कुंवारी चूत चुदाई पड़ोसी दादा ने

मेरा नाम अंजना है। अब मैं 20 साल की हूँ, लेकिन ये कहानी तब की है जब मैं 19 साल की थी। मेरी हाईट 5 फुट 1 इंच है, फिगर 32-25-32, गोरी रंगत, और लंबे, घने काले बाल जो मेरी कमर तक लहराते हैं। मेरे बूब्स गोल, टाइट और रसीले हैं, जो टाइट कपड़ों में ऐसे उभरते हैं कि कोई भी ठहर जाए। मेरे होंठ गुलाबी, आँखें बड़ी और चमकीली, और चेहरा ऐसा कि लोग पलटकर देख लें। हमारा परिवार छोटा-सा है—मम्मी, पापा और मैं। मम्मी, रमा, 42 साल की, स्लिम, गोरी, और सरकारी दफ्तर में क्लर्क हैं। पापा, संजय, 45 साल के, मध्यम कद, गंभीर स्वभाव, और एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हैं। हम एक मिडिल-क्लास अपार्टमेंट में रहते हैं, जहाँ पड़ोसियों से अच्छा तालमेल है।

ये कहानी तब शुरू हुई जब हमारे पड़ोस के खाली फ्लैट में एक नई फैमिली रहने आई। वो तीन लोग थे—अंकल, आंटी और उनके पिताजी, जिन्हें हम दादा जी बुलाते थे। अंकल, रवि, 35 साल के, लंबे, गठीले, और एक आईटी कंपनी में सीनियर इंजीनियर। आंटी, शालिनी, 32 साल की, स्लिम, स्टाइलिश, और एक प्राइवेट स्कूल में टीचर। दादा जी, हरिप्रसाद, 61 साल के थे, लेकिन उनकी फिट बॉडी और चुस्ती देखकर कोई कह नहीं सकता कि वो इतनी उम्र के हैं। 5 फुट 8 इंच की हाईट, चौड़ा सीना, मजबूत बाहें, और चेहरे पर हल्की झुर्रियों के साथ एक आकर्षक मुस्कान। वो रिटायर्ड सरकारी ऑफिसर थे और अपने बेटे-बहू के साथ रहने आए थे। अंकल ने बताया कि उनकी माँ का देहांत 12 साल पहले हो गया था, और उनकी बड़ी बहन शादी के बाद अमेरिका में सेटल थी।

दो महीनों में दोनों परिवारों में अच्छी दोस्ती हो गई। मैं अंकल-आंटी को उनके नाम से बुलाती थी, और दादा जी को दादा जी। वो मुझे “अंजना” कहकर पुकारते, और उनकी आवाज़ में एक गर्मजोशी थी जो मुझे थोड़ा असहज लेकिन आकर्षित करती थी। सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरी जिंदगी बदल गई।

एक दोपहर स्कूल के बाद मैं सिटी बस स्टॉप पर थी। बारिश का मौसम था, और हल्की-हल्की फुहारें शुरू हो चुकी थीं। मैंने स्कूल की यूनिफॉर्म पहनी थी—सफेद शर्ट, ग्रे स्कर्ट, और नीचे काली ब्रा और काली पैंटी। मेरे बाल खुले थे, जो हल्के-हल्के भीगने लगे थे। तभी मैंने देखा कि दादा जी भी बस स्टॉप पर खड़े हैं। वो नीली शर्ट और काली पैंट में थे, ऊपरी बटन खुला, जिससे उनकी चौड़ी छाती की झलक दिख रही थी। मुझे देखकर वो मुस्कुराए और बोले, “अंजना, तुम भी यहाँ? चलो, साथ में घर चलते हैं।”

हम दोनों बस में चढ़े और अपने अपार्टमेंट की ओर निकले। बस स्टॉप पर उतरते ही बारिश तेज हो गई। हमारे पास छाता नहीं था, और घर तक 10 मिनट का पैदल रास्ता था। हम तेज-तेज चलने लगे, लेकिन बारिश ने हमें पूरा भिगो दिया। मेरी सफेद शर्ट मेरे बदन से चिपक गई, और मेरी काली ब्रा साफ दिख रही थी। मेरे 32 इंच के बूब्स की शेप पूरी तरह उभर आई थी, और निप्पल्स तक हल्के-हल्के नजर आ रहे थे। दादा जी ने कहा, “अंजना, ये बारिश तो रुकने वाली नहीं। उस बरगद के पेड़ के नीचे रुकते हैं।” मैंने सहमति में सिर हिलाया, और हम पेड़ के नीचे खड़े हो गए।

लेकिन तब तक हम दोनों पूरी तरह भीग चुके थे। मेरी स्कर्ट मेरी जांघों से चिपक गई थी, और मेरे कूल्हों की शेप साफ दिख रही थी। मैंने देखा कि दादा जी की नजरें मेरी शर्ट पर टिकी हैं। वो इधर-उधर की बातें करने लगे, जैसे, “ये बारिश ने तो सारा मज़ा खराब कर दिया,” लेकिन उनकी आँखें बार-बार मेरे बूब्स और क्लीवेज पर जा रही थीं। मैं शर्म से सिर झुकाए खड़ी थी, लेकिन मेरे अंदर एक अजीब-सी हलचल हो रही थी। मेरी चूत में हल्का-सा गीलापन महसूस हो रहा था, और मेरे दिल की धड़कन तेज थी। ऐसा पहली बार था कि कोई मुझे इस तरह देख रहा था, और मुझे ये डराने के बजाय उत्तेजित कर रहा था।

20 मिनट बाद बारिश हल्की हुई, और हम घर की ओर चल पड़े। रास्ते में दादा जी मेरे भीगे बदन को तिरछी नजरों से देख रहे थे। मेरी शर्ट मेरे बूब्स से चिपकी थी, और मेरी स्कर्ट मेरी जांघों को कस रही थी। मैंने जानबूझकर कुछ नहीं कहा, क्योंकि उनकी नजरें अब मुझे गुदगुदा रही थीं। घर पहुँचकर मैंने कपड़े बदले—एक ढीला-सा गुलाबी टॉप और लॉन्ग काली स्कर्ट पहनी, नीचे वही काली ब्रा और पैंटी। लेकिन दादा जी की वो नजरें मेरे दिमाग से नहीं जा रही थीं। मैं सोच रही थी कि वो मुझे क्यों ऐसे देख रहे थे, और मुझे उसका बुरा क्यों नहीं लगा।

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शाम को होमवर्क खत्म करने के बाद मैं छत पर टहलने गई। अंधेरा होने लगा था, और छत खाली थी। तभी कोने में एक बेंच पर दादा जी बैठे दिखे। वो सफेद कुर्ता-पजामा पहने थे, और उनकी मुस्कान में वही आकर्षण था। मुझे देखकर वो बोले, “अंजना, इधर आ, यहाँ बैठ।” मैं उनके पास गई और बगल में बैठ गई। मेरा गुलाबी टॉप वी-नेक था, जिसमें मेरी क्लीवेज हल्की-सी दिख रही थी। दादा जी बातें करते-करते मेरे बूब्स की ओर देख रहे थे। मैं जानबूझकर अनजान बनी रही, लेकिन मेरे दिल की धड़कन तेज हो रही थी।

वो बोले, “अंजना, तुम्हारी उम्र में तो मैं भी बड़ा शरारती था।” मैंने हल्के से मुस्कुराकर कहा, “हाँ, दादा जी, ये उम्र ही ऐसी है।” उनकी बातें सामान्य थीं, लेकिन उनकी नजरें मेरे टॉप के गले से झाँक रही थीं। थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना दायाँ हाथ मेरी जांघ पर रख दिया। उनकी उंगलियाँ मेरी स्कर्ट के ऊपर से मेरी जांघ को हल्के-हल्के सहलाने लगीं। मेरे बदन में करंट-सा दौड़ने लगा। मैं चुप रही, लेकिन मेरी साँसें भारी होने लगीं।

वो मेरी जांघ को और दबाव से सहलाने लगे और बोले, “अंजना, तेरी स्किन कितनी मुलायम है।” मैं शर्म से सिर झुकाए रही, लेकिन मेरी चूत में गीलापन बढ़ रहा था। मैंने उनकी ओर देखा, तो वो मेरी क्लीवेज को घूर रहे थे। मेरे अंदर डर, शर्म और उत्तेजना का तूफान चल रहा था। मैंने हल्के से कहा, “दादा जी, मम्मी-पापा आने वाले होंगे, मुझे जाना चाहिए।” वो मुस्कुराए और बोले, “ठीक है, अंजना, फिर मिलते हैं।” मैं नीचे चली आई, लेकिन मेरी पैंटी गीली थी, और मैं समझ नहीं पा रही थी कि मेरे साथ क्या हो रहा है।

रात को मम्मी-पापा घर आए। मैं सोफे पर टीवी देख रही थी, वही गुलाबी टॉप और काली स्कर्ट पहने हुए। तभी डोरबेल बजी। मैंने दरवाजा खोला, तो दादा जी सामने खड़े थे। वो फिर से कुर्ता-पजामा में थे। मुझे देखकर वो बोले, “अंजना, बस थोड़ी देर के लिए आया हूँ।” मैं शर्मा गई, और वो अंदर आए। पापा ने उनका स्वागत किया, और वो मेरे बगल में सोफे पर बैठ गए। मम्मी किचन में चाय बनाने गईं।

दादा जी ने धीरे से मेरी पीठ पर हाथ रखा और सहलाने लगे। मेरी साँसें तेज हो गईं। फिर उन्होंने मेरा टॉप थोड़ा ऊपर करके मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेरना शुरू किया। उनकी उंगलियाँ मेरी रीढ़ पर धीरे-धीरे चल रही थीं, और मेरे बदन में गर्मी बढ़ रही थी। मैंने उनकी ओर देखा, तो वो हल्का सा मुस्कुराए। तभी पापा और दादा जी की बात मेरी पढ़ाई पर आई। पापा बोले, “चाचा जी, काम ज्यादा है, अंजना की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पा रहा।” दादा जी ने मेरी ओर देखकर कहा, “कोई बात नहीं, संजय, मैं अंजना की मदद कर दूँगा। दोपहर को मैं फ्री रहता हूँ।”

मम्मी किचन से चाय लेकर आईं और बोलीं, “चाचा जी, अगर आप अंजना की पढ़ाई देख लें, तो हमें तसल्ली रहेगी। वो घर में अकेली रहती है, थोड़ा डर लगता है।” दादा जी ने मुस्कुराकर कहा, “रमा, अब से अंजना मेरे पास आया करेगी। मैं उसकी पढ़ाई में मदद करूँगा।” पापा ने मुझे कहा, “अंजना, कल से स्कूल के बाद लंच करके चाचा जी के पास पढ़ाई के लिए जाना।” मैंने सिर हिलाकर कहा, “जी, पापा।” दादा जी ने फिर मेरी पीठ सहलाई, और चाय पीकर चले गए। वो जाते वक्त बोले, “अंजना, कल इंतज़ार करूँगा।” उस रात मैं उनकी बातों और छुअन के बारे में सोचते-सोचते सो गई। मेरे दिमाग में उनकी नजरें और वो गर्म छुअन बार-बार घूम रही थी।

अगले दिन स्कूल से लौटकर मैंने लंच किया और दादा जी के घर जाने के लिए तैयार हुई। मैंने एक टाइट नीला टॉप और काली स्कर्ट पहनी, जिसमें मेरा फिगर पूरी तरह उभर रहा था। नीचे मैंने लाल ब्रा और लाल पैंटी पहनी थी। मेरे बाल खुले थे, और मैंने हल्का-सा मेकअप किया था—गुलाबी लिपस्टिक और काजल। उनके घर की घंटी बजाई, तो दादा जी ने दरवाजा खोला। वो सिर्फ सफेद पजामे में थे, और उनकी चौड़ी छाती और मजबूत मसल्स साफ दिख रहे थे। मुझे देखकर वो बोले, “अंजना, आओ, मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था।”

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मैं अंदर गई, और उन्होंने दरवाजा लॉक कर दिया। मैं सोफे पर बैठी और अपनी किताबें टेबल पर रखीं। दादा जी मेरे बगल में बैठ गए और एक ग्लास आम का जूस मेरी ओर बढ़ाया। मैं जूस पीते हुए उनकी बातों का जवाब दे रही थी। वो बोले, “अंजना, तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है?” मैंने कहा, “ठीक है, दादा जी, बस थोड़ा मुश्किल लगता है।” तभी उन्होंने मेरी जांघ पर हाथ रखा और धीरे-धीरे सहलाने लगे। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई, और मेरी पैंटी में गीलापन महसूस होने लगा।

वो बोले, “अंजना, मेरा तुम्हें इस तरह छूना बुरा तो नहीं लग रहा?” मैंने शर्माते हुए सिर हिलाकर ना कहा। ये सुनकर वो और करीब आए और मेरे टॉप के अंदर हाथ डालकर मेरी नंगी पीठ सहलाने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरी रीढ़ पर धीरे-धीरे चल रही थीं, और मेरे बदन में सिहरन दौड़ रही थी। फिर वो बोले, “सोफे पर ठीक नहीं, अंजना। चलो, बेडरूम में चलते हैं। वहाँ आराम से बात होगी।” मैं हिचक रही थी, लेकिन मेरे अंदर की उत्तेजना मुझे उनके साथ चलने के लिए मजबूर कर रही थी। मैं चुपचाप उनके साथ बेडरूम में चली गई।

बेडरूम में एक बड़ा-सा डबल बेड था, जिस पर साफ सफेद चादर बिछी थी। हम दोनों बेड पर बैठ गए। दादा जी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरे 32 इंच के बूब्स को टॉप के ऊपर से सहलाने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पल्स के आसपास घूम रही थीं, और मेरी साँसें भारी हो रही थीं। मैंने उनका हाथ पकड़ लिया, लेकिन हटाया नहीं। वो मेरे बूब्स को धीरे-धीरे दबाने लगे। मैं सिसकारियाँ लेने लगी, “उम्म्म…”। वो मेरी गर्दन पर किस करने लगे और बोले, “अंजना, तुझे कैसा लग रहा है?” मैंने शर्माते हुए कहा, “दादा जी… बहुत अच्छा।”

उन्होंने मेरा नीला टॉप ऊपर किया और एक झटके में उतार दिया। मेरी लाल ब्रा साफ दिख रही थी। फिर उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोलकर उसे भी अलग कर दिया। अब मैं ऊपर से पूरी नंगी थी। मेरे गोल, टाइट बूब्स देखकर वो बोले, “हाय, अंजना, ये बूब्स तो बिल्कुल मस्त हैं। इतने रसीले, जैसे अभी चूस लूँ।” मैं शर्म से लाल हो गई, लेकिन मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। उन्होंने मेरे बूब्स को चूसना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर घूम रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आहह… दादा जी…”। उनका एक हाथ मेरी काली स्कर्ट के अंदर चला गया और मेरी लाल पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगा। मेरी पैंटी गीली थी, और उनकी उंगलियाँ उस गीलापन को महसूस कर रही थीं।

मैंने हिम्मत करके उनके पजामे पर हाथ रखा और उनके 6 इंच लंबे, 3 इंच मोटे लंड को दबाया। वो सख्त और गर्म था। वो बोले, “अंजना, मेरे लंड को बाहर निकाल।” मैंने हिचकते हुए उनके पजामे का नाड़ा खोला और उनकी सफेद चड्डी में हाथ डाला। उनका लंड गर्म और सख्त था, जैसे कोई लोहे की रॉड। मैंने उनकी चड्डी नीचे खींची, और उनका लंड बाहर आ गया। 6 इंच लंबा, 3 इंच मोटा, और सिरा गुलाबी। मैं उसे देखकर दंग थी। मैंने उसे दोनों हाथों से पकड़ा और धीरे-धीरे सहलाने लगी।

वो बोले, “अंजना, इसे मुँह में लो।” मैं हिचक रही थी, लेकिन उनकी आवाज़ में एक अजीब-सा जादू था। मैंने उनके लंड को पकड़ा और धीरे से मुँह में लिया। उसका टेस्ट नमकीन और अजीब था। मैंने उसे चूसना शुरू किया। “उम्म्म… आहह…” वो सिसकारियाँ लेने लगे। वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को अपने लंड पर आगे-पीछे करने लगे। “अंजना, हाय… तू तो कमाल चूस रही है!” वो बोले। मैं 6-7 मिनट तक उनका लंड चूसती रही। अचानक उन्होंने “आहह… अंजना!” कहते हुए मेरे मुँह में झड़ दिया। उनका पानी नमकीन और गाढ़ा था। मैंने सारा पानी पी लिया और उनके लंड को चाटकर साफ किया।

फिर वो मुझे बेड पर लिटा और मेरी काली स्कर्ट के ऊपर से मेरी जांघों को सहलाने लगे। धीरे-धीरे उन्होंने मेरी स्कर्ट ऊपर की और मेरी लाल पैंटी दिखने लगी। वो बोले, “अंजना, तेरी चूत तो पहले से गीली है।” मैं शर्म से सिर झुकाए थी, लेकिन मेरे बदन में आग जल रही थी। उन्होंने मेरी पैंटी नीचे खींची, और अब मैं पूरी नंगी थी। उन्होंने मेरी टांगें खोलीं और मेरी चूत पर मुँह रख दिया। “आआआहह… ऊऊऊ…” मैं सिसकारियाँ लेने लगी। उनकी जीभ मेरी चूत में अंदर-बाहर होने लगी। मैंने उनका सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबाया। “दादा जी… आहह… और चूसो!” मैंने कहा।

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वो मेरी चूत को चूसते रहे, और उनकी जीभ मेरे क्लिट को बार-बार छू रही थी। “उम्म्म… आहह…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। 8-9 मिनट तक चूसने के बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। “आआआहह…” मैं सिसकारी। उन्होंने सारा पानी चाट लिया और बोले, “अंजना, तेरी चूत का पानी तो शहद जैसा है।” मैं हाँफ रही थी, लेकिन मेरे बदन में और आग जल रही थी।

वो मेरे बूब्स के साथ खेलने लगे, और मैं उनके लंड को सहलाने लगी। 2 मिनट में उनका लंड फिर तन गया। वो बोले, “अंजना, अब तेरी चूत को चोदने का टाइम है।” मैं डर रही थी, लेकिन मेरी चूत उस गर्म लंड के लिए तड़प रही थी। उन्होंने मेरी कमर के नीचे तकिया रखा ताकि मेरी चूत थोड़ी ऊपर उठे। फिर टेबल से वैसलीन निकाली, मेरी चूत पर लगाई, और अपने लंड पर भी। वो अपने 6 इंच के लंड को मेरी चूत के छेद पर रगड़ने लगे। “अंजना, तैयार हो?” वो बोले। मैंने डरते हुए सिर हिलाया, लेकिन मेरे अंदर उत्तेजना हावी थी।

वो मेरे ऊपर लेट गए और मेरे होंठ चूमने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं भी उनके किस का जवाब दे रही थी। तभी उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका लंड मेरी चूत में घुस गया। “आआआहह… दादा जी… दर्द हो रहा है!” मैं चिल्लाई। मेरी आँखों से आंसू निकल आए। वो बोले, “बस थोड़ा, अंजना, रिलैक्स कर।” उन्होंने मेरे बूब्स चूसना शुरू किया, और धीरे-धीरे उनका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर होने लगा। “पच… पच…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।

5 मिनट बाद दर्द कम हुआ, और मुझे मजा आने लगा। मैंने अपनी कमर उठाकर उनका साथ देना शुरू किया। “आहह… दादा जी… और जोर से…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। वो बोले, “अंजना, तेरी चूत इतनी टाइट है, मजा आ रहा है!” वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “पच… पच… थप… थप…” की आवाज़ तेज हो गई। मैं “उम्म्म… आहह… ऊऊऊ…” की सिसकारियाँ ले रही थी। वो मेरे बूब्स दबाते हुए बोले, “तेरी चूत को चोदकर जन्नत मिल रही है, अंजना!”

15 मिनट तक चुदाई के बाद मेरी चूत ने फिर पानी छोड़ा। “आआआहह… दादा जी!” मैं सिसकारी। वो और जोर से धक्के मारने लगे। “पच… पच… थप… थप…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। वो बोले, “अंजना, ले मेरा पानी!” और 20-25 धक्कों के बाद वो मेरी चूत में झड़ गए। उनका गर्म पानी मेरी चूत में भर गया। हम दोनों थककर बेड पर पड़े रहे, नंगे, एक-दूसरे की बाहों में।

कुछ देर बाद वो फिर मेरे बूब्स के साथ खेलने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पल्स को मसल रही थीं। मैंने उनके लंड को सहलाया, और वो फिर तन गया। वो बोले, “अंजना, एक बार और?” मैंने शर्माते हुए हामी भरी। इस बार उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। मैंने अपने घुटने मोड़े, और वो मेरे पीछे आए। उन्होंने मेरी चूत पर फिर वैसलीन लगाई और अपना लंड मेरी चूत में डाला। “आहह… दादा जी… धीरे…” मैंने कहा। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। “पच… पच…” की आवाढ़ फिर शुरू हो गई। मैं “उम्म्म… आहह…” की सिसकारियाँ ले रही थी।

वो मेरे कूल्हों को पकड़कर जोर-जोर से चोदने लगे। “अंजना, तेरी गांड भी मस्त है!” वो बोले। मैं शर्म से सिर झुकाए सिसकारियाँ ले रही थी। 10 मिनट बाद मैं फिर झड़ गई, “आआआहह…” और वो भी मेरी चूत में झड़ गए। हम दोनों निढाल होकर बेड पर गिर पड़े।

दोस्तों, ये थी मेरी पहली चुदाई की कहानी Kunwari Choot, Chudai Kahani, Padosi Dada, Sexy Kahani, Adult Story, Virgin Sex Story, Neighbor Grandpa, Adult Fiction, First Time Sex। आपको ये कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसा अनुभव किया? नीचे कमेंट में जरूर बताएँ!

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