मेरी कहानी का पिछला भाग पढ़ें: नीरू गोदारा की चुदाई की कहानियाँ
मैं बिंदास लड़की थी और अब भी हूँ। शादी से पहले मैंने कई बार मम्मी-पापा को चुदाई करते देखा था। मेरे मम्मी-पापा का मिजाज़ बहुत कामुक था। मैं उन्हें देखती और अपनी चूत सहलाने लगती थी। मेरा एक छोटा भाई है, जो दिल्ली में पढ़ता था और फिर वहीं जॉब मिलने के बाद घर कम ही आता था। घर में मम्मी, पापा और मेरे अलावा कोई नहीं रहता था।
मायके में हमारा घर गाँव के बाहर था, जहाँ पीछे खेत शुरू हो जाते थे। मैं और मम्मी सुबह-सुबह एक साथ टॉयलेट जाते थे। पहले मुझे मम्मी के सामने नंगी होने में शर्म आती थी, लेकिन मम्मी मेरे सामने बेझिझक कपड़े बदलते वक्त नंगी हो जाती थीं। फिर मैं भी उनके सामने बिना शर्म के नंगी होने लगी।
पापा शाम को शराब पीते और शराब के नशे में मम्मी को नंगी कर देते, फिर चुदाई शुरू कर देते। मैं उन्हें देखती रहती थी। हर बार जब वो ऐसा करते, मैं देखती थी। लेकिन एक दिन मम्मी ने मुझे देख लिया। मम्मी भी पापा के साथ खूब मज़े लेकर चुदाई करती थीं। फिर मम्मी ने मुझे समझाया, “तेरी शादी के बाद तेरा पति भी तुझसे ऐसे ही करेगा।”
इसके बाद मैं मम्मी से खुलकर सवाल पूछने लगी। मम्मी भी सब कुछ बता देती थीं। फिर मैं बिना किसी शर्म के मम्मी-पापा की चुदाई देखने लगी। अब मम्मी भी कुछ नहीं कहती थीं। कई बार मम्मी मेरे सामने ही सारे कपड़े उतारकर पापा के पास चली जाती थीं। गर्मियों में मम्मी बहुत पतले कपड़े पहनती थीं, या कभी-कभी नीचे सिर्फ़ घाघरा पहनकर रहती थीं और ऊपर कुछ नहीं।
मैं भी मम्मी के सामने अपनी चूत में उंगली करने लगी। मम्मी मुझे कुछ नहीं कहती थीं, बल्कि हँसकर कहती थीं, “तेरी तो अब जल्दी से जल्दी शादी करनी पड़ेगी।” कई बार मम्मी भी घर पर पापा के न होने पर अपनी चूत में बैंगन वगैरह डालकर मज़े लेती थीं।
जब घर पर कोई नहीं होता था, मैं नंगी होकर अपनी बॉडी को शीशे में देखती और निहारती रहती। मुझे अब मम्मी से बिल्कुल शर्म नहीं आती थी। घर के पीछे गाय और भैंसें बँधी रहती थीं, जिनका सारा काम मम्मी ही करती थीं। घर के पीछे चारदीवारी थी और एक-दो मकान बने थे।
मम्मी को गर्मी बहुत लगती थी, तो वो सारे कपड़े उतारकर पीछे काम करती रहती थीं। मम्मी का किसी और से कोई रिलेशन तो नहीं था, लेकिन वो बहुत कामुक थीं, इसलिए घर में नंगी रह लेती थीं। पहले मम्मी अपने बूब्स पर कपड़ा डाल लेती थीं, लेकिन बाद में वो ऊपर कुछ भी नहीं पहनती थीं।
मेरा भी मन चुदाई करने को बहुत करता था, लेकिन मैंने कभी बाहर अफेयर करने की नहीं सोची। फिर जब मैं 18 की हुई, तो मेरा रिश्ता तय हो गया। मेरे हसबैंड आर्मी में थे। मैं तब बहुत खुश थी। कुछ महीनों बाद मेरी शादी हो गई और मैं ससुराल आ गई।
ससुराल में मेरे सास-ससुर, जेठ जी और हसबैंड थे। जेठ जी की एक आँख खराब थी, जिसके कारण उनकी शादी नहीं हो पाई थी। मुझे घर का सारा काम आता था, इसलिए मेरी सास मुझसे बहुत खुश थीं। फिर हसबैंड एक महीने बाद वापस ड्यूटी पर चले गए। मैं ससुराल में कुछ दिन रही, फिर मेरे पापा मुझे ले आए।
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