Seal Pack Virgin Neighbor Girl Sex Story सबसे पहले मैं सारी चूतों को सारे लंडों की तरफ से सलाम करता हूँ और गुरुजी को प्रणाम।
मेरा नाम अंकुर है, दोस्तो। मैं कोई ऐसा-वैसा लौंडा नहीं हूँ, जो यहाँ अपनी कहानियों में बारह इंच का लंड बताता फिरे। मेरा लंड सामान्य सा है, कोई साढ़े छह इंच का, मोटाई भी ठीक-ठाक। लेकिन दोस्तो, आप तो जानते ही हैं कि जब सील टूटने का वक्त आता है, तो लड़कियाँ ज्यादा बड़ा लंड नहीं चाहतीं। दर्द कम हो, मज़ा ज़्यादा आए, बस यही चाहती हैं। और शायद यही वजह है कि लड़कियाँ अपनी पहली चुदाई के लिए मुझे पसंद करती हैं।
मुझे सील तोड़ने का गज़ब का अनुभव है, और शौक भी। अब तक मैंने इक्कीस लड़कियों की सील तोड़ी है। पुरानी चूत तो मैं तभी मारता हूँ, जब नई फुद्दी न मिले। लेकिन मैं आज आपको बोर नहीं करूँगा, सीधे अपनी ताज़ा कहानी पर आता हूँ। यह कहानी बिल्कुल सच्ची है, क्योंकि मुझे झूठ बोलने और झूठ सुनने वालों, दोनों से सख्त नफरत है।
यह बात पिछले महीने की है। हमने दिल्ली में एक नया घर खरीदा था, पॉश इलाके में, जहाँ पड़ोसी भी बड़े सभ्य लोग थे। हमारे सामने वाले घर में एक लड़की रहती थी, नाम था हेमा। उम्र होगी कोई उन्नीस साल की, एकदम ताज़ा माल। उसकी छोटी-छोटी चूचियाँ, पतली कमर, गुलाबी होंठ, और गोल-मटोल चूतड़ ऐसे थे कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। उसका रंग हल्का गोरा, बाल लंबे और काले, और आँखें ऐसी कि जैसे कुछ कह रही हों।
हमारे नए घर में आए हुए अभी चार दिन ही हुए थे। एक सुबह मैं बालकनी में खड़ा था, कॉफी पी रहा था, तभी देखा कि वो अपने घर की बालकनी में खड़ी थी। उसने मुझे देखा और एक हल्की सी स्माइल दी। बस, दोस्तो, मेरा लंड तो तुरंत अकड़ गया। मन तो किया कि अभी जाकर उसकी चूत में लंड पेल दूँ, लेकिन मैंने सोचा कि जल्दबाज़ी ठीक नहीं। अगर वो खुद पहल करे, तो मज़ा दोगुना हो जाएगा।
आप यह Friends Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
मैं बाईस साल का हूँ, स्मार्ट लड़का, अच्छी हाइट, ठीक-ठाक बॉडी। लड़कियाँ मेरे पीछे पागल रहती हैं। मेरा क्रॉकरी एक्सपोर्ट का बिज़नेस है, सुबह दस बजे ऑफिस जाता हूँ, रात आठ बजे तक लौटता हूँ। शनिवार-रविवार को छुट्टी होती है। उस दिन मैं ऑफिस चला गया, लेकिन दिमाग में वही गुलाबी होंठ और चूतड़ घूमते रहे। शाम को जब लौटा, तो मम्मी ने बताया कि हेमा आई थी, मेरे बारे में पूछ रही थी। कहाँ से आए हो, क्या करते हो, वगैरह। मैं सुनकर मन ही मन मुस्कुराया।
अगला दिन शनिवार था। मैं सुबह सात बजे उठा, बालकनी में आया, तो देखा वो फिर खड़ी थी। उसने मुझे देखते ही सिर हिलाकर नमस्ते किया और इशारा करके एक मिनट में आने को कहा। मैं अभी सोच ही रहा था कि तभी वो मेरे घर आ धमकी। अच्छा हुआ, मम्मी मंदिर गई थीं। मैंने पूछा, “जी, बताइए, क्या बात है?”
वो बोली, “आप मेरी तरफ देख रहे थे ना? तो मैंने सोचा, चलो मिल ही लूँ।”
मैंने थोड़ा बनावटी गुस्सा दिखाया, “प्लीज़, यहाँ से चली जाओ। कोई देख लेगा, तो प्रॉब्लम हो जाएगी।”
वो हँसी और बोली, “अरे बाबा, चली जाऊँगी। इतना डर क्यों रहे हो? वैसे, तुम्हारा नाम अंकुर है ना? बिज़नेस करते हो, और शादी भी नहीं हुई? कभी शादी का मन नहीं करता?”
आप यह Friends Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
मुझे थोड़ा गुस्सा आया, “तुम्हें इससे क्या मतलब?” लेकिन सच कहूँ, मुझे डर भी लग रहा था। अभी मोहल्ले में आए चार दिन ही हुए थे, और कहीं गलत इम्प्रेशन न बन जाए।
वो बोली, “प्लीज़, मेरा एक काम करोगे?” उसकी आँखों में एक अजीब सी मासूमियत थी। मैं पिघल गया और बोला, “बोलो, क्या काम?”
वो बोली, “मैंने सुना है, तुम्हारी इंग्लिश बहुत अच्छी है। मेरी तो बहुत कमज़ोर है। अगर तुम मुझे थोड़ा पढ़ा दो, तो मैं ज़िंदगी भर तुम्हारा एहसान नहीं भूलूँगी।”
मैंने कहा, “इसमें एहसान की क्या बात? अगर तुम्हारे घरवालों को कोई दिक्कत नहीं, तो मुझे भी नहीं। तुम रोज रात आठ बजे आ सकती हो।”
उसने थैंक्स कहा। मैंने मौका देखकर चौका मारा, “दोस्ती में नो सॉरी, नो थैंक्स!” वो मुस्कुराई और चली गई। तभी मम्मी मंदिर से लौट आईं और उससे पूछ लिया, “हाँ बेटी, कैसे आई?”
आप यह Friends Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
मुझे लगा, मम्मी को शक हो गया। मैं चुपके से अपने कमरे में चला गया। लेकिन हेमा ने खुद ही मम्मी को बता दिया कि वो आज से मेरे से इंग्लिश पढ़ेगी, क्योंकि उसकी परीक्षा नज़दीक है और उसे अच्छा टीचर नहीं मिल रहा। मैंने चुपके से सुन लिया और मन ही मन खुश होने लगा।
उस दिन ऑफिस में भी मन नहीं लगा। इतनी हसीन लड़की, वो भी नई चूत, भला किसका मन लगेगा? मैं सात बजे ही घर लौट आया। मम्मी ने खाने को पूछा, तो मैंने कहा, “अभी नहीं, बाद में खाऊँगा।”
ठीक आठ बजे वो अपनी किताबें लेकर आ गई। मैंने कहा, “पढ़ाई तो एकांत में ही अच्छी होती है।” और उसे अपने कमरे में ले गया। हम दोनों मेरे बिस्तर पर बैठ गए। उसने किताब खोली और सवाल पूछने लगी। लेकिन मेरा ध्यान कहाँ था? मैं तो बस उसकी चूचियों और होंठों को घूर रहा था।
उसने पूछा, “क्या देख रहे हो?” मैंने मज़ाक में कहा, “तुम्हारा चेहरा पढ़ रहा हूँ। मैं तो साइकोलोजिस्ट भी हूँ। मुझे लगता है, तुम्हें कोई परेशानी है।”
वो उत्साहित हो गई, “अच्छा, आपको कैसे पता? बताओ ना कुछ!” मैंने मौका देखा और कहा, “लगता है, तुम्हें अपनी ज़िंदगी में किसी की कमी खल रही है। शायद कोई दोस्त, जिससे तुम अपने दिल की बात कह सको।”
आप यह Friends Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
उसने हाँ में सिर हिलाया और उदास होकर बोली, “और बताओ ना!” मैंने कहा, “लाओ, तुम्हारे गालों की लकीरें देखता हूँ।” और उसके गालों को हल्के-हल्के छूने लगा। मेरा लंड तो पैंट में तंबू बनाए हुए था।
वो बोली, “बताओ ना, क्या लिखा है मेरे गालों पर?” मैंने कहा, “तुम्हारी ज़िंदगी में कोई बहुत जल्दी आने वाला है। तुम उसे चाहती हो, लेकिन अगर तुमने देर की, तो ज़िंदगी भर पछताओगी।”
वो बोली, “अगर उसने मना कर दिया तो?” मैंने कहा, “ऐसा हो ही नहीं सकता।” तभी अचानक वो मुझसे लिपट गई और बोली, “आई लव यू, अंकुर!”
मैंने भी मौका नहीं छोड़ा, “आई लव यू टू, जान!” और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। पाँच मिनट तक हम दोनों बस एक-दूसरे से लिपटे रहे, होंठों से होंठ चूसते रहे। तभी उसकी मम्मी की आवाज़ आई, “पढ़ाई खत्म हो गई हो, तो आ जाओ, बेटा! बाकी कल पढ़ लेना।”
मैंने उसे कहा, “कल इतवार है। मैं कहीं बाहर जा सकता हूँ, तो सुबह आठ बजे ही पढ़ा दूँगा।” वो चली गई, लेकिन मेरी रात नींद में नहीं कटी। बस यही सोचता रहा कि कब सुबह हो, और कब उसकी चूत में लंड पेलूँ।
आप यह Friends Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
सुबह आठ बजे वो आ गई। मम्मी मंदिर चली गई थीं। हम सीधे मेरे कमरे में गए, दरवाजा बंद किया, और मैंने उसके जलते हुए होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो भी मेरा साथ देने लगी। उसकी साँसें गर्म थीं, और मैंने धीरे-धीरे उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसकी चूचियों को सहलाना शुरू किया। वो हल्का सा सिहर उठी, लेकिन कुछ बोली नहीं। मैंने उसकी टी-शर्ट उतारी, तो उसकी छोटी-छोटी चूचियाँ ब्रा में कैद थीं। मैंने ब्रा के हुक खोले, और उसकी चूचियाँ आजाद हो गईं। गुलाबी निप्पल, एकदम कड़क, मानो मुझे बुला रहे हों।
मैंने उसकी चूचियों को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… अंकुर…” वो सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने एक चूची को चूसा, तो दूसरी को उंगलियों से मसल रहा था। उसका बदन गर्म हो रहा था, और वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिरा रही थी। मैंने उसकी जीन्स का बटन खोला, और उसे धीरे-धीरे नीचे सरकाया। उसने गुलाबी पैंटी पहनी थी, जो उसकी चूत पर एकदम फिट थी। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाया, तो वो और सिहर उठी। “उफ्फ… अंकुर… ये क्या कर रहे हो?” उसने शरमाते हुए कहा।
मैंने कहा, “जान, अभी तो बस शुरुआत है।” मैंने उसकी पैंटी उतारी, और उसकी चूत मेरे सामने थी। एकदम कसी हुई, बिना एक भी बाल के, जैसे कोई अनचुदी कली। मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत पर फिराईं, तो वो गीली हो चुकी थी। मैंने एक उंगली धीरे से उसकी चूत में डाली, और वो “आह्ह…” करके सिसकारी। मैंने उंगली अंदर-बाहर की, और उसकी सिसकारियाँ बढ़ती गईं। “अंकुर… प्लीज़… और करो…” वो मचल रही थी।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसका स्वाद नमकीन था, और मैं उसकी चूत को जीभ से चोदने लगा। “उफ्फ… आह्ह… अंकुर… ये क्या जादू है…” वो सिसकार रही थी, और उसकी टाँगें काँप रही थीं। मैंने उसकी क्लिट को चूसा, और वो झटके खाने लगी। कुछ ही मिनटों में वो झड़ गई, और उसका रस मेरे मुँह पर था। मैंने उसे चाटकर साफ किया।
अब उसने मेरी शर्ट उतारी और मेरी छाती को चूमने लगी। उसने मेरी जीन्स का बटन खोला और मेरा लंड बाहर निकाला। मेरा लंड एकदम तना हुआ था, और वो उसे देखकर बोली, “ये तो बहुत मस्त है!” उसने मेरे लंड को अपने नाजुक हाथों से पकड़ा और सहलाने लगी। फिर वो घुटनों पर बैठ गई और मेरे लंड को मुँह में ले लिया। “उफ्फ… हेमा…” मैं सिसकारी। उसने मेरे लंड को चूसना शुरू किया, कभी सुपाड़े को चाटती, कभी पूरा मुँह में लेती। मैं उसके बाल पकड़कर उसे और गहराई तक ले गया।
आप यह Friends Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
करीब दस मिनट की चूसने-चाटने के बाद मैंने उसे फिर से लिटाया। मैंने उसके पैर फैलाए और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। “अंकुर… प्लीज़… डाल दो…” वो गिड़गिड़ा रही थी। मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के छेद पर रखा और धीरे से दबाया। उसकी चूत इतनी कसी थी कि लंड अंदर नहीं जा रहा था। मैंने थोड़ा जोर लगाया, तो वो चीख पड़ी, “आह्ह… दर्द हो रहा है!”
मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा, ताकि आवाज़ बाहर न जाए। मेरा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। मैंने थोड़ा रुककर उसे सहलाया, “जान, थोड़ा दर्द होगा, फिर मज़ा आएगा।” वो हल्का सा सिर हिलाकर सहमति दे रही थी। मैंने फिर से धक्का मारा, और मेरा लंड आधा अंदर चला गया। उसकी चूत की दीवारें मेरे लंड को जकड़ रही थीं। वो दर्द से कराह रही थी, “उफ्फ… अंकुर… धीरे…”
मैंने फिर से लंड को थोड़ा बाहर निकाला और एक जोरदार धक्का मारा। इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी आँखों से आँसू निकल आए, और वो दर्द से इधर-उधर सिर हिलाने लगी। मैंने उसे चूमा और कहा, “बस, हो गया, जान। अब मज़ा आएगा।” थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ, और वो हल्के-हल्के कमर हिलाने लगी।
मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। “आह्ह… उफ्फ… अंकुर…” वो सिसकार रही थी। उसने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट लीं, जैसे कोई बेल किसी पेड़ से लिपटती है। मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई, और हर धक्के के साथ उसकी चूत की गहराई नाप रहा था। “अंकुर… और जोर से… फक मी हार्ड…” वो चिल्ला रही थी। उसकी साँसें तेज थीं, और कमरे में “आह्ह… उह्ह… ऊऽऽ…” की आवाज़ें गूँज रही थीं।
मैंने उसे पलटाया और उसे घोड़ी बनाया। उसकी गोल-मटोल गाँड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गाँड पर हल्का सा थप्पड़ मारा, और वो सिहर उठी। “उफ्फ… अंकुर… ये क्या?” मैंने उसकी चूत में पीछे से लंड डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “आह्ह… उफ्फ… श्ह्ह…” वो सिसकार रही थी, और उसकी चूचियाँ हिल रही थीं। मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे और गहराई तक चोदा।
आप यह Friends Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
करीब पंद्रह मिनट की चुदाई के बाद वो फिर से झड़ गई। उसकी चूत और चिकनी हो गई थी, और मेरा लंड अब आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उसे फिर से लिटाया और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। इस बार मैंने लंबे और गहरे धक्के मारे। “आह्ह… अंकुर… बस करो… मैं मर जाऊँगी…” वो चिल्ला रही थी, लेकिन उसकी आँखों में मज़ा साफ दिख रहा था।
मैंने अपनी स्पीड और बढ़ाई। कभी छोटे-छोटे धक्के, तो कभी लंबे और गहरे। हर धक्के के साथ वो “उफ्फ… आह्ह… श्ह्ह…” करती। उसने अपनी उंगलियाँ मेरी पीठ में गड़ा दीं, और मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था। आखिरकार, बीस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। मैं उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया, और वो भी हाँफ रही थी। उसके चेहरे पर संतुष्टि की चमक थी।
हम दोनों इतने थक गए थे कि हिलने की हिम्मत नहीं थी। लेकिन मुझे डर था कि कहीं मम्मी न आ जाएँ। मैंने जल्दी-जल्दी उसके कपड़े पहनाए, और वो अपनी किताबें लेकर चली गई। बाद में उसने मुझे बताया कि वो बहुत खुश है। उसके बाद मैंने उसे चार बार और चोदा, और उसने अपनी तीन सहेलियों की सील भी मुझसे तुड़वाई। वो कहानी मैं अगली बार लिखूँगा।
दोस्तो, ये मेरी पहली कहानी है। प्लीज़ मुझे बताएँ कि आपको कैसी लगी, ताकि मैं अपनी अगली सच्ची कहानियाँ भी आपके साथ शेयर कर सकूँ।