हाय दोस्तों, मेरा नाम विजय है और मैं दिल्ली-रोहतक से हूँ। मेरी उम्र 21 साल है, और मैं एक जवान, हट्टा-कट्टा लड़का हूँ, जिसे जिम का शौक है, इसीलिए बॉडी भी फिट है। मेरी फैमिली में मैं, मेरी मम्मी और पापा हैं। पापा की उम्र 45 साल है, और वो एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं, जहाँ उनकी ज्यादातर नाइट शिफ्ट रहती है। वो अक्सर घर से बाहर ही रहते हैं, कभी टूर पर, कभी दोस्तों के साथ। मेरी मम्मी, जिनका नाम रीना है, 37 साल की हैं। उनकी हाइट 5 फुट 4 इंच है, और वो इतनी खूबसूरत और जवान दिखती हैं कि कोई नहीं कह सकता कि उनकी उम्र इतनी है। उनके बूब्स एकदम गोल, भरे हुए और सॉलिड हैं, और उनकी गांड… उफ्फ, जब वो चलती हैं तो उनकी गांड का हिलना देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। उनका फिगर ऐसा है कि मोहल्ले के लोग भी उनकी तरफ आँखें गड़ाए रहते हैं।
पिछले कुछ महीनों से मैंने नोटिस किया कि मैं मम्मी की तरफ अजीब तरह से आकर्षित हो रहा हूँ। पहले तो मैं उनके फिगर को बस तारीफ की नजर से देखता था, लेकिन अब मेरे मन में वासना जागने लगी थी। मैं उनकी हर अदा को कामुक नजरों से देखने लगा। उनकी स्माइल, उनकी चाल, वो टाइट सलवार-कमीज या नाइटी में उनका उभरा हुआ फिगर… सब कुछ मुझे पागल कर रहा था। ये कहानी कुछ दिन पहले की है, जब पापा अपने दोस्तों के साथ 4 दिन के लिए मुंबई टूर पर गए थे। घर में अब सिर्फ मैं और मम्मी थे।
एक शाम मम्मी ने कहा, “विजय, बेटा, आज मार्केट चलते हैं। कुछ सामान लेना है।” उनकी आवाज में एक अजीब सी मिठास थी, जो मुझे और उत्तेजित कर रही थी। मैंने फट से हाँ कहा, और हम दोनों बाइक पर निकल पड़े। मैंने बाइक को पास के एक मॉल के सामने रोका, और हम अंदर चले गए। मम्मी ने पूछा, “तुझे कुछ चाहिए?” मैंने कहा, “नहीं, आप बताओ ना, आपको क्या लेना है?” मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा, “चल तो सही, देखते हैं।” उनकी उस हल्की सी मुस्कान ने मेरे दिल में आग सी लगा दी।
हम एक कपड़ों की दुकान में गए, जहाँ मम्मी सूट देखने लगीं। वो एक-एक सूट को ध्यान से देख रही थीं, और मैं उनके पीछे खड़ा होकर उनकी कमर और गांड को ताक रहा था। तभी मम्मी ने एक काली, पतली सी नाइटी उठाई, जो इतनी सेक्सी थी कि उसे देखते ही मेरा लंड टाइट होने लगा। नाइटी का कपड़ा इतना पतला था कि उसमें मम्मी का पूरा फिगर साफ दिखने वाला था। मैंने मन ही मन सोचा, “बस, आज रात यही मौका है।”
जब मम्मी सामान चुनने में बिजी थीं, मैं चुपके से लेडीज़ अंडरगारमेंट्स की सेक्शन में चला गया। वहाँ मैंने एक लाल रंग की हॉट ब्रा और पैंटी का सेट लिया, जो इतना सेक्सी था कि उसे देखकर ही मेरे दिमाग में मम्मी की तस्वीर उभर आई। मैंने उसे चुपके से सामान के बैग में डाल दिया ताकि मम्मी को पता न चले। फिर हम दोनों सामान लेकर घर के लिए निकल गए।
रास्ते में मैं बाइक चला रहा था, और मम्मी मेरे पीछे बैठी थीं। मेरे दिमाग में बस मम्मी की नाइटी और वो ब्रा-पैंटी की तस्वीरें घूम रही थीं। अचानक रास्ते में एक कुत्ता सामने आ गया, और मैंने जोर से ब्रेक मारा। मम्मी मेरी पीठ से टकरा गईं, और उनके भारी, मुलायम बूब्स मेरी पीठ पर दब गए। मेरा लंड तो पहले ही टाइट था, अब और सख्त हो गया। मम्मी ने कुछ कहा नहीं, लेकिन मैंने महसूस किया कि वो अब मुझसे और चिपककर बैठ गईं। उनकी जांघें मेरी कमर को छू रही थीं, और मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं। मैंने बाइक धीरे चलाई, ताकि वो और करीब रहें। घर पहुँचते-पहुँचते मेरे दिमाग में बस यही था कि आज रात कुछ तो करना है।
घर पहुँचकर हमने खाना खाया। मम्मी ने खाने के बाद कहा, “विजय, मैं थक गई हूँ, सोने जा रही हूँ।” मैंने कहा, “ठीक है, मम्मी।” लेकिन मेरे दिमाग में तो बस वही नाइटी और मम्मी का फिगर घूम रहा था। रात भर मैं यही सोचता रहा कि मम्मी को कैसे चोदूँ। मैंने कई बार मुठ मारने की सोची, लेकिन फिर रुक गया, क्योंकि मैं असली मजा लेना चाहता था।
अगले दिन मम्मी घर के काम में बिजी थीं। वो एक टाइट सलवार-कमीज में थीं, जिसमें उनकी गांड और बूब्स और उभरकर दिख रहे थे। मैं बाहर घूमने चला गया, लेकिन मेरा दिमाग मम्मी पर ही अटका था। शाम को जब मैं घर लौटा, तो मम्मी का मूड कुछ बदला हुआ लग रहा था। वो पहले से ज्यादा खुश और चुलबुली लग रही थीं। उन्होंने मुझे देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “कहाँ घूम रहा था, बेटा? आज तो तू बड़ा लेट हो गया।” उनकी आवाज में एक अजीब सी शरारत थी, जो मुझे और उत्तेजित कर रही थी।
रात को खाना खाने के बाद मम्मी उस काली नाइटी में मेरे रूम में आईं। रात के 11 बज रहे थे, और मैं टीवी देख रहा था। नाइटी इतनी टाइट और पतली थी कि उनके बूब्स का शेप साफ दिख रहा था, और नीचे उनकी जांघें आधी खुली हुई थीं। मैं तो बस उन्हें घूर रहा था। मम्मी ने कहा, “क्या हुआ, विजय? नींद नहीं आ रही?” मैंने हड़बड़ाते हुए कहा, “नहीं, मम्मी। आपको भी नींद नहीं आ रही?” वो हल्के से मुस्कुराईं और बोलीं, “नहीं, थोड़ी देर तेरे साथ टीवी देख लूँ।” ये कहकर वो मेरे बेड पर मेरे पास लेट गईं।
हम दोनों टीवी देखने लगे। मम्मी मेरे इतने करीब थीं कि उनकी गर्म साँसें मेरे कंधे पर महसूस हो रही थीं। मैंने धीरे से टीवी की आवाज कम की और कुछ रोमांटिक गाने लगा दिए। मम्मी की तरफ देखते हुए मैंने कहा, “मम्मी, आप इस नाइटी में बहुत सेक्सी लग रही हो।” मेरे मुँह से ये सुनकर वो एकदम से शरमाईं, लेकिन उनकी आँखों में शरारत साफ दिख रही थी। उन्होंने कहा, “अच्छा, तू भी ना, बकवास करता है।” लेकिन उनकी मुस्कान बता रही थी कि उन्हें मेरा कॉम्प्लिमेंट अच्छा लगा।
तभी टीवी पर एक हॉट गाना शुरू हुआ, जिसमें हीरो-हीरोइन एक-दूसरे के करीब डांस कर रहे थे। मैंने मौके का फायदा उठाया और कहा, “मम्मी, एक डांस हो जाए?” मम्मी ने तुरंत हाँ कह दी, और मुझे लगा कि आज मौका मिल गया। हम दोनों खड़े हुए, और मैंने उनका हाथ पकड़ लिया। धीरे-धीरे हम गाने की बीट पर डांस करने लगे। मैंने उनका हाथ अपनी कमर पर रखा और उन्हें अपनी तरफ खींच लिया। अब वो मेरे इतने करीब थीं कि उनके बूब्स मेरी छाती को छू रहे थे। मैंने उनकी कमर पर हाथ रखा और धीरे-धीरे सहलाने लगा। मम्मी ने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुराईं। मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया।
मैंने धीरे से उनकी नाइटी का चेन पकड़ा और नीचे खींच दिया। नाइटी खुलते ही मेरे होश उड़ गए। मम्मी ने वही लाल ब्रा और पैंटी पहनी थी, जो मैंने चुपके से खरीदी थी। उनकी गोरी चमकती स्किन, वो टाइट ब्रा में उभरे हुए बूब्स, और पैंटी में उनकी चूत का हल्का सा उभार… मैं तो पागल हो गया। मैंने कहा, “मम्मी, ये तो वही ब्रा-पैंटी है जो मैंने ली थी।” वो शरमाते हुए बोलीं, “हाँ, मुझे बैग में मिली। सोचा आज ट्राई कर लूँ।” उनकी आवाज में एक अजीब सी उत्तेजना थी।
मैंने और वक्त बर्बाद नहीं किया। मैंने उन्हें अपनी गोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया। मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतारे। मेरा 7 इंच का लंड पूरी तरह टाइट था, और उसकी नोक से पानी टपक रहा था। मैंने मम्मी के सामने खड़े होकर अपना लंड उनके होंठों के पास रखा। मम्मी ने पहले हल्का सा झिझका, लेकिन फिर उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया। वो धीरे-धीरे चूसने लगीं, और उनकी जीभ मेरे लंड की नोक पर गोल-गोल घूम रही थी। “पच-पच” की आवाज से कमरा गूँज रहा था। मैंने उनके बाल पकड़े और धीरे-धीरे उनके मुँह में धक्के देने लगा। मम्मी “उम्म्म… उम्म्म” की आवाजें निकाल रही थीं, और उनकी आँखों में वासना साफ दिख रही थी।
मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला, और उनके 36C के गोरे, सॉलिड बूब्स मेरे सामने थे। उनके निपल्स गुलाबी और सख्त हो चुके थे। मैंने उनके एक बूब को मुँह में लिया और चूसने लगा, जबकि दूसरा बूब मैं जोर-जोर से दबा रहा था। मम्मी की सिसकारियाँ शुरू हो गईं, “आह्ह… विजय… आह्ह…” मैंने उनकी पैंटी पर हाथ फेरा, और वो पूरी तरह गीली थी। मैंने पैंटी उतारी, और उनकी चूत को देखकर मेरे होश उड़ गए। एकदम क्लीन शेव, हल्की गुलाबी, और इतनी रसीली कि उसका पानी जांघों तक बह रहा था। मैंने उनकी चूत पर जीभ रखी और चाटना शुरू किया। मम्मी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह्ह… बेटा… ओह्ह… और कर… आह्ह…” वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थीं।
मैंने पूछा, “मम्मी, पापा आपके साथ सेक्स नहीं करते?” वो सिसकारी लेते हुए बोलीं, “वो तो बस काम में बिजी रहते हैं। मेरी चूत को तरस गया है।” उनकी ये बात सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने उनकी चूत को और जोर से चाटा, और मेरी जीभ उनकी चूत की गहराइयों में जा रही थी। मम्मी की गांड उछल रही थी, और वो “आह्ह… उह्ह… विजय… मेरी जान…” चिल्ला रही थीं।
मैंने अब अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रखा। मम्मी ने कहा, “बेटा, धीरे से… तेरा बहुत बड़ा है।” मैंने धीरे से एक धक्का मारा, और मेरा लंड आधा अंदर चला गया। मम्मी की चीख निकल गई, “आह्ह… उई… धीरे…” मैंने थोड़ा रुका, और फिर धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड पूरा अंदर जाने में वक्त लग रहा था। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। मम्मी की चीख और तेज हो गई, “आह्ह… विजय… मर गई… उफ्फ…” वो मेरी कमर पर अपने पैर लपेट रही थीं, और उनकी गांड मेरे हर धक्के के साथ उछल रही थी।
“पच-पच… पच-पच…” की आवाज पूरे कमरे में गूँज रही थी। मैंने मम्मी को अपनी बाहों में जकड़ा और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मम्मी चिल्ला रही थीं, “आह्ह… और जोर से… चोद मुझे… आह्ह… उह्ह…” मैं उनके होंठों पर अपने होंठ रखकर उन्हें चूमने लगा। उनकी सिसकारियाँ मेरे मुँह में दब रही थीं। मैंने उनके बूब्स को फिर से दबाना शुरू किया, और उनके निपल्स को उंगलियों से मसलने लगा। मम्मी की चूत से पानी बह रहा था, और मेरे लंड पर उनकी चूत का रस चमक रहा था।
मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड डाला। उनकी गांड का गोलापन देखकर मैं और पागल हो गया। मैंने उनकी गांड पर हल्के से चपत मारी, और वो “आह्ह…” करके सिसकारी। मैंने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए, और मम्मी की चूत हर धक्के के साथ “पच-पच” की आवाज कर रही थी। वो चिल्ला रही थीं, “विजय… मेरी जान… और जोर से… चोद डाल मुझे…” मैंने उनके बाल पकड़े और और तेज धक्के मारने लगा।
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मम्मी झड़ गईं। उनकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ लिया, और उनका पानी मेरे लंड पर बह रहा था। मैंने भी रुकने का नाम नहीं लिया और धक्के मारता रहा। मम्मी अपनी गांड उछाल-उछालकर मेरे लंड का मजा ले रही थीं। आखिरकार, मैं भी झड़ने वाला था। मैंने पूछा, “मम्मी, कहाँ निकालूँ?” वो बोलीं, “अंदर ही डाल दे, बेटा… मुझे तेरा रस चाहिए।” मैंने एक आखिरी जोरदार धक्का मारा, और मेरा सारा माल उनकी चूत में भर गया। हम दोनों पसीने से तर-बतर बेड पर लेट गए।
उस रात के बाद, जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई का मजा लेते। मम्मी अब मेरे साथ और खुल गई थीं, और हमारा रिश्ता अब सिर्फ माँ-बेटे का नहीं, बल्कि कुछ और भी था।
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