मेरी प्यारी मामी

Mami ki chudai sex story मैं अमृतसर से बॉबी हूं, और ये बात तीन महीने पुरानी है। गर्मी की छुट्टियों में मैं अपने नाना-नानी के घर गया था। वहां मेरे मामा-मामी रहते थे। मेरी मामी तो बिल्कुल मस्त माल थीं, हमेशा बड़े गले वाला कुर्ता पहनती रहतीं। उनका नाम सोनिया था, उम्र करीब ३२ साल की, गोरी चिट्टी, लंबे काले बाल, जो पीठ तक लहराते रहते, और वो गठी हुई बॉडी जो देखते ही मन को बेचैन कर दे। उनका चेहरा इतना आकर्षक था कि मुस्कुराते ही आंखें चमक उठतीं, लेकिन वो मुस्कान हमेशा थोड़ी शरारती सी लगती। मुझे उनको देखते ही कुछ-कुछ होने लगता, जैसे वो जानबूझकर मुझे अपनी ओर खींच रही हों। मैं बार-बार उनके झुकने का इंतजार करता रहता, क्योंकि तब उनका कुर्ता थोड़ा और खुल जाता और वो नजारा… उफ्फ!

मेरी मामी का नाम सोनिया था, लेकिन मैं उन्हें हमेशा मामी ही कहता। वो घर के कामों में लगी रहतीं, रसोई में खड़ी होकर सब्जी काटतीं तो उनकी कमर की लचक देखकर दिल धड़क जाता। मुझे जब भी लगता कि वो झुकने वाली हैं, तो मैं तुरंत सामने जाकर खड़ा हो जाता। तिरछी नजर से उनके बड़े-बड़े, गोरे-गोरे और चिकने-चिकने बूब्स को घूरता रहता। वो बूब्स इतने परफेक्ट थे, जैसे किसी मूर्तिकार ने तराशे हों – भरे-भरे, लेकिन न ज्यादा ढीले, न ज्यादा सख्त। मुझे उनके बूब्स बेहद पसंद थे, मन करता कि बस छू लूं, दबा लूं, चूस लूं। कभी-कभी जानबूझकर मैं उनसे सामने से टकरा जाता, और बड़ी होशियारी से उनके बूब्स को हल्के से छू लेता। वो टच… वो नरमी, वो गर्माहट, उफ्फ, वो तो बस दिल को छू जाती। लेकिन इतने में मेरा मन कहां भरता? मैं उन्हें सहलाना चाहता था, उन्हें नंगा करके अपनी गोद में भर लेना चाहता था। वो इतनी गोरी थीं कि उनकी स्किन पर रोशनी पड़ते ही चमक उठती। उन्हें देखकर मुझे उनका चुदाई करने का मन डोलने लगता। वो गदराई हुई बॉडी वाली थीं – कूल्हे चौड़े, गांड गोल-मटोल, और कमर पतली। मैं भी वैसा ही हूं, २५ साल का जवान, एथलेटिक बॉडी, लेकिन लंड का साइज औसत ही, करीब ६ इंच, पर मोटा और सख्त।

एक दिन मेरे मामा को कुछ जरूरी काम से ६ दिनों के लिए दुबई जाना पड़ा। घर में बस मैं, मामी और नाना-नानी थे, लेकिन वो बुजुर्ग थे, रात को जल्दी सो जाते। मैं घर के हॉल में बैठा टीवी देख रहा था, मन में तरह-तरह के ख्याल घूम रहे थे। तभी मेरी मामी हॉल में आईं। वो आज हल्के गुलाबी कुर्ते में थीं, जो उनके गोरे रंग पर और चमक रहा था। उन्होंने मुझे एक चिट्ठी दी, छोटा-सा कागज का टुकड़ा, जो उन्होंने शायद अभी लिखा था। मैंने खोला तो लिखा था, “बॉबी, मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूं। मुझे तुम्हें देखते ही कुछ-कुछ होता है, जैसे कोई आग सुलग उठे। मैं तुम्हारे साथ अकेले में कुछ वक्त गुजारना चाहती हूं। ये बात मैंने चिट्ठी में इसलिए कही क्योंकि मुझे शर्म आ रही थी। अगर तुम मुझसे मिलोगे तो आज रात ११ बजे मेरे कमरे में आ जाना। और तुम्हारी ओर से हां है तो चिट्ठी मुझे वापस लौटा देना। मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी।”

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ये पढ़कर तो मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा, जैसे कोई सपना सच हो गया हो। चिट्ठी हाथ में लिए मैं कुछ पल सुन्न खड़ा रहा, फिर तुरंत मामी को वापस लौटा दी। वो मुस्कुराईं, आंखें नीची करके, लेकिन उस मुस्कान में शरम और उत्साह दोनों थे। मैं ११ बजने का इंतजार करने लगा। शाम बीती, रात हुई, घर शांत हो गया। नाना-नानी सो चुके थे। मैं बिस्तर पर लेटा था, लेकिन नींद कहां आ रही? मन में तरह-तरह के ख्याल घूम रहे – मामी के बूब्स, उनकी कमर, उनकी चूत… उफ्फ, लंड खड़ा हो गया था। घड़ी की सुई ११ की ओर बढ़ रही थी।

रात हो चुकी थी, ११ बज रहे थे। मैं धीरे से कमरे से निकला, दिल की धड़कन तेज। मामी के कमरे का दरवाजा खुला था, हल्की रोशनी आ रही थी। अंदर घुसते ही मैंने देखा कि मामी काले रंग की नाइटी पहने लेटी थीं। वो नाइटी इतनी पतली थी कि लग रहा था जैसे अंदर कुछ पहना ही न हो। उनके बड़े-बड़े बूब्स साफ दिख रहे थे, निप्पल्स की शेप तक ट्रांसपेरेंट होकर झलक रही थी। कमरे में हल्की खुशबू थी, शायद उनका परफ्यूम। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कहां से करूं – सीधे गले लग जाऊं या धीरे से बात करूं? मन में हिचकिचाहट थी, लेकिन लंड तो फुल सख्त हो चुका था। तभी अचानक मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। उनकी हथेली गर्म थी, नरम। “बॉबी… आ गए तुम,” उन्होंने फुसफुसाते हुए कहा, आवाज में कंपन। ये उस हसीन रात की शुरुआत थी।

मैंने भी हिम्मत जुटाई, मामी की कमर को पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया। उनकी बॉडी मेरी छाती से सट गई, वो गर्माहट… उफ्फ। मैंने उनके गालों को चूमना शुरू किया, हल्के-हल्के किसेस, जैसे कोई फल चख रहा हो। गालों से होते हुए गर्दन तक, फिर होंठों पर। मामी ने पहले हल्का सा हिचकिचाया, लेकिन फिर उनके होंठ मेरे होंठों से मिल गए। हमारा पहला किस गहरा था, जीभें आपस में लिपट गईं। मामी की सांसें तेज हो रही थीं। जब मैंने देखा कि वो मेरे चुम्बनों का पूरा आनंद ले रही हैं, आंखें बंद, होंठ कांपते हुए, तो मैंने अपना हाथ उनके बूब्स पर रख दिया। जैसे ही मेरी उंगलियां उनकी चूचियों को छुईं, वो कांप सी गईं। “आह्ह… बॉबी…” उनकी आवाज में दर्द और मजा दोनों थे।

मुझे उनके बूब्स छूने में इतना मजा आ रहा था – वो इतने नरम थे, जैसे रुई के गोले, लेकिन भरे हुए। मैंने धीरे से नाइटी को उनके कंधे से नीचे सरकाया। अब उनके चिकने बूब्स पूरी तरह मेरे सामने थे, गोरे, चमकदार, निप्पल्स गुलाबी और सख्त हो चुके। मैंने अपनी उंगलियों से उनके निप्पल को रगड़ना शुरू किया, हल्के-हल्के चिकोटे काटे। मामी उत्सुक हो गईं, “उम्म… हां…” कहते हुए मेरे लंड को कसकर पकड़ लिया पैंट के ऊपर से। उस टच से मेरा लंड और सनसना उठा। मैं अपना चेहरा उनके बूब्स के पास ले गया, गालों से रगड़ा, फिर जीभ से चाटा। वो स्वाद… नमकीन, मीठा। मैंने एक बूब को हाथ में भरा, दबाया, और दूसरे को मुंह में लिया। चूसते हुए मैं निप्पल को जीभ से घुमाता रहा, कभी हल्का काटा। मामी पागल सी हो गईं, “आह्ह… बॉबी, ऐसे मत… उफ्फ…” कहते हुए मेरे लंड को और जोर से सहलाने लगीं।

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फिर मैंने अपनी पैंट की जिप खोली, लंड निकाला और उनके हाथ में दे दिया। मेरा लंड औसत साइज का था, लेकिन सख्त, नसें फूली हुईं। मामी ने उसे पकड़ा, हथेली से रगड़ा, “कितना गर्म है… मोटा सा लग रहा।” उनकी आवाज शरमाती हुई। मैंने उन्हें पलंग पर बैठा दिया, सामने खड़ा हो गया। वो समझ गईं, मेरी आंखों में वो चाहत। उन्होंने लंड को कसकर पकड़ा, चूमने लगीं – टिप पर किस, फिर शाफ्ट पर लाइक्स। मुझे कंपकंपी सी हो गई। “माममी, मुंह में ले लो ना,” मैंने फुसफुसाया। उन्होंने सुपाड़े को मुंह में लिया, जीभ से चाटा। “आह्ह… हां मामी…” मजा इतना कि सिर चकराने लगा। मैं और मजा लेना चाहता था, तो मामी के सिर को पकड़ा, धीरे से लंड अंदर ठेला। देखते ही देखते पूरा लंड उनके मुंह में था, गला तक। मामी की आंखें नम हो गईं, लेकिन वो चूसती रहीं, “ग्लक… ग्लक…” की आवाज आने लगी। मुझे लगा लस कहीं गिर न जाए, तो मैंने बाहर निकाला।

लेकिन मामी रुकीं नहीं, फिर से चूसना शुरू कर दिया। मेरा लंड फुल साइज हो गया, चमकदार। मैं पूरा नंगा हो गया, फिर मामी की नाइटी पूरी उतार दी। उन्हें नंगा देखा – गोरी बॉडी, पतली कमर, बालों वाली चूत, लेकिन साफ-सुथरी। मेरा लौड़ा सनसना उठा। अब मेरे लौड़े को चूत चाहिए थी। मैंने मामी को बिस्तर में लिटाया, ऊपर चढ़ गया। पहले उनके पैरों को चूमा, फिर जांघों को सहलाया। चूत पर हाथ फेरा, गीली थी पहले से। लंड से चूत को रगड़ा, टिप को क्लिट पर घुमाया। मामी तिलमिला उठीं, “आह्ह… बॉबी, डाल दो ना… सह न पा रही।” थोड़ी देर बाद मैंने लंड चूत में डाला। “आऊउउउछ्ह्ह्ह… हाय राम!” मामी चीखीं, जैसे पहली बार हो। लग रहा था मामा ने कभी ठीक से चोदा ही नहीं। मैंने कंडोम नहीं लगाया, सीधा रगड़ दिया। मामी को कसकर पकड़ा, लंड और अंदर ठेला। वो दर्द से सिकुड़ गईं, “धीरे… आह्ह… बहुत मोटा है।”

थोड़ी देर बाद उन्हें मजा आने लगा। मैं चोदते हुए उनके चेहरे की ओर देखा – आंखें बंद, मुस्कान, होंठ काटे हुए। “हां बॉबी… ऐसे ही… उम्म…” मैंने स्पीड बढ़ाई, “प्लक… प्लक…” की आवाज आने लगी। चूत गीली हो गई, लंड आसानी से फिसल रहा। मैंने मामी की चूत ढीली कर दी, पहले टाइट थी, लेकिन अब फिसलन भरी। डर था मामा को पता न चल जाए। फिर मैंने कहा, “चलो घोड़ी बनो मामी।” वो घुटनों और हाथों के बल लेट गईं, गांड मेरी ओर। मैंने हाथों से गांड पकड़ी, फैलाई। गांड का छेद छोटा, गुलाबी। मेरा लौड़ा घुसने को बेताब। जैसे ही टिका, मामी ने मना किया, “नहीं बॉबी… गांड में दर्द बहुत होता है… कभी किया नहीं।” लेकिन लौड़ा माने कहां? मैं जिद करने लगा, “प्लीज मामी, बस एक बार… धीरे करूंगा।” वो मान गईं, “ठीक है… लेकिन बहुत धीरे।”

मैंने लंड टिप को छेद पर रगड़ा, थोड़ा सलाइवा लगाया। धीरे से दबाया। “आह्ह्ह… दर्द हो रहा… रुको!” मामी सिकुड़ीं। लेकिन मुझे मजा आ रहा था, टाइटनेस। मैंने जोर लगाया, धीरे-धीरे अंदर गया। छेद फैला, “उफ्फ… आह्ह…” की आवाजें। आखिरकार आधा लंड अंदर। मैं अंदर-बाहर करने लगा, “पट… पट…” की धीमी आवाज। मामी दर्द से कांप रही थीं, लेकिन धीरे-धीरे “हां… अब ठीक… उम्म…” कहने लगीं। मैंने पूरा अंदर ठेला, गांड की चिकनाहट में लंड मजे ले रहा। कुछ देर चोदा, फिर निकाला। मामी को लिटाया, पेट पर बैठ गया, लंड को बूब्स के बीच रगड़ा। “क्या चिकनी चूचियां हैं मामी,” मैंने कहा। वो शरमाईं, गाल लाल। “चूसो ना लंड,” मैंने कहा। मामी ने पकड़ा, गालों से रगड़ा, “कैसा लग रहा है बॉबी?” “पहले चूसो तो,” मैं हंसा।

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वो जीभ से चाटने लगीं, दांतों से हल्का काटा। “आह्ह… मामी… मजे…” मैं पागल हो गया। सह न सकूं, मुंह में गिरा दिया। “ग्लक… ग्लक…” चूसते हुए लस चाटा। मामी बोलीं, “ये तूने क्या किया… अभी तो…” मैं समझ गया, वो और चाहती थीं। “घबराओ मत, अभी चोदूंगा।” लेकिन लंड मुरझा गया। मैंने उनके बूब्स पकड़े, चूसे – निप्पल्स को खींचा, चाटा। फिर चूत पर उंगलियां फेरीं, क्लिट को रगड़ा। मामी जोशीली थीं, “आह्ह… हां… और…” उन्होंने मेरा लंड सहलाया। धीरे-धीरे तन गया। जैसे ही कड़ा हुआ, मामी मुंह में ले लिया, कस-कस चूसीं। “चूसो… हां… गहरा…” आवाजें आने लगीं। लंड तैयार। मैंने उनका चेहरा पकड़ा, मुंह में ठेला। “क्या मजा… उफ्फ!” मामी बोलीं, “मुझे और चोदो ना बॉबी… बर्दाश्त नहीं हो रहा।”

मैंने लिटाया, जांघें चाटीं – अंदरूनी हिस्से को जीभ से रगड़ा। कमर तक पहुंचा, नाभि चाटी। मामी तिलमिला रही, “आह्ह… मार डालोगे…” एक टांग कंधे पर रखी, लंड चूत पर टिका, अंदर ठेला। “आऊउउ… हाय!” फिर रफ्तार से चोदा, “थप… थप…”। “धीरे… आह्ह… मामी की चूत फाड़ दोगे!” चूत गीली, फिसलन। मैंने ढीली कर दी। फिर कहा, “चलो कोई और स्टाइल ट्राई करें।” मामी ने मुझे लिटाया, ऊपर चढ़ीं। बूब्स के निप्पल होंठों पर रगड़े। मैं काटा, “उम्म… दांत मत…” फिर लंड पकड़ा, चूत से रगड़ा, धीरे अंदर लिया। बैठ गईं, हिलने लगीं। “आह्ह… कितना गहरा… उफ्फ!” उनके बूब्स उछल रहे, गोरे-गोरे, निप्पल गुलाबी। वो हाथों से सहला रही, दबा रही। मैंने गांड पकड़ी, नीचे से धक्के दिए। “हां… तेज… आह्ह…”

फिर मैंने नीचे लिटाया, मेंढक स्टाइल में चढ़ा – टांगें फैलाईं, गहरा घुसा। जोर-जोर से चोदा, “पटापटापटा…”। मामी हाथों से मेरी गांड पकड़ी, थप्पड़ मारे, “और जोर से… चोदो… आह्ह्ह!” चूत से पानी छूटा, “चिपचिप…”। मैं अंदर गिरा दिया। “आऊउउउउउ…” मामी चीखीं। “मुझे ऐसा कभी किसी ने नहीं चोदा बॉबी… तू तो कमाल है।” मैं लस्त पड़ा, कुछ करने की हालत नहीं। घड़ी देखी – ४ बज रहे थे। ये चुदाई मैंने पूरे ६ दिनों तक की, हर रात नई स्टाइल, नया मजा। और जब भी मैं वहां जाता हूं, तब तब मामी को किसी न किसी बहाने से होटल ले जाकर चोदता हूं।

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