बड़ी दीदी को चोदा

हेलो दोस्तों, मेरा नाम वीरज है। मैं आपको अपने बारे में थोड़ा बता देता हूँ। मेरी उम्र 20 साल है, और मैं एक साधारण सा लड़का हूँ, न ज्यादा हैंडसम, न ही कोई हीरो टाइप। मेरे घर में कुल पाँच लोग हैं—मैं, मेरी दो बहनें, मम्मी और पापा। मेरी छोटी बहन, जिसका नाम रिया है, 18 साल की है और वो कॉलेज के पहले साल में है। वो हॉस्टल में रहती है, तो घर पर ज्यादातर समय मैं, मेरी बड़ी दीदी सांचिता, मम्मी और पापा ही रहते हैं। सांचिता दीदी मुझसे करीब दो साल बड़ी हैं, यानी 22 साल की। वो कॉलेज में पढ़ती हैं और घर से ही रोज कॉलेज जाती हैं। दीदी दिखने में गोरी, लंबी, और फिगर ऐसा कि कोई भी देखकर दोबारा देखे। उनका फिगर होगा कुछ 34-28-36, और उनकी स्माइल ऐसी कि दिल को छू ले। मैं तो कभी-कभी उनके सामने बोलते वक्त भी हकलाने लगता था।

मुझे सेक्स का बहुत शौक है। हाँ, मैं मानता हूँ, मैं सेक्स स्टोरीज कभी-कभी पढ़ लेता हूँ। ऐसा नहीं कि मैं दिन-रात यही करता हूँ, लेकिन जब मूड बनता है, तो खुद को रोकना मुश्किल हो जाता है। ये कहानी उस वक्त की है, जब मैं 18 साल का था, यानी दो साल पहले की बात है।

एक दिन मैं घर पर अकेला था। मम्मी-पापा किसी रिश्तेदार के यहाँ गए थे, और दीदी कॉलेज में थीं। मैं अपने कमरे में लैपटॉप पर बैठा कुछ गूगल कर रहा था। पहले तो मैं डिक्शनरी में कुछ शब्दों का मतलब ढूंढ रहा था, लेकिन फिर न जाने कैसे मेरे दिमाग में खयाल आया कि “सेक्स” का असली मतलब क्या होता है। मैंने गूगल पर सर्च किया, और वहाँ मुझे एक सेक्स स्टोरी वाली वेबसाइट दिखी। मैंने वो स्टोरी पढ़ना शुरू किया। स्टोरी थी एक भाई-बहन की, जो इन्सेस्ट थी। पहले तो मुझे थोड़ा अजीब लगा, लेकिन जैसे-जैसे मैं पढ़ता गया, मेरा लंड टाइट होने लगा। मैंने कभी ऐसा कुछ फील नहीं किया था।

मैं उस वक्त अकेला था, तो मैंने सोचा, थोड़ा मजे ले लूँ। मैंने अपनी पैंट नीचे की और लंड को सहलाने लगा। मेरा लंड करीब 6.5 इंच का है, और उस वक्त तो ऐसा लग रहा था जैसे वो फट जाएगा। मैंने स्टोरी पढ़ते-पढ़ते मुठ मारना शुरू किया। अचानक मेरे लंड से चिपचिपा सा पानी निकला। मैं घबरा गया, क्योंकि ये मेरे साथ पहली बार हुआ था। मुझे समझ नहीं आया कि ये क्या था।

अगले दिन मैंने अपने दोस्त राहुल को ये बात बताई। उसने हँसते हुए कहा, “अरे, ये तो नॉर्मल है यार। तू मुठ मार रहा था, और वो तेरा माल था।” उसने मुझे सब कुछ समझाया—कैसे लंड से पानी निकलता है, और ये सब इस उम्र में होता है। उस दिन के बाद मैं रोज मुठ मारने लगा। लेकिन अब मुझे सिर्फ मुठ मारने से संतोष नहीं हो रहा था। मेरे दिमाग में बस एक ही खयाल था—अगर मुठ मारने में इतना मजा है, तो किसी लड़की की चूत में लंड डालने में कितना मजा आएगा! मैंने ठान लिया कि मुझे किसी न किसी को चोदना ही है। लेकिन एक दिक्कत थी—मैं लड़कियों से बात करने में बहुत शर्माता था। कॉलेज में भी मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी।

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एक दिन घर पर कोई नहीं था। मम्मी-पापा किसी काम से बाहर गए थे, और घर पर सिर्फ मैं और सांचिता दीदी थे। उस दिन दीदी ने जल्दी-जल्दी खाना बना लिया। हम दोनों ने साथ में खाना खाया। खाना खाने के बाद दीदी अपने कमरे में होमवर्क करने चली गईं, और मैं बोर हो रहा था। मेरे पास कोई काम नहीं था, तो मैं मम्मी-पापा के कमरे में जाकर उनके बेड पर सो गया।

रात को करीब साढ़े बारह बजे मेरी नींद खुली। मुझे टीवी वाले कमरे से कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। मैंने सोचा, शायद दीदी टीवी देख रही होंगी। मैंने दरवाजे की झिरी से झाँककर देखा। जो मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। दीदी टीवी पर पोर्न मूवी देख रही थीं! वो नाइटी पहने थीं, और उनकी नाइटी ऊपर उठी हुई थी। वो अपने बूब्स को सहला रही थीं, और एक हाथ से अपनी चूत को भी रगड़ रही थीं। मैं तो हैरान रह गया। मेरी दीदी, जिसे मैं इतना इज्जत देता था, वो ऐसा कर रही थीं! पहले तो मुझे गुस्सा आया, लेकिन फिर सोचा, इस उम्र में ऐसा होना नॉर्मल है। मैंने खुद को भी तो मुठ मारते हुए देखा था।

थोड़ी देर बाद दीदी ने टीवी बंद किया और उसी कमरे में दूसरे बेड पर सो गईं। कमरे की लाइट बंद थी, तो उन्हें नहीं पता था कि मैं जाग रहा हूँ और ये सब देख रहा हूँ। दोनों बेड पास-पास ही थे। दीदी सो गईं, लेकिन मेरा दिमाग उस पोर्न मूवी में अटक गया था। मेरा लंड फिर से टाइट हो गया। रात के करीब तीन बज चुके थे, और मैं अब खुद को रोक नहीं पा रहा था। मेरे दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी—दीदी भी मेरी तरह चुदक्कड़ हैं।

मैंने हिम्मत जुटाई और धीरे से उनके बेड पर सरक गया। मैंने बहुत सावधानी से उनके पास लेट गया, ताकि उन्हें पता न चले। मैं उनके इतने करीब था कि उनकी साँसों की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी। मेरे बदन में जैसे करंट दौड़ रहा था। मेरा लंड अब इतना टाइट था कि मुझे लग रहा था कि वो फट जाएगा। मैंने धीरे से दीदी को अपनी बाँहों में लिया और उनके पीछे से चिपक गया। मैंने अपना लंड उनकी गांड की दरार पर रगड़ना शुरू किया, लेकिन इतना धीरे कि उन्हें नींद में पता न चले। थोड़ी देर में मेरा पानी छूट गया, और मैं वैसे ही चिपककर सो गया।

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सुबह जब मेरी आँख खुली, तो मैंने देखा कि दीदी जाग चुकी थीं। मैं उनके बगल में ही लेटा था, और मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मुझे इतनी शर्मिंदगी महसूस हो रही थी कि मैं उनकी आँखों में देख भी नहीं पा रहा था। मैंने सोचा, अब तो दीदी मुझे डाँटेंगी, और शायद मम्मी-पापा को भी बता देंगी। लेकिन दीदी ने जो कहा, उसने मेरी जान में जान डाल दी।

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वो बोलीं, “वीरज, इस उम्र में ऐसा होता है। तू चिंता मत कर। मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी।” उनकी आवाज में न कोई गुस्सा था, न कोई नाराजगी। वो बिल्कुल नॉर्मल थीं। हम दोनों थोड़ी देर तक वैसे ही बेड पर लेटे रहे। फिर मैंने हिम्मत करके उन्हें फिर से अपनी बाँहों में लिया। इस बार दीदी ने भी मेरा साथ दिया। वो मेरी तरफ मुड़ीं और मेरे सीने से चिपक गईं।

दीदी ने उस वक्त लाल रंग की नाइटी पहनी थी, जो उनके घुटनों तक थी। मैंने धीरे से उनका चेहरा अपनी तरफ किया और उनके कूल्हों पर हाथ रखकर दबाने लगा। उनकी गांड इतनी मुलायम थी कि मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। दीदी ने भी मेरे कूल्हों पर हाथ रखा और मुझे और करीब खींच लिया। हम दोनों एक-दूसरे से चिपककर किस करने लगे। उनकी होंठ इतने रसीले थे कि मैं पागल हो रहा था। हम दोनों एक-दूसरे को रगड़ रहे थे, और दीदी की साँसें तेज हो रही थीं।

मैंने धीरे से उनकी नाइटी को और ऊपर उठाया। नीचे उन्होंने लाल रंग की पैंटी पहनी थी। मैंने बिना कुछ सोचे अपना हाथ उनकी पैंटी में डाल दिया और उनकी चूत को सहलाने लगा। उनकी चूत इतनी गीली और गर्म थी कि मेरा लंड और जोर से तन गया। मैंने उनकी चूत को धीरे-धीरे रगड़ा, और दीदी सिसकियाँ लेने लगीं, “आह्ह… वीरज… धीरे…” उनकी आवाज में एक अजीब सी मादकता थी।

थोड़ी देर बाद दीदी ने खुद अपनी पैंटी उतार दी। अब वो नीचे से पूरी नंगी थीं, बस नाइटी ऊपर उठी हुई थी। मैंने भी अपनी पैंट और अंडरवियर उतार दिया। अब मैं सिर्फ शर्ट में था, और नीचे से नंगा। हम दोनों एक-दूसरे से चिपककर रगड़ रहे थे। दीदी की सिसकियाँ तेज हो रही थीं, “उम्म… आह्ह… वीरज…”

मैंने उनका एक पैर उठाया और अपने ऊपर रख लिया। अब मेरा लंड उनकी चूत को छू रहा था। मैंने धीरे से एक धक्का मारा। मेरा 6.5 इंच का लंड आधा उनकी चूत में घुस गया। दीदी जोर से चिल्लाईं, “आह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है!” मैं रुक गया और उनकी आँखों में देखा। उनकी आँखों में हल्का सा दर्द था, लेकिन साथ में एक अजीब सी चमक भी। मैंने फिर से धीरे से धक्का मारा, और इस बार मेरा पूरा लंड उनकी चूत में घुस गया।

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“उफ्फ… वीरज… कितना बड़ा है… आह्ह…” दीदी सिसक रही थीं। मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। हर धक्के के साथ उनकी चूत और गीली होती जा रही थी। “पच-पच” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। दीदी भी अब नीचे से अपनी कमर हिलाकर मेरा साथ दे रही थीं। “आह्ह… वीरज… और जोर से… चोद मुझे…” उनकी बातें सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया।

मैंने उनके बूब्स को नाइटी के ऊपर से दबाना शुरू किया। उनके बूब्स इतने सॉफ्ट थे कि मैं पागल हो रहा था। मैंने उनकी नाइटी को और ऊपर उठाया और उनके बूब्स को आजाद कर दिया। उनके निप्पल्स गुलाबी और टाइट थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। दीदी सिसक रही थीं, “आह्ह… वीरज… चूस ले… उफ्फ…”

हम दोनों करीब आधे घंटे तक ऐसे ही चुदाई करते रहे। मैं उनके ऊपर था, और हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में थे। दीदी की सिसकियाँ अब चीखों में बदल रही थीं, “आह्ह… वीरज… मैं झड़ने वाली हूँ… उफ्फ…” और फिर वो जोर से झड़ गईं। उनकी चूत ने मेरे लंड को और जोर से जकड़ लिया। थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ गया। मेरा सारा माल उनकी चूत में ही छूट गया।

झड़ने के बाद हम दोनों वैसे ही चिपककर लेटे रहे। हमारी साँसें तेज चल रही थीं। करीब 15-20 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे, एक-दूसरे की बाँहों में। सुबह के 8 बज चुके थे। दीदी उठीं, नाश्ता बनाया, और हम दोनों ने नाश्ता किया। फिर मैं कॉलेज चला गया, लेकिन मेरा दिमाग उसी रात में अटका था।

उस दिन के बाद से जब भी घर पर हम अकेले होते हैं, हम जमकर चुदाई करते हैं। अब मुझे दीदी से कोई शर्म नहीं है। हम दोनों अब पूरी तरह नंगे होकर अलग-अलग स्टाइल में चुदाई करते हैं। मुझे अब मुठ मारने की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि जब मन करता है, दीदी मेरे साथ होती हैं।

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