Maa ke bade mamme दोस्तों, आज मैं आपको अपनी जिंदगी का एक गहरा राज बताने जा रही हूँ, जो शायद आपको चौंका दे, लेकिन ये मेरी हकीकत है। मेरे दो बच्चे थे—एक बेटा और एक बेटी। मेरा बड़ा बेटा, बिट्टू, अब 26 साल का जवान मर्द था। उसकी शक्ल बिल्कुल अपने बाप जैसी थी—वही नाक, वही आँखें। यही वजह थी कि मैं उससे दिल से प्यार नहीं कर पाती थी। मेरा पति, जिसका नाम लेना भी मुझे गवारा नहीं, एक सरकारी कर्मचारी था, लेकिन इंसानियत से कोसों दूर। शादी के कुछ ही सालों में उसने मुझे धोखा दिया। एक दूसरी औरत के चक्कर में उसने मुझे जहर की सुई तक चुभो दी थी। वो मुझे मारता-पीटता, गालियाँ देता, और मेरी जिंदगी को जहन्नुम बना दिया। जब मैं पहली बार माँ बनी, तो बिट्टू पैदा हुआ। उसकी शक्ल देखते ही मुझे अपने पति की याद आई, और मेरे मन में उसी दिन से बिट्टू के लिए नफरत जाग गई।
बिट्टू को समझ नहीं आता था कि उसकी माँ उससे इतना दूर क्यों रहती है। वो मेरे करीब आने की कोशिश करता, मेरी बात मानता, लेकिन मैं उसकी हर बात पर ताने मारती। पढ़ाई पूरी करने के बाद भी जब उसे नौकरी नहीं मिली, तो मैं और सख्त हो गई। “कुछ काम-धाम कर, बेकार कहीं का!” मैं उसे रोज सुनाती। लेकिन एक दिन सब कुछ बदल गया। मेरे पति ने फिर से मेरे साथ मारपीट शुरू की। उसने मुझे इतना मारा कि मेरे होश उड़ गए। तभी बिट्टू ने मुझे बचाया। उसने अपने बाप को ऐसा पीटा कि वो चुप हो गया। उस दिन मुझे पहली बार एहसास हुआ कि मेरा बेटा मेरा असली रक्षक है। कुछ समय बाद मेरे पति को कैंसर हो गया और वो मर गया। जाते-जाते उसने मुझे आखिरी सजा दी—मैं फिर से प्रेग्नेंट हो गई।
बिट्टू ने मेरी पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। उसने मुझे एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती करवाया, मेरी डिलीवरी करवाई। दिन-रात वो मेरे साथ रहा, मेरी देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी। मेरी बेटी, कविता, जो 22 साल की थी, घर पर थी, लेकिन बिट्टू ही मेरा सबसे बड़ा सहारा बना। उसने मुझे उस नर्क से निकाला, जो मेरा पति मेरे लिए छोड़ गया था। मेरे तीसरे बच्चे के जन्म के बाद, जब मैं घर लौटी, बिट्टू ने मेरी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ी। रात को वो मेरे पास बैठा रहता, मेरे नवजात बच्चे की देखभाल करता। धीरे-धीरे मेरा मन बदलने लगा। बिट्टू के लिए मेरे दिल में अब नफरत नहीं, बल्कि गहरा प्यार और सम्मान जागने लगा। वो मेरे लिए सिर्फ बेटा नहीं, मेरी जिंदगी का एक खास हिस्सा बन गया था।
एक रात, बच्चा होने के छठे दिन, मैंने बिट्टू को उसके कमरे में मुठ मारते देख लिया। मैं चुपके से खिड़की से झाँक रही थी। उसका चेहरा लाल था, और वो अपने मोटे, 7 इंच के लंड को बड़ी शिद्दत से सहला रहा था। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैंने सोचा, इस लड़के ने मेरे लिए इतना कुछ किया—मुझे उस जालिम पति से बचाया, मेरी जिंदगी संवारी। क्या मैं इसके लिए कुछ नहीं कर सकती? मैंने ठान लिया कि मैं बिट्टू को वो सुख दूँगी, जो वो चाहता है। दसवें दिन, मैंने फिर उसे रात में मुठ मारते देखा। इस बार मैंने हिम्मत जुटाई और उसके कमरे का दरवाजा खटखटाया।
बिट्टू ने दरवाजा खोला। उसने सिर्फ एक आसमानी रंग का अंडरवियर पहन रखा था, जो उसके मोटे लंड को मुश्किल से छुपा पा रहा था। उसका चेहरा घबराहट से लाल था। “मम्मी, आप यहाँ?” वो हकलाते हुए बोला। “बेटा, क्या कर रहे थे?” मैंने धीमे, गर्म लहजे में पूछा। “वो… कुछ नहीं, मम्मी,” उसने नजरें चुराते हुए कहा।
मैं उसके कमरे में दाखिल हो गई। मेरा तीसरा बच्चा, जो अभी कुछ दिन पहले पैदा हुआ था, पालने में सो रहा था। मेरी बेटी कविता अपने कमरे में सो रही थी। घर में सन्नाटा था, और रात के 10 बज रहे थे। मैंने लाल रंग की मैक्सी पहन रखी थी, जो मेरे गोरे, मक्खन जैसे बदन से चिपकी हुई थी। बच्चा होने की वजह से मेरे मम्मे अब पहले जैसे छोटे नहीं थे। वो भारी, गोल-मटोल, और दूध से भरे हुए थे, जो मेरी मैक्सी से बाहर झाँक रहे थे। मेरी कमर अभी भी पतली थी, और मेरा 36-28-36 का फिगर किसी को भी पागल कर सकता था। मैंने बिट्टू की आँखों में देखा और कहा, “बेटा, अब तुम्हें हाथ से मुठ मारने की जरूरत नहीं है।”
बिट्टू मेरी बात समझ गया। उसकी आँखों में एक चमक थी, पर साथ में संकोच भी। “माँ, ये गलत तो नहीं होगा? आप तो मेरी माँ हैं,” उसने धीरे से कहा। मैंने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, बड़े शहरों में ये सब चलता है। दिल्ली-मुंबई में लोग सब कुछ करते हैं। तुम्हारे बाप ने मुझे अपने बॉस से चुदवाया था, ये तुम जानते हो? उसने मेरे साथ क्या-क्या नहीं किया। तुम इस बारे में मत सोचो।”
मेरा बेटा समझदार था। मेरी बात सुनकर उसका डर कम हुआ। वो मेरे करीब आया। मैंने अपनी मैक्सी के बटन खोल दिए और उसे नीचे सरका दिया। मेरी ब्रा भी निकाल फेंकी। मेरे भारी, दूध से भरे मम्मे अब बिट्टू के सामने थे। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। वो जैसे किसी दूसरी दुनिया में चला गया था। “शरमाओ मत, बेटा। बड़े शहरों में ये सब लीगल है,” मैंने उसे हौसला देते हुए कहा।
मैंने बिट्टू के हाथ पकड़े और उन्हें अपने मम्मों पर रख दिया। उसका स्पर्श मेरे बदन में बिजली सी दौड़ा गया। उसने हल्के से मेरे निप्पल्स को छुआ, और मेरे मुँह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गई— “आह्ह…”। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं, ताकि वो शरमाए नहीं। बिट्टू अब धीरे-धीरे मेरे मम्मों को सहलाने लगा। उसने मेरे एक निप्पल को हल्के से दबाया, और उसमें से दूध की बूँदें टपकने लगीं। “आह्ह… बेटा, धीरे,” मैंने सिसकारते हुए कहा।
उसने मेरे दूध से भरे मम्मों को मुँह में लिया और चूसने लगा, जैसे वो बचपन में चूसा करता था। “उम्म… आह्ह…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो गईं। उसका मुँह मेरे निप्पल्स पर था, और दूध की धार बह रही थी। “बेटा, कितना अच्छा लग रहा है… और चूसो,” मैंने कराहते हुए कहा। मैंने उसके घुंघराले बालों में अपनी उंगलियाँ फेरनी शुरू कीं। वो अब पूरी तरह खुल गया था। मैंने अपनी टाँगें फैला दीं, पर उसका ध्यान अभी भी मेरे मम्मों पर था। वो बार-बार मेरे निप्पल्स को दबाता, दूध की धार देखता, और फिर उसे पीने लगता। “आह्ह… बेटा, तू तो मेरे दूध का दीवाना हो गया,” मैंने हँसते हुए कहा।
“मम्मी, आप… आप इतनी खूबसूरत हैं,” बिट्टू ने कहा, उसकी आवाज में एक गर्मी थी। मैंने अपनी चूत को छूते हुए कहा, “बेटा, अब दूध ही पियोगे, या अपनी माँ की चूत भी लोगे?”
बिट्टू का ध्यान अब मेरी चूत की ओर गया। मैंने अपनी मैक्सी पूरी तरह उतार दी थी। मेरी चूत, जो अभी 10 दिन पहले बच्चा पैदा होने की वजह से थोड़ी ढीली थी, सावली और रसीली थी। मेरी हल्की-हल्की झाँटें उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थीं। बिट्टू ने मेरी चूत को छुआ, और मेरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई। “आह्ह… बेटा, धीरे,” मैंने फिर कहा। उसने मेरी चूत के होंठों को अपनी उंगलियों से फैलाया और उसे चूमने लगा। “उम्म… आह्ह…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
बिट्टू अब मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिसल रही थी, और मैं तड़प रही थी। “आह्ह… बेटा, अच्छी तरह से देख लो, तुम इसी चूत से निकले हो!” मैंने कराहते हुए कहा। उसने मेरी चूत के दाने को अपनी जीभ से छेड़ा, और मैं जोर से सिसकारी— “आह्हह्ह… बेटा!” मेरे हाथ उसके सिर को अपनी चूत में दबाने लगे। वो मेरी चूत को ऐसे चाट रहा था, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार पर टूट पड़ा हो। “उम्म… बेटा, और चाट… मेरी बुर को चाट डाल,” मैंने कराहते हुए कहा।
मैंने उसके अंडरवियर को उतार दिया। उसका लंड, जो अब पूरी तरह खड़ा था, करीब 7 इंच लंबा और मोटा था। मैंने उसे अपने हाथ में लिया और हल्के से सहलाने लगी। “आह्ह… मम्मी, ये क्या कर रही हो?” बिट्टू ने सिसकारते हुए कहा। मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। “उम्म… आह्ह…” बिट्टू की सिसकारियाँ अब तेज हो गईं। मैंने उसके लंड को गहराई तक लिया, और मेरी जीभ उसके सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थी। “मम्मी, आपका मुँह… आह्ह… कितना गर्म है,” उसने कराहते हुए कहा।
“बेटा, अब और मत तड़पाओ… अपनी माँ को चोद डाल,” मैंने कहा। मैंने अपनी टाँगें और चौड़ी कर दीं। मेरी गोरी, चिकनी जाँघें अब उसके सामने थीं। उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रखा और हल्के से रगड़ा। “आह्ह… बेटा, डाल दो… और मत तड़पाओ,” मैंने कराहते हुए कहा। उसने अपने लंड को मेरी चूत में धीरे से धकेला। “उम्म… आह्ह…” मेरी चूत अभी थोड़ी संवेदनशील थी, पर उसका लंड अंदर जाते ही मुझे एक अजीब सा सुकून मिला।
“आह्ह… बेटा, धीरे… चुभ रहा है,” मैंने कहा। बिट्टू ने अपनी रफ्तार कम की और धीरे-धीरे मुझे चोदने लगा। “पच… पच…” उसके लंड के मेरी चूत में आने-जाने की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैंने अपने मम्मों को दबाया, और दूध की धार फिर से बहने लगी। बिट्टू ने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसते हुए मुझे चोदने लगा। “आह्ह… बेटा, और जोर से… चोदो अपनी माँ को,” मैंने कराहते हुए कहा। “मम्मी, आपकी चूत… आह्ह… कितनी टाइट है,” उसने कहा।
उसने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। “पच… पच… फच… फच…” उसका लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था। मेरी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं— “आह्ह… उम्म… बेटा, और जोर से… फाड़ दो अपनी माँ की बुर!” बिट्टू अब पूरे जोश में था। उसने मेरी जाँघें पकड़ीं और मुझे और तेजी से चोदने लगा। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और उसका लंड उसमें फिसल रहा था। “आह्ह… बेटा, तेरा लंड… मेरी चूत को फाड़ रहा है,” मैंने चीखते हुए कहा।
करीब 30 मिनट तक उसने मुझे चोदा। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली थी, और मैं कई बार झड़ चुकी थी। “आह्ह… बेटा, मैं गई… आह्ह…” मैंने चीखते हुए कहा। बिट्टू भी अब झड़ने वाला था। “मम्मी, मैं… मैं आने वाला हूँ,” उसने कहा। मैंने उसे और कसकर पकड़ लिया। “बेटा, अंदर ही छोड़ दो… अपनी माँ की चूत में,” मैंने कहा। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में भर गया। “आह्ह…” हम दोनों की सिसकारियाँ एक साथ गूँजीं।
उस रात के बाद, बिट्टू और मैं हर रात एक-दूसरे के हो गए। दो साल बीत चुके हैं, और आज भी वो हर रात मेरी चूत लेता है। मेरी जिंदगी, जो कभी नर्क थी, अब स्वर्ग बन चुकी है। मैं चाहती हूँ कि मेरी कहानी सब तक पहुँचे। क्या आपको मेरी कहानी पसंद आई? अपने विचार जरूर बताएँ।