मेरी पेटीकोट में हाथ घुसाने लगा डॉक्टर

तीन लंड मेरी चूत और गांड का भेदन कर चुके थे। उन तीनों लंडों से चुदाई के बाद मैं अब पूरी तरह चुदक्कड़ बन चुकी थी। मेरी नजरें अब हर वक्त पुरुषों की पैंट में छुपे लंड का जायजा लेने में लगी रहती थीं। मेरी चूत में हमेशा चुदास की आग भड़कती रहती थी। जैसे मर्दों की आंखें आती-जाती लड़कियों की चूचियों और गांड पर टिकी रहती हैं, वैसे ही मैं भी मर्दों की पैंट में छुपे लंड को नापने की कोशिश में डूबी रहती थी।

इसी दौरान मैं गर्भवती हो गई। पहली बार मां बनने का उत्साह मेरे लिए अनमोल था। उस खुशी को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। मेरा गर्भ तीन महीने का ही था जब मुझे कुछ तकलीफ हुई। मैं अपने पति के साथ एक डॉक्टर के पास चेकअप के लिए गई। डॉक्टर ने चेकअप के बाद सख्त हिदायत दी कि अब मुझे सेक्स नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये होने वाले बच्चे के लिए ठीक नहीं होगा। उस दिन से मेरी चुदाई बंद हो गई। एक मां अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती है, और मैंने भी यही किया।

लेकिन चुदाई बंद होने से मेरी चुदास की आग तो कम नहीं हुई। मैं अक्सर चुदाई की चाहत में बेचैन हो उठती थी, पर कुछ कर नहीं सकती थी। मेरे पति भी मुझसे दूरी बनाए रखते थे। शायद पास आने पर खुद को चुदाई से रोक पाना उनके लिए भी मुश्किल था। वो मेरा पूरा ख्याल रखते थे। डॉक्टर ने महीने में दो बार चेकअप की सलाह दी थी, और वो मुझे नियमित रूप से डॉक्टर के पास ले जाते थे। तीन महीने और बीत गए, और अब मेरा पेट साफ दिखने लगा था।

एक दिन पति को किसी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा। उस दिन चेकअप का समय था, तो मैंने पड़ोस की एक लड़की को साथ लिया और डॉक्टर के पास चली गई। करीब आधे घंटे बाद डॉक्टर ने मुझे अपने केबिन में बुलाया। मैं अकेली ही अंदर गई। हर बार डॉक्टर मेरा बीपी वगैरह चेक करता था, लेकिन इस बार उसने मुझे स्ट्रेचर पर लेटने को कहा और पर्दा लगाकर मेरा पेट जांचने लगा।

“नम्रता जी, अगर आपको कोई ऐतराज न हो तो मुझे आपके कपड़ों के अंदर के हिस्से को चेक करना होगा। मेरा मतलब समझ रही हैं ना आप?” उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा घबरा गई। लेकिन फिर सोचा, इस हालत में कौन मुझे चोदेगा? मैंने हां कर दी।

मेरी हामी मिलते ही डॉक्टर ने मेरी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठाकर मेरे पेट पर कर दिया। मैंने पैंटी नहीं पहनी थी, तो मेरी नंगी चूत अब डॉक्टर के सामने थी। डॉक्टर मेरी टांगों के बीच आ गया और अपने औजारों से मेरी चूत को फैलाकर अंदर से जांच करने लगा।

डॉक्टर के बारे में थोड़ा बता दूं। वो करीब चालीस-पैंतालीस साल का तंदुरुस्त मर्द था, जिसका शरीर मजबूत और आकर्षक था। ये सोचकर ही मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई थी कि इतने दिनों बाद मैं फिर से एक पराये मर्द के सामने अपनी चूत नंगी किए लेटी थी। लेकिन आज कुछ होने की उम्मीद नहीं थी। डॉक्टर पहले अपने औजारों से जांच करता रहा, फिर उसने पहली बार अपनी उंगली से मेरी चूत को छुआ। उसकी उंगली के स्पर्श से मेरे मुंह से “आह्ह…” निकल गया।

डॉक्टर ने मेरी आह सुन ली थी। शायद इसलिए उसने और जोर से अपनी उंगली से मेरी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। कुछ देर सहलाने के बाद उसने पहले एक, फिर दो उंगलियां मेरी चूत की गहराई में उतार दीं। मैं तो मस्ती के मारे तड़प उठी। मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी। करीब दस मिनट तक डॉक्टर मेरी चूत को अपनी उंगलियों से सहलाता रहा। फिर वो अपने औजार उठाकर मेरी तरफ आया और बात करने लगा।

“नम्रता जी, मैंने आपका चेकअप कर लिया है। सब कुछ ठीक है। अगर आगे भी सब ठीक रहा तो निश्चित रूप से आप एक स्वस्थ और सुंदर बच्चे को जन्म देंगी।” मेरी साड़ी अभी भी मेरे पेट पर पड़ी थी। डॉctor ने उसे पकड़कर नीचे किया और मेरे पेट को सहलाने लगा। मैंने स्ट्रेचर को दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था। जब डॉक्टर मेरा पेट जांचने लगा, तो उसका लंड मेरे हाथ से टकराया। मेरी नजर उसकी पैंट पर गई। उसका पैंट का अगला हिस्सा पूरी तरह तना हुआ था। उसमें से मोटे लंड का अहसास साफ हो रहा था। मेरे दिल में गुदगुदी होने लगी, और मेरी धड़कन और तेज हो गई।

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मुझे लगा कि शायद डॉक्टर जानबूझकर अपना लंड मेरे हाथ से रगड़ रहा है। उसकी उंगलियों ने पहले ही मेरी चूत में आग लगा दी थी, और अब उसके लंड के स्पर्श से मेरी हालत खराब होने लगी थी। डॉक्टर ने करीब दो-तीन मिनट तक अपना लंड मेरे हाथ पर रगड़ा। अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था। दिल कर रहा था कि उसके लंड को अपने हाथ में पकड़कर मसल दूं, उसे मुंह में लेकर चूस लूं। डॉक्टर का लंड भी अब पूरी तरह तन चुका था।

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तभी डॉक्टर ने मेरे पेट को एक जगह से दबाया, और मुझे दर्द हुआ। मैंने दर्द भरी “आह्ह…” के साथ स्ट्रेचर छोड़कर डॉक्टर का लंड अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया। मेरी हरकत से डॉक्टर की भी “आह…” निकल गई। अब डॉक्टर ने मेरी चूचियों को दबाकर देखा। मेरी चूचियां तन चुकी थीं, और उसके हाथ अब मेरे अंदर मस्ती भर रहे थे।

मैंने अब शर्म छोड़ दी और डॉक्टर का लंड अपने हाथ में पकड़कर मसलने लगी। वो मेरी चूचियों को दबा रहा था, और मैं उसके लंड को। हम दोनों मस्ती की आग में खो गए थे। कुछ देर ऐसे ही मजा लेने के बाद मैं खुद को रोक नहीं पाई। मैंने उसकी पैंट की जिप खोलकर उसका लंड बाहर निकाल लिया। डॉक्टर का लंड फटने को तैयार था। मोटा, मूसल जैसा लंड देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया। मैं चुदवा तो नहीं सकती थी, पर मेरी चूत में आग लग चुकी थी।

डॉक्टर ने अपना लंड मेरे मुंह की तरफ किया। मैंने न चाहते हुए भी उसे अपने मुंह में ले लिया। पांच मिनट तक चूसने के बाद उसके लंड से गर्म-गर्म मलाई निकलकर मेरे मुंह में घुस गई। बहुत दिनों बाद मुझे वीर्य का स्वादिष्ट स्वाद मिला था। मैंने सारा चाट लिया।

वीर्य निकलने के बाद डॉक्टर ठंडा हो गया और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया। मैं कुछ देर स्ट्रेचर पर लेटी रही, फिर उठकर उसके पास गई और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। मेरे रसीले होंठों का स्वाद और उसके लंड से निकले वीर्य का मिश्रित स्वाद उसके मुंह में घुल गया।

ऐसा मजेदार चेकअप करवाने के बाद मैं घर आई। सारा दिन डॉक्टर का लंड मेरी आंखों के सामने घूमता रहा। रात को जब पति ने चेकअप के बारे में पूछा, तो मैंने झूठ बोल दिया कि डॉक्टर ने हर हफ्ते चेकअप के लिए कहा है। पति भला कैसे मना कर सकते थे? इसके बाद मैं हर हफ्ते डॉक्टर के पास जाने लगी। अगर पति साथ चलने को कहते, तो मैं किसी न किसी बहाने टाल देती और अकेली ही जाकर डॉक्टर के लंड को चूस आती। इसमें मुझे अब बहुत मजा आने लगा था।

फिर समय पर मैंने अपनी गुड़िया को जन्म दिया। अगले चालीस दिन मुझे पूरा आराम करने की हिदायत दी गई थी। किसी तरह मैंने ये दिन काटे। अब मैं डॉक्टर से मिलकर उसके मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करने को बेताब थी। लेकिन पति ने अपनी एक रिश्तेदार को मेरी देखभाल के लिए बुला लिया था, तो मैं कुछ कर नहीं पा रही थी।

दो महीने और बीत गए। फिर एक दिन मैंने पति से कह दिया कि रिश्तेदार को वापस भेज दो, अब मैं ठीक हूं और सब संभाल सकती हूं। पति ने मेरी बात मान ली। जिस दिन वो रिश्तेदार को छोड़ने गए, मैं अपनी गुड़िया को लेकर सीधे डॉक्टर के पास पहुंच गई।

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डॉक्टर मुझे देखते ही मुस्कुरा दिया। क्लिनिक में सिर्फ दो-तीन मरीज थे। उसने जल्दी से उन्हें निपटाया और आखिर में मुझे बुलाया। केबिन में घुसते ही डॉक्टर ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरी गर्दन पर चूमने लगा। मैंने गुड़िया को पास के चेकअप बेड पर लिटाया और डॉक्टर से लिपट गई। वो मेरे होंठ चूसने लगा और मेरी चूचियों को, जो दूध भरने से और भी बड़ी हो गई थीं, सहलाने लगा।

बहुत दिनों बाद उसका स्पर्श मेरी चूचियों पर हुआ था। मैं तो मस्ती में भर गई। मैंने बिना देर किए उसका मोटा लंड अपने हाथ में लिया और मसलने लगी। हम दोनों वासना के सागर में गोते लगाने लगे। पांच मिनट होंठ चूसने के बाद मैंने उसका लंड बाहर निकाला और मसलने लगी। उसकी आंखें मस्ती में बंद हो गई थीं। तभी उसका इंटरकॉम फोन बजा। बाहर से कंपाउंडर ने बताया कि कोई इमरजेंसी मरीज आया है। डॉक्टर ने मुझे बाहर इंतजार करने को कहा।

लेकिन मैंने इंतजार करने से मना कर दिया और उसे कहा कि वो फ्री होने के बाद मेरे घर आ जाए। डॉक्टर राजी हो गया। मैं गुड़िया को लेकर घर आ गई। करीब एक बजे उसका फोन आया। उसने पूछा कि क्या वो आ जाए। मेरी चूत लंड के लिए मचल रही थी, तो मैंने तुरंत हां कर दी।

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डॉक्टर पंद्रह मिनट में आने वाला था। मैं तैयार होने के लिए बाथरूम में घुस गई। नहाकर मैंने अपनी चूत को रगड़-रगड़कर साफ किया। जैसे ही मैं बाथरूम से निकली, दरवाजे पर घंटी बजी। डर था कि कहीं कोई और तो नहीं आ गया। लेकिन दरवाजा खोलते ही मैंने देखा कि वो वही था, जिसका मैं और मेरी चूत इंतजार कर रहे थे।

डॉक्टर को अंदर बिठाकर मैंने उसे चाय-कोल्डड्रिंक के लिए पूछा, लेकिन उसने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। अब मैं अपनी चूत को और नहीं तड़पाना चाहती थी। मैंने बिना देर किए उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए। मैंने सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहना था। पैंटी और ब्रा तो मैंने पहनी ही नहीं थी, और साड़ी पहनने का वक्त ही नहीं मिला था।

एक मिनट बाद हम दोनों नंगे थे। हमारे नंगे बदन एक-दूसरे से लिपटे हुए थे। डॉक्टर मेरे दूध से भरे चूचों को मुंह में लेकर चूस रहा था, और उसकी एक उंगली मेरी चूत में उछल-कूद मचा रही थी। मैं मस्ती में सिसकारियां भर रही थी। मेरी “आह्ह… ऊह्ह…” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। कुछ देर ऐसे ही मजा लेने के बाद उसने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरी टांगों के बीच बैठकर मेरी चूत को सहलाने लगा। फिर अचानक उसने अपना मुंह मेरी चूत पर रख दिया।

मैं खुद को रोक नहीं पाई। मेरी चूत ने गर्म-गर्म पानी उसकी जीभ पर फेंक दिया। डॉक्टर पूरी मस्ती के साथ मेरी चूत चाट रहा था। मैं अपने पैर के अंगूठे से उसके लंड को सहला रही थी। उसका लंड पूरी तरह तनकर अकड़ गया था। मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया। उसने मेरा सिर सोफे की बाजू पर सेट किया और खड़े होकर अपना लंड मेरे मुंह में ठूस दिया। मैं भी मस्ती में लंड चूसने लगी। लेकिन अब मेरी चूत में ज्वालामुखी फटने को था। मैंने उसे चुदाई करने को कहा।

डॉक्टर ने मेरी बेचैनी समझी। उसने मेरे कुल्हों को सोफे की बाजू पर सेट किया और अपना लंड मेरी चूत के मुहाने पर टिका दिया। बहुत दिनों बाद मेरी चूत को लंड की गर्मी मिली थी। मैं और इंतजार नहीं कर सकती थी। उसने मेरी टांगें अपने कंधों पर रखीं और एक जोरदार धक्का मारा। “पचाक…” की आवाज के साथ आधा लंड मेरी चूत में समा गया। मैंने “आह्ह…” भरी। उसने बिना रुके एक और धक्का मारा, और “फच…” के साथ पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया।

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बहुत दिनों बाद मैं चुद रही थी। मैं जल-बिन मछली की तरह तड़प रही थी। मेरे मुंह से चीख निकल गई, “आह्ह… उई मां…” उसका लंड लोहे की रॉड की तरह कठोर था। फिर तो उसने ताबड़तोड़ धक्के लगाकर मेरी चूत का भुरता बनाना शुरू कर दिया। “पच… पच… फच… फच…” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। पहले तो मुझे दर्द हुआ, लेकिन फिर मेरे बदन में मस्ती की लहरें दौड़ने लगीं।

डॉक्टर सचमुच कमाल की चुदाई कर रहा था। वो चुदाई में पूरी तरह निपुण था। हर धक्का बिल्कुल सटीक था। हर धक्के के साथ मेरी “आह्ह… ऊह्ह…” निकल रही थी। “आह्ह… चोद डॉक्टर… जोर से चोद… बहुत तड़पी हूं तेरे लंड के लिए… उम्म्म… फाड़ डाल मेरी चूत को…” मैं बड़बड़ा रही थी। वो भी मस्ती में मेरी चूत का भुरता बना रहा था।

कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में उतार दिया। “फच… फच…” की आवाज के साथ वो मेरी चूत को रगड़ रहा था। लगता था जैसे उसने कोई दवाई खा रखी थी। इस उम्र में भी वो किसी जवान पठान की तरह हम्माच-हम्माच कर मेरी चूत का बाजा बजा रहा था।

करीब दस मिनट बाद उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और बैठकर मेरी चुदाई शुरू कर दी। फिर उसने मुझे डाइनिंग टेबल पर लिटाया और फिर से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। मैं इस बीच तीन-चार बार झड़ चुकी थी। लेकिन वो अभी भी मस्त धक्के लगा रहा था। करीब चालीस मिनट चुदाई के बाद भी वो रुकने का नाम नहीं ले रहा था। मैं चुदवाते-चुदवाते थक गई थी।

जब वो नहीं झड़ा, तो मैंने उसकी गोटियां दबा दीं। फिर उसने कंट्रोल खो दिया और जोरदार तरीके से मेरी चूत में ही धड़धड़ाने लगा। गर्म-गर्म वीर्य से मेरी चूत भरने लगी। वो बहुत देर तक धड़धड़ाता रहा और मेरी चूत को अपने वीर्य से लबालब भर दिया। झड़ने के बाद वो इतना थक गया था कि मेरे ऊपर ही ढेर हो गया। मैंने अपनी टांगें उसकी कमर पर लपेट लीं और उससे चिपक गई।

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इतनी जबरदस्त और लंबी चुदाई मेरी जिंदगी में पहली बार हुई थी। मैं पूरी तरह संतुष्ट थी। दस मिनट बाद वो उठा और सोफे पर लेट गया। मैं रसोई में गई और गुड़ गर्म करके लाई। दूध पीते ही उसने मुझे फिर से अपनी बाहों में खींच लिया। मैंने भी उसका लंड सहलाना शुरू कर दिया। गर्म दूध का असर और मेरे हाथों की करामात से उसका लंड फिर से अपने शबाब पर आ गया।

इस बार उसने मुझे कमरे में बिछे कालीन पर लिटाया और अपने मोटे मूसल को फिर से मेरी चूत की गहराई में उतार दिया। इस बार उसने करीब पच्चीस मिनट तक मुझे चोदा और मेरी चूत की सारी गर्मी शांत कर दी। जब वो मेरे घर से गया, तो मैं अधनंगी बेड पर बेसुध-सी पड़ी थी। मेरी आंखें तब खुलीं, जब गुड़िया के रोने की आवाज मेरे कानों में पड़ी।

उसके बाद भी डॉक्टर कई बार मेरे घर आया और मेरी चूत की गर्मी को ठंडा करता रहा। इस कहानी को पढ़कर आपको कैसा लगा? अपनी राय जरूर बताएं।

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