Cheating story मेरा नाम अर्जुन है, 27 साल का हूँ, और उत्तराखंड का रहने वाला हूँ। मैं एक ऐसी कहानी साझा करने जा रहा हूँ जो मेरे दिल में लंबे समय से दबी है। ये मेरी जिंदगी का वो हिस्सा है जो मैंने अपनी गर्लफ्रेंड, नेहा, से छुपाया है। नेहा और मैं बारह साल से रिलेशनशिप में हैं, तब से जब हम दसवीं कक्षा में थे। वो अब एक डॉक्टर है, खूबसूरत, समझदार, और इतनी सीधी कि उसे मेरे इस गंदे राज का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं। लेकिन मैं? मैं वो इंसान हूँ जो प्यार में रहते हुए भी दूसरी औरतों के साथ रंगरलियाँ मनाता रहा। ये कहानी मेरी बेवफाई की है, मेरी चाहत की, और उस आग की जो मेरे अंदर जलती रही।
नेहा और मैं पहली बार चार साल डेटिंग के बाद एक कमरे में मिले थे। उसका परिवार सख्त था, उसे बाहर निकलने की इजाज़त नहीं थी। जब हम आखिरकार मिले, वो पल इतना खास था कि मैं उसकी आँखों में डूब गया। उसकी साड़ी में लिपटी नाजुक काया, उसकी हल्की सी मुस्कान, और वो शर्म जो उसकी बातों में झलकती थी, सब कुछ मुझे अभी भी याद है। लेकिन उस वक्त भी मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। मैंने उसे वादा तो किया था कि मैं सिर्फ उसका हूँ, पर सच तो ये है कि मैं बाहर की दुनिया में अपनी भूख मिटाता रहा।
शुरुआत में ये सब छोटी-मोटी हरकतें थीं। कॉलेज के दिनों में मैंने कुछ लड़कियों से मुलाकात की। उनके साथ वक्त बिताया, कुछ पल चुराए। कभी किसी के साथ कॉफी, कभी किसी के साथ छुपकर कोने में बैठना। लेकिन बात कभी पूरी तरह शारीरिक नहीं हुई। हाँ, कुछ लड़कियों के साथ मैंने उनके जिस्म को छुआ, उनके स्तनों को सहलाया, उनकी साँसों को महसूस किया। पर मैंने खुद को हमेशा रोका, शायद इसलिए कि मुझे नेहा से प्यार था, या शायद इसलिए कि मुझे डर था कि कहीं मैं पूरी तरह डूब न जाऊँ। लेकिन फिर, एक दिन, सब बदल गया।
दिल्ली से उत्तराखंड लौटते वक्त बस में मेरी मुलाकात रिया से हुई। रिया, 30 साल की एक शादीशुदा औरत, जिसके चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी। वो अपने पति के साथ दिल्ली में रहती थी, लेकिन उस रात वो अकेली थी। हमारी बातचीत शुरू हुई, और जल्दी ही वो हल्की-फुल्की छेड़खानी में बदल गई। उसने मुझे अपनी आँखों से घूरा, और मैं समझ गया कि वो भी वही चाहती है जो मैं। बस रात को रुकी, और हम एक ढाबे के पास उतरे। पास ही एक छोटा सा गेस्टहाउस था। हमने एक कमरा लिया।
वहाँ पहुँचते ही रिया ने अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दिया। उसकी कमर पतली थी, और उसका ब्लाउज़ इतना टाइट कि उसके उभार साफ दिख रहे थे। मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया। उसकी साँसें तेज़ थीं, और उसने मेरे कंधे पर अपने होंठ रख दिए। “अर्जुन, ये गलत है… पर मुझे रुकना नहीं है,” उसने फुसफुसाया। मैंने उसकी आँखों में देखा, और फिर धीरे-धीरे उसका ब्लाउज़ खोला। उसके स्तन, भरे हुए और गर्म, मेरे हाथों में थे। मैंने उन्हें सहलाया, चूमा, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगीं। “आआह… अर्जुन… और करो,” उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक भूख थी। मैंने उसकी साड़ी पूरी तरह उतार दी, और उसकी जाँघों को सहलाते हुए उसे बिस्तर पर लिटा दिया।
मैंने उसकी पैंटी को धीरे से नीचे खींचा, और उसकी गीली योनि को देखकर मेरे अंदर की आग और भड़क गई। मैंने अपनी जीभ से उसे छुआ, और वो तड़प उठी। “आआआह… ओह्ह… अर्जुन, ये क्या कर रहे हो!” उसकी आवाज़ में शर्म और चाहत का मिश्रण था। मैंने धीरे-धीरे उसकी योनि को चाटा, उसका स्वाद मेरे होंठों पर था। उसने मेरे बालों को पकड़ा और मुझे और करीब खींच लिया। “रुकना मत… आह्ह… और करो!” उसकी सिसकारियाँ तेज़ होती गईं। फिर मैंने अपनी पैंट उतारी। मेरा लंड, 7 इंच का, पूरी तरह तन चुका था। उसने उसे देखा और अपनी आँखों में एक शरारत भरी। “इतना बड़ा… मुझे चाहिए,” उसने कहा।
मैंने धीरे से उसमें प्रवेश किया। उसकी चूत गीली और गर्म थी, और जैसे ही मैं अंदर गया, उसने एक ज़ोरदार सिसकारी भरी। “आआआह… हाय… धीरे… ओह्ह!” उसकी आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए, और हर धक्के के साथ उसका शरीर काँपता था। “अर्जुन… चोदो मुझे… और ज़ोर से!” उसने चिल्लाया। मैंने रफ्तार बढ़ाई, और कमरे में सिर्फ हमारी साँसों और चुदाई की आवाज़ें गूँज रही थीं—थप-थप-थप। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और हर धक्के के साथ वो और ज़ोर से सिसक रही थी। “आआह… हाँ… और… ओह्ह!” आखिरकार, एक ज़ोरदार सिसकारी के साथ वो झड़ गई, और मैं भी उसी पल उसके अंदर झड़ गया। हम दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर गिर पड़े।
लेकिन ये बस शुरुआत थी। इसके बाद मैंने स्नैपचैट पर एक लड़की, प्रिया, से बात शुरू की। प्रिया 24 साल की थी, कॉलेज स्टूडेंट, और उसकी बॉडी किसी मॉडल जैसी थी। हमारी चैट्स जल्दी ही गंदी बातों में बदल गईं। उसने मुझे अपनी न्यूड तस्वीरें भेजीं, और मैंने भी उसे अपने लंड की तस्वीर भेज दी। एक दिन हम देहरादून में मिले। उसने एक टाइट जीन्स और क्रॉप टॉप पहना था, जिससे उसकी कमर और उभार साफ दिख रहे थे। हम एक होटल में गए।
प्रिया ने जैसे ही कमरे में कदम रखा, उसने मुझे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया। “अर्जुन, तू कितना गंदा है,” उसने हँसते हुए कहा। उसने अपनी जीन्स उतारी, और उसकी काली पैंटी में उसकी गोल गाँड साफ दिख रही थी। मैंने उसे अपनी गोद में खींच लिया और उसकी गर्दन पर चूमना शुरू किया। “आआह… अर्जुन… तू तो जानवर है,” उसने सिसकारी भरी। मैंने उसका टॉप उतारा, और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को दबाया। वो कराह उठी, “ओह्ह… और ज़ोर से!” मैंने उसकी ब्रा खोली, और उसके गुलाबी निप्पल मेरे सामने थे। मैंने उन्हें चूसा, और उसकी सिसकारियाँ तेज़ हो गईं। “आआआह… हाय… तू कितना अच्छा चूसता है!”
फिर उसने मेरी पैंट खोली और मेरे लंड को अपने हाथ में लिया। “इतना मोटा… इसे तो मैं अभी चूसूँगी,” उसने कहा और अपने होंठ मेरे लंड पर रख दिए। उसकी जीभ मेरे लंड के टॉप पर घूम रही थी, और मैं सिसक रहा था। “आआह… प्रिया… और चूस… ओह्ह!” उसने मेरे लंड को पूरा मुँह में लिया, और उसकी गीली जीभ मुझे पागल कर रही थी। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी पैंटी उतार दी। उसकी चूत पूरी तरह गीली थी। मैंने अपनी उंगलियाँ उसमें डालीं, और वो चिल्ला उठी, “आआआह… अर्जुन… चोद मुझे अब!”
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मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा, और फिर धीरे से अंदर डाला। “ओह्ह… कितना टाइट है तू!” मैंने कहा। उसने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट लीं, और मैंने धक्के लगाने शुरू किए। “आआह… हाँ… और ज़ोर से… चोद मुझे!” उसकी चीखें कमरे में गूँज रही थीं। हर धक्के के साथ उसका शरीर काँप रहा था, और चुदाई की आवाज़—थप-थप-थप—कमरे में भर गई। मैंने उसकी गाँड को थपथपाया, और वो और ज़ोर से सिसकने लगी। “आआआह… अर्जुन… मैं झड़ने वाली हूँ!” उसने चिल्लाया, और कुछ ही पलों में वो झड़ गई। मैंने भी रफ्तार बढ़ाई और उसके अंदर ही झड़ गया।
नेहा को इन सबका ज़रा भी अंदाज़ा नहीं। वो नहीं जानती कि मैं स्नैपचैट, बंबल, या रेडिट जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करता हूँ। जब भी मैं उससे मिलने जाता हूँ, मैं ये सारी ऐप्स डिलीट कर देता हूँ। रेडिट पर मैंने कई तरह के लोगों से बात की—कक कपल्स, कुछ अजीब लोग जो इंसेस्ट की बातें करते थे। मैं पूरी तरह स्ट्रेट हूँ, लेकिन वहाँ की खूबसूरत लड़कियों को देखकर मैं खुद को रोक नहीं पाता। मैंने कई बार ऐसी लड़कियों से बात की, और कुछ के साथ तो मुलाकात भी हुई।
मैं ये सब नेहा से छुपाता हूँ। मुझे नहीं पता कि ये रिश्ता कब तक चलेगा। हमारी शादी होने की कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि हम अलग-अलग जातियों से हैं, और हमारे परिवार कभी नहीं मानेंगे। तो मैं सोचता हूँ कि जब तक ये रिश्ता है, मैं अपनी ज़िंदगी जी लूँ। मैं नहीं चाहता कि बाद में मुझे अफसोस हो कि मैंने उन लड़कियों को छोड़ दिया जिन्हें मैं चोद सकता था। मैं बस चुपके से अपनी भूख मिटाता हूँ, और नेहा को लगता है कि मैं उसका वफादार हूँ। लेकिन ये गंदा सच मेरे साथ ही रहेगा।
आप लोग क्या सोचते हैं? क्या मुझे नेहा को सब कुछ बता देना चाहिए, या बस ऐसे ही चुपके से अपनी ज़िंदगी जीनी चाहिए?