पंजाबी भाभी की बड़ी गांड का राज

सेक्स एक नशा है दोस्तों, ज़िंदगी मस्त है और जवानी भी। ये कहानी मेरी और जसनूर की है। जसनूर, एक 26 साल की पंजाबी लड़की, जिसकी जवानी किसी कयामत से कम नहीं। उसका कसा हुआ बदन, कड़क बूब्स, मदमस्त गांड, पतली कमर, सुडौल जांघें, सुराहीदार गर्दन, लंबे काले घने बाल, नशीली आँखें और रसीले होंठ। दोस्तों, वो अक्सर सलवार-कमीज़ पहनती थी, ज़्यादातर पंजाबी ड्रेस में, और उसकी खूबसूरती देखकर कोई भी पागल हो जाए। उसके दो बच्चे हैं, जो अब 18 और 19 साल के हैं, और उसका पति एक बिज़नेसमैन है, जो अक्सर अपने काम में व्यस्त रहता है। जसनूर, प्रिया भाभी की बहुत अच्छी दोस्त है, और प्रिया मेरी पुरानी जान-पहचान वाली थी।

पंजाबी औरतों की एक खासियत होती है, उनकी आवाज़ थोड़ी भारी और सेक्सी होती है, और उनकी गांड इतनी उभरी हुई कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। जसनूर भी ऐसी ही थी। वो अक्सर प्रिया के घर आया करती थी। मैं और प्रिया तो पहले से ही चुदाई का मज़ा लेते थे, और जब भी मैं प्रिया को चोदता, मैं उससे जसनूर को मेरे लिए सेट करने को कहता। प्रिया हंसकर टाल देती, लेकिन मैं जसनूर की जवानी का दीवाना था। फिर सर्दियों के दिनों में एक दिन प्रिया ने मुझसे कहा, “क्या तुम जसनूर के बच्चों को ट्यूशन पढ़ा दोगे?”

मैंने हंसते हुए कहा, “प्रिया, ये चक्कर क्या है? बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना है या जसनूर की चूत को चोदकर उसकी प्यास बुझानी है?” प्रिया ने हंसकर जवाब दिया, “दोनों, अगर तू कर सके तो!” मैंने मज़ाक में कहा, “देख, मैं तो तैयार हूँ, बस जसनूर को मना ले।” फिर एक दिन मैं जसनूर से मिला। उसे देखते ही मेरी आँखें उसकी जवानी पर टिक गईं। उसकी टाइट सलवार-कमीज़ में उसके बूब्स और गांड ऐसे उभर रहे थे कि मेरा लंड तुरंत सलामी देने लगा। मैं उसकी जवानी को अपनी आँखों में उतार रहा था, उसके बड़े-बड़े बूब्स में खो सा गया था।

तभी जसनूर ने कहा, “इनके एग्जाम सर पर हैं, और ये नालायक बच्चे फेल हो जाएंगे। प्लीज़, तुम कुछ भी करके इन्हें पास करा दो। तुम्हारी जो भी फीस होगी, मैं दूँगी, बस मेरे घर आकर इन बदमाशों को पढ़ा दो।” मैंने हंसकर कहा, “ठीक है, मैं पढ़ा दूंगा।” और बस, मैं रोज दोपहर उनके घर जाने लगा। धीरे-धीरे जसनूर मुझसे खुल गई। उसका पति भी मुझ पर भरोसा करने लगा। जब एग्जाम करीब आए, मैंने जसनूर से कहा, “मैं देर शाम को बच्चों को पढ़ाने आऊंगा, ताकि सुबह वो एक बार रिवीज़ कर लें और पेपर अच्छा जाए।”

उसने कहा, “मुझे कोई आपत्ति नहीं, तुम्हें जैसे ठीक लगे, वैसे करो।” उसी दौरान एक दिन जसनूर के पति को फोन आया कि गाँव में उनकी माँ की तबीयत खराब है। उन्होंने तुरंत गाँव जाने की टिकट बुक की और अगले दिन निकल गए। उस रात मैंने सोच लिया कि अब जसनूर को बिस्तर पर लाने का सही वक्त है। अगली रात, जब मैं बच्चों को पढ़ा रहा था, जसनूर ने कहा, “आज तुम यहीं रात का खाना खा लो।” मैंने कहा, “ठीक है।” तब तक उसके दोनों बच्चे पढ़ाई पूरी करके, खाना खाकर सो चुके थे।

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जसनूर ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम वॉशरूम में हाथ-मुँह धो लो, मैं खाना लगाती हूँ।” दोस्तों, उस दिन जसनूर ने इतनी टाइट सलवार-कमीज़ पहनी थी कि उसकी जवानी और भी कातिलाना लग रही थी। उसकी गांड को देखकर मेरा लंड पागल हो रहा था। उसके बूब्स बाहर निकलने को बेताब थे, और मैं उन्हें छूने, दबाने, चूसने के लिए तड़प रहा था। हम दोनों खाना खाने बैठे। जसनूर आज बहुत खुश लग रही थी। अचानक उसने पूछा, “तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?”

मैं चौंक गया और बोला, “अरे, मेरा नसीब कहाँ इतना अच्छा कि मुझे गर्लफ्रेंड मिले?” उसने हंसकर कहा, “क्यों, तुम तो इतने अच्छे दिखते हो, तुम्हारी बॉडी भी इतनी मस्त है!” मैंने कहा, “मुझे अपने से बड़ी उम्र की लड़कियाँ पसंद हैं, खासकर शादीशुदा भाभियाँ।” ये सुनकर वो थोड़ा उलझ गई और बोली, “ऐसा क्यों?” मैंने कहा, “क्योंकि वो सब समझती हैं, खुलकर मज़ा लेती हैं और देती भी हैं।” मेरी बात सुनकर उसका गोरा चेहरा हल्का गुलाबी हो गया। मैंने आगे कहा, “मुझे पंजाबन भाभियाँ बहुत पसंद हैं, क्योंकि उनमें बहुत गर्मी होती है। वो बिल्कुल गरम और सेक्सी होती हैं, और वैसी ही तुम हो।”

वो अब शर्म से खामोश हो गई और सिर झुका लिया। मैं उठकर उसके पास गया, उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों से उठाया और बोला, “जसनूर, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। हाँ, तुम शादीशुदा हो, दो बच्चों की माँ हो, लेकिन फिर भी तुम इतनी सेक्सी हो। सेक्स एक प्राकृतिक चीज़ है, इसका उम्र, रिश्तों, या रंग से कोई लेना-देना नहीं।” इतना कहकर मैंने उसके काँपते होंठों को चूम लिया। वो हड़बड़ाकर खड़ी हो गई, लेकिन मैंने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके होंठों को चूसने लगा। वो धीरे-धीरे आँखें बंद करके मदहोश होने लगी और अब मेरा साथ देने लगी। हमने कुछ देर तक गहरी फ्रेंच किस का मज़ा लिया।

वो मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को दबाने लगी, और मैं उसकी गद्देदार गांड को मसलने लगा। जब उसने आँखें खोलीं, तो उसकी आँखों में वासना साफ झलक रही थी। मैंने कहा, “जसनूर, मैं तुम्हें बहुत प्यार करना चाहता हूँ। जब से तुम्हें देखा है, मैं तुम्हारी चुदाई का सपना देख रहा हूँ।” उसने कहा, “तो अपने सपने को आज पूरा कर लो, तुम्हें किसने रोका है?” मैंने कहा, “तुम दरवाज़ा चेक करो, मैं खिड़कियाँ देखता हूँ।” हमने सारे दरवाज़े-खिड़कियाँ बंद कीं, बच्चों का कमरा भी चेक किया, और मैंने उसे बाहों में उठाकर बेडरूम में ले गया।

मैंने उसे बेड पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने उसके बूब्स को ज़ोर से दबाना शुरू किया और उसके होंठ चूसने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने अपने कपड़े उतार दिए, और उसने भी अपने कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे, एक-दूसरे की बाहों में सिमटे हुए। मैंने पूछा, “जसनूर, तू इतनी जल्दी तैयार कैसे हो गई?” उसने कहा, “मेरे पति अच्छे इंसान हैं, लेकिन बिज़नेस की वजह से वो रात को थककर सो जाते हैं। वो कभी-कभी सेक्स करते हैं, लेकिन उनमें वो जोश नहीं, जो मुझे चाहिए। मेरी चूत हमेशा प्यासी रहती है, और मैं तड़पती रहती हूँ।”

मैंने कहा, “जसनूर, ये तो बहुत सी औरतों की प्रॉब्लम है। जैसे पेट की भूख और गले की प्यास होती है, वैसे ही जवानी में चुदाई की भूख होती है। आज हम एक-दूसरे की प्यास बुझाएंगे।” मैंने उसकी चूत पर उंगली फेरी, तो वो पहले से ही गीली थी, पानी छोड़ रही थी। मैंने कहा, “जसनूर, 69 पर आ जा।” वो झट से उठी, अपनी गीली चूत मेरे मुँह पर रख दी और मेरा लंड चूसने लगी। उसकी गोरी-गोरी गांड और गुलाबी चूत देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया। उसकी चूत शेव की हुई थी, एक भी बाल नहीं। मैं उसकी चूत और गांड के छेद को चाटने लगा, और वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।

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“आह्ह्ह… ऊईईई… प्रेम, और चाटो!” वो सिसकारियाँ ले रही थी। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, जो मेरे मुँह पर फैल गया। मैंने सारा पानी चाट लिया। थोड़ी देर बाद मेरा वीर्य भी निकल गया, और उसने मेरा सारा पानी गटक लिया। हम सीधे लेट गए। उसने कहा, “वाह, क्या मज़ा आया!” मैंने कहा, “अभी कहाँ, मेरी रानी? अभी तो पूरी रात मज़ा करना है।” मैंने उसके पूरे शरीर को चाटना शुरू किया। उसके निप्पल खड़े हो गए, बूब्स और सख्त। मैं उसकी चूत, गांड, जांघें, कमर, पीठ, सब चाट-चाटकर उसे पागल कर रहा था। “आह्ह… ऊह्ह… प्रेम, और चाटो!” वो सिसकार रही थी।

मेरा 7 इंच का लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने कहा, “प्रेम, अब और मत तड़पाओ। प्लीज़, अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, मेरे राजा!” मैंने उसे कसकर बाहों में लिया और लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वो चिल्लाई, “साले, अब जल्दी चोद ना! क्यों मुझे तड़पा रहा है?” मैंने गुस्से में उसे एक थप्पड़ मारा और कहा, “जसनूर, तू आज से मेरी रंडी है, मेरी गुलाम है। अपने मालिक से बदतमीज़ी नहीं करेगी। मुझसे चुदवाने के लिए भीख माँग।”

उसने कहा, “मेरे मालिक, मैं आपकी रंडी हूँ, आपकी गुलाम हूँ। अपनी रंडी की चूत की प्यास बुझा दो। अपने लंड से मेरी तड़प मिटा दो। मैं हमेशा आपकी चूत देकर आपके लंड की सेवा करूँगी।” मैंने उसकी गांड पर ज़ोर से थप्पड़ मारा और कहा, “और क्या, ये गांड तेरा बाप मारेगा, रंडी?” उसने कहा, “मेरे राजा, इस गांड को मेरे पति ने मार-मारकर बड़ा किया है। आप जो चाहें, इसके साथ कर लो। ये भी आपकी गुलामी में तैयार है।”

मैंने कहा, “तो पलट, पहले तेरी गांड मारूंगा।” वो पलट गई। मैंने उसके पेट के नीचे तकिया रखा, उसके पैर फैलाए, जिससे उसकी गांड थोड़ी ऊपर उठ गई। मैंने तेल की शीशी उठाई और उसकी गांड के छेद पर बूंद-बूंद डालने लगा। एक उंगली से तेल अंदर डाला, तो वो “आह्ह्ह… ऊईईई…” करने लगी। मैंने दो उंगलियाँ डालकर तेल भरा, और अपने लंड पर भी खूब तेल लगाया। फिर मैंने लंड का सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर रखा। उसने आँखें बंद कर लीं। मैंने उसके कंधों को पकड़ा, उसके ऊपर लेट गया, और एक ज़ोरदार झटके में मेरा पूरा लंड उसकी गांड में घुस गया।

“आआआह्ह्ह… ऊईईई… मर गई!” वो दर्द से चीख पड़ी। मैं थोड़ी देर वैसे ही लेटा रहा, उसके बूब्स दबाने लगा। धीरे-धीरे वो नॉर्मल हुई और अपनी गांड उठाकर मेरे लंड पर धक्के देने लगी। “आह्ह… ऊह्ह… प्रेम, और ज़ोर से!” वो सिसकार रही थी। मैंने भी उसकी गांड में धक्के मारने शुरू किए। “थप… थप… थप…” हमारा चुदाई का खेल चलता रहा। वो चिल्ला रही थी, “हाँ… आह्ह… फाड़ दो मेरी गांड… ऊईईई… और ज़ोर से!” मैंने कहा, “हाँ, मेरी रंडी, आज तेरी गांड ऐसी मारूंगा कि तू किसी और का लंड नहीं लेगी।”

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करीब बीस मिनट की धमाकेदार गांड चुदाई के बाद उसने पानी छोड़ दिया, और मैंने भी उसकी गांड में अपना वीर्य छोड़ दिया। हम दोनों पसीने से लथपथ हाँफ रहे थे। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके पास लेट गया। दस मिनट बाद वो मेरे ऊपर आकर लेट गई। मेरा लंड उसकी चूत से दब रहा था, और उसके बूब्स मेरी छाती से। मैंने उसके बालों और पीठ पर हाथ फेरना शुरू किया। हम देर रात तक एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे।

वो उठी, बाथरूम गई, मेरे वीर्य को साफ किया, और किचन से दो ग्लास जूस लेकर आई। हमने जूस पिया। वो बहुत खुश थी। मैंने उसकी आँखों में देखा, तो वो शरमाकर मेरी बाहों में सिमट गई। मैंने पूछा, “क्या हुआ, जसनूर?” उसने कहा, “आज पता चला कि सेक्स में इतना मज़ा होता है। आज से तुम मेरे दूसरे पति हो।” उस रात मैंने उसकी चूत की भी दमदार चुदाई की। “आह्ह… ऊह्ह… प्रेम, और ज़ोर से चोदो!” वो चिल्ला रही थी। “थप… थप… थप…” हमारी चुदाई का साउंड कमरे में गूंज रहा था। ये सिलसिला तब तक चला, जब तक उसका पति गाँव से नहीं लौटा।

मैं कभी-कभी दिन में भी, जब वो अकेली होती, उसकी चुदाई कर देता था। कई बार प्रिया के घर पर मैंने प्रिया और जसनूर दोनों को एक साथ चोदा। जसनूर को बच्चा नहीं हुआ, क्योंकि उसने अपने दूसरे बच्चे के जन्म के बाद ऑपरेशन करवा लिया था। दोस्तों, वो क्या दिन थे! आज भी याद आते हैं। कई लोग एक औरत को खुश नहीं कर पाते, और मैंने दो सेक्सी भाभियों को एक साथ खुश किया। सेक्स एक नशा है, जितना इसमें डूबोगे, उतना मज़ा आएगा।

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