शर्मीली भाभी की चुदाई

Sarmili Bhabhi Sex Story हाय दोस्तों, नमस्ते! आप सब कैसे हैं? हमारी तरफ से आप सभी को प्यार भरा नमस्ते। मैं आज अपनी पहली कहानी आप सबके सामने लेकर आया हूँ। मैं हमेशा सेक्स कहानियाँ पढ़ता रहा हूँ, लेकिन आज मुझे लगा कि मुझे भी अपनी कहानी आपसे साझा करनी चाहिए। ये मेरी पहली कोशिश है, तो थोड़ी गलतियाँ माफ करना। मेरा नाम जतिन है, उम्र 24 साल, और मैं गुजरात के अहमदाबाद के पास एक छोटे से गाँव में रहता हूँ। मैं एक छोटी सी दुकान चलाता हूँ। मेरे मामा का घर मेरे गाँव से 45 किलोमीटर दूर एक और गाँव में है। मामा के तीन बेटे और एक बेटी हैं। बड़े बेटे और बेटी की शादी हो चुकी है, और दूसरे बेटे की भी शादी हो गई है।

मामा के बड़े बेटे की बीवी, यानी मेरी बड़ी भाभी, का नाम रूपा है। रूपा भाभी 26 साल की हैं, गोरी, लंबी, और इतनी सुंदर कि उनके नाम की तरह ही उनकी शक्ल भी दिल चुरा लेती है। उनकी आँखें बड़ी-बड़ी, होंठ गुलाबी, और फिगर ऐसा कि कोई भी देखकर पागल हो जाए। उनकी कमर पतली और कूल्हे भरे हुए हैं, जो उनकी साड़ी में और भी निखरते हैं। लेकिन वो बहुत शर्मीली हैं। शादी को तीन साल हो गए, फिर भी वो किसी गैर मर्द से बात नहीं करतीं। दूसरी भाभी, यानी छोटे भाई की पत्नी, का नाम हेतल है। हेतल 23 साल की हैं, रूपा भाभी जितनी सुंदर नहीं, लेकिन बहुत नटखट और चुलबुली हैं। उनकी हँसी और मस्ती भरी बातें सबको पसंद आती हैं।

मैं रूपा भाभी से बहुत आकर्षित था। वो इतनी शर्मीली थीं कि मैं उनसे बात करने के लिए बहाने ढूँढता रहता था। धीरे-धीरे वो मुझसे खुलने लगीं। मैं मामा के घर हफ्ते में तीन-चार बार किसी न किसी बहाने से चला जाता। कभी उनकी साड़ी की तारीफ करता, कभी उनके खाना पकाने की, और कभी उनके गहनों की। वो हल्का सा मुस्कुरा देतीं, और मैं उस मुस्कुराहट में खो जाता। धीरे-धीरे वो मुझसे खुलकर बात करने लगीं, लेकिन सेक्स की बातें कभी नहीं करती थीं। मैं उन्हें देखकर इतना उत्तेजित हो जाता था कि मन करता था कि उन्हें बाहों में भरकर चोद दूँ। लेकिन उनकी शर्म और सादगी मुझे रोक लेती थी।

फिर मैंने उनकी मस्ती शुरू कर दी। कभी उनका हाथ पकड़कर सहलाता, कभी उनकी नाक खींचकर छेड़ता, कभी उनके पेट या कमर पर चुटकी काटता। पहले तो वो शरमाती थीं, लेकिन धीरे-धीरे वो भी मेरे साथ मस्ती करने लगीं। अब वो मुझसे और खुल गई थीं। कभी-कभी हल्की-फुल्की सेक्सी बातें भी होने लगीं। मैं उनके गाल पर चुटकी काटता, कभी उन्हें सहलाता, और उन्हें ये सब पसंद आने लगा था। अब मेरा बस एक ही मकसद था—रूपा भाभी को चोदने का मौका ढूँढना।

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एक दिन ऐसा हुआ कि मेरे परिवार को पाँच दिनों के लिए बाहर जाना पड़ा। मैं दुकान की वजह से नहीं जा सका। मम्मी ने मामा को फोन करके कहा, “जतिन पाँच दिन अकेला रहेगा, उसे खाने-पीने की दिक्कत होगी। अगर रूपा बेटी फ्री हो तो उसे आज ही भेज देना।” मामा ने कहा कि शाम पाँच बजे तक रूपा भाभी आ जाएँगी। ये सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैं मन ही मन सोचने लगा कि अब भाभी को चुदाई के बिना जाने नहीं दूँगा।

मैं उस दिन दुकान पर था। शाम पाँच बजे फोन आया कि भाभी घर पहुँच गई हैं और मेरे परिवार वाले बाहर जा रहे हैं। मैंने जल्दी-जल्दी काम निपटाया और सात बजे घर पहुँचा। घर पहुँचते ही देखा कि रूपा भाभी रसोई में खड़ी खाना बना रही थीं। उनकी गुलाबी साड़ी में उनकी कमर और कूल्हे इतने सेक्सी लग रहे थे कि मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। मैं चुपके से उनके पीछे गया, एक हाथ से उनकी आँखें बंद कीं और दूसरे हाथ से उनकी साड़ी के अंदर पेट पर रखकर उन्हें अपनी तरफ खींच लिया। उनका मुलायम शरीर मेरे सीने से टकराया। वो घबरा गईं और बोलीं, “देवर जी, ये क्या कर रहे हैं? छोड़ दीजिए!”

मैंने उनकी आँखों से हाथ हटाया और उनके बड़े, मुलायम चूचों पर रख दिया। धीरे-धीरे उनके चूचों को दबाने लगा। वो दूर होने की कोशिश करने लगीं, लेकिन मैंने उन्हें कसकर पकड़ लिया। मैं उनकी पीठ पर चूमने लगा, उनके गले पर, उनकी गर्दन पर। वो बार-बार कह रही थीं, “देवर जी, प्लीज छोड़ दो, ये गलत है!” लेकिन उनकी आवाज़ में वो शर्म और डर मिक्स था, जो मुझे और उत्तेजित कर रहा था। मैंने उनके चूचों को जोर से दबाया, तो वो चिल्लाईं, “नहीं, प्लीज छोड़ दो!” लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने कहा, “भाभी, आज तुम्हें पूरा मज़ा दूँगा, तब छोड़ूँगा।”

वो थोड़ी देर छटपटाईं, फिर बोलीं, “अच्छा, जो करना है कर लो, लेकिन प्लीज दर्द न हो।” मैंने उनके होंठों को चूमना शुरू किया। उनके गुलाबी, रसीले होंठों का स्वाद मुझे पागल कर रहा था। मैंने पाँच मिनट तक उनके होंठ चूसे, उनकी जीभ को अपनी जीभ से चाटा। वो भी अब धीरे-धीरे मेरा साथ देने लगी थीं। उनकी साँसें तेज हो रही थीं।

रात नौ बजे हमने खाना खाया। खाने के बाद हम थोड़ी देर बातें करते रहे। लेकिन मेरा मन अब उनकी चुदाई करने को बेताब था। मैंने उन्हें गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया। उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनके पास लेट गया। उनकी साड़ी अभी भी उनके बदन पर थी, लेकिन उनकी साँसों की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी। मैंने फिर उनके होंठों को चूमा, इस बार वो भी मेरे होंठों को चूसने लगीं। उनकी शर्म अब धीरे-धीरे कम हो रही थी।

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मैंने उनकी साड़ी का पल्लू हटाया। वो शरमाकर अपने चूचों को छुपाने की कोशिश करने लगीं। लेकिन मैंने उनके ब्लाउज के ऊपर से ही उनके चूचों को दबाना शुरू किया। उनके 36C के चूचे इतने मुलायम थे कि मेरे हाथों में समा नहीं रहे थे। मैंने धीरे-धीरे उनके ब्लाउज के बटन खोले। उनकी ब्रा में कैद चूचे बाहर निकलने को बेताब थे। मैंने उनकी ब्रा भी उतार दी। उनके गोल, नरम चूचे मेरे सामने थे। उनके निप्पल गुलाबी और सख्त हो चुके थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आआह्ह… देवर जी…” वो सिसकारी भरने लगीं। मैंने उनके चूचों को बारी-बारी चूसा, चाटा, और हल्के से काटा। वो अब पूरी तरह जोश में आ चुकी थीं।

मैंने उनकी साड़ी को पूरी तरह उतार दिया। अब वो सिर्फ पेटीकोट में थीं। मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खींचा और उसे भी उतार दिया। उनकी पैंटी गीली हो चुकी थी। मैंने उनके पूरे बदन पर चुम्मियाँ बरसाईं—उनके गले, चूचों, पेट, और फिर उनकी जाँघों पर। मैंने उनकी पैंटी उतारी और उनकी चूत को देखा। उनकी चूत गोरी, साफ, और गीली थी। मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर रखा और चाटना शुरू किया। “आआह्ह… ओह्ह… देवर जी… ये क्या कर रहे हो… आआह्ह…” वो चिल्ला रही थीं। उनकी चूत का स्वाद मुझे पागल कर रहा था। मैंने उनकी चूत को 20 मिनट तक चाटा, उनकी क्लिट को जीभ से सहलाया। वो बार-बार सिसकारियाँ भर रही थीं, “आआह्ह… ओह्ह… तुम्हारे भैया ने कभी ऐसा नहीं किया… आआह्ह… बहुत मज़ा आ रहा है…”

20 मिनट बाद वो बोलीं, “देवर जी, अब बस करो… अब तुम भी कुछ दिखाओ…” मैंने तुरंत अपने कपड़े उतारे। मेरा 8 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड देखकर उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। “बाप रे, इतना बड़ा! मैं तो मर जाऊँगी!” वो डर गईं। मैंने कहा, “कुछ नहीं होगा, भाभी। इसे अपने मुँह में लो।” वो बोलीं, “मैंने कभी नहीं लिया, मुझे नहीं आता।” लेकिन मेरे समझाने पर वो मान गईं। उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं। पहले तो वो हिचकिचाईं, लेकिन फिर उन्हें मज़ा आने लगा। “आआह्ह… ये तो बहुत अच्छा है…” वो 5 मिनट तक मेरा लंड चूसती रहीं।

फिर वो बोलीं, “अब डाल दो, अब और नहीं रुका जाता।” मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया, उनके पैर अपने कंधों पर रखे और अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रखा। वो बोलीं, “देवर जी, धीरे डालना, इतना बड़ा लंड मुझे मार न दे।” मैंने कहा, “ठीक है, भाभी।” लेकिन मन में सोचा कि भाभी ने मुझे इतना तड़पाया है, अब मैं इसे बेरहमी से चोदूँगा। मैंने एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड का 3 इंच हिस्सा उनकी चूत में घुस गया। वो चिल्लाईं, “आआह्ह… निकालो… मेरी फट गई… प्लीज छोड़ दो!” वो रोने लगीं। लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने एक और जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। “उउह्ह… आआह्ह… मर गई… छोड़ दो…” वो चिल्ला रही थीं। उनकी चूत से खून बह रहा था। मैंने उनकी चीखों को अनसुना किया और धक्के मारने लगा। “पच… पच… पच…” मेरे लंड के धक्कों की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।

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वो दर्द से तड़प रही थीं, लेकिन 10 मिनट बाद उनका दर्द कम हुआ। अब वो सिसकारियाँ भरने लगीं, “आआह्ह… ओह्ह… देवर जी… अब मज़ा आ रहा है…” उनकी चूत गीली हो चुकी थी, और वो मेरे धक्कों का मज़ा ले रही थीं। 10 मिनट में वो झड़ गईं। “आआह्ह… मैं गई…” उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया। लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने उन्हें और जोर-जोर से चोदा। “पच… पच… पच…” धक्कों की आवाज़ और उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। वो एक घंटे में चार बार झड़ीं। “आआह्ह… देवर जी, तुम तो शैतान हो… तुमने तो मेरी जान निकाल दी…” वो हाँफते हुए बोलीं।

मैंने उन्हें ढाई घंटे तक चोदा। आखिरकार मेरा भी पानी निकला। मैं उनके ऊपर ढेर हो गया। उनकी चूत खून और पानी से लथपथ थी। वो हिल भी नहीं पा रही थीं। मैंने उन्हें गोद में उठाया और बाथरूम ले गया। वहाँ उन्होंने मेरा लंड साफ किया, और मैंने उनकी चूत साफ की। फिर मैं उन्हें बेडरूम में लाया। मैंने फिर से चोदने को कहा, लेकिन वो बोलीं, “नहीं, अभी भी दर्द हो रहा है।” लेकिन मेरे जोर देने पर वो मान गईं। इस बार मैंने उन्हें तीन घंटे तक चोदा। वो 12 बार झड़ चुकी थीं। “बाप रे, कोई इतना टाइम भी लेता है!” वो हैरान थीं।

पाँच दिनों तक मैंने उन्हें जी भरकर चोदा। वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थीं। उन्हें ठीक होने में 15 दिन लग गए। लेकिन अब जब भी मौका मिलता है, हम जमकर चुदाई करते हैं। हाँ, उन्होंने मुझे अपनी गाँड नहीं मारने दी, क्योंकि मैंने उनकी चूत इतनी बुरी तरह चोदी थी। लेकिन उन्होंने एक शर्त रखी कि अगर मैं उनकी छोटी बहू हेतल को चुदवाऊँ, तभी वो अपनी गाँड मारने देंगी। मैंने कहा, “ठीक है, भाभी।” पाँच दिन बाद मम्मी उन्हें मामा के घर छोड़ आईं।

अब आगे की कहानी कि कैसे मैंने हेतल भाभी को चोदा, ये जानने के लिए आप क्या कहते हैं?

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