कामवाली भाभी की मस्त चुदाई

kamwali sex दोस्तो, मैं हूँ आपका अपना दोस्त राज, एक बार फिर से अपनी ज़िंदगी की एक हकीकत भरी कहानी लेकर हाज़िर हूँ। ये कहानी मेरी अपनी है, जो मैंने अपने दिल और जिस्म की आग को बुझाने के लिए जिया। बात उस वक़्त की है जब मैं अपने शहर में वापस आ गया था। मेरी नौकरी अब यहीं लग गई थी, और मैं पिछले तीन महीनों से घर पर ही था। बाहर रहते वक़्त तो मुझे सेक्स के लिए गर्लफ्रेंड्स आसानी से मिल जाती थीं, मगर अब घर पर रहते हुए मेरी चुत की भूख बढ़ती जा रही थी। कोई मिल ही नहीं रहा था जो मेरी इस प्यास को बुझा सके।

मेरा नाम राज है, उम्र 28 साल, कद 5 फीट 10 इंच, रंग गोरा, और जिस्म ऐसा कि जिम की मेहनत साफ झलकती है। मैं दिखने में ठीक-ठाक हूँ, और मेरी बातों का जादू ऐसा है कि लड़कियाँ मुझसे जल्दी सेट हो जाती हैं। लेकिन अब घर पर रहते हुए मेरी हालत ऐसी थी कि लंड दिन-रात फनफनाता रहता था, और मैं बस मौके की तलाश में था।

हमारे घर में माँ को एक कामवाली की ज़रूरत थी, क्योंकि पुरानी कामवाली काम छोड़कर चली गई थी। माँ की उम्र अब 55 साल हो चुकी थी, और वो अब घर के काम नहीं कर पाती थीं। माँ का नाम सरोज है, और वो एक सीधी-सादी औरत हैं, जिन्हें बस घर को साफ-सुथरा रखना पसंद है। मैंने सोचा, क्यों न इस मौके का फायदा उठाया जाए। मेरे दिमाग में एक शैतानी ख्याल आया। मैंने अपने दोस्तों से कहा कि कोई मस्त, जवान, भाभी टाइप की कामवाली ढूँढो, जो दिखने में भी अच्छी हो और जिससे कुछ बात बन सके।

बस फिर क्या था, दोस्तों ने काम शुरू कर दिया। कुछ दिन में कई कामवालियाँ घर आने लगीं। दो-तीन को माँ ने पैसे की बात पर भगा दिया, क्योंकि वो मासिक वेतन तय नहीं कर पाई थीं। मैंने माँ से कहा, “अब तुम चिंता मत करो, मैं खुद कामवाली से बात करूँगा और पैसे की डील फिक्स कर लूँगा।” माँ ने हामी भर दी।

कई कामवालियाँ आईं, मगर कोई भी मुझे पसंद नहीं आई। कोई ज्यादा उम्र की थी, तो कोई दिखने में फीकी। मैं तो चाहता था कि कोई ऐसी हो, जो मेरी आग को ठंडा कर सके। फिर एक दिन मेरा दोस्त रजत घर आया। रजत मेरा पुराना दोस्त है, 30 साल का, थोड़ा मोटा, मगर दिल का बहुत अच्छा। उसने बताया कि उसके घर के पास एक भाभी रहती है, जिसका नाम सविता है। सविता भाभी की उम्र करीब 32 साल थी, रंग हल्का साँवला, चेहरा इतना प्यारा कि बस देखते ही बनता था। उसका फिगर 36-28-38 का था, और उसके दूध इतने मस्त कि बस देखकर ही लंड खड़ा हो जाए। रजत ने बताया कि सविता का पति दारूबाज है, कर्ज में डूबा हुआ है, और वो काम की तलाश में है। मुझे लगा, ये तो वही है जो मुझे चाहिए।

मैंने रजत से कहा, “बस, उसे कल से काम पर भेज दे।” मैंने बिना कुछ सोचे-समझे हाँ कर दी। रात भर मैं बस यही सोचता रहा कि सविता दिखने में कैसी होगी। क्या वो सचमुच वैसी होगी जैसी मैं चाहता हूँ? मेरा लंड तो रात भर फनफनाता रहा, और मैं बस सुबह का इंतज़ार करने लगा।

अगली सुबह जब सविता घर आई, दोस्तो, मैं तो बस उसे देखता रह गया। उसका हल्का साँवला रंग, प्यारा सा चेहरा, और वो टाइट साड़ी में लिपटा हुआ फिगर… आह! उसके दूध साड़ी के ऊपर से ऐसे उभरे हुए थे कि मेरा लंड तुरंत सलामी देने लगा। उसने हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी, और ब्लाउज़ इतना टाइट था कि उसके मम्मों का आकार साफ दिख रहा था। मैंने उससे थोड़ी बात की, उसका नाम पूछा, और फिर काम पर चला गया। मगर मेरा दिमाग बस उसी में अटक गया।

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अब मैं मौके की तलाश में था कि कब सविता भाभी के साथ कुछ मज़ा लिया जाए। कुछ दिन बीत गए। मैं शाम को घर लौटता, तो सविता मेरे लिए चाय बनाती। वो मेरे साथ बैठकर चाय पीती और हम बातें करते। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मिठास थी, जो मुझे और उकसा रही थी। वो मुझसे अपने घर की बातें बताती, कि उसका पति दारू पीकर उसे तंग करता है, और कर्ज़ की वजह से घर का खर्चा नहीं चलता। मैंने उससे कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारे पति को अपनी फैक्ट्री में काम दिलवा दूँगा।” मगर मेरे दिमाग में तो बस उसकी चुत और गांड थी।

एक रविवार को मैं घर पर ही था। सविता सुबह काम करने आई। उसने आज नीली साड़ी पहनी थी, और उसके मम्मे साड़ी के पल्लू के नीचे से झाँक रहे थे। मैं अपने कमरे में था, और जैसे ही वो मेरे कमरे में झाड़ू लगाने आई, मैं जानबूझकर दरवाजे की तरफ निकला। मेरे कंधे का धक्का उसके दूध से टकराया। आह, क्या मुलायम दूध थे! वो कुछ नहीं बोली, बस हल्का सा मुस्कुराई। मैं समझ गया कि ये लाइन क्लियर है। मैंने उससे चाय मँगवाई और बातें शुरू कर दीं।

मैंने पूछा, “सुना है तुम्हारा पति बहुत दारू पीता है?”
वो एकदम भावुक हो गई। उसने बताया कि उसका पति उसे बिल्कुल खुश नहीं रखता। मैंने मौका देखकर पूछा, “तो वो तुम्हें बिस्तर पर भी खुश नहीं करता होगा?”
वो हल्का सा शरमाई और बोली, “अब क्या बताऊँ साहब, आप तो सब समझते हैं।” इतना कहकर वो मुस्कुराते हुए चली गई।

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मैं समझ गया कि ये जल्दी ही मेरे लंड के नीचे आएगी। अब मैं उसे हल्के-हल्के छूने लगा। कभी उसकी कमर पर हाथ रख देता, कभी उसकी गांड पर हल्का सा ब्रश कर देता। वो बुरा नहीं मानती थी, बस मुस्कुरा देती थी। एक बार मैंने सिर्फ़ तौलिया लपेटकर उसे अपने लंड का उभार दिखाया। मेरा लंड तौलिये में तंबू बना रहा था, और मैंने जानबूझकर उसे मसला। वो बस मेरे लंड को देखकर मुस्कुराई और चली गई।

एक दिन मैंने कमरे में नंगा लेटकर लंड खड़ा किया। जैसे ही सविता कमरे में आई, मैंने आँखें बंद कर लीं और सोने की एक्टिंग करने लगा। मेरा लंड 7 इंच का, मोटा और सख्त, बिल्कुल सलामी दे रहा था। वो मेरे लंड को देखती रही, फिर हल्का सा खाँसा। मैंने आँखें खोलीं, लंड को सहलाया, और जल्दी से चादर खींच ली। मैंने कहा, “अरे भाभी, तुम कब आई? मैं तो बस तुम्हें ही याद कर रहा था।”
वो हँसकर बोली, “हाँ, वो तो दिख रहा है, साहब।”
मैंने उसे पास बुलाया, मगर वो हँसते हुए बोली, “न बाबा न, आपका वो बहुत गुस्से में है!” और बाहर चली गई।

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अब मैं उसे चोदने के लिए बेताब था। वो भी मुझसे खुलने लगी थी। मैं अक्सर उसके सामने लंड सहलाता, और वो बस मुस्कुरा देती। आखिरकार वो दिन आ गया जब माँ पड़ोसियों के साथ किसी शादी में गई थीं। जाते वक़्त माँ ने सविता से कहा, “तुम देर तक रुकना, राज अकेला है।” मैंने उस दिन ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। मेरी सेक्स की भूख इतनी बढ़ गई थी कि मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था।

जैसे ही सविता मेरे कमरे में सफाई करने आई, मैंने पीछे से उसे पकड़ लिया। उसने हल्की सी चीख मारी और छुड़ाने की कोशिश की। मैंने उसे कसकर पकड़ा और उसकी गर्दन पर चूमने लगा। उसकी साड़ी का पल्लू गिर गया, और उसके मम्मे ब्लाउज़ में उभरे हुए दिख रहे थे। मैंने उसके दूध दबाने शुरू किए। वो बोली, “नहीं साहब, ये गलत है!”
मगर मैंने उसकी गर्दन चूमना जारी रखा। उसका जिस्म गर्म होने लगा, और दो मिनट बाद वो मेरी बाहों में ढीली पड़ गई। अब वो मेरे लंड पर अपनी गांड रगड़ने लगी। उसकी आँखें बंद थीं, और वो मेरे चुंबनों का मज़ा ले रही थी।

मैंने उसे अपनी तरफ घुमाया और उसके होंठ चूसने लगा। आह, क्या रसीले होंठ थे! वो भी मेरे होंठ चूसने में मज़ा ले रही थी। मैं उसके मम्मों को ब्लाउज़ के ऊपर से दबा रहा था। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया। वो चुपचाप मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसकी साड़ी उतारी, और उसका ब्लाउज़ खोलकर उसके मम्मे आज़ाद कर दिए। 36 साइज़ के दूध, भूरे निप्पल, एकदम कड़क। मैं बारी-बारी से उसके मम्मों को चूसने लगा। “आह… ऊह…” उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने उसके निप्पल को दाँतों से हल्का सा काटा, और वो सिहर उठी।

करीब 15 मिनट तक मैं उसके दूध चूसता रहा। वो बोली, “साहब, अब दूध खत्म हो गया होगा, मलाई तो खा लो!” मैं समझ गया कि अब उसकी चुत की बारी है। मैंने उसकी पेटीकोट और पैंटी उतार दी। उसकी चुत हल्के बालों वाली, गीली और गर्म थी। मैंने अपना मुँह उसकी चुत पर रखा और ज़बान से चाटना शुरू किया। “आह… ऊह… साहब… और चाटो…” वो सिसकारियाँ ले रही थी। उसकी गांड हवा में उठ रही थी, और वो अपनी चुत मेरे मुँह पर रगड़ रही थी। मैंने उसकी चुत का रस चाटा, और एक उंगली अंदर डाल दी। उसकी चुत इतनी टाइट थी कि मेरी उंगली को भी जगह बनाने में वक़्त लगा।

“आह… साहब… कितना मज़ा आ रहा है… ऐसा तो मेरे पति ने कभी नहीं किया…” वो कराह रही थी। मैंने दो उंगलियाँ डालीं और उसकी चुत को चूसता रहा। उसका रस मेरे मुँह में आ रहा था, और मैं उसे पी रहा था। करीब 10 मिनट तक मैंने उसकी चुत चाटी। फिर वो बोली, “अब मुझे भी दिखाओ अपना…”

मैंने अपना 7 इंच का लंड उसके सामने कर दिया। उसने उसे हाथ में लिया और मसलने लगी। फिर बिना देर किए उसने लंड मुँह में ले लिया। “आह… भाभी… चूसो इसे…” मैं सिसकारियाँ ले रहा था। वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। उसकी ज़बान मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और मैं जन्नत में था। करीब 10 मिनट तक उसने मेरा लंड चूसा। फिर वो बोली, “साहब, अब और मत तड़पाओ… मेरी चुत में आग लग रही है… जल्दी डाल दो…”

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मैंने उसे घोड़ी बनाया और अपना लंड उसकी चुत पर रगड़ा। उसकी चुत गीली थी, मगर टाइट। मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा। “आह… मर गई…” वो चीख पड़ी। मेरा लंड आधा ही अंदर गया था। मैंने हल्का सा बाहर निकाला और फिर एक और धक्का मारा। इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चुत में समा गया। “आह… साहब… आराम से… मैं पूरे दिन तुम्हारी हूँ…” वो कराह रही थी। मैंने धक्के शुरू किए। “चटाक… चटाक…” मेरे लंड और उसकी चुत के टकराने की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। वो दर्द में कराह रही थी, मगर धीरे-धीरे मज़ा लेने लगी। “आह… ऊह… और ज़ोर से… चोदो मुझे…” वो अपनी गांड पीछे करके मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी।

करीब 25 मिनट तक मैंने उसे चोदा। उसकी चुत ने मेरा लंड जकड़ रखा था। आखिरकार हम दोनों एक साथ झड़ गए। “आह… साहब… कितना मज़ा आया…” वो हाँफ रही थी। मैं उसके ऊपर लेट गया, और हम दोनों कुछ देर तक हाँफते रहे।

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थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उसके दूध चूसना शुरू किया। उसने मेरा लंड हाथ में लिया और मसलने लगी। जल्द ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। इस बार मैंने उसे लेटाया और उसकी टाँगें फैलाकर लंड डाला। “आह… ऊह… और चोदो…” वो चिल्ला रही थी। मैंने उसे 15 मिनट तक चोदा। फिर मैंने कहा, “भाभी, अब तुम्हारी गांड लेनी है।”
वो बोली, “जो चाहे लो, साहब… बस चोदते रहो…”

मैंने उसकी गांड में तेल लगाया, और अपने लंड पर भी। फिर धीरे से लंड उसकी गांड में डाला। “आह… मर गई… बहुत दर्द हो रहा है…” वो चीख पड़ी। उसकी गांड इतनी टाइट थी कि मेरा लंड मुश्किल से अंदर जा रहा था। मैंने धीरे-धीरे धक्के दिए। “आह… ऊह… साहब… निकालो इसे…” वो रो रही थी। मगर मैंने धक्के जारी रखे। धीरे-धीरे उसे मज़ा आने लगा। “आह… और मारो… मेरी गांड फाड़ दो…” वो अब मज़े में थी। करीब 20 मिनट तक मैंने उसकी गांड मारी, और आखिरकार उसकी गांड में ही झड़ गया।

मैं उसके ऊपर लेट गया। वो बोली, “साहब, ऐसा मज़ा मुझे कभी नहीं मिला… तुमने मेरी सारी प्यास बुझा दी… अब मैं तुम्हारी हो गई हूँ। जब चाहो मुझे चोद लेना।”
मैंने कहा, “तुम रोज़ सुबह मेरे लंड की सवारी कर लिया करो।”
वो हँसकर बोली, “ठीक है, साहब।”

उस दिन मैंने उसे 5 बार चोदा। कभी उसकी चुत, कभी उसकी गांड, और कभी उसके मुँह में लंड देकर मज़ा लिया। तब से वो हफ्ते में चार दिन सुबह मेरे लंड की सवारी करती है। कभी-कभी वो मुझे लंड चूसकर भी मज़ा देती है। जब मुझे लंबी चुदाई का मन होता, तो मैं उसे अपने दोस्त के घर ले जाता और 2-3 घंटे तक चोदता। सविता भी मुझसे बहुत खुश है।

दोस्तो, मेरी ये कहानी आपको कैसी लगी? ज़रूर बताएँ।

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