Dost ke sath Bahno ki adla badli krke chudai kiya मेरा नाम कमलेश है, उम्र 24 साल। मैं सूरत का रहने वाला हूँ। मेरे घर में मेरी माँ सुनैना, उम्र 39 साल, मेरी बहन कशिश, उम्र 19 साल, और हमारा नौकर रंजय, उम्र 24 साल, रहते हैं। मेरे पिता बाबूलाल ने माँ को तलाक दे दिया है और वो हमसे अलग रहते हैं। लोग कहते हैं कि माँ और पिताजी का तलाक इसलिए हुआ क्योंकि माँ पिताजी से 16 साल छोटी थीं और पिताजी उनकी जवानी की आग को शांत नहीं कर पाते थे। माँ की जवानी आज भी बरकरार है। सुनैना, 5 फीट 5 इंच की लंबाई, गोरा रंग, भारी-भारी चूचियाँ, मटकते हुए चूतड़, और गदराया हुआ बदन। जब वो चलती हैं, तो उनके चूतड़ों का मटकना किसी का भी लंड खड़ा कर दे। हमारा किरायेदार पटेल साहब, उम्र करीब 45 साल, माँ पर लाइन मारता रहता है, लेकिन माँ उसे भाव नहीं देती।
मेरी बहन कशिश भी माँ की तरह खूबसूरत है। उसकी चूचियाँ और चूतड़ माँ से थोड़े छोटे हैं, लेकिन इतने टाइट कि किसी का भी मन डोल जाए। मेरे दोस्त ऋषभ की बहन कविता, उम्र 20 साल, मेरी बहन की पक्की सहेली है और हमारे घर अक्सर आती-जाती रहती है। मैं जवानी की दहलीज पार कर चुका हूँ और अपने दोस्तों से चुदाई की बातें सुन-सुनकर मेरे अंदर भी वासना की आग भड़क चुकी है। हमने सेक्स की किताबें पढ़ी हैं, जो मेरे दिमाग में आग लगाने के लिए काफी थीं। एक दिन ऋषभ ने मुझे एक किताब दी, “जवानी की नादानी”। उस किताब में हीरो अपनी सगी बहन के साथ शारीरिक संबंध बनाता है। दोनों भाई-बहन चुदाई की आग में जल रहे थे।
किताब पढ़ते-पढ़ते मेरा लंड टनटना उठा। मेरी नजर अपनी बहन कशिश पर चली गई। किताब का हीरो अपनी बहन को चोद रहा था, और मैं अपने लंड को मुठियाते हुए कशिश को नंगा करके चोदने की कल्पना करने लगा। उस दिन जब मेरा लंड छूटा, तो इतना रस निकला कि पहले कभी नहीं निकला था। मैंने लंड साफ किया और किताब को अलमारी में छुपा दिया।
उस दोपहर मैं और ऋषभ शराब पी रहे थे। ऋषभ ने कहा, “कमलेश, जरा जल्दी कर, आज मैं अपनी बड़ी दीदी के यहाँ जा रहा हूँ। उसकी चुदाई करनी है। मुझे समय पर पहुँचना है। अगर तू भी चूत का मजा लेना चाहता है, तो मेरे साथ चल। मेरी दीदी की ननद भी चुदाई की शौकीन है। तुझे उसका जिम्मा दे दूँगा। तू तो जानता है कि मेरे जीजाजी को शुगर है, वो दीदी को संतुष्ट नहीं कर पाते। जीजाजी के कहने पर ही मैं दीदी की चुदाई करता हूँ।”
मैंने आसमान में घने काले बादल देखे और कहा, “दोस्त, ऐसा न्योता मैं कैसे ठुकरा सकता हूँ? लेकिन आज माँ की कमर दर्द की दवा ले जानी है। तू चल, लेट हो रहा है। बारिश कभी भी शुरू हो सकती है।” मेरे बोलते ही बारिश शुरू हो गई। ऋषभ ने स्कूटर स्टार्ट किया और निकल गया। मैं पैदल घर की ओर चल पड़ा। बारिश इतनी तेज थी कि मैं पूरा भीग गया। रास्ते में मैंने माँ की दवा ली, एक क्वार्टर शराब खरीदी, जो मैं घर जाकर पीना चाहता था, और घर की ओर बढ़ गया।
घर पहुँचते-पहुँचते अंधेरा हो चुका था। आसमान में काले बादल छाए थे, और घर में चारों तरफ सन्नाटा था। मैं माँ के कमरे की ओर बढ़ा, सोच रहा था कि दवा देकर अपनी सेक्सी किताब पढ़ते हुए शराब पियूँगा और मुठ मारूँगा। लेकिन जैसे ही माँ के कमरे के पास पहुँचा, अंदर से माँ की कराहने की आवाजें आईं, “उईई माँ, मैं मर गई, बहुत दर्द हो रहा है!” मैंने सोचा कि माँ की कमर का दर्द बढ़ गया है और मैं दवा लाने में लेट हो गया।
लेकिन जब मैंने कमरे में झाँका, तो नजारा कुछ और ही था। मेरी माँ सुनैना पूरी नंगी फर्श पर घुटनों और हाथों के बल झुकी हुई थी। रंजय, हमारा नौकर, भी नंगा था और माँ के चूतड़ों के पीछे खड़ा होकर अपनी मोटी लंड को माँ की चूत में डाल रहा था। रंजय का लंड 8 इंच लंबा और मोटा था, जिसे माँ की चूत लेने में मुश्किल हो रही थी। रंजय माँ को कुतिया की तरह चोद रहा था। उसकी आँखें बंद थीं, वरना वो मुझे जरूर देख लेता। माँ कामुकता की देवी लग रही थी। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ, जो 36D की थीं, नीचे लटक रही थीं, और चूतड़ ऊपर की ओर उठे हुए थे। उसका गोरा बदन बल्ब की रोशनी में चमक रहा था।
रंजय ने अपना लंड बाहर निकाला, उस पर ढेर सारा थूक लगाया और फिर से माँ की चूत में डाल दिया। चिकनाई की वजह से इस बार लंड आसानी से अंदर चला गया। माँ कराही, “आह्ह, रंजय, तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” रंजय बोला, “सुनैना, मेरी रानी, अब तो मजा आ रहा है ना? कितने दिनों बाद मौका मिला है तुझे चोदने का। माँ कसम, तेरी चूत दिन-ब-दिन और टाइट हो रही है। तू तो और जवान होती जा रही है। मेरे लंड से ऐसे ही चुदवाती रह, मेरी जान। मेरा लंड तेरी चूत में गधे के लंड जैसा हो गया है। आह्ह, बहुत मजा आ रहा है, रानी!”
माँ वासना की आग में जल रही थी। उसने अपनी गांड रंजय के लंड पर मारनी शुरू कर दी और बोली, “रंजय, मेरे राजा, चोद ले अपनी रानी को। मैं तेरे इस मस्त लंड की प्यासी हूँ। मादरचोद, अगर तू ना होता तो मैं लंड के बिना तड़प-तड़प कर मर जाती। मेरा पति तो नामर्द है, कुछ कर ही नहीं सकता। मेरे रंजय, तेरे लंड पर वारी जाऊँ। साले, चोद मुझे, कुत्ते!” रंजय ने माँ की कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ “थप-थप” और “पच-पच” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। माँ की चूचियाँ हिल रही थीं, और वो कराह रही थी, “आह्ह, रंजय, और जोर से! मेरी चूत को फाड़ दे, साले! तेरे लंड ने मेरी भोसड़ी में आग लगा दी है। चोद, मेरे राजा, चोद!”
रंजय ने माँ की चूचियाँ पकड़ लीं और उन्हें मसलते हुए बोला, “सुनैना, तुझे चोदते हुए 8 साल हो गए, लेकिन तू हर बार नई चूत जैसी लगती है। साली, अब अपनी बेटी कशिश को भी मेरे लंड से चुदवा दे। वो भी तो जवान हो गई है। मैं तुम माँ-बेटी की दिन-रात सेवा करूँगा।” माँ ने कराहते हुए कहा, “हाँ, रंजय, मेरी कशिश को भी तेरा लंड चाहिए। लेकिन अभी तू मेरी चूत को शांत कर, साले!” रंजय ने एक जोरदार धक्का मारा, और माँ चीख पड़ी, “उईई माँ, तेरा लंड मेरी बच्चेदानी तक जा रहा है!”
मैं यह नजारा देखकर पागल हो रहा था। मेरे हाथ में दवा की पुड़िया थी, लेकिन मेरा लंड पैंट में तन गया था। रंजय ने माँ की चूत में तेज-तेज धक्के मारने शुरू किए। माँ की चूत गीली हो चुकी थी, और हर धक्के के साथ “पच-पच” की आवाज तेज हो रही थी। रंजय चिल्लाया, “सुनैना, मैं झड़ रहा हूँ, मेरा रस तेरी चूत में गिरने वाला है!” माँ ने फटाक से अपनी गांड पीछे खींच ली। उसकी चूत का रस फर्श पर टपक रहा था। उसने रंजय का लंड मुँह में लिया और चूसने लगी, जबकि रंजय ने माँ की चूत को रगड़ना शुरू कर दिया। माँ कराही, “आह्ह, रंजय, तेरा रस कितना गाढ़ा है!”
मैं समझ गया कि माँ गर्भवती नहीं होना चाहती थी। मैं चुपके से अपने कमरे में चला गया और एक पेग बनाकर पीने लगा। थोड़ी देर बाद रंजय अपने क्वार्टर में चला गया, और माँ अपनी सहेली के घर चली गई। मैं मुठ मारने की सोच रहा था, लेकिन पहले यह देखना चाहता था कि घर में कोई है या नहीं। मैंने अलमारी से अपनी सेक्सी किताब निकालनी चाही, लेकिन वो वहाँ नहीं थी। मैं घबरा गया। कहीं किताब किसी के हाथ तो नहीं लग गई? मैंने सारे कमरे खंगालने शुरू किए।
जैसे ही कशिश के कमरे के पास पहुँचा, मेरे कदम रुक गए। अंदर से आवाजें आ रही थीं, “चूस, कशिश, मेरी चूत चूस! मेरी चूचियाँ भी चूस, साली! मेरी चूत में आग लगी है, मुझे शांत कर दे, मेरी रानी!” यह कविता की आवाज थी। मैंने झाँका तो देखा कि कशिश और कविता बिस्तर पर पूरी नंगी थीं। कशिश अपनी सहेली की चूत में जीभ डालकर चाट रही थी। कविता की जाँघें कशिश के चेहरे पर कसी हुई थीं, और वो कशिश के सिर पर हाथ फेर रही थी। मेरी किताब बिस्तर पर खुली पड़ी थी।
दोनों लड़कियाँ 69 की पोजीशन में थीं। कविता कशिश की चूत को चूस रही थी, और कशिश कविता की चूत में जीभ डाल रही थी। “आह्ह, कशिश, तेरी जीभ मेरी चूत में जन्नत दिखा रही है!” कविता कराही। कशिश बोली, “कविता, तेरी चूत का रस तो अमृत है!” मेरा लंड पैंट में कुतुबमीनार की तरह खड़ा हो गया। तभी मेरा फोन बजा। यह ऋषभ का कॉल था। उसने कहा, “कमलेश, यार, यहाँ तो सारा प्रोग्राम चौपट हो गया। मेहमान आ गए हैं। मैं लंड खड़ा करके दीदी को चोदने गया था, लेकिन अब लंड हाथ में लेकर लौट रहा हूँ। अगर फ्री हो, तो आ जा, शराब पीते हैं।”
मैंने आवाज दबाते हुए कहा, “साले, अगर चुदाई ही करनी है, तो मेरे घर चले आ। तेरी दीदी की चूत नहीं मिली, तो कोई बात नहीं। आज तुझे सीलपैक चूत दिलवाता हूँ। जल्दी से एक बोतल दारू लेकर आ। साले, अपनी कुंवारी बहन कविता को तुझसे चुदवाने वाला हूँ, और मैं कशिश को चोदूँगा।” मैंने और ऋषभ ने प्लान बनाया कि हम एक ही कमरे में अपनी बहनों को चोदेंगे, लेकिन यह सुनिश्चित करेंगे कि माँ को कुछ पता न चले।
मैंने कशिश के कमरे का दरवाजा खोल दिया। कविता की नजर मुझ पर पड़ी, और वो कशिश की चूत से मुँह हटाकर बोली, “कमलेश भैया, आप? हम तो बस यूँ ही…” कशिश ने मुझे देखा और पैरों पर गिर पड़ी, “भैया, माँ को मत बताना। हम आपकी किताब पढ़कर बहक गई थीं। माफ कर दो, भैया!” वो अपने नंगे बदन को ढकने लगी। मैंने कशिश की टाइट चूचियाँ पकड़ लीं और उन्हें जोर से दबाया। उसकी चूचियाँ 34C की थीं, टाइट और गोल। मैंने कविता की जाँघ सहलाते हुए कहा, “सुन, मेरी बहना, तुम दोनों जो कर रही हो, मुझे कोई ऐतराज नहीं। तुम दोनों जवान हो, तुम्हारे बदन में जवानी की आग लगी है। तुम्हारी चूत को सिर्फ जवान लंड ही ठंडा कर सकता है। तुम्हें लंड चाहिए, और मुझे चूत। शोर मत करो, मेरी बहनों। अगर तुम वैसा करो जैसा मैं कहता हूँ, तो तुम दोनों की चूत के लिए मोटे-तगड़े लंड मिल जाएँगे। बोलो, मंजूर है?”
दोनों लड़कियाँ मुझे मुँह फाड़कर देखने लगीं। मैंने अपनी पैंट उतार दी। मेरा 7 इंच का लंड खड़ा था। मैंने कशिश की चूचियाँ फिर से दबाईं, लेकिन उसे चोदने का इरादा नहीं था। मैंने कविता को मेरे कमरे में जाने को कहा। वो नंगी ही चली गई। मैंने कशिश को सारा प्लान बताया कि ऋषभ आएगा और उसे चोदेगा, और मैं कविता को चोदूँगा, लेकिन सब एक ही कमरे में होगा। हमने यह भी तय किया कि माँ को कुछ पता नहीं चलना चाहिए।
ऋषभ बोतल लेकर आ गया। मैंने दरवाजा लॉक किया और खिड़कियाँ बंद कर दीं, ताकि माँ के अचानक आने पर कोई शक न हो। हम चारों मेरे कमरे में इकट्ठा हुए। मैंने दो ग्लास में शराब भरी और कशिश व कविता को दी। कशिश और कविता पहले से ही नंगी थीं। मैंने और ऋषभ ने भी अपने कपड़े उतार दिए। मैंने कशिश की चूचियाँ फिर से दबाईं, उनके निप्पल्स को उंगलियों से मसला, और उसकी गांड पर एक हल्का थप्पड़ मारा। कशिश कराही, “आह्ह, भैया, क्या कर रहे हो?” मैंने कहा, “बस, मेरी बहना, तुझे तैयार कर रहा हूँ।” लेकिन मैंने उसे चोदने की बजाय ऋषभ की ओर इशारा किया।
ऋषभ ने कशिश को बिस्तर पर लिटाया। मैंने कविता को अपनी बाहों में लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। कविता की चूचियाँ 34B की थीं, टाइट और मुलायम। मैंने उसकी चूचियों पर शराब की बूँदें टपकाईं और उन्हें चूसना शुरू किया। कविता कराही, “आह्ह, कमलेश भैया, मेरी चूत में आग लगी है। मेरे बदन को शांत कर दो!” मैंने उसकी जाँघों को सहलाया, और मेरी उंगलियाँ उसकी चूत पर पहुँची। उसकी चूत गीली थी, और रस टपक रहा था।
उधर, ऋषभ ने कशिश की टाँगें फैलाईं और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। कशिश की चूत छोटी और टाइट थी। वो कराह रही थी, “आह्ह, ऋषभ, तेरी जीभ मेरी चूत में क्या कर रही है!” ऋषभ ने उसकी चूत के दाने को चूसा और बोला, “कशिश, तेरी चूत का स्वाद तो अमृत है। आज मैं तेरी चूत को फाड़ दूँगा!” कशिश ने अपनी गांड उठाई और ऋषभ के मुँह पर अपनी चूत रगड़ने लगी।
मैंने कविता को बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत पर अपनी जीभ फिराई। उसका रस नमकीन था, और मैंने उसकी चूत के दाने को हल्के से काटा। कविता चीखी, “आह्ह, भैया, मेरी चूत को चाटो! मुझे पागल कर दो!” मैंने उसकी चूत में उंगली डाली और अंदर-बाहर करने लगा। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरी उंगली को जकड़ रही थी। मैंने अपना लंड उसके मुँह में दे दिया, और वो उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। “उम्म, भैया, तेरा लंड कितना मोटा है!” कविता बोली।
उधर, ऋषभ ने कशिश की चूत को चाट-चाटकर लाल कर दिया था। उसने अपना 7 इंच का लंड कशिश की चूत पर रखा और हल्का सा धक्का मारा। कशिश चीखी, “आह्ह, ऋषभ, धीरे! मेरी चूत फट जाएगी!” ऋषभ ने उसकी चूचियाँ दबाईं और बोला, “कशिश, मेरी रानी, बस थोड़ा दर्द होगा, फिर मजा आएगा।” उसने थूक लगाकर लंड को चिकना किया और फिर से धक्का मारा। इस बार उसका लंड कशिश की चूत में आधा घुस गया। “पच” की आवाज के साथ कशिश की चूत से हल्का खून निकला। वो चीखी, “आह्ह, मेरी सील टूट गई!”
मैंने कविता की चूत को चाटना जारी रखा। उसकी चूत से रस की धारा बह रही थी। मैंने उसकी टाँगें और फैलाईं और अपना लंड उसकी चूत पर रखा। कविता बोली, “भैया, पेल दो! मेरी चूत को फाड़ दो!” मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी कुंवारी चूत में घुस गया। “पच-पच” की आवाज गूंजी। कविता चीखी, “आआआ, भैया, धीरे! दर्द हो रहा है!” मैंने धक्के धीरे किए और उसकी चूचियाँ चूसने लगा। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी।
कमरे में दोनों तरफ चुदाई की आवाजें गूंज रही थीं। “थप-थप” और “पच-पच” की आवाजों के साथ कशिश और कविता की कराहें मिल रही थीं। ऋषभ कशिश को चोदते हुए बोला, “कशिश, तेरी चूत कितनी टाइट है! मेरा लंड तेरे अंदर जन्नत में है!” कशिश कराही, “आह्ह, ऋषभ, और जोर से! मेरी चूत को फाड़ दे!” मैंने कविता की चूत में तेज-तेज धक्के मारने शुरू किए। वो चिल्लाई, “भैया, चोदो मुझे! मेरी चूत को अपने लंड से भर दो!”
मैंने कविता की चूचियाँ मसलीं और उसके निप्पल्स को चूसा। उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी। मैंने कहा, “कविता, तेरी चूत ने मेरे लंड को पागल कर दिया!” उधर, ऋषभ ने कशिश को कुतिया की पोजीशन में किया और पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया। कशिश की चूचियाँ हिल रही थीं, और वो चिल्ला रही थी, “आह्ह, ऋषभ, तेरा लंड मेरी बच्चेदानी तक जा रहा है!”
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैंने महसूस किया कि मेरा रस निकलने वाला है। मैंने कविता से कहा, “कविता, मैं झड़ रहा हूँ!” उसने कहा, “भैया, मेरी चूत में ही झड़ जाओ!” मेरा लंड फव्वारा छोड़ने लगा, और कविता की चूत में मेरा रस भर गया। उसी समय कविता भी झड़ गई, और उसकी चूत ने मेरे लंड को और जोर से जकड़ लिया। उधर, ऋषभ ने कशिश की चूत में तेज धक्के मारे और चिल्लाया, “कशिश, मैं झड़ रहा हूँ!” कशिश ने कहा, “मेरे मुँह में दे, साले!” ऋषभ ने अपना लंड बाहर निकाला और कशिश के मुँह में अपना रस छोड़ दिया।
हम चारों हाँफ रहे थे। मैंने और ऋषभ ने एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराया। हमने कपड़े पहने और कमरे को ठीक किया, ताकि माँ को कोई शक न हो। कशिश और कविता भी अपने कपड़े पहनने लगीं। हमने तय किया कि माँ के आने से पहले सब नॉर्मल हो जाना चाहिए।
तो दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? कमेंट में जरूर बताएँ।