दो भाभी की चूत गांड का मज़ा

2 Bhabhi ki chudai ek sath – मेरे प्यारे दोस्तो, मेरा नाम मयंक है। मैं 22 साल का हूँ, गाँव से दिल्ली 2015 में पढ़ाई के लिए आया था। गाँव में मेरे माँ-बाप और छोटा भाई रहते हैं। मैंने दिल्ली में आते ही सोचा कि एक किराए का कमरा ले लूँ, ताकि पढ़ाई पर ध्यान दे सकूँ। दिल्ली की भीड़-भाड़ और चमक-धमक मेरे लिए नई थी, लेकिन मन में एक जोश था कि यहाँ कुछ बड़ा करूँगा।

मुझे एक मकान में कमरा मिला। मकान मालिक की फैमिली में तीन लोग थे—मकान मालिक रमेश भैया, उनकी पत्नी रीना भाभी, और उनकी पांच साल की बेटी रिया। रमेश भैया 35 साल के थे, मझोले कद के, गंभीर चेहरा, और हमेशा जल्दी-जल्दी में रहते थे। रीना भाभी 30 साल की थीं, गोरी, लंबी, और एकदम फिट। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो बात करते वक्त आपको बाँध लेती थी। उनकी मुस्कान में शरारत और मासूमियत का मिश्रण था। उनकी बेटी रिया बहुत प्यारी थी, हमेशा इधर-उधर भागती रहती थी।

पहली मुलाकात में मैंने रीना भाभी से पूछा, “भाभी, कमरा सिंगल है या डबल?” उन्होंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “सिंगल रूम है। तुम्हारे लिए सिंगल ही ठीक रहेगा, पढ़ाई पर ध्यान देना है ना?” मैंने कहा, “हाँ, भाभी। मैं दिल्ली पढ़ाई के लिए आया हूँ। यहाँ से डिग्री लेकर गाँव लौट जाऊँगा।” उन्होंने पूछा, “तुम्हारे मम्मी-पापा कहाँ रहते हैं?” मैंने बताया, “सब गाँव में हैं, भाभी। मैं अकेला शहर में पढ़ने आया हूँ।” अचानक उन्होंने ठहाका लगाया, “अरे, मैं आंटी दिखती हूँ क्या?” मैं थोड़ा झेंप गया और हड़बड़ाते हुए बोला, “नहीं-नहीं, भाभी! गलती हो गई, सॉरी! आप तो भाभी हो, एकदम जवान!” वो हँसते हुए बोलीं, “चलो, ठीक है। कुछ चाहिए तो बता देना।” फिर एक पल रुककर, आँखों में शरारत भरी मुस्कान के साथ अपने कमरे में चली गईं। मैंने मन ही मन सोचा, “ये भाभी तो कुछ और ही है!”

मैंने कमरा सेट किया। किताबें अलमारी में रखीं, बिस्तर लगाया, और थकान के मारे सो गया। अगले दिन सुबह उठा तो भाभी से पानी की बोतल माँगी। उन्होंने बोतल देते हुए कहा, “और कुछ चाहिए तो बता देना।” उनकी आवाज़ में एक अजीब सी गर्माहट थी। मैंने मन में सोचा, “भाभी, मुझे तो बहुत कुछ चाहिए, लेकिन अभी तो बस पानी!” मैं अपने कमरे में लौट गया।

इस तरह दिन बीतने लगे। भाभी से थोड़ी-थोड़ी बात होती थी। कभी पानी माँगने जाता, कभी बिल की बात करता। धीरे-धीरे मैंने देखा कि भाभी मुझे देखकर मुस्कुराती थीं। उनकी साड़ी में लिपटा हुआ बदन, उनकी चाल, और वो बात करते वक्त बालों को कान के पीछे करने की आदत—सब कुछ मुझे उनकी ओर खींच रहा था।

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दो महीने बाद एक दिन मैंने भाभी से पूछा, “भाभी, भैया क्या करते हैं?” उन्होंने बताया, “वो प्राइवेट कंपनी में इंजीनियर हैं। नाइट शिफ्ट करते हैं, रात 8 बजे जाते हैं, सुबह 6 बजे लौटते हैं।” ये सुनकर मेरे मन में कुछ शरारती ख्याल आए। मैंने सोचा, “तो रात को भाभी अकेली होती हैं।”

एक दिन मैंने हिम्मत करके भाभी से पूछा, “भाभी, आप इतनी मुलायम और ग्लोइंग कैसे रहती हो? मसाज करवाती हो?” वो हँसीं और बोलीं, “पहले करवाती थी। पास का पार्लर बंद हो गया, अब कहाँ जाऊँ?” मैंने मौका देखकर कहा, “भाभी, आप घर पर ही मसाज करवा लो।” वो चौंकीं, “घर पर? कौन आएगा मसाज करने?” मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “भाभी, मैं पढ़ाई के साथ-साथ मसाज भी सीखा हूँ।” उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे देखा और बोलीं, “तुम? सच में?” मैंने कहा, “हाँ, भाभी। कोई दिक्कत नहीं।” वो थोड़ा सोचकर बोलीं, “ठीक है। भैया की नाइट शिफ्ट है। आज शाम 7 बजे के बाद आ जाना।” मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैंने कहा, “ठीक है, भाभी।”

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शाम का इंतज़ार करते-करते मेरा दिल बेकरार था। जैसे ही 7 बजे भैया ऑफिस के लिए निकले, मैंने भाभी के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया। भाभी ने दरवाज़ा खोला। वो एक हल्की सी मैक्सी में थीं, जो उनके बदन से चिपकी हुई थी। उनकी गोरी त्वचा, गहरी आँखें, और लटके हुए बाल—मैं तो बस देखता रह गया। मैंने कहा, “भाभी, आप तो एकदम परी लग रही हो!” वो शरमाईं और बोलीं, “बस, चुप! काम पर ध्यान दे। मसाज करने आया है ना?” मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ, भाभी।”

वो बोलीं, “तो चलो, अंदर आओ।” मैं अंदर गया। कमरे में हल्की सी खुशबू थी, शायद गुलाब के परफ्यूम की। भाभी ने बिस्तर पर एक चादर बिछाई और कहा, “मैक्सी उतार दूँ?” मैंने हल्का सा घबराते हुए कहा, “हाँ, भाभी। आप चाहो तो मैं उतार दूँ।” वो हँसीं और बोलीं, “तू ही उतार दे।”

मैंने धीरे-धीरे उनकी मैक्सी उतारी। नीचे कुछ नहीं था। भाभी पूरी तरह नंगी थीं। उनकी गोरी चिकनी त्वचा, भरे हुए स्तन, और पतली कमर देखकर मैं स्तब्ध रह गया। उनकी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, जो गीलेपन से चमक रहे थे। मैं उन्हें देखता रहा। वो बोलीं, “क्या देख रहा है? शरमाता क्यों है? काम शुरू कर!” मैंने कहा, “भाभी, आप लेट जाइए।”

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वो बिस्तर पर लेट गईं। मैंने तेल लिया और उनकी पीठ पर डाला। मेरे हाथ उनकी मुलायम त्वचा पर फिसलने लगे। उनकी पीठ से लेकर कमर तक, फिर धीरे-धीरे उनकी गोरी, गोल चूतड़ों तक। मैंने उनके चूतड़ों को हल्के से दबाया। भाभी ने एक हल्की सी सिसकारी ली, “उम्म…” मैंने उनकी जाँघों पर तेल लगाया, फिर धीरे-धीरे उनकी चूत के पास पहुँचा। उनकी चूत गीली थी, और उसकी गर्मी मेरे हाथों को महसूस हो रही थी। मैंने हल्के से उनकी चूत पर उंगलियाँ फिराईं। भाभी ने सिसकारी ली, “आह्ह… मयंक, ये क्या कर रहा है?” मैंने कहा, “भाभी, मसाज ही तो कर रहा हूँ।”

वो बोलीं, “चल, ठीक है। लेकिन अब नहाना पड़ेगा। तू भी गंदा हो गया।” हम दोनों बाथरूम में गए। गर्म पानी की फुहारों के नीचे भाभी की नंगी देह और भी खूबसूरत लग रही थी। हमने एक-दूसरे को साबुन लगाया। मैंने उनके स्तनों को सहलाया, उनके निप्पल्स सख्त हो गए थे। वो बोलीं, “मयंक, तू तो बड़ा शरारती है!”

नहाने के बाद हम वापस कमरे में आए। भाभी ने कहा, “मसाज अच्छी की तूने। अब और क्या करेगा?” मैंने हिम्मत करके कहा, “भाभी, जब सब देख लिया, मसाज कर ली, तो मेरी मन की इच्छा भी पूरी कर दो।” वो चौंकीं, “क्या इच्छा?” मैंने कहा, “भाभी, मुझे आपके साथ वो सब करना है, जो आप चाहती हो।” वो हँसीं और बोलीं, “अच्छा? और तू क्या-क्या कर सकता है?” मैंने कहा, “जो आप बोलो, वो करूँगा। और ऐसा करूँगा कि कोई और ना कर पाए।” वो बोलीं, “मुझे रफ और डर्टी सेक्स पसंद है। कर पाएगा?” मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैंने कहा, “भाभी, मुझे भी यही पसंद है।”

हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। मैंने भाभी को अपनी बाहों में लिया और फ्रेंच किस शुरू की। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उनकी जीभ को चूस रहा था। “उम्म… आह्ह…” भाभी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। 10 मिनट तक हम एक-दूसरे को चूमते रहे। फिर मैं नीचे उतरा और उनके गोरे पैरों की खुशबू लेने लगा। मैंने उनके तलवों को चाटा, उनकी उंगलियों को मुँह में लिया। भाभी सिसकारी ले रही थीं, “आह्ह… मयंक, ये क्या कर रहा है?”

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मैंने कहा, “भाभी, आपका पूरा बदन चाटना चाहता हूँ।” मैंने उनके पैरों से लेकर जाँघों तक चाटा। उनकी जाँघों की भीतरी त्वचा इतनी मुलायम थी कि मैं रुक ही नहीं पा रहा था। फिर मैं उनकी चूत के पास पहुँचा। उनकी चूत गीली थी, और उसकी खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने धीरे से अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी। “आह्ह… ओह्ह…” भाभी की सिसकारियाँ तेज हो गईं।

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मैंने उनकी चूत को कुत्तों की तरह चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी। भाभी मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा रही थीं, “हाँ… ऐसे ही… चाट मेरी चूत… आह्ह!” आधे घंटे तक मैं उनकी चूत चाटता रहा। अचानक भाभी की देह अकड़ गई, और वो मेरे मुँह में झड़ गईं। मैंने उनका सारा रस पी लिया।

फिर भाभी बोलीं, “मेरी बगलें चाट। आज तक किसी ने नहीं चाटी।” मैंने उनकी बगलें चाटीं, उनकी खुशबू मेरे दिमाग में चढ़ गई। फिर उन्होंने मेरे मुँह में थूका। मैंने उनका थूक पी लिया और कहा, “भाभी, मैं आपका गुलाम बनना चाहता हूँ।” वो हँसीं और बोलीं, “ठीक है, गुलाम। आज से तू मेरा है।”

फिर भाभी ने मेरा लंड पकड़ा। मेरा 8 इंच का लंड पूरी तरह तना हुआ था। वो बोलीं, “ये तो बहुत मोटा है!” उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं। उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी। “उम्म… आह्ह…” मैं सिसकारी ले रहा था। 10 मिनट बाद मैं उनके मुँह में झड़ गया।

मैंने भाभी को कुतिया बनाया। उनके गोरे चूतड़ मेरे सामने थे। मैंने उनके चूतड़ फैलाए, उनकी गांड का काला छेद दिखा। उसकी खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने अपनी जीभ उनकी गांड में डाली और चाटने लगा। “आह्ह… मयंक… ये क्या… ओह्ह…” भाभी सिसकारी ले रही थीं। मैंने आधे घंटे तक उनकी गांड चाटी, मेरी जीभ अंदर-बाहर हो रही थी।

फिर मैंने भाभी को खड़ा किया। एक पैर बेड पर, एक ज़मीन पर। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आह्ह… धीरे…” भाभी चीखीं। मेरा लंड उनकी चूत में समा गया। मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। “थप… थप… थप…” चुदाई की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। भाभी चिल्ला रही थीं, “हाँ… चोद मुझे… और ज़ोर से… आह्ह!” 20 मिनट तक मैंने उनकी चूत की चुदाई की और फिर उनकी चूत में झड़ गया।

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मैंने पूछा, “भाभी, कैसा लगा?” वो बोलीं, “मयंक, ऐसा मज़ा मुझे कभी नहीं मिला। तूने मुझे जन्नत दिखा दी।”

थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “भाभी, अब आपकी गांड मारना चाहता हूँ।” वो घबराईं, “8 इंच का लंड? मेरी गांड फट जाएगी!” मैंने कहा, “भाभी, मैंने तो जीभ से आपकी गांड को मुलायम कर दिया है।”

मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल में किया। धीरे-धीरे मेरा लंड उनकी गांड में डाला। “आह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है…” भाभी सिसकारी ले रही थीं। मैंने धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर डाला और चुदाई शुरू की। “थप… थप…” गांड की चुदाई की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। 15 मिनट तक मैंने उनकी गांड मारी और फिर उनकी गांड में झड़ गया।

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हम दोनों थककर लेट गए। भाभी बोलीं, “अब मालिश कर दे। सुबह के 4 बज गए।” मैंने उनकी मालिश की और अपने कमरे में चला गया।

अगले दिन सुबह 10 बजे मैं भाभी के पास गया। वो बोलीं, “मयंक, तूने तो कमाल कर दिया।” मैंने पूछा, “भाभी, और कुछ?” वो बोलीं, “मेरी एक सहेली, शालिनी, है। क्या तू उसे चोद सकता है?” मैंने कहा, “बिल्कुल, भाभी। आप बात कर लो।”

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अगले दिन भाभी ने शालिनी से बात की। शालिनी 35 साल की थीं, भाभी से थोड़ी मोटी, लेकिन गज़ब की सेक्सी। उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ और भारी चूतड़ देखकर मेरा लंड तन गया। शाम को भाभी शालिनी को मेरे कमरे में लाईं। हम तीनों बातें करने लगे। भाभी बोलीं, “मैं चाय बनाकर लाती हूँ। तुम लोग बात करो।”

मैंने शालिनी से पूछा, “आपको क्या पसंद है?” वो बोलीं, “मुझे सबकुछ पसंद है, बस देर तक चोदना चाहिए।” मैंने कहा, “आप चिंता मत करो। आज रात मैं आपको और भाभी को खुश कर दूँगा।”

भाभी चाय लेकर आईं। चाय पीने के बाद भाभी बोलीं, “अब शुरू करते हैं।” शालिनी बोली, “मयंक, तू हमारा गुलाम है। हमारे कपड़े तू उतारेगा।”

मैंने भाभी की साड़ी उतारी, फिर शालिनी की। दोनों नंगी थीं। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए। भाभी मेरा लंड चूसने लगीं। शालिनी बोलीं, “मेरी चूत चाट।” मैं उनकी चूत चाटने लगा। उनकी चूत से रस टपक रहा था। “आह्ह… हाँ… ऐसे ही…” शालिनी सिसकारी ले रही थीं।

फिर भाभी बोलीं, “शालिनी, तू इसका लंड चूस। मैं इसके मुँह पर बैठती हूँ।” भाभी मेरे मुँह पर अपनी चूत रखकर बैठ गईं। मैं उनकी चूत चाट रहा था, और शालिनी मेरा लंड चूस रही थीं। “उम्म… आह्ह…” कमरे में सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी।

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फिर मैंने शालिनी को बेड पर लिटाया, उनकी टाँगें कंधों पर रखीं, और अपना लंड उनकी चूत में डाला। “आह्ह… मयंक… ज़ोर से…” शालिनी चिल्ला रही थीं। मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। “थप… थप…” चुदाई की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। साथ-साथ मैं भाभी की गांड में उंगली डाल रहा था। 20 मिनट बाद मैं शालिनी की चूत में झड़ गया।

दोस्तो, इस तरह मैंने दोनों भाभियों की चूत और गांड का मज़ा लिया। अब मैं नियमित रूप से उनकी चुदाई करता हूँ।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसी चुदाई का मज़ा लिया है? कमेंट में बताइए!

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