बहकती बहू-12

Jeth se chudai, Sasur se chudai – कहानी का पिछला भाग: – बहकती बहू-11

जितने समय तक काम्या रीमा से बात करती रही, मदनलाल एकटक रीमा के चौसा आमों को देखता रहा। इतने बड़े संतरे वाली औरत को इतने पास से वो पहली बार देख रहा था। एकदम खालिस नागपुरी संतरे, जैसे मक्खन के दो गोले, बीच में खाई बनाए हुए। काम्या अपनी बातों में मग्न थी, लेकिन रीमा ने जल्दी ताड़ लिया कि बाबूजी उसके संतरों को घूर रहे हैं। कई बार नज़रें मिलीं, तो दोनों झेंप गए। रीमा के लिए ये आम बात थी, क्योंकि उसके बूब्स की वजह से हर जगह उसे ऐसी नज़रों का सामना करना पड़ता था। फिर काम्या दोनों को गेस्ट रूम में ले गई। मदनलाल ने देखा कि रीमा चलते वक्त ज़्यादा मटकती थी, उसकी चाल में ठसक थी। मन ही मन बोला, “साली गाण्ड ज़रूर मरवाती होगी, तभी इतनी धमक है।” शाम तक रीमा ने कई बार बाबूजी को अपने बूब्स देखते पकड़ लिया। उसने सोचा, “एक और गया काम से।”

एकांत मिलते ही काम्या ने बाबूजी से कहा, “आज आप मेरे पास बिल्कुल न आएँ। अगर रीमा को ज़रा भी शक हो गया, तो हम मुँह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।” मदनलाल मान गया। आज उसका पाँचवाँ दिन भी सूखा जाने वाला था। रात को सब अपने कमरों में चले गए। काम्या के लिए रात काटना मुश्किल था। पीरियड्स के बाद औरत ज़्यादा गर्म रहती है, और वो लेटे-लेटे अपनी चूत से खेल रही थी। कुछ देर बाद वो झड़ गई। हाथ धोने और पेशाब करने के लिए उठी, तो रीमा के कमरे से सिसकारी की धीमी आवाज़ आई। काम्या चौकन्नी हो गई। ऐसी आवाज़ तो औरत सेक्स के वक्त निकालती है। क्या रीमा अपने जेठ से? नहीं, रीमा तो उन्हें भैया कहती है। वो धीरे से कमरे के पास पहुँची। फिर आवाज़ आई, “उई माँ, धीरे करो, कोई सुन लेगा।” काम्या ने सोचा, “हे भगवान, रीमा सचमुच अपने जेठ से लगी है।” दिल किया कि कमरे में लौट जाए, लेकिन जवानी की हसरत और लाइव शो का मोह उसे रोक गया। उसने विंडो कूलर के पास से झाँका। रीमा का जेठ लेटा था, और रीमा उस पर घुड़सवारी कर रही थी। उसके विशाल बूब्स हर धक्के के साथ उछल रहे थे, जिन्हें जेठ मसल रहा था। चुचियाँ इतनी बड़ी थीं कि एक हाथ में नहीं समा रही थीं।

कुछ देर उछल-कूद के बाद रीमा थक गई। उसने कुछ कहा, और चित लेट गई। जेठ ने उसकी गाण्ड पलंग के किनारे खींची और खड़े-खड़े लंड एक झटके में पेल दिया। रीमा कराह उठी। काम्या ने जेठ का लंड देखा—साधारण, बाबूजी से कमतर, लेकिन सुनील से बड़ा। जेठ ने एक बूब मुँह में लिया और भूखे बच्चे की तरह चूसने लगा, दूसरा मसल रहा था। रीमा की जेठानी के पास ऐसे खिलौने नहीं थे। लाइव चुदाई देखकर काम्या वासना के दलदल में डूबने लगी। उसने सुना था, वीडियो देखे थे, खुद चुद रही थी, लेकिन सामने चुदाई पहली बार देख रही थी। रीमा रंडी की तरह चुद रही थी, हर झटके पर कमर उछाल रही थी। काम्या का मन किया कि अंदर घुसकर कहे, “मुझे चोदो, ये मेरा घर है।” लेकिन बेचारी ऐसा कर न सकी। जेठ ने तेज़ धक्के लगाए, और माल निकलने से पहले लंड बाहर निकालकर रीमा के पेट और बूब्स पर बरसा दिया। रीमा ने मलाई चाट ली। काम्या के मुँह से निकला, “साली सेफ गेम खेलती है, रिस्क-फ्री।” खेल खत्म होते ही काम्या अपने कमरे में लेट गई। उसने सोचा, “लगता है, मुझे छोड़कर हर औरत सुख भोग रही है।” नींद गायब थी।

काम्या को यकीन था कि रीमा एक राउंड और करेगी। आधे घंटे बाद वो फिर रीमा की खिड़की के पास पहुँची। अंदर दूसरा राउंड शुरू था। जेठ लेटा था, रीमा उसके लंड से खेल रही थी—हिलाती, स्ट्रोक मारती, हेलिकॉप्टर की तरह घुमाती। जल्दी ही भोलानंद में जान आई। रीमा ने उसे मुँह में लिया, डीप थ्रोट सकिंग शुरू की। जेठ की कमर चार इंच उठ गई। रीमा बिल्ली की तरह टूट पड़ी। जेठ जोश में भर गया। उसने इशारा किया, और रीमा चौपाया बन गई। जेठ ने उसकी गाण्ड सहलाई, तीन-चार स्पैंक लगाए। रीमा की चुचियाँ बिस्तर छूने को थीं। जेठ ने लंड गाण्ड के छेद पर टिकाया। काम्या के मुँह से निकला, “उई माँ, अब पड़ोसन का नंबर।” जेठ ने सुपाड़ा फिट किया और एक जोरदार शॉट मारा। सुपाड़ा अंदर गया, रीमा चीखी। जेठ ने उसका मुँह दबाया। दो मिनट में पूरा लंड अंदर था। इन-आउट शुरू हुआ। रीमा ने चूत सहलानी शुरू की, डबल मज़ा ले रही थी। काम्या की उंगलियाँ पैंटी में थीं, उधम मचा रही थीं।

इसे भी पढ़ें  बहकती बहू-4

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

इधर, मदनलाल बिस्तर पर लंड मसल रहा था। नींद नहीं आ रही थी। वो बाथरूम जाने को उठा। बाहर निकला, तो काम्या गेस्ट रूम की खिड़की पर झाँक रही थी, चेहरा वासना से लाल, चूत मसल रही थी। मदनलाल समझ गया कि अंदर रीमा का प्रोग्राम चल रहा है। वो चुपके से पीछे जाकर खड़ा हो गया। रीमा के फाज़ली आम देखकर उसका केला तन गया, जो काम्या की पीठ से लगा। काम्या चीखने वाली थी, लेकिन मदनलाल ने मुँह दबाकर कहा, “चुप रहो, हम हैं।” काम्या शर्मिंदगी महसूस करने लगी।

बाबूजी: साली के दूध कितने बड़े हैं। सुबह देखते ही समझ गया था कि ये गाण्ड मरवाती होगी।
काम्या: (फुसफुसाते हुए) आपको कैसे पता?
मदनलाल ने काम्या की लेगिंग और पैंटी घुटनों तक खींच दी। पहली बार उसने खुले आँगन में पैंटी उतारी। सुपाड़ा दरार में फँसाया। नंगा लंड काम्या पर कहर बनकर टूटा। उसने सुपाड़ा चूत के मुँह पर टिकाया।
बाबूजी: जो औरतें गाण्ड मरवाती हैं, उनकी चाल बिगड़ जाती है। टाँगें फैलाकर चलती हैं, गाण्ड मटकती है। रीमा की गाण्ड ठसक से मटकती है। लेकिन…
काम्या: लेकिन क्या?
बाबूजी: हमें क्या पता था कि ये अपने जेठ से गाण्ड मरवाती है, वो भी मेरे घर में।

मदनलाल ने कुरती में हाथ डालकर बूब्स मसले। उधर, जेठ ने रीमा के पपीते पकड़कर मसले और तेज़ धक्के लगाए। माल गाण्ड में टपकाकर वो रीमा पर पसर गया।

बाबूजी: बहू, तुम्हारे शहर के पानी में कुछ खास है। रीमा, मधु, पिंकी—सब पिछवाड़े की शौकीन। सुनील भी पीछे करता है क्या?
काम्या: छी, चुप रहिए।
मदनलाल: नीचे बैठो, हमारा काम कर दो।
काम्या: बाबूजी, यहाँ? वो लोग बाहर आ सकते हैं।
मदनलाल: तुम्हारी सहेली ने उसे इतना थका दिया है कि वो दो घंटे नहीं हिलेगा।
काम्या: खुले में? कमरे में चलिए।
मदनलाल: साली, तुम्हारी सहेली दूसरे के घर में चुदवा रही है, मधु का ससुर उसे पूरे घर में चोदता है, और तुम नखरे दिखा रही हो। जल्दी टॉनिक पी लो, बहुत दिन हो गए।

मदनलाल ने काम्या के कंधे दबाए। कोबरा उसकी नाक के सामने था। गंध ने उसे बहकाया। काम्या ने मूसल मुँह में लिया। रीमा का चूसना याद आया, तो उसने सोचा, “वो गले तक ले सकती है, तो हम कम हैं?” उसने डीप थ्रोट सकिंग शुरू की, जंगली हो गई। मदनलाल रीमा को धन्यवाद देने लगा। काम्या चूस रही थी, और वो रीमा के बूब्स निहार रहा था, साथ में प्लान बना रहा था। दो मिनट में काम्या ने सारी मर्दानगी निकाल दी। दोनों अपने कमरों में चले गए।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

कमरे में जाकर मदनलाल ने मोबाइल निकाला और खिड़की पर पहुँचा। रीमा और जेठ सो रहे थे, लेकिन रीमा ने जेठ का लंड पकड़ा हुआ था। मदनलाल ने वीडियो बनाया। ये वीडियो रीमा को दिलाने वाला था।

सुबह काम्या ने कहा, “रीमा को सेंटर छोड़ आइए, तीन घंटे बाद लेने जाएँगे।” मदनलाल बोला, “शहर में काम है, मैं लौटते वक्त ले आऊँगा।” रीमा ने डीप कट कुर्ता और लेगिंग पहनी थी, मानो फैशन परेड में जा रही हो। मदनलाल का दिमाग भन्नाया। मन में बोला, “साली, जैसी जा रही है, वैसी लौटेगी नहीं।” रास्ते में वो ज़्यादा ब्रेक लगा रहा था। रीमा समझ रही थी और मज़े ले रही थी। लेकिन वो नहीं जानती थी कि मदनलाल की पैंट में एटम बम है। आधा घंटा पहले स्कूल पहुँचे और पेड़ के नीचे खड़े हुए। मदनलाल ने रीमा के मालदा आम घूरना शुरू किया।

इसे भी पढ़ें  घर में दौड़ा दौड़ा कर चोदा - Hardcore chudai sex story

रीमा: बाबूजी, स्कूल बड़ा है।
मदनलाल: (संतरों को देखते हुए) हाँ, बहुत बड़े-बड़े हैं।
रीमा: (इठलाते हुए) हम स्कूल की बात कर रहे हैं।
मदनलाल: रीमा, तुम पूना क्यों नहीं रहती?
रीमा: रहने की परेशानी है।
मदनलाल: तुम्हारा हसबैंड कब आता है?
रीमा: साल में एक बार, 15 दिन के लिए।
मदनलाल: ओह, तभी तुमने जेठ को लाइन में लगाया।
रीमा: क्या मतलब?
मदनलाल: तभी तुमने जेठ से संबंध बनाया।
रीमा: आप उटपटांग बक रहे हैं। शर्म आनी चाहिए।
मदनलाल: शर्म तो तुम्हें आएगी। ये वीडियो देखो।

मदनलाल ने मोबाइल पर वीडियो चलाया। रीमा का चेहरा सफेद पड़ गया।

मदनलाल: ये बाद का वीडियो है। एक्शन वाला वीडियो काम्या के पास है।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

रीमा की हालत खराब हो गई।

रीमा: क्या काम्या को भी पता है?
मदनलाल: कल रात काम्या तुम्हारे कमरे की खिड़की पर मोबाइल से रिकॉर्डिंग कर रही थी। मुझे देखकर भाग गई, तो मैंने बाद की रिकॉर्डिंग की। काम्या कह रही थी कि अगर जेठानी को पता चला, तो तूफान आ जाएगा।

रीमा को साँप सूँघ गया।

रीमा: (हाथ जोड़कर) बाबूजी, घर में किसी को पता नहीं चलना चाहिए, वरना हम बर्बाद हो जाएँगे।
मदनलाल: काम्या कह रही थी कि तुम्हारा हसबैंड गुस्सैल है। पूना में पता चला, तो खून-खराबा कर देगा।

रीमा रुआँसी हो गई।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

रीमा: बाबूजी, हमें बचा लीजिए।
मदनलाल: हम कुछ नहीं करेंगे, काम्या से बात कर लो।
रीमा: हम काम्या से नहीं बात कर पाएँगे। आप ही बात करें।
मदनलाल: हम इतना करें, बदले में हमें क्या मिलेगा?
रीमा: आप जो कहेंगे, हम करने को तैयार हैं।
मदनलाल: हमें वही चाहिए, जो तुम जेठ को दे रही थी।
रीमा: बाबूजी, ये कैसे हो सकता है?
मदनलाल: ठीक है, शाम तक एक्शन वाला वीडियो भी आ जाएगा। फिर मत कहना।
रीमा: (सरेंडर करते हुए) हम मना नहीं कर रहे। घर में काम्या, मम्मी, जेठ हैं, और आज लौटना है। लेकिन अगर आप हमारे शहर आएँ, तो वहाँ काम हो जाएगा। दीदी सुबह 7 से 2 बजे तक स्कूल में रहती हैं, जेठ 10 बजे दुकान जाते हैं। 10 से 2 तक चार घंटे अकेले रहते हैं।
मदनलाल: कल से तुम्हारा सीना देखकर सो नहीं पाए। तुम्हें नंगी देखकर अपने को रोकना मुश्किल है।
रीमा: हम समझ रहे हैं, लेकिन करना कैसे है?
मदनलाल: टेस्ट दो, फिर फोन करना। हम कुछ सोचते हैं।

रीमा के स्कूल जाने के बाद मदनलाल प्लान बनाने लगा। काम्या से बात करना खतरनाक था। अगर वो नाराज़ हो गई, तो दोनों चिड़ियाँ उड़ जाएँगी। रीमा चार दिन की चाँदनी थी, काम्या जिंदगी का जुगाड़। उसे मलाल हुआ कि काम्या को अभी तक नहीं चोदा। अगर चुद गई होती, तो रीमा को भी चुदवा देती। उसने काम्या की मदद का प्लान ड्रॉप किया। दूसरा ऑप्शन था नगर निगम का पार्क, जहाँ जोड़े आते थे। वहाँ गार्ड का कमरा था, जहाँ वो मोहिनी और बाज़ारू माल को पेल चुका था। उसने तय किया कि रीमा को वहाँ ले जाएगा।

रीमा का बुरा हाल था। पढ़ाई नहीं की थी, और वीडियो ने बाकी दिमाग भी उड़ा दिया। वो बस बाबूजी को खुश करके बात खत्म करना चाहती थी। एक घंटे बाद उसने पेपर जमा किया और फोन लगाया।

मदनलाल: हेलो, कौन?
रीमा: बाबूजी, मैं रीमा। आ जाइए।
मदनलाल: एक घंटे में निकल आई? अभी तो दो घंटे बचे हैं।
रीमा: कुछ बन नहीं रहा था।
मदनलाल: वहाँ कुछ नहीं कर पाई, तो हमारे साथ बहुत कुछ कर लेना।
रीमा: (इठलाते हुए) सड़क पर करोगे?
मदनलाल: बताएँगे कहाँ करेंगे। तैयार रहना।

मदनलाल ने गोली खाई और रीमा के पास पहुँचा। उसे अक्टिवा पर बिठाकर पार्क की ओर चला। रीमा ने खुद को चिपकाया, हाथ जाँघों पर रखा। पार्क में गार्ड बहादुर ने सलाम ठोंका।

इसे भी पढ़ें  मेरी बहन की सहेली की सील पैक चुत

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

बहादुर: सलाम साब, बहुत दिनों बाद आए।
मदनलाल ने 500 का नोट दिया।
बहादुर: साब, कमरा खोल रहा हूँ। अलग-अलग गैप बनाकर आना। फोन साइलेंट रखना।
मदनलाल: ठीक है।
बहादुर: (फुसफुसाते हुए) जुगाड़ होगा?
मदनलाल: ये बाज़ारू नहीं, मोहल्ले की है। मुश्किल से तैयार हुई। दो-चार बार लाऊँगा, तो तेरा नंबर लगेगा।

रीमा और मदनलाल कमरे में पहुँचे। नज़रें मिलीं, रीमा ने नज़र झुकाई। मदनलाल ने पैंट खिसकाई, मूसल निकाला।

मदनलाल: डार्लिंग, देख ले अपना हथियार।
रीमा: बाबूजी, इतना मोटा?
मदनलाल: आज तू असली लंड खाएगी। चूस, रहा नहीं जा रहा।
रीमा: पहले से तैयार है, चूसूँगी तो पानी निकल जाएगा।
मदनलाल: बहन की लौड़ी, चूस। आज पता चलेगा पानी किसका निकलता है।
रीमा: ये क्या भाषा है?
मदनलाल: सॉरी, इस कमरे का पहला अनुभव ऐसा था। एक बार पार्क में देखा कि गार्ड एक जोड़े को यहाँ भेज रहा था। अंदर से आवाज़ आई, “बहन की लौड़ी, चल चूस।” वही गलती से निकल गया।

मदनलाल ने रीमा के चौसा आम पकड़े। रीमा गनगना गई।

रीमा: गार्ड कह रहा था, बहुत दिन बाद आए। मतलब आप पहले भी ये काम कर चुके हैं?

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

रीमा ने लंड स्ट्रोक करना शुरू किया।

मदनलाल: गार्ड को आर्मी वाला रूप दिखाया, तो घबरा गया। बोला, “साब, एंजॉय कर लीजिए। माल यहीं मिल जाएगा।” डार्लिंग, चूस के गीला कर दे।
रीमा: आपका बहुत बड़ा है, हमारी फट जाएगी।
मदनलाल: पगली, बड़ा है तो बेहतर। फटेगी नहीं, मज़ा लेगी। आज असली मर्द का मज़ा मिलेगा।

रीमा ने डीप थ्रोट शुरू किया। मदनलाल ने रीमा को दरी पर लिटाया और एक झटके में खूँटा पेल दिया। रीमा चीख पड़ी।

मदनलाल: चीख मत, पूरा पार्क बुलाना चाहती है?
रीमा: बाप रे, कितना बड़ा है। बहुत दर्द दे रहा है।

मदनलाल धीरे-धीरे पेलने लगा, संतरे मसलता रहा। रीमा ने मूसल अड्जस्ट किया और मज़ा लेने लगी। नीचे से धक्के देने लगी।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

रीमा: बाबूजी, ऐसे ही पेलते रहिए। बहुत मज़ा आ रहा है। संतरे भी पीजिए, आपके लिए ही हैं।
मदनलाल: तुम्हारे संतरे हमारे लिए, हमारा केला तुम्हारे लिए। टेस्टी है ना?
रीमा: बहुत टेस्टी। सारी जिंदगी खाते रहें। खिलाओगे ना?
मदनलाल: जब बोलोगी, खिलाएँगे। अंदर कैसा फील हो रहा है?
रीमा: बहुत अंदर तक गया। पूरा भरा-भरा लग रहा है। पहले इतना कभी नहीं भरा।

मदनलाल ने बूब्स चूसना शुरू किया। रीमा चरम पर थी। मदनलाल तीन मिनट में रीमा के पोखर को लबालब भर गया। रीमा ने भी शहद मिलाया। दोनों हाँफने लगे।

रीमा: बाबूजी, घर चले।
मदनलाल: अभी पेपर में एक घंटा बचा है। एक राउंड और?
रीमा: आपकी मर्ज़ी। मेहनत आपको करनी है, हमें फल खाना है।

आधे घंटे बाद मदनलाल ने लंड चुसवाया। पाँच मिनट में कोबरा फिर तैयार था। इस बार रीमा की ऐसी बैंड बजाई कि वो पुरखों को पुकारने लगी। पंद्रह मिनट तक उलट-पुलटकर पेला। आखिर में घोड़ी बनाकर मानसून की बौछार की। रीमा लस्त-पस्त थी।

रीमा: बाबूजी, आप आदमी नहीं, साँड़ हैं। ऐसे चढ़े, जैसे हम गाय हों। कबाड़ा कर दिया।

आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

कहानी का अगला भाग: बहकती बहू-13

Related Posts

Leave a Comment