हाय, मैं श्वेता शर्मा, लखनऊ से। ये बात जून 2012 की है, जब मेरी जिंदगी में कुछ ऐसा हुआ, जिसने सब कुछ बदल दिया। मैं एक खुशहाल मिडिल-क्लास परिवार से हूँ। मेरे पापा, अजय शर्मा, रेलवे में ट्रेन ड्राइवर हैं। वो महीने में 18 दिन बाहर रहते हैं, और बाकी दिन घर पर। पापा 45 साल के हैं, लंबे-चौड़े, गठीले बदन वाले, चेहरे पर हमेशा हल्की-सी मुस्कान। मेरी मम्मी, रीता, 40 साल की हैं, गोरी, सुंदर, और घर को अपने प्यार से सजाने वाली। मैं 18 साल की हूँ, कॉलेज में पढ़ती हूँ, और लोग कहते हैं कि मैं अपनी उम्र से ज्यादा मच्योर दिखती हूँ। मेरे बूब्स मेरी उम्र की लड़कियों से थोड़े बड़े हैं, और शायद यही वजह है कि लोग मेरी तरफ ज्यादा ध्यान देते हैं।
जून का महीना था। पापा 18 दिन की ड्यूटी के बाद घर लौटे। मैं उस वक्त अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी थी, देर रात हो चुकी थी। मैंने जानबूझकर आँखें बंद कर लीं, सोचा शायद पापा जगाएँगे। लेकिन उन्होंने कुछ और ही किया। दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया। मैं चौंक गई। मैंने झट से बिस्तर से उठकर खिड़की की ओर भागी और बाहर झाँका। आँगन में मम्मी थीं, और पापा उनके पास खड़े थे। पापा अपनी पैंट उतारकर लुंगी पहन रहे थे। फिर उन्होंने मम्मी को गोद में उठा लिया। दोनों हँस-हँसकर बातें कर रहे थे, जैसे कोई पुराना जोक शेयर कर रहे हों।
कुछ देर बाद दोनों चुप हो गए। पापा ने मम्मी के ब्लाउज के ऊपर से उनके चूचियों को सहलाना शुरू किया। उनकी उंगलियाँ धीरे-धीरे मम्मी के ब्लाउज के बटन खोलने लगीं। मम्मी की गर्दन पर पापा ने अपने होंठ रख दिए, और मम्मी की साँसें तेज हो गईं। वो ऐसे रिएक्ट कर रही थीं जैसे कोई नशा चढ़ रहा हो। मम्मी ने अपना ब्लाउज पूरा खोल दिया, और पापा ने अपनी लुंगी उतार दी। मैं पहली बार किसी मर्द का लंड देख रही थी। पापा का लंड, जो अभी अंडरगारमेंट में छुपा था, मुझे हैरान कर रहा था। मम्मी ने धीरे से पापा का अंडरगारमेंट नीचे खींचा, और उनका लंड बाहर आ गया। वो बड़ा था, शायद 7 इंच का, और मोटा। मम्मी ने उसे अपने मुँह में ले लिया, और बड़े प्यार से चूसने लगीं। वो दो मिनट तक ऐसे ही चूसती रहीं, जैसे कोई लॉलीपॉप हो।
पापा ने मम्मी को गोद में उठाया और बाथरूम की ओर ले गए। कुछ देर बाद दोनों बिना कपड़ों के बाहर आए। पापा का लंड अब छोटा और नरम हो चुका था। दोनों ने जल्दी से कपड़े पहने, और मम्मी मेरे कमरे की ओर बढ़ीं। मैंने जानबूझकर दरवाजा खटखटाया, जैसे मैं अभी जागी हूँ। मम्मी ने दरवाजा खोला, मैं पापा से मिली, और फिर हमने रात का खाना खाया। खाने के बाद सब सो गए।
अगले दिन मम्मी अपनी बहन से मिलने चली गईं। मैं और पापा घर पर अकेले थे। दोपहर के दो बज चुके थे, और हम बस बातें कर रहे थे। पापा ने कहा, “चलो, कहीं बाहर चलते हैं।” मैंने कहा, “पापा, फीनिक्स मॉल चलते हैं।” पापा तैयार हो गए, और हम स्विफ्ट डिजायर में मॉल गए। वहाँ हमने शॉपिंग की, एक फिल्म देखी, और डिनर करके वापस कार में बैठे।
कार में बैठते ही मेरे मुँह से निकल गया, “पापा, आप मम्मी के मुँह में सुसु क्यों कर रहे थे?” पापा एकदम शर्मा गए। वो कुछ नहीं बोले। मैंने बार-बार पूछा, तो उन्होंने मुझे डाँटा, “चुपचाप बैठो, अब कुछ मत बोलो।” मैं उदास हो गई। पूरा रास्ता पापा कुछ सोचते रहे, और मैं चुपचाप बैठी रही। रात के साढ़े ग्यारह बजे हम घर पहुँचे। मैं अपने कमरे में चली गई, लेकिन नींद नहीं आ रही थी। मैं बार-बार सोच रही थी कि पापा ने मुझे डाँटा क्यों।
रात को 12 बजे पापा मेरे कमरे में आए। “अभी तक सोई नहीं?” उन्होंने पूछा। मैंने कहा, “नींद नहीं आ रही।” पापा मेरे पास बिस्तर पर बैठ गए। “सॉरी बेटा, मैं तुम पर चिल्ला दिया,” उन्होंने कहा। मैंने पूछा, “लेकिन आप बता क्यों नहीं रहे कि आप क्या कर रहे थे?” पापा ने हल्के से हँसते हुए कहा, “जब तुम्हारी शादी होगी, तब तुम भी अपने पति के साथ ऐसा करोगी। अब सो जाओ।” मैंने कहा, “गुड नाइट, पापा।” वो बोले, “गुड नाइट।”
अगली सुबह मैं जल्दी उठ गई। मैंने देखा कि पापा अपने कमरे में थे, और वो अपने लंड को हिला रहे थे। उनकी आँखें बंद थीं, और चेहरा ऐसा था जैसे उन्हें दर्द हो रहा हो। मैं डर गई और उनके पास चली गई। मैंने उनका लंड पकड़ लिया और उस पर फूँक मारने लगी। “पापा, क्या हुआ? दर्द हो रहा है?” मैंने पूछा। पापा की आँखें खुलीं, और वो एकदम वासना से भरे हुए लग रहे थे। “हाँ, बेटा, बहुत दर्द हो रहा है। इसे मुँह में लेकर हिला दो,” उन्होंने कहा।
मैं 18 साल की थी, कॉलेज में पढ़ती थी, लेकिन सेक्स के बारे में ज्यादा नहीं जानती थी। मैंने सुना था कि मुँह में लेने से दर्द कम होता है, तो मैंने वैसा ही किया। मैंने पापा का लंड अपने मुँह में लिया और धीरे-धीरे हिलाने लगी। उनका लंड फिर से बड़ा और सख्त हो गया। पापा ने मेरे बूब्स पर हाथ फेरना शुरू किया। मैं नाइटी में थी, और उन्होंने धीरे-धीरे मेरी नाइटी को ऊपर उठा दिया। मेरे बूब्स, जो 34C के थे, अब उनके सामने थे। वो उन्हें दबाने लगे, और मेरे निप्पल्स को उंगलियों से मसलने लगे। मुझे अजीब-सी गुदगुदी होने लगी।
पापा ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला और बोले, “बेटा, यहाँ लेट जाओ।” मैं बिस्तर पर लेट गई। पापा ने मेरी पैंटी उतार दी और मेरी चूत को चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के ऊपर धीरे-धीरे घूम रही थी, और मैं सिहर उठी। “आह्ह…” मेरे मुँह से हल्की-सी सिसकारी निकली। पापा ने अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर-बाहर करना शुरू किया। मुझे ऐसा मजा आ रहा था कि मैं अपने होश खोने लगी। मेरी साँसें तेज हो गईं, और मेरा शरीर काँपने लगा।
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कुछ देर बाद पापा रुके और बोले, “रुको, मैं वेसलीन लाता हूँ।” वो जल्दी से वेसलीन लेकर आए। उन्होंने अपने लंड पर वेसलीन लगाया और अपनी उंगली से मेरी चूत में भी लगाने लगे। उनकी उंगली मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी, और मुझे हर पल मजा बढ़ता जा रहा था। “उम्म… पापा…” मैं सिसक रही थी। पापा ने मुझे उठाया और मेरे कमरे में ले गए। वहाँ उन्होंने कहा, “बेटा, मैं अपना लंड तुम्हारी चूत में डालूँगा। थोड़ा दर्द होगा, लेकिन सह लेना।”
मैंने डरते हुए पूछा, “पापा, कितना दर्द होगा?” वो बोले, “शुरुआत में थोड़ा, लेकिन बाद में बहुत मजा आएगा।” मैंने हामी भरी, “ठीक है, पापा।” पापा ने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया। मैं इतनी गीली थी कि मुझे लग रहा था कि मैं अभी उनका लंड अंदर ले लूँ। मैं मचलने लगी, मेरी चूत में एक अजीब-सी गर्मी थी। “पापा… जल्दी…” मैंने सिसकते हुए कहा।
पापा ने और वेसलीन लगाया और धीरे से अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे। जैसे ही उनका लंड मेरी चूत में गया, मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। “आह्ह… पापा… निकालो… मैं मर जाऊँगी…” मैं चीख पड़ी। दर्द इतना तेज था कि मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। पापा रुक गए और बोले, “बस, हो गया। अब धीरे-धीरे दर्द कम हो जाएगा।”
वो मेरे बूब्स को चूमने लगे, मेरे बालों को सहलाने लगे। एक हाथ से मेरे निप्पल्स को मसल रहे थे, और दूसरा हाथ मेरे सिर को सहला रहा था। कुछ देर बाद दर्द कम हुआ। पापा ने धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर-बाहर करना शुरू किया। “पच… पच…” उनकी हरकत से मेरी चूत में गीली आवाजें आने लगीं। “आह्ह… उम्म…” मैं सिसक रही थी। दर्द के साथ-साथ अब मजा भी आने लगा था। पापा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। “श्वेता… मेरी रानी… कितनी टाइट है तेरी चूत…” वो बड़बड़ा रहे थे।
मैंने अपने पैर उनके कूल्हों पर लपेट लिए। “पापा… और… आह्ह…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। कमरा मेरी सिस्कारियों और उनकी धक्कों की आवाज से गूँज रहा था। “पच… पच… पच…” उनकी हर धक्के के साथ मेरी चूत में गर्मी बढ़ रही थी। पापा ने मेरे बूब्स को मुँह में लिया और चूसने लगे। “उम्म… पापा… और जोर से…” मैं बेकाबू हो रही थी।
कुछ देर बाद मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर कुछ फटने वाला है। मैंने पापा को कसकर पकड़ लिया। “पापा… कुछ हो रहा है… आह्ह…” मैं चीखी। पापा ने और जोर से धक्के मारने शुरू किए। “हाँ, बेटा… बस यही है… ले मेरी जान…” वो गुर्रा रहे थे। अचानक मेरी चूत में गर्मी की लहर दौड़ी, और मैं झड़ गई। “आआह्ह… पापा…” मैं काँप रही थी।
पापा अभी भी रुके नहीं। वो मेरी चूत में और जोर से धक्के मार रहे थे। “पच… पच… पच…” उनकी साँसें तेज थीं। कुछ देर बाद उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया। “श्वेता… ले… आह्ह…” और मेरी चूत में गर्म-गर्म वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। मैं महसूस कर सकती थी कि उनकी गर्मी मेरी चूत को भर रही थी। हम दोनों वैसे ही लेटे रहे, एक-दूसरे की बाहों में।
पापा ने मेरे माथे पर kiss किया और कहा, “ये बात मम्मी को मत बताना।” मैंने कहा, “ठीक है, पापा।” इसके बाद, जब भी मम्मी घर पर नहीं होतीं, पापा मुझे चोदते। मुझे पापा से चुदवाने में बहुत मजा आता है।
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