेरी बीवी को चोदेगा तो तुम उसकी बीवी को चोद लेना और नहीं तो मेरी मां यानी तेरी सास तो है ही। मैं उनको तेरे से चुदवाने का पता लगाऊंगी और वो अपने दामाद के लंड से अपनी चूत चुदवाने के लिए तड़प उठेंगी।”

मैंने कहा, “ठीक है आज तुम बाबूजी से अपनी चूत की खुजली मिटा लो, मैं दो दिन बाद अपनी मां की चूत की खुजली मिटाऊंगा।” नुपुर ये सुनकर बहुत खुश हो गई और मुझे अपनी बाहों में भरकर खूब चुम्मा दिया और फिर झुककर मेरे लंड को अपनी मुंह में ले लिया। मैं भी गर्म होकर नुपुर के मुंह को चोदने लगा। थोड़ी देर के बाद मैं नुपुर के मुंह के अंदर खलास हो गया तो नुपुर ने सारा का सारा पानी पी गया और फिर हमसे बोली, “हां बहुत मजा आया, अब तुम जल्दी से मेरी चूत और गांड अपने लंड से चोद दो, मैं बहुत गरम हो गई हूं।” मैं बोला, “गरम हो गई हो तो जाकर बाबूजी का लंड अपनी चूत में पिलवा ले, बाबूजी तेरी चूत की सारी मस्ती झाड़ देंगे।” “अरे क्यों जल रहे हो, दो दिन बाद तुम भी अपनी मां या अपनी सास की चूत की मस्ती अपने लंड से निकाल देना, लेकिन फिलहाल तुम मेरी चूत की मस्ती झाड़ दो,” नुपुर ने मुझसे कहा।

नुपुर की ये सब बातें सुन-सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया था इसलिए मैंने नुपुर को (जो कि पहले से ही नंगी थी) बिस्तर पर लिटाकर उसके दोनों पैर अपने कंधों पर रख लिए और अपना लंड का सुपारा उसके चूत के मुंह पर लगा दिया। नुपुर अपने चूत पर लंड का एहसास होते ही अपनी कमर उछालकर गप से मेरा लंड अपनी चूत के अंदर कर लिया और मुझसे बोलने लगी, “क्यों तारपा रहे हो, जल्दी से जोर-जोर से धक्के मारो और मेरी चूत की मस्ती झाड़ दो।” मैं भी नुपुर की दोनों चुचियां पकड़कर नुपुर को जोर-जोर से चोदने लगा। नुपुर भी अपनी कमर उछाल-उछालकर हमारे धक्कों का जवाब दे रही थी और बर्बर रही थी, “हां और तेज, और तेज चोदो मेरे राजा। आज तुम मेरी चूत अपने लंड के धक्कों से फाड़ डालो, कल से तुम्हें फाड़ने के लिए अपनी मां या सास की चूत मिलेगी तब उनको भी चोद-चोदकर फाड़ना। ओह! ओह! बहुत मजा आ रहा है, ही! आज जब तुम मेरी चूत चोद-चोदकर फाड़ डाल रहे हो कल तेरा बाप क्या फाड़ेगा, क्या मैं उनसे अपनी गांड फाड़वाऊंगी?”

हमलोग ऐसे ही एक-दूसरे को गालियां देते हुए अपनी चुदाई पूरी की। अगले दिन मां जी अपने भाई के घर कोई फंक्शन के बहाने से चली गईं। नुपुर नहाने के बाद कोई ब्लाउज या ब्रा नहीं पहनी, सिर्फ पेटीकोट और साड़ी लपेटकर खाना बनाने लगी। खाना बनाते समय नुपुर की चुचियों पर से उसकी पल्लू हटने से उसकी चुचियां साफ-साफ दिख रही थीं और उन चुचियों को बाबूजी बारी-बारी घूर-घूरकर देख रहे थे। नुपुर ने खाना बना कर हमें और बाबूजी को खाना खाने के लिए बुलाया। खाना परोसते समय नुपुर की पल्लू हट जाती थी और उसकी चुचियां बाहर को झांक रही थीं और उसको देख-देखकर मेरा मन खराब हो रहा था और बाबूजी अपने लंड को अपनी धोती के ऊपर से बार-बार सहला रहे थे। मैं ये देखकर नुपुर की तरफ देखा तो वो हंस पड़ी।

खाना खाने के बाद नुपुर ने दूध का गिलास बाबूजी के कमरे में ले गई, उस समय भी नुपुर की चुचियां बाहर को दिख रही थीं। बाबूजी ने कहा, “नुपुर आज मैं ये दूध नहीं पिऊंगा।” “क्यों?” नुपुर ने पूछा। “नहीं मैं आज दूसरा दूध पिऊंगा,” बाबूजी ने कहा। “दूसरा दूध, मतलब?” तब बाबूजी ने कहा, “दूसरा दूध मतलब वो दूध जो मैं आज खाना खाते वक्त देख रहा था,” और ये कहकर बाबूजी ने नुपुर की चुचियों को पकड़ लिया। नुपुर तो यही चाहती थी मगर नखरा दिखाकर उसने बाबूजी से कहा, “ये आप क्या कर रहे हैं? चोरिए, आपका लड़का आ जाएगा।” “अरे आने दो लड़के को, मैं आज उसके सामने ही तुम्हारी चुचियां चूसूंगा और फिर तुझे नंगी करके तेरी चूत में अपना लंड डालकर तेरी चूत चोदूंगा,” बाबूजी ने नुपुर से कहा।

“नहीं बाबूजी चोरिए ना, ये आप क्या कर रहे हैं, मैं आपकी बहू हूं और आप मेरी चुचियां मसल रहे हैं और कह रहे हैं कि आप मुझे नंगी करके मेरी चूत में अपना लंड डालकर मुझे चोदेंगे,” नुपुर ने बाबूजी से कहा। तब बाबूजी ने नुपुर की चुचियां चूसकर उसको अपनी गोद में उठा लिया और उसको बिस्तर पर डाल दिया और एक हाथ से नुपुर की साड़ी उतारने लगे और दूसरे हाथ से उसकी चुचियां दबाने लगे। बाबूजी नुपुर की चुचियां मसलते हुए कभी-कभी उसकी घुंघरू भी मसल रहे थे और बोल रहे थे कि “हां मेरी बहू, मैं कब से तुम्हारी इन मस्त चुचियों को मसलने के लिए तरस रहा था, आज मेरा सपना पूरा हुआ। अब आज मैं तुझे नहीं छोड़ूंगा, चाहे आज कुछ भी हो जाए मैं आज तुझे जरूर चोदूंगा।”

उधर नुपुर अपने ससुर के हाथ अपनी चुचियों पर से हटाने की कोशिश कर रही थी और बाबूजी से कह रही थी, “हां बाबूजी मुझे छोड़ दीजिए, मैं आपकी बहू हूं, मुझे नंगी मत करिए, हमारे बुजुर्ग हैं मुझे मत चोदिए।” बाबूजी ने तब बोला, “हरामजादी, अभी तो तू खाना खाते वक्त मुझे अपनी चुचियां का नजारा दिखा रही थी और अब चूत चुदवाने की बारी आई तो नखरा दिखा रही है, अभी मैं तुझे नंगी करके तेरी चूत में अपना 9 इंच का लंबा लंड पेलूंगा और तुझे खूब जी भरकर चोदूंगा।” नुपुर तब बोली, “अरे बाबूजी, मैं आपकी बहू हूं और आप मेरे ससुर हैं, क्या कोई ससुर अपनी बहू को चोदता है?” “हां ससुर बहू की चूत मारता है, अगर बहू चुदासी हो तो ससुर बहू की चूत और गांड जरूर मारता है,” बाबूजी ने बोला और नुपुर को अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर पटक दिया।

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नुपुर को बिस्तर पर पटककर बाबूजी ने नुपुर की चुचियां अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से दबने लगे और बोल रहे थे, “साली रंडी, आज मैं तेरी चूत की भूख मिटा दूंगा, देखता हूं कि तेरी चूत कितनी चुदाई सह सकती है।” थोड़ी देर के बाद बाबूजी ने नुपुर की एक चुची अपने मुंह में लेकर चूसने लगे। अपनी चुचियां मसली और चूसी जाने से नुपुर भी अब गरम हो गई थी और उसने बाबूजी को अपने सुडौल हाथों से जकड़ लिया और उनके चेहरे को चूमने लगी और बर्बर रही थी, “ओह! बाबूजी, ससुर जी क्यों मुझे तड़पा रहे हो, जो भी करना है जल्दी करो, मैं मर जा रही हूं।” तब बाबूजी ने नुपुर की साड़ी को उसके बदन से खींचकर उसे नंगी कर दिया और उसकी चूत में अपना मुंह लगाकर उसकी चूत चाटने लगे।

तब मैं भी कमरे के अंदर दाखिल हो गया और बाबूजी से पूछा, “बाबूजी ये आप क्या कर रहे हैं, नुपुर आपकी बहू है और आप उसको ही चोदने की तैयारी कर रहे हैं?” बाबूजी बोले, “अरे तेरी बीवी तो पहले से ही अपनी टांगें उठाकर अपनी चूत में मेरा लंड लेना चाहती है, मैं तो बस उसकी ख्वाहिश पूरी कर रहा हूं।” मैं तब बोला, “ठीक है बाबूजी, आप चाहें तो नुपुर को चोद सकते हैं लेकिन आपको चुदाई की फीस देनी पड़ेगी।” “कैसी फीस, क्या नुपुर एक रंडी है? ठीक है बोल कितनी फीस देनी पड़ेगी? जो भी फीस चाहिए बोल दे, आज मैं नुपुर को बिना छोड़े नहीं छोड़ूंगा,” बाबूजी बोले। मैंने बाबूजी से बोला, “मुझे कोई पैसा या रुपया नहीं चाहिए। बस आज आप जिस तरह से मेरी बीवी को चोद रहे हैं, वैसे ही आप अपनी बीवी को मेरे सामने नंगी करके मुझसे चुदवाएं, बस यही है नुपुर की चुदाई की फीस।”

बाबूजी बोले, “ठीक है, मैं जैसे आज तेरी बीवी को चोदने जा रहा हूं, मेरी बीवी आते ही मैं उसे तेरे सामने नंगी करके पेश करूंगा, फिर तू जैसे चाहे मेरी बीवी को चोद सकता है।” इतना सुनते ही मैं नुपुर के पास गया जो कि पलंग पर नंगी चित लेटी थी, उसके पास गया और अपने हाथों से नुपुर की चूत को खोलकर बाबूजी से कहा, “लो बाबूजी मेरी बीवी की चूत तुम्हारे लंड खाने के लिए तैयार है, आओ और इसकी चूत में अपना लंड पेलकर इस रंडी को खूब चोदो। चोद-चोदकर आज इसकी चूत की खुजली मिटा दो, साली की चूत हमेशा लंड खाने के लिए तड़पती रहती है।” इतना सुनते ही बाबूजी ने अपना तनतनाया हुआ लंड नुपुर की चूत के दरवाजे पर रखकर अपने दोनों हाथों से उसकी चुचियां पकड़ ली और एक जोरदार धक्का मारकर अपना 9 इंच का खरा लंड नुपुर की चूत में एक ही बार में डाल दिया।

नुपुर इस जोरदार झटके को सह न पाई और उसकी मुंह से एक चीख निकल गई। तब बाबूजी नुपुर से बोले, “चुप हरामजादी, वैसे तो तेरी चूत हमेशा चुदास से भरी रहती है, और आज जब मैंने अपना लंड तेरी चूत में दिया तो चिल्लाती है।” नुपुर तब मुस्कुराकर बोली, “अरे नहीं मेरे प्यारे चोदू ससुर जी, मैं तो कबसे तुम्हारा गधे जैसा लंड अपनी चूत से खाने के लिए प्यासी थी, लेकिन आज तुमने जब अपना लंड मेरी चूत में एकाएक घुसेड़ दिया तो मेरी चूत कल्लू उठी। अब ठीक है और अब तुम आराम से मुझे जितना चाहो चोदो, मैं मुस्कुरा-मुस्कुराकर अपनी गांड उछाल-उछालकर तुम्हारा लंड अपनी चूत में पिलाऊंगी और तुम्हारे लंड का सारा रस अपनी चूत से पी जाऊंगी।”

बाबूजी इतना सुनते ही नुपुर पर पिल पड़े और उसकी चुचियां मसलते हुए उसकी चूत में कस-कसकर धक्का मारकर चोदना शुरू कर दिया। नुपुर भी अपने वादे के मुताबिक बाबूजी के हर धक्के का जवाब अपनी चूतड़ उछाल-उछालकर दे रही थी। कमरे में सिर्फ फचफच की आवाज सुनाई दे रही थी। इस जबरदस्त चुदाई से नुपुर की चूत से झाग निकलने लगा था, लेकिन बाबूजी और नुपुर इन सब बातों से बेखबर दोनों एक-दूसरे की चूत उर लंड का पानी निकालने में तन्मय थे और एक-दूसरे को ऊपर और नीचे से धक-मारकर चोद रहे थे। नुपुर अपनी चुदाई से पागल होकर बर्बर रही थी, “हां! हां! मेरे चोदू ससुर जी, क्या जोरदार धक्के मार-मारकर आज तुम मुझे चोद रहे हो, क्या तुम ऐसे ही मेरी सासू जी को भी चोदते होगे? तब तो उनकी चूत अब तक फैलकर पूरा का पूरा भोसड़ा बन गया होगा। क्या तुम्हें अब भी सासू जी की ढीली चुचियां मसलने में और उनकी फैली हुई चूत को चोदने में मजा आता है? मारो मारो और जोर से मारो, आज तुम अपना सारा का सारा लंड मेरी चूत में पेल दो और खूब रगड़-रगड़कर चोदो मुझे। हमें बहुत मजा आ रहा है। बस ऐसे ही अपने बेटे के सामने उसकी बीवी की चूत में अपना लंड पेलते रहो। कल तुम्हारे बेटे को अपनी मां को चोदने में भी बहुत मजा आएगा। हां अगर तेरी बीवी अपनी चूत अपनी बेटे से चुदवाने के राजी न हो तो कल मैं मेरी मां को बुला लूंगी और उसको तेरे बेटे के लंड से चुदवाऊंगी। बस अभी तुम अपने बेटे के सामने उसकी बीवी को ऐसे ही चोदते रहो।”

बाबूजी भी नुपुर को जोर-जोर चोद रहे थे और बर्बराते हुए, “हां! मेरी चुदक्कर बहू, तेरी चूत तो पूरी मक्खन जैसी है, तेरी चूत चोदकर मैं आनंद से पागल हो जा रहा हूं। क्या तेरी मां की चूत ऐसे ही चिकनी और चुदास से भरी है? उसको बुला लाना, मां और बेटी दोनों को एकसाथ चोदने में बहुत मजा आएगा। वैसे तेरी मां की गांड बहुत भरी-भरी है, उसकी गांड में लंड पेलने में बहुत सुख मिलेगा। कल तेरा पति तो अपनी मां की चूत में लंड घुसेड़ेगा और मैं तेरी चूत मारूंगा और तेरी मां की गांड में अपना लंड पेलूंगा। हां! हां! तेरी चूत में क्या जादू भरा है, ये तो मेरे लंड का पानी किंचकर निकालना चाहती है। हां मैं अब झड़ने वाला हूं। ले ले मेरी चुदक्कर बहू अपनी चूत से मेरे लंड का रस पी जा, कल ये रस तेरी मां को उसकी गांड से पिलाऊंगा। ले मैं अब झड़ने वाला हूं, अपनी टांगों को और फैला, मैं तेरी चूत में अपना लंड का अमृत डालने वाला हूं।” इतना कहने के बाद बाबूजी का लंड नुपुर की चूत के अंदर उलट दिया, और नुपुर आंखें बंद करके अपनी चूत की झड़ने का आनंद लेती रही।

बाबूजी और नुपुर की जबरदस्त चुदाई देखकर मेरा लंड भी अब तना गया था और थोड़ी देर के बाद मैंने बाबूजी को नुपुर के ऊपर से उठाया और अपना लंड नुपुर की चूत में पेल दिया। नुपुर ने मुझे अपनी हाथों और पैरों से जकड़कर एक जोरदार चुम्मा दिया और मुस्कुराकर बोली, “तेरे बाप से अपनी चूत चुदवा कर बहुत मजा आया, अब कल तेरी बारी है। कल तेरे को अपनी मां और सासू जी को चोदना है। क्या तू दोनों की चूत में अपना लंड डाल पाएगा?” मैंने बोला, “भोसड़ी की चुदासी औरत, मैं अपनी मां और सासू जी की चूत तो क्या तेरे खानदान में जितनी चूतें हैं उन सब को चोद दूंगा, बस उन सब चूतों को मेरे सामने तू पेश करती जा। फिर देख मैं तेरे खानदान की सब चूतों का क्या हाल बनाता हूं।” नुपुर ये सुनकर मुस्कुरा दी और बोली, “वाह मेरे चोदू राजा, कल जब तू अपनी मां की चूत में अपना मुसल जैसा लंड पेलेगा तो तुझे बहुत मजा आएगा। मैं भी तब अपनी चूत में बाबूजी का लंड पिलाऊंगी। कल घर की दोनों चिनाल सास और बहू अपनी-अपनी आदमी बदलकर एक ही बिस्तर पर टांगें उठाकर खूब चुदवाएंगी।”

मैं इन सब बातों को सुनकर और गरम हो गया और नुपुर की चूत में अपना लंड जोर-जोर से पेलने लगा। थोड़ी देर के बाद मुझे लगा कि मेरा पानी लीकने वाला है और मैं नुपुर से बोला, “ले ले रंडी ले अपने चूत में तूने अपने ससुर से चुदवा कर उसका पानी भरा था ले अब मेरा पानी अपनी चूत में भर ले।” नुपुर भी अब झड़ने के करीब थी और उसने अपनी चूतड़ उछालकर बोली, “ला ला मेरे राजा मेरी चूत तू अपने लंड के पानी से भर दे, ये चूत तो अब तुम दोनों बाप-बेटे के लंड के लिए है, तुमलोग जब चाहो इसे अपने पानी से भर सकते हो, मैं हमेशा ये चूत तुम दोनों के लिए खुली रखूंगी।” इतना सुनकर मैं नुपुर की चूत अंदर अपना लंड और ठेलकर दो मिनट के लिए रुका और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर उलट दिया। नुपुर की चूत भी मेरे झड़ने के साथ-साथ अपना पानी छोड़ दिया।

इसके बाद मैं और बाबूजी उसी बिस्तर पर नुपुर को बीच में रखकर उसकी एक-एक चुची अपने-अपने मुंह में भरकर सो गए। सुबह जब आंख खुली तो देखा कि बाबूजी का लंड नुपुर की चूत में फंसा था। इसका मतलब था कि नुपुर ने मेरे सो जाने के बाद बाबूजी से फिर चुदवाई थी। मैं गौर से नुपुर की चूत पर देखा तो पाया कि उसकी चूत से अब तक चुदाई का पानी रिस-रिसकर बाहर आ रहा है और उसकी गांड के नीचे बिस्तर को गीला कर रहा था। मैं नुपुर और बाबूजी को उठाया और बाथरूम में जाकर सुबह का सारा काम खत्म करने के बाद बाहर आया तो पाया कि बाबूजी भी नहा-धोकर चाय पी रहे हैं और अखबार पढ़ रहे हैं। मैं बाबूजी को उनकी कल का वादा याद दिलाया तो वो बोले, “बेटे चिंता मत कर। मैं आज ही जाकर अपनी बीवी को ले आऊंगा और तेरे सामने उसको नंगी करके तुझसे चुदवाऊंगा।”

थोड़ी देर के बाद बाबूजी अपनी मां को लाने और नुपुर अपनी घर अपनी मां को लाने चली गई। मैं भी खाना खाकर अपने ऑफिस के लिए रवाना हो गया। मैं दिन भर ऑफिस में कोई काम नहीं कर सका। हर वक्त मेरे नजर के सामने कल रात का सीन घूम रहा था और मैं ये सोच-सोचकर कि आज मैं अपनी मां और ससुमा को चोदने वाला हूं मेरा लंड खरा हो रहा था। जैसे-तैसे दिन पूरा हुआ और मैं घर चला आया। घर आकर मैंने देखा कि नुपुर अपनी मां को ले आई है। मेरी ससुमा बहुत ही सुंदर और सुंदर बदन वाली औरत है। उनकी टाइट और भरी चुचियां और चलकता हुआ चूतड़ देखकर मेरा मन उन्हें अभी चोदने को हुआ और मैंने नुपुर से ये कहा। लेकिन नुपुर ने कहा, “नहीं अभी कुछ नहीं। जो कुछ होगा सबके सामने होगा और इसके लिए तुम बाबूजी और अपनी मां का इंतजार करो।” मैं चुपचाप अपने खरे लंड लेकर अपने कमरे में चला आया।

थोड़ी देर के बाद बाबूजी और मां आ गए। मां को देखकर मैं समझ गया कि आज मां ने पहले ब्यूटी पार्लर होकर आई हैं। मां आज बहुत सुंदर लग रही थीं। बाबूजी तब नुपुर से बोले, “क्यों बहू सबकुछ तैयार है न?” “हां बाबूजी, जैसा आपने कहा था मैं वैसा ही सबकुछ बंदोबस्त कर रखा है,” नुपुर बोली। मां ने बाबूजी और नुपुर से पूछा, “कैसा बंदोबस्त और क्या होना है?” बाबूजी बोले, “तुम चुपचाप देखती चलो, सब कुछ ठीक हो रहा है, और जो भी हो रहा है वो हमारे परिवार के लिए अच्छा होने वाला है।” मां तब जोर देकर बोली, “अरे क्या होने वाला है, ये तो पता चले।” बाबूजी ने कहा कि “आज मैं और पार्थो दोनों एक-एक नई शादी करेंगे।” “क्या बक रहे हो? तुमको इस समय कौन अपनी लड़की देगा और घर में जब नुपुर मौजूद है तो पार्थो फिर से क्यों एक और शादी करेगा? शादी के लिए लड़की कहां है, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,” मां बाबूजी से बोली।

तब बाबूजी मां से बोले, “तो सुनो मैं आज अपनी बहू यानी नुपुर से शादी करूंगा और पार्थो आज तुमसे शादी करेगा और इन बातों का गवाह हमारी समधिन जी रहेंगी।” “अरे मैं दो दिन घर पर नहीं थी और तुम लोगों ने क्या-क्या खिचड़ी पका रखी है? ये सब क्या बकवास लगा रखा है?” मां बिगड़कर बाबूजी से बोली। बाबूजी ने तब अपना तेवर बदलकर मां से बोले कि, “अरे क्यों खामखा हल्ला मचा रही हो, हम जो भी कर रहे हैं सबकी भलाई के लिए कर रहे हैं। जरा सोचो, जब हम लोग नई शादी करेंगे तो हमें और पार्थो को नई चूत मिलेगी चोदने के लिए और तुमको और नुपुर को नया लंड मिलेगा चुदवाने के लिए। सबसे मजेदार बात तो ये है कि बात घर की घर में रहेगी।” तब नुपुर भी मां से बोली, “सासू जी मान जाइए न, बाबूजी ठीक ही कह रहे हैं।” “चुप हरामजादी, चिनाल कुतिया मुझे मालूम है कि तेरी चूत में हमेशा लंड के लिए खुजली रहती है, लेकिन इसका मतलब तो ये नहीं है कि चुदाई के लिए हमलोग आपस में अपने आदमी बदल लें?” मां नुपुर को बिगड़कर बोली।

तब मेरी ससुमा अपनी समधिन से बोली, “बहन जी अब आप भी मान जाइए, देखिए न इस बात पर घर के सभी लोग राजी हैं, और फिर आजकल की दुनिया में ये सब चलता है। हर घर में ये सब हो रहा है। अब देखिए न हमारे पड़ोस में एक बंगाली फैमिली है जिसमें मां-बाप और उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं। बेटों और बेटियों की शादी हो चुकी है। अब उस फैमिली में फ्री सेक्स चलू है। जब जिसका मन होता है, वो किसी के साथ, कहीं भी और किसी के भी सामने चुदाई शुरू कर देता है। चोदने वाला ये नहीं देखता कि जिसकी चूत में अपना लंड डाल रहा है वो उसकी मां, या बहन, या भाभी या साली या बहू है। बस लंड खरा हुआ नहीं कि जो भी सामने है उसकी साड़ी उठाई और उसकी चूत में अपना लंड पेल देता है। चाहे वो उसका मां, बहन, भाभी, बेटी या बहू क्यों न हो। ये फ्री सेक्स का सिलसिला उस घर के आदमी ने ही शुरू किया था और अब उनके बू के मैके में और बेटी की ससुराल में भी चलू हो गया है। इसलिए बहन जी मैं तो कहती हूं कि आप जो भी हो रहा है होने दे और चुपचाप शामिल हो जाइए।”

इतना सब सुनकर मां ने नुपुर से बोली, “बहू मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा, पता नहीं तुम लोगों को क्या हो गया है। अच्छा ले चल, अपनी मन की मुराद पूरी कर ले। चल आज तू मुझे भी अपनी तरह चिनाल बना दे और मेरी चूत मेरे बेटे के लंड से चुदने दे।” इतना सुनते ही बाबूजी हंस दिए और बोले, “चलो आज से इस घर में भी फ्री सेक्स चलू होने जा रहा है। जय हो चूत महारानी और लंड महाराज की।” फिर वो नुपुर के पास आकर खड़े हो गए। मेरी ससुमा दूसरे कमरे में से माला और सिंदूर दानी उठा लाई। बाबूजी ने एक माला नुपुर को पहनाई और नुपुर ने भी एक माला बाबूजी को पहनाई। फिर बाबूजी ने नुपुर की मांग में सिंदूर भरा। मेरी ससुमा ने नुपुर को आशीर्वाद देते हुए बोली, “अब तक तू मेरी बेटी थी मगर आज से तुम मेरी समधिन बन गई हो। मैं चाहती हूं कि समधी जी तुझे खूब चोदें और साल भर के अंदर तेरी गोद में नन्हा सा bachcha हो।”

फिर बाबूजी ने माला मेरी मां को दी और बोले, “लो ये माला अपने बेटे के गले में डाल दो। आज से तेरा बेटा ही तेरा आदमी होगा और तुझे नंगी कर तेरी चूत में अपना लंड पेलेगा।” मां ये सुनकर बाबूजी से बोली, “अच्छा है, मैं तो तुम्हारे बूढ़े लंड से तंग आ गई थी अब एक जवान लंड मुझे चोदेगा और मेरी चूत की मस्ती झाड़ेगा।” इसके बाद मां ने नुपुर से माला लेकर मेरे गले में पहना दिया और मुस्कुराकर बोली, “अब तक तू मेरा बेटा था लेकिन आज मैं तुझे माला पहनाकर तुझे अपना आदमी मानती हूं और अब चल आदमी बनने का फर्ज पूरा कर।” मैंने भी मां की मांग में सिंदूर डाल दिया और मां से बोला, “अब आज से तुम मेरी मां नहीं मेरी पत्नी हो और चलो मेरे बिस्तर पर और हमलोग अपने पति-पत्नी का धर्म निभाएंगे।” बाबूजी तब बोले, “रुको, रुको अभी नए-नए शादी हुए हैं, तुम लोग अपने बड़ों का पैर छुओ।” ये सुनकर मां और मैंने बाबूजी और नुपुर के पैर छुए और नुपुर ने मां को आशीर्वाद देते हुए बोली, “बहू स्वभाग्यवती भवो और जल्दी से पुत्रवती बनो।”

तब मैंने देखा कि बाबूजी अपने कपड़े खोलने लगे और अपनी धोती उतारकर नुपुर को भी नंगी कर दिया। आज नुपुर ने अपनी जांघें बिल्कुल साफ कर रखी थीं, उसकी चूत से हल्के-हल्के रस निकल रहा था और इसलिए उसकी चूत बहुत चमक रही थी। मैं भी ये देखकर अपने कपड़े उतार दिए और अपनी मां के सामने बिल्कुल नंगा हो गया। मां मेरे खरे 10 इंच के लंड को देखकर बोली, “बेटा पार्थो तेरा तो लंड बहुत जबरदस्त है। ये तो कोई भी चुदासी या उचक्की चूत की मस्त चुदाई करके झाड़ सकता है।” मैं तब अपनी मां के कपड़े उतारने शुरू किया। सबसे पहले मैंने उनकी साड़ी उतार दी, फिर उनकी ब्लाउज के हुक खोलकर ब्लाउज उनके शरीर से अलग किया। अब मेरी मां मेरे सामने सिर्फ पेटीकोट और ब्रा पहने खड़ी थीं। मैं ब्रा के ऊपर से उनकी चुचियां पकड़कर पहले हल्के-हल्के से दबाया। चुचियों पर हाथ पड़ते ही मां बोली, “बेटा मेरी चुचियों को जोर-जोर से दबा, इसकी सारी दूध तो आज पी ले, मेरी चुचियां बहुत दिनों से ठीक से मसली नहीं गई हैं।”

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मैं भी मां की ब्रा खोलकर उनकी एक चुची को जोर-जोर से दबने लगा और दूसरी चुची में मुंह लगाकर उसकी निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। मां अपनी चुचियां दबी और चूसी जाने से गरम हो गईं और अपने हाथों में मेरा लंड पकड़ लिया और उसकी सुपारा खोलने और बंद करने लगी। अब मैंने भी मां की पेटीकोट का नारा खींचकर उसे उनकी टांगों से अलग कर दिया। आज मां पेटीकोट के नीचे पैंटी नहीं पहनी हुई थी और उनकी पेटीकोट खुलते ही वो पूरी तरह से नंगी हो गईं। उनके नंगे होते ही मैं मां को बिस्तर पर चित लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ने लगा। तब तक बाबूजी बोले, “अरे पार्थो रुको, अभी एक काम बाकी है।” “क्या काम,” मैंने बाबूजी से पूछा। “रुको मैं आ रहा हूं,” बाबूजी बोले और चित लेटी नंगी मां के पास आ गए। उन्होंने मां की चूत को अपने दोनों हाथों से खोलकर बोले, “ले बेटा मैं आज नुपुर की चुदाई की फीस पूरा कर रहा हूं, ले तू भी मेरी बीवी की चूत में अपना लंड पेलकर इसको जब चाहे, जैसे चाहे चोद।”

मैं ये सुनकर अपनी नंगी मां पर पेट के बल लेट गया और दोनों हाथों से उनकी चुचियां मसलने लगा और अपनी होंठों से उनकी होंठों को चूसने लगा। अपनी चुचियां मसले और होंठ चूसे जाने से मेरी मां बहुत गरम हो गईं और अपने पैर मेरे दोनों तरफ फैला दिए जिससे कि मेरा लंड अब उनकी चूत के मुहाने पर लग गया। मैं धीरे से अपनी मां से पूछा, “मां मैं तुम्हें चोद सकता हूं?” मां ने मेरे छाती में अपना मुंह छुपाकर बोली, “जाओ मैं नहीं जानती। तुझे जो भी करना है कर, लेकिन जल्दी कर।” मैं ये सुनकर मां से बोला, “अरे चूत चुदवाने की इतनी जल्दी है तो मेरा लंड को अपनी चूत की दरवाजे पर रख और फिर देख मैं कितना जल्दी करता हूं।” मां ने मेरे लंड को अपनी नाजुक उंगलियों से पकड़कर अपनी चूत पर लगा दिया और मुझे अपने हाथ और पैर से बांध लिया।

अब मैं अपनी कमर को उठाकर एक जोरदार धक्का मारकर अपना 10 इंच का लंड मां की चूत के अंदर डाल दिया। मेरे जोरदार धक्के से मां तिलमिला उठीं और जोर से सिसकारी मारकर मुझे और जोर से जकड़ लिया। मैंने मां से पूछा, “मां क्या ज्यादा लग गया है, क्या मैं अपना लंड बाहर निकाल लूं?” “खबरदार, लंड बाहर मत निकालना, बस अब चूत में अपना लंड पेलते रहो और मेरी चूत का पानी निकाल दे।” मैं भी अब कमर उठा-उठाकर अपनी मां की चूत में लंड अंदर-बाहर करता रहा। मेरी मां अपनी चूत की चुदाई इस जोरदार चुदाई से बहुत उत्तेजित हो गईं और बर्बराने लगीं, “हां! हां! देखो देखो सब लोग देखो, कैसे मेरा बेटा मेरी चूत चोद-चोदकर फाड़ रहा है। हां! इसका लंड कितना लंबा और मोटा है और चूत को कैसे सुख दे रहा है। हां! मैं तो अपने बेटे के लंड की दीवानी हो गई हूं। अरे बेटा अब इसके बाद मैं तो घर पर कभी भी कपड़े नहीं पहनूंगी। घर पर हमेशा नंगी ही रहूंगी जिससे कि तू जब चाहे जैसे चाहे मेरी चूत में अपना लंड डाल सकता है। हां हां और जोर से धक्के मार। पूरा का पूरा लंड आने दे मेरी चूत में, डाल डाल और तेजी से डाल। क्या तुझे मेरी चूत में अपना लंड पेलने में मजा आ रहा है?”

मैं तब अपनी मां की चूत में अपना लंड पेलते हुए बोला, “अरे मेरी चुदक्कर मां, तुम्हारी चूत तो पूरी मक्खन की तरह चिकनी है। इसमें लंड पेलने में बहुत मजा आ रहा है। कितने दिनों से मैं ऐसे ही सुंदर चिकनी चूत को चोदने के लिए आतुर था। आज मेरी मन की मुराद पूरी हो रही है। क्यों मां, क्या तुम्हें मेरे लंड से अपनी चूत मरवाने में मजा आ रहा है?” मां भी अपनी चूतड़ उठा-उठाकर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थीं और मुझे चूम रही थीं, फिर मां ने मुझसे पूछा, “क्यों बेटे मेरी चूत चोदने में तुझे मजा आ रहा है न? मेरी चूतड़ पर लेटने से तुझे मजा आ रहा है कि नहीं, तुझे तकलीफ तो नहीं हो रही है?” “अरे नहीं मां, तकलीफ कैसी? मुझे तुम्हारी चूत में लंड डालकर चोदने में बहुत मजा आ रहा है। अब मैं रोज तुम्हारी चूत चोदूंगा, तुम चुदवाओगी न मुझसे?” मां बोली, “अरे बेटा मैं तो तेरे लंड की दीवानी हो गई हूं, अब जब चाहे जैसे चाहे तू मुझको चोदना, रोज चोदना। अच्छा अब बातें बंद कर और मन लगा कर मेरी चूत मार। बहुत मजा आ रहा है।”

उधर बाबूजी ने भी नुपुर को मां के बगल में लिटाकर उसकी चूत में अपना लंड डाल चोद रहे थे। नुपुर मेरे और मां की चुदाई की बातें सुनकर मुस्कुरा रही थी। उसने अपना एक हाथ बारह करके मां की एक चुची अपने हथेली में लेकर उसकी निप्पल को मसल रही थी। नुपुर ने अपनी ससुमा से पूछा, “क्यों ससुमा अपने बेटे के लंड खाकर मस्त हो रही हो? इधर मैं भी अपने ससुर जी का लंड खूब मजा से अपनी चूत को खिला रही हूं। एक साथ एक ही बिस्तर पर बाप-बेटे दोनों अपनी बहू और मां की चूत में अपनी-अपनी लंड डालकर चोद रहे हैं, सही में बहुत मजा आ रहा है। ससुमा आपको मजा आ रहा न। अब आज से इस घर में भी फ्री सेक्स चलू हो गया है। ये एक अच्छी बात है। अब हमें इस फ्री सेक्स में घर के और मेंबर्स को शामिल करना चाहिए। क्यों ससुमा आपका क्या ख्याल है।” मां ने तब अपनी हाथ से नुपुर की चूत पर एक हल्की सी चपत जमाते हुए बोली, “सही मेरी बहू, इस फ्री सेक्स में बहुत मजा है। अब आज से सेक्स के बारे में तू जो भी कहेगी मैं सब बात मानूंगी। अब हम अपनी बेटी और दामादों को भी इस फ्री सेक्स में शामिल कर लेंगे। मुझे तो ये सोच-सोचकर मस्ती छूट रही है कि मैं अब अपने दामादों के लंड अपनी बेटियों के सामने अपनी चूत में पिलाऊंगी।” “हां मैं भी अब अपने भाई को इन बुला लूंगी और उसके लंड भी आपकी चूत को खिलाऊंगी,” नुपुर ने मेरी मां से कहा।

बाबूजी तब मुझसे बोले, “बेटा बात बाद में करना, अभी जो कर रहे हो वो पूरा करो। जल्दी से अपनी मां की चूत की मस्ती झाड़ो। मैं तो अब नुपुर को चोदते-चोदते झड़ने के करीब आ गया हूं, तेरी क्या हाल है।” मैं अपनी मां की बुर में अपना लंड धकियाते हुए बोला, “बाबूजी मेरा भी माल अब गिरने वाला है, क्या मैं मां की चूत के अंदर अपना माल गिरा सकता हूं?” “बेटा वो चूत अब तेरे चोदने के लिए है, तेरी मर्जी तू कहां अपना माल गिराएगा, चूत में, गांड में या उसके मुंह में। मैं तो अपना माल नुपुर की चूत के अंदर ही डालूंगा,” बाबूजी अपनी चुदाई रोककर नुपुर की चुची को चूसते हुए मुझसे बोले। तब मैंने अपनी मां से पूछा, “बोल मेरी चुदती मां बोल, कहां मैं अपना माल गिराऊं? क्या तुम्हारी चूत के अंदर डाल दूं या फिर बाहर निकलकर तेरे पेट के ऊपर चोदूं?” मां अपनी कमर उछालते हुए बोली, “अरे बेटा, बीज चाहे जिसका भी हो, जिसका खेत है फसल उसी के नाम होती है। तू मेरी चूत के अंदर ही अपना पानी चोर। अरे जब बेटे का लंड अपनी चूत में पिलवाया है तो उसका पानी भी चूत के अंदर ही लूंगी। मैं तो झड़ने वाली हूं अब तू भी अपनी जल्दी-जल्दी चोदकर अपना लंड मेरी चूत के अंदर झड़। मैं अपने बेटे से चूत चुदवा कर अपनी पेट में उसकी bachcha लेना चाहती हूं।”

मैं ये सब सुनकर अपना लंड मां की चूत के जड़ तक घुसेड़ दिया और मेरा लंड से पानी निकलकर मां की चूत भरने लगा। मेरे झड़ने के साथ-साथ मां भी अपनी चूत के पानी से मेरा लंड को नहला दिया। अब तक बाबूजी एंड नुपुर ने भी अपनी चुदाई पूरा कर चुके थे। जैसे ही मैं अपना लंड मां की चूत से बाहर निकाला, नुपुर झट से मेरे पास आ गई और मेरा लंड, जिसमें से अभी मां और मेरे पानी का मिश्रण चु रहा था, पकड़कर मां के मुंह में डाल दिया और बोली, “अरे ससुमा जल्दी अपनी मुंह खोलिए और ये अमृत को चाट-चाटकर साफ कर दीजिए। ये अमृत बहुत ही कीमती है और इससे स्त्री की सुंदरता और भी बढ़ती है।” मां भी नुपुर के कहने के अनुसार मेरा लंड अपने हाथों से पकड़कर चाट-चाटकर साफ कर दिया। तब हमलोग नंगे ही खाना खाने की टेबल पर आ गए और खाना खाया।

खाना खाने के बाद, मेरी ससुमा, नुपुर की मां, बोली, “हम अब तक तुम लोगों की चुदाई देख-देखकर गरम हो गई हूं अब कोई एक मेरी चूत में अपना लंड डालकर चुदाई करे।” नुपुर अपनी मां से बोली, “अभी नहीं, तुम्हारी चुदाई तो कल होगी। कल तुम्हारी शादी पार्थो से होगी और तब तुम अपने आदमी के लंड से अपनी चूत मरवाओगी। अभी तुम हम सब को एक नंगी डांस दिखा दो।” मेरी ससुमा अपनी बेटी की बात मानकर हम सबके सामने अपनी नंगी जिस्म को मोर-मोरकर, अपनी गांड और चुचियां हिला-हिलाकर एक फिल्मी गाने के साथ डांस किया। इसके बाद हम लोग फिर से बेडरूम में चले गए और अपनी-अपनी चुदाई की सेकंड राउंड की तैयारी करने लगे।

बाबूजी कमरे आते ही नुपुर को अपनी गोद में उठा लिया और उसकी चुचियों को दोनों हाथों से मसलना शुरू किया। नुपुर भी पीछे नहीं थी। उसने भी अपनी हाथों से बाबूजी का लंड पकड़कर रोंदने लगी। मैं भी ये देखकर अपनी मां के पास गया, उन्हें अपने पास लिटाकर उनकी चुचियों से खेलने लगा। थोड़ी देर बाद मां ने मुझसे बोली, “बेटा ला मैं तेरा लंड चूस दूंगी।” मैं जल्दी से मां की पैर की तरफ मुंह करके लेट गया और मां की चूत पर अपना मुंह रख दिया। अब मेरी मां मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूस रही थी और मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चाट रहा था। थोड़ी देर के बाद बाबूजी भी पलंग के किनारे पर बैठ गए और नुपुर ने भी उनका लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। दोनों औरतें लंड चूसने में माहिर लग रही थीं क्योंकि थोड़ी देर में ही हम बाप-बेटे का लंड खरा हो गया।

बाबूजी ने तब नुपुर को पलंग पर पेट के बल ऐसे लिटा दिया कि उसकी टांगें पलंग के नीचे झूल रही थीं और कमर से ऊपर का हिस्सा पलंग पर था। बाबूजी ने तब अपना खरा हुआ लंड नुपुर की चूत की छेद पर रखकर एक धक्का दिया और अपनी लंड नुपुर की चूत में उतार दिया। नुपुर अपनी चूत में लंड घुसते ही बोली, “हां! ससुर जी बार-बार मजा आ रहा है, इस तरीके से तो आपका पूरा-पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया है। अब आप धक्के मार-मारकर हमको चोदिए। जरा मेरी ससुमा भी देख लें कि उनके पति का लंड कैसे उनकी घर की बहू की चूत में घुसकर कस-कसकर चुदाई कर रहा है।” ये सुनकर मां बोली, “मुझे तो पहले से ही मालूम था कि मेरे बेटे की शादी एक चिनाल औरत से हो गई है और चिनाल औरत को तो बस लंड चाहिए अपनी चूत की चुदाई के लिए। लंड की भूखी चुदासी चिनाल औरत ये कभी नहीं देखती कि चोदने वाला लंड किसका है, उसका पति का या अपने ससुर का। चुदा लो बहू अपने ससुर के लंड से बाद में न कहना कि ससुमा ने अपने पति का लंड नहीं दिलवाया।”

नुपुर ये सुनकर बोली, “अरे वो मेरी चुदक्कर ससुमा, अपने बेटे का लंड अपनी चूत से खा रही हो और मुझे ज्ञान दे रही हो। सही-सही बताना ससुमा, अब तक कितने लंड अपनी चूत से खा चुकी हो। हमें तो लगता है आपकी चूत अब तक सैकड़ों लंड के धक्के झेल चुकी है।” मां बोली, “हरामजादी चिनाल ससुर छोड़ी नुपुर भोसड़ी की, तू जा तेरी जुबान अब बहुत चल रही है, मुझसे पूछती है कि मैंने कितने लंड से अब तक चुदवाई है। अरे तू अपनी बोल, अब कितने लंड का पानी अपनी चूत और गांड में भरा रखा है। अरे मैं तो अब तक करीब एक दर्जन लंड अपनी चूत में पिलवा चुकी हूं और इनमें से कई ने तो मेरी गांड का मजा भी लिया है। आज तेरी गांड भी मेरा, नहीं अब तेरा, मर्द भी चोदेगा। क्या तू वो हलाबा लंड अपनी गांड में पिलवा पाएगी?” “अरे ससुमा, क्यों परेशान होते हो, ये क्या इससे मोटा और लंबा लंड भी मैं अपनी गांड और चूत में पिलवा सकती हूं,” नुपुर बोली।

अब तक मैं और बाबूजी मां और नुपुर की बातें सुन रहे थे। बाबूजी बोला, “अरे चुदाई करते वक्त क्यों माथा पच्ची कर रहे हो? अभी हम बाप-बेटे मिलकर दोनों की चूत और गांड पछाड़ी की दे देंगे।” ये कहकर बाबूजी ने नुपुर की चूत से अपना लंड निकाला और उसे फिर से नुपुर की गांड में एक झटके से डाल दिया। नुपुर अपनी गांड में बाबूजी का लंड एक झटके से डलने से चीख उठी और फिर शांत हो गई और कहने लगी, “हां ससुर जी, एक ही झटके में पूरा-पूरा लंड मेरी सख्त गांड में उतार दिया, खैर कोई बात नहीं। अब आप मर्जी से अपनी प्यारी बहू की गांड और चूत आराम से चोदिए।” ये देखकर मेरी मां मुझसे बोली, “बेटा, तेरा बाप और तेरी औरत तो फिर से जवान का खेल खेलना शुरू कर दिया है, क्या तू अभी भी मेरी चूत में मुंह डालकर पर रहा है? चल जल्दी मेरी चूत से मुंह हटा और उसमें अपना लंड डालकर मेरी चुदाई शुरू कर दे।”

मैं मां से बोला, “मां अभी तो मैंने तुम्हारी चूत मारी, अब तुम्हारी गांड मारने की इच्छा है। बोलो क्या अपने बेटे का लंड अपनी गांड में लोगी?” मेरी मां ने मुझसे कहा, “बेटा अब तो हमारी और तुम्हारी शादी हो गई है और इसलिए ये शरीर अब तुम्हारा है, तुम चाहे मेरी चूत चोदो या मेरी गांड मारो या अपना लंड मेरी मुंह में डाल उसको चुसवाओ, मुझे सब मंजूर है। अब हट मुझे पट लेटने दे और फिर तू मेरी गांड अपने लंड से पेलकर मेरी गांड मारना शुरू कर।” इसके बाद मां बिस्तर पर नुपुर के बगल में पट लेट गईं और अपनी दोनों हाथों से अपनी चूतड़ को खींचकर अपनी गांड की छेद को खोला। तब मैंने ढेर सारा कोल्ड क्रीम उनके गांड की छेद में अपनी उंगली से अंदर और बाहर लगाया। इसके बाद मैं मां के ऊपर चढ़ गया और अपनी हाथों से उनकी चुचियां पकड़कर मसलने लगा।

थोड़ी देर चुचियां मसलने के बाद मां ने अपनी चूतड़ नीचे से ऊपर की तरफ उछालने लगीं। मैं समझ गया कि अब मां गांड मरवाने के लिए गरम हो गई हैं। मैंने तब ढेर सारा थूक लेकर अपने लंड पर मला और अपना लंड का सुपारा मां की गांड की छेद पर रख दिया। मां तब धीरे से बोलीं, “शुरू में धीरे-धीरे लंड डालना, नहीं तो बहुत दर्द होगा।” मैंने अपनी मां की चुची की घुंघरू को मसलते हुए बोला, “बिल्कुल मत घबराओ, मैं बहुत धीरे-धीरे तुम्हारी गांड में अपना लंड घुसेड़ूंगा, तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी।” “ठीक है, चल लंड मेरी गांड में डाल,” मां बोलीं। मैंने अपनी कमर को धीरे-धीरे आगे करते हुए अपना सुपारा मां की गांड में डाल दिया। गांड में मेरा लंड घुसते ही मां सिसकारियां लेने लगीं और मुझसे बोलीं, “बेटा तू वाकई में एक मर्द है। अभी तूने मेरी चूत को चोदा और फिर तू मेरी गांड मार रहा है। तेरे लंड में बहुत ताकत है। मैं तेरे लंड पर कुर्बान हो गई हूं। बोल तू अब मुझको रोज चोदेगा और मेरी गांड मारेगा?”

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मैं मां की गांड में लंड अंदर-बाहर करते हुए बोला, “अरे मेरी चुदासी मां, क्यों घबराती हो, अब हम एक फ्री सेक्स फैमिली के मेंबर हैं। इसलिए मैं नहीं तो और कोई तुम्हारी चूत और गांड दोनों मारेगा। तुम्हारी चूत और गांड खाली नहीं रहेगी। अब देखो न नुपुर कल या परसों तक सुंदर और सुधा को भी पता करके हमारे फ्री सेक्स ग्रुप में शामिल कर लेगी, फिर तुम्हारी चूत और गांड की चुदाई सुंदर के लंड से होगी और मैं अपना लंड सुधा की चूत और गांड में पेलूंगा और बाबूजी अपना लंड नुपुर और उसकी मां की चूत में डालेंगे।” इतना कहकर मैंने मां की दोनों चुचियां दोनों हाथों से कसकर पकड़ ली और जोर-जोर से उनकी गांड में अपना लंड डालने लगा। थोड़ी देर के बाद मैं और मां दोनों एक साथ झड़ गए। झड़ने के बाद मां ने मेरा लंड को अपनी मुंह में भरकर चाट-चाटकर चूस-चूसकर साफ कर दिया।

इधर मैं अपनी मां की गांड मार रहा था और उधर बाबूजी और नुपुर दोनों बहुत जबरदस्त चुदाई में जुटे हुए थे। इस समय नुपुर बाबूजी के ऊपर बैठकर उनका लंड अपनी चूत से चोद रही थी। वो जबरदस्त उछाल-उछालकर धक्के मार रही थी तो उसकी चुचियां हवा में उछल रही थीं और वो जोर-जोर सिसकारियां मारकर बाबूजी के लंड पर अपनी चूतड़ उछालकर अपनी चूत चुदवा रही थी। हमलोगों को फारिग होते देखकर नुपुर ने मेरे और अपनी मां से बोली, “देखो, देखो बेटा और मां चुदड़ी रंडियों देखो, कैसे मेरे ससुर का लंड मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रहा है। इस समय मैं तो सातवें आसमान पर उड़ रही हूं। तुमलोगों की चूत का क्या हाल है।” मेरी ससुमा ने तब बोली, “सब ठीक सब ठीक, तू मेरे नाम रोशन करेगी। अपनी जवानी में मैं भी खूब लंड अपनी चूत और गांड में पिलवाया है। आज तुझे अपने ससुर के ऊपर चढ़कर उनके लंड को अपनी चूत से चोदते हुए देखकर बहुत अच्छा लगा। तुझे देखकर मुझे अपनी जवानी की याद आ गई।” मैं बोला, “क्या सासू मां क्या याद आ गया?” तब मेरी सासू मां बोली, “अरे याद क्या आया, मेरी तो चूत पूरी तरह से गीली हो गई। मैं भी इसी तरह से अपनी शादी के बाद अपनी ससुर और जेठ को चुदवाती थी, और वो लोग नीचे से अपनी कमर उछाल-उछालकर मेरी चूत में अपना-अपना लंड पेलते थे और दोनों हाथों से मेरी चुचियां मसलते थे।”

“अरे वाह, मां तुम तो मुझसे भी ज्यादा चुदक्कर थी,” नुपुर बाबूजी को चोदते हुए बोली। तब मेरी मां बोली, “अरे बेटी ये तो कुछ भी नहीं। मैं जब शादी के बाद अपनी ससुराल में गई तो सुहाग रात के बाद से घर के सारे मर्द बारी-बारी से मुझे चोदते थे। एक मेरे ऊपर से उतरा नहीं कि दूसरा अपना लंड खड़ा किए मेरे ऊपर आ जाता था और मैं पैर फैलाए सबके लंड अपनी चूत में पिलवाती थी। और तो और, कभी-कभी तो घर के दो-दो मर्द एक साथ मेरी चुदाई करते थे, एक खड़े-खड़े मेरी चूतड़ पकड़कर मेरी चूत में अपना लंड डालता था और दूसरा मेरे पीछे आकर मेरी चुचियां पकड़कर मेरी गांड में अपना लंड पेलता था। शादी के बाद करीब 5-6 साल तक मुझको ठीक से कपड़े पहनने का मौका नहीं मिला क्यों कि हर वक्त कोई न कोई मुझे नंगी करके किसी न किसी आसन से चोदता था। मैं करीब-करीब उन दिनों घर के अंदर नंगी ही बिस्तर पर पड़ी रहती थी और घर का कोई न कोई मर्द आकर हमारे ऊपर, नीचे और पीछे की मुंह से मुझे अपना लंड खिलाता था। मजेदार बात तो ये थी कि घर की सभी औरतों को मेरी लगातार चुदाई की बात मालूम थी क्योंकि कभी-कभी जब कोई घर का आदमी मुझे चोदता था तो उनकी बीवी भी हमारे पलंग के पास खड़ी रहती थी और वो अपने आदमी को जोश दिला-दिला कर मेरी चूत और गांड की चुदाई करवाती और फिर हंसकर अपने कमरे में चली जाती थी।”

“एक बार की बात है जब घर के सारे लोग दूसरे गांव में गए हुए थे और घर पर सिर्फ मैं और मेरी सास थी। तब घर के दो नौकर आकर मेरी सास और मेरी साड़ी उठाकर हमें चोद दिया। मेरी आंखों के सामने मेरी सास ने उस दिन दिल खोल अपनी चूत घर के नौकर से मरवाई, फिर हमें बाद में मालूम चला कि मेरी सास नौकर से पहले से ही चुदवाती थी और अपनी बात छिपाने के लिए उन्होंने मेरी चूत भी दूसरे नौकर से चुदवा दिया। ये सिलसिला काफी दिनों तक चला और बाद में मुझको मालूम हुआ कि घर की सारी लड़कियां और औरतों की चूत और गांड से इन नौकरों की लंड खाती थी। फिर तो एक दिन जब घर पर कोई नहीं था, हम सब औरतों ने मिलकर एक ही कमरे में अपनी चूत उन नौकरों से चुदवाई और अपने सामने लंडों की गांड मरवाई।” मैं अपनी सास और मां की बातें सुनकर बहुत गरम हो गया और मेरा लंड तना गया। ये देखकर मेरी सास झट से मेरे सामने बैठ गई और मेरे लंड को अपनी मुंह में घुसाकर जोर-जोर से चूसने लगी। तब मां भी मेरी सास के पीछे बैठकर उनकी चूत से अपनी मुंह मिला दिया और उनकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी। जब मेरा लंड तन गया तो मेरी सास बैठे-बैठे ही पलट गई और मेरी तरफ अपनी गांड कर दिया और मैं भी अपना खरा लंड उनके गांड में डाल दिया।

बाबूजी तब नुपुर से बोले, “जा चिनार, जाकर सुंदर और सुधा को भी बुला ला। आज हमलोग उनलोगों को भी अपनी फ्री सेक्स फैमिली में शामिल कर लेंगे।” ये सुनकर नुपुर ने अपने बदन पर एक साड़ी लपेट ली और मुस्कुराती हुई चल दी। थोड़ी देर के बाद नुपुर अपने साथ सुंदर और सुधा को साथ लेकर कमरे आई। जब सुंदर और सुधा कमरे में आईं तब मैं मां को गोद में बैठाकर उनकी चूत में डालकर उनकी चुचियां मसल रहा था और बाबूजी मेरी सास को घोड़ी बनाकर पीछे उनकी चूत में लंड डालकर उनको चोद रहे थे। ये सब देखकर सुंदर और सुधा की आंखें फटी की फटी रह गईं। तब मां मेरी गोद से उठकर सुंदर के पास गई और उसके कपड़ों के ऊपर से उसका लंड पकड़कर मसलने लगी। सुंदर का लंड अपनी मालकिन के हाथ पड़ते ही खरा होने लगा था। सुधा भी हमारी समूहिक चुदाई देखकर गरम हो गई थी और वो आगे बढ़कर मेरे लंड को अपनी हाथ में पकड़ लिया और थोड़ी देर उसको मसलने के बाद झुककर मेरा लंड का सुपारा निकालकर चूसने लगी और मैं भी ब्लाउज के ऊपर से सुधा की चुचियां पकड़कर दबाने लगा।

ये सब देखकर बाबूजी हमारे पास आ गए और सुधा के पीछे खड़े हो गए और उसकी साड़ी और पेटीकोट उठाकर अपना लंड सुधा की चूत में एक ही झटके से उतार दिया। सुधा वैसे ही एक बहुत ही कामुक औरत थी। अपनी चूत में बाबूजी का लंड घुसते ही सुधा अपना सिर घुमा कर बाबूजी को देखा और मुस्कुराकर बोली, “बाबूजी मैं जानती हूं कि आप बहुत अच्छे तरीके से चोदते हैं और आपका लंड बहुत मोटा और लंबा है। चोदिए बाबूजी मेरी चूत खूब जोर-जोर से धक्के मारकर चोदी। मैं इस समय बहुत गरम हो गई हूं, क्योंकि जब बीबी जी (नुपुर) हमारे कमरे में गई थी उस समय हम चुदाई की तैयारी कर रहे थे। इसलिए मैं काफी गरम हो गई थी और इन आकर आप लोगों की चुदाई देखकर मैं तो आपे से बाहर हो गई हूं। इस समय आप कुछ मत कहिए बस मेरी चूत में अपना लंड पेलते रहिए। जितना बात हो वो सब बाद में करेंगे।” बाबूजी भी सुधा के कहने अनुसार सुधा की चूतड़ को अपनी हाथों से पकड़कर उसको चोदते रहे।

उधर मां अब तक सुंदर का लंड चूस-चूसकर चुदाई के तैयार कर लिया था और सुंदर मां को घोड़ी बनाकर पीछे से उनकी चूत चोद रहा था। इन लोगों की चुदाई देखकर मेरी सास गरम हो गई और चुदास से भर उठीं। वो मुझे चित लिटाकर मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरा लंड अपनी चूत में ले लिया और नुपुर भी मेरे ऊपर चढ़कर मेरे मुंह से अपनी चूत चटवा दिया और बोली, “चाटो मेरे राजा, मेरी चूत चाटो। इस समय तो तुम्हारी मां तेरे नौकर का लंड अंदर ले रही है और तुम्हारा लंड मेरी मां ने अपनी चूत में घुसेड़ लिया है। अब तुम अपनी बाप की चुदाई मेरी चूत को चाटो और अपनी जीभ से चोदो।” मैं भी नुपुर की चूत में अपनी जीभ घुसेड़ दी और अपना कमर उठा-उठाकर सास की चूत को अपने लंड से चोदना शुरू कर दिया। पूरे कमरे में चुदाई की फच-फच, पच-पच की आवाज गूंज रही थी और पूरा कमरा चुदाई की महक से भरा हुआ था। जमीन पर मां को सुंदर और सुधा को बाबूजी घोड़ी बनाकर धड़ाक-धड़ाक चोद रहे थे और मां और सुधा की मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं। सुधा कभी-कभी अपनी हाथ पीछे करके मां की चुचियां मसल रही थी।

थोड़ी देर के बाद बाबूजी और सुंदर दोनों झड़ गए और उन्होंने अपना-अपना लंड चूत के अंदर से निकाल लिया। लंड निकलते ही मां और सुधा की चूत से सफेद-सफेद घर का पानी निकलने लगा। ये देखकर मां और सुधा ने एक-दूसरे की चूत में अपना मुंह लगाकर चाटना शुरू कर दिया और दोनों ने एक-दूसरे की चूत चाट-चाटकर साफ कर दिया। फिर दोनों ने सुंदर और बाबूजी का लंड को चूसकर साफ कर दिया। इधर तक मेरी सास और नुपुर भी अपनी-अपनी चूत का पानी निकाल चुकी थीं। अब सुधा और नुपुर बिना कोई कपड़े पहने नंगे ही किचन में जाकर चाय और नाश्ता बनाकर कमरे में आईं और हम पांचों ने मिलकर नंगे ही चाय पी और नाश्ता किया। नाश्ता करते वक्त चारों औरतें एक लाइन से नंगी होकर पैर फैलाए हमारे सामने बैठी थीं। उनकी इस तरह से बैठने से उनकी चूत की पतिशन काफी खुली हुई थी और हमलोगों को उनकी गुलाबी चूत अंदर तक साफ-साफ दिख रही थी। वो जब आपस में या हमसे बात कर रही थीं तो उनकी चुचियां हिल रही थीं।

ये सब देखकर हम लोगों का लंड खरा होना शुरू हो गया और हमने अपनी लंड को सहलाने लगे। ये सब देखकर औरतों का मन अब खराब होने लगा और वो उठकर हम लोगों के पास आ गईं। सुधा और मेरी मां मेरे पास, नुपुर बाबूजी के पास और मेरी सास सुंदर के पास आकर खड़ी हो गईं। हमने सुधा की नंगी चुचियों पर अपना हाथ रखकर उसकी चुचियों को अपने हाथों से धीरे-धीरे दबाना शुरू किया। सुधा हमसे बोली, “क्या भैया जी औरतों की चुचियां धीरे-धीरे नहीं दबाई जातीं। उनको तो जोर-जोर से मसलना चाहिए।” मैंने सुधा से पूछा, “औरतों के साथ और क्या-क्या करना चाहिए?” तब सुधा बोली, “अरे मेरे भोले राजा, तुम्हें मैं क्या-क्या बताऊं कि औरतों के साथ क्या-क्या करना चाहिए। अरे औरतों का शरीर से खूब जाम खेलना चाहिए। उनकी चुचियां और चूतड़ को दम लगा कर मसलना चाहिए, उनकी चुचियां को मुंह में लेकर चूसना चाहिए, उनकी बुर को हाथों से दबाना, मसलना और जीभ से चाटना चाहिए, फिर उनकी बुर में अपना गधे जैसा लंड डाल जमकर चोदना चाहिए। अब समझे कि औरतों से क्या करना चाहिए।”

मैं तब सुधा की एक चुची अपने हाथ से कसकर मसलने लगा और दूसरी चुची को अपने मुंह में भरकर चूसने लगा। सुधा अपनी चुचियां मसलने और चूसने से बहुत गरम हो गई और मेरा लंड पकड़कर उसकी सुपारा को खोलने और बंद करने लगी। मैं जब अपना कमर ऊपर को उठाया तो सुधा झुककर मेरे सुपारे को अपने मुंह में भरकर चूसने लगी। सुधा को झुकते देखकर मैं अपना एक हाथ उसकी पीठ पर से ले जाकर उसकी चूतड़ को सहलाने लगा और फिर अपनी एक उंगली उसकी गांड की छेद पर रख दिया और दूसरे हाथ से उसके चुची पर से हाथ करके उसकी चूत पर रख दिया। अपनी गांड और चूत पर मेरा हाथ पड़ते ही सुधा मेरी तरफ देखी और मुस्कुरा दिया और अपनी कमर हिला-हिलाकर मुझको इशारा करने लगी कि मैं उसकी चूत और गांड को अपनी उंगली से खोदूं। मैं भी सुधा के इशारे के मुताबिक उसकी चूत और गांड में अपनी उंगली पेलकर अंदर-बाहर करने लगा।

सुधा अपनी चूत और गांड में मेरी उंगली पिलवा कर बहुत गरम हो गई और मुझसे बोली, “भैया जी आपकी उंगली काफी मोटी और लंबी है, मेरी चूत और गांड दोनों आपकी उंगली से फैल गई हैं। जब आपका लंड इनमें घुसेगा तो न जाने क्या होगा। मुझे तो आप अपनी उंगली से ही चोदकर खलास कर दोगे।” मैं तब बोला, “साली रंडी कुतिया चिनाल सुधा अभी तो मैं तेरी गांड और चूत में सिर्फ अपनी उंगली ही डाला है तो अपनी कमर चलाना शुरू कर दिया। जब मैं अपना लंड तेरी आगे और पीछे के छेद में डालूंगा तो तेरी चूत एंड गांड दोनों फट जाएगी।” इतना कहकर मैंने अपना लंड उसकी मुंह से खींचकर निकाला और उसके पीछे आ गया। मेरा लंड सुधा के थूक से काफी गिला हो गया था और मैं अपना लंड उसकी चूत के दरवाजे पर रखकर एक हल्का धक्का मारा तो मेरा सुपारा उसकी चूत में धंस गया। मेरा लंड काफी मोटा होने के कारण सुधा को तकलीफ हो रही थी और वो मुझसे बोली, “प्लीज इसे बाहर निकालो मुझे दर्द हो रहा है।”

मैंने उसकी बात को न सुनते हुए उसकी चूत में अपना लंड धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू किया। सुधा जोर-जोर से चीखें मारने लगी, “आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हा आआआआआआ, प्लीज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज़, बाहर , प्लीज्ज्ज्ज्ज्ज़ बहुत दर्द होता है ईईईईईईईईई प्लीज़ज़ज़ज़ज़ज़ज़ज़ज़ज़ज़ज़ज़ज़ज़।” लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और जोर-जोर से उसकी चूत में लंड पेलकर उसकी चूत मारने लगा। थोड़ी देर बाद सुधा को भी मजा आने लगा और उसकी मुंह से मजेदार आवाजें निकलने लगीं, “ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ, और जोर से, अंदर करो, प्लीज्ज्ज्ज्ज्ज़ और जोर से, और आगेय्य्य्य्य, प्लीज्ज्ज्ज्ज्ज़ और जोर से मारो, आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्, प्लीज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज़ और जोर से,” इन आवाजों से मैं और गरम हो गया और मैं जोर-जोर से धक्का मारने लगा फिर करीब 10 मिनट के बाद सुधा झड़ने को हुई और वो अपनी चूत चुदवाते हुए बोली, “जल्दी कर गांडू, तेजी से मार, मैं चूतने वाली हूं, जल्दी कर, और जोर से कर,” और करीब दो मिनट के बाद हम दोनों एक साथ खलास हो गए। मैंने अपना माल से सुधा की चूत पूरी तरह से भर दिया और उसके ऊपर लेटकर हांफने लगा।

करीब 20 मिनट के बाद हमलोग शांत हुए और मेरा लंड सुधा की चूत के अंदर फिर से खरा होने लगा। तब मैंने सुधा से बोला, “एक बार फिर।” सुधा बोली, “ठीक है,” तब हमने सुधा से बोला, “इस दफा तुम्हारी गांड मारूंगा।” सुधा बोली, “नहीं प्लीज, चूत मार लो लेकिन गांड मत मारो, तुम्हारा लंड बहुत लंबा और मोटा है बहुत दर्द होगा, मेरी गांड फट जाएगी।” मैंने सुधा से मिन्नत करने लगी तो सुधा मान गई और मैं उसे घोड़ी बनाकर पलंग के किनारे लिटा दिया और बाथरूम से तेल की शीशी लेकर उसकी गांड और मेरे लंड पर खूब तेल लगाया। उसके बाद मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और सुपारे को उसकी गांड की छेद में रखकर हल्का सा धक्का देकर सुपारे को सुधा की गांड के छेद के अंदर कर दिया। सुधा चिल्लाने लगी लेकिन मैं उसकी एक न सुनते हुए अपना पूरा-पूरा लंड उनकी गांड में डाल दिया। फिर मैं सुधा की चूतड़ को पकड़कर उसकी गांड चोदने लगा। मुझे सुधा की गांड चोदने में बहुत अच्छा लग रहा था और मैंने सुधा से बोला, “तुम्हारी गांड तो तुम्हारी चूत से बहुत ज्यादा मजा दे रही है, दिल करता है कि कई तुम्हारी गांड ही मारता रहूं।” फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ाकर उसकी गांड को जोर-जोर से चोदता रहा और थोड़ी देर के बाद मेरा लंड ने उसकी गांड के अंदर अपना पानी छोड़ दिया।

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