चार महीने पहले मेरे बड़े भाई गौरव की शादी पापा ने बड़े धूमधाम से करवाई थी। उस दिन मुझे मेरी जिंदगी की सबसे हसीन भाभी मिली, जिनका नाम था तृप्ति। दोस्तों, तृप्ति भाभी थीं एकदम मस्त माल! 5 फुट 10 इंच की लंबी, गोरी, भरी-पूरी कद-काठी, मानो कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो। जब मैंने उन्हें पहली बार देखा, तो बस देखता ही रह गया। उनका रूप, उनका यौवन, सब कुछ इतना मदहोश करने वाला था कि मेरा दिल और जिस्म दोनों बेकाबू हो गए।
उनके गोरे-चिट्टे, भरे-भरे हाथ, संगमरमर जैसे चिकने, और सीने पर 38 इंच के दो भरे-पूरे गोले, जो उनके टाइट ब्लाउज से बाहर झांक रहे थे, मानो हर मर्द को ललकार रहे हों। तृप्ति भाभी का चेहरा गोल था, और जब वो हंसती थीं, तो उनके गालों पर पड़ने वाले गड्ढे उनकी खूबसूरती को और बढ़ा देते थे। दोस्तों, पहली बार उन्हें देखते ही मेरा 7 इंच का लंड तन गया था, और मन में बस एक ही ख्याल था कि काश, इन्हें बिस्तर पर पटककर चोद सकूं।
तृप्ति भाभी का स्वभाव भी उतना ही प्यारा था। वो मुझे बहुत प्यार करती थीं। सुबह-सुबह मेरे लिए मैगी बनातीं, मेरी हर छोटी-बड़ी जरूरत का ख्याल रखतीं। लेकिन दोस्तों, मुझे बार-बार शक होता था कि मेरे 45 साल के पापा, जो अब भी जिस्म से जवान थे, भाभी को गंदी नजरों से ताड़ते रहते थे। जब भाभी आंगन में नहाने जातीं, तो पापा अपनी खिड़की से छुप-छुपकर उन्हें देखते। मेरी मां अब वैसी जवान नहीं रही थीं, शायद इसलिए पापा उनकी चूत को अब हाथ भी नहीं लगाते थे। लेकिन उनका 8 इंच का लंड अभी भी किसी जवान लड़के की तरह तनकर खड़ा हो जाता था, और उनकी आंखों में हमेशा किसी हसीन चूत को चोदने की भूख दिखती थी।
हमारा घर छोटा था, कोई बाथरूम नहीं था। इसलिए सबको आंगन में नल के पास ही नहाना पड़ता था। तृप्ति भाभी इस बात का ख्याल रखती थीं कि कोई उन्हें नंगे जिस्म के साथ न देख ले, इसलिए वो सुबह 5 बजे उठकर नहाती थीं। लेकिन मेरे पापा भी सुबह 5 बजे ही जाग जाते और खिड़की से भाभी के नंगे जिस्म को ताकते रहते। कई बार तो वो मुठ मारते हुए पकड़े गए थे।
एक दिन तो हद ही हो गई। भाभी सुबह-सुबह नहा रही थीं, पूरी तरह नंगी, बाल्टी से पानी डालकर अपने गोरे-चिट्टे जिस्म को नहला रही थीं। उनकी 38 इंच की छातियां पानी की बूंदों के साथ चमक रही थीं। अचानक पापा वहां पहुंच गए। उन्होंने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और उनके गालों को चूमने लगे। भाभी का बदन बिना किसी कपड़े के चमक रहा था, मानो कोई स्वर्ग की हूर हो। कोई भी मर्द उन्हें देखकर बेकाबू हो जाता। मेरे पापा ने तो उन्हें वही आंगन में पटक दिया और उनकी चूत में अपना 8 इंच का लंड डालने की कोशिश करने लगे। भाभी चीख पड़ीं, “बचाओ! बचाओ!” उनकी चीख सुनकर भैया दौड़े आए और भाभी को बचा लिया। नहीं तो उस दिन बड़ा कांड हो जाता। मेरी मस्त भाभी अपने ससुर से चुद जातीं।
भैया ने गुस्से में पापा को खूब सुनाया। उनका चेहरा गुस्से से लाल हो गया था। “भोसड़ी के! अपनी उम्र देखो, कब्र में पैर लटक रहे हैं, फिर भी तुम्हारी चुदास खत्म नहीं हुई? अगर इतना ही लंड खड़ा हो रहा है, तो मां को क्यों नहीं चोद लेते?” भैया चिल्लाए।
पापा ने बेशर्मी से जवाब दिया, “बेटा, तुम्हारी मां अब बूढ़ी हो चुकी है। उसकी चूत में अब वो मजा कहां? अगर कोई जवान चूत मिल जाए, तो बात बन जाए।”
भैया का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। “तो इसका मतलब तुम मेरी बीवी की चूत लोगे? तृप्ति मेरी पत्नी है, कोई रंडी नहीं कि पति से चुदे और ससुर से भी चुदवाए! कुछ तो शर्म करो, पापा! कोई ससुर अपनी बहू की चूत मारता है क्या? तुम बाप हो या पाप?”
उसके बाद दो महीने तक पापा ने भाभी के साथ कोई हरकत नहीं की। लेकिन घर में सबको लगने लगा था कि पापा की नीयत भाभी पर खराब है। मौका मिलते ही वो भाभी को चोद डालेंगे। दोस्तों, सच कहूं तो पापा ने ही नहीं, मैंने भी भाभी को सोचकर कई बार मुठ मारी थी। उनकी खूबसूरती ऐसी थी कि कोई भी मर्द बेकाबू हो जाए।
फिर एक दिन बड़ा कांड हो गया। भैया ने बैंक से 10 लाख का लोन लिया था, जो वो चुका नहीं पाए। पुलिस उन्हें पकड़कर ले गई। मां ने पापा से पैसे देकर भैया को छुड़ाने की गुहार लगाई, लेकिन पापा ने कोई मदद नहीं की। भाभी ने अपने मायके वालों से मदद मांगी, पर वहां से भी निराशा मिली। मजबूर होकर भाभी उस शाम पापा के पास खाना देने गईं और रोने लगीं।
“पापा जी, प्लीज मेरे पति को जेल से छुड़ा लीजिए। उनकी जमानत करवा दीजिए, पैसे भर दीजिए। मैं जो आप कहेंगे, वो करूंगी,” भाभी गिड़गिड़ाईं, उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे।
पापा की आंखें चमक उठीं। उन्हें अपनी चूत की प्यास बुझाने का मौका दिख गया। “बहू, अपनी चूत देगी?” उन्होंने धीमे से पूछा।
भाभी चौंक गईं। “क्या?” उनकी आवाज में हिचकिचाहट थी।
“देख बहू, मैं बिजनेसमैन हूं। एक हाथ दे, एक हाथ ले। मैं सात रातें तेरी चूत को जी भरकर चोदूंगा, तुझे नंगा करके पेलूंगा, और आठवें दिन पैसे जमा करके तेरे पति को छुड़ा लाऊंगा। बोल, मंजूर है?” पापा ने बेशर्मी से कहा।
भाभी का चेहरा लाल हो गया। वो कुछ देर चुप रहीं, उनके मन में उथल-पुथल मची थी। अपने ससुर से चुदवाना? ये सोचकर ही उनकी सांसें रुक गईं। लेकिन पति की जमानत का सवाल था। आखिरकार, अगले दिन वो मान गईं। जब वो खाना देने पापा के कमरे में गईं, तो रुक गईं। पापा ने दरवाजे की कुंडी बंद की और भाभी को बांहों में भर लिया।
पापा ने धीरे-धीरे भाभी की साड़ी उतारनी शुरू की। भाभी गोल-गोल घूम रही थीं, और पापा उनकी साड़ी खींचते जा रहे थे, जैसे कोई द्रौपदी का चीरहरण कर रहा हो। थोड़ी देर में साड़ी उनके जिस्म से अलग हो गई। भाभी सिर्फ सफेद पेटीकोट और लाल ब्लाउज में थीं। पापा ने उन्हें बिस्तर पर लिटाया। भाभी की हालत उस हिरनी जैसी थी, जो किसी भूखे शेर के पंजों में फंस गई हो। वो चाहकर भी भाग नहीं सकती थीं, क्योंकि उनके पति की जमानत का सवाल था।
पापा बिस्तर पर लेट गए और भाभी को अपनी बांहों में खींच लिया। “उफ्फ, बहू, तू इतनी हसीन है कि मैं क्या बताऊं। जिस दिन से तुझे देखा, मैंने हजार बार मुठ मारी। आज ऊपरवाले की मेहरबानी से तेरी लाल फांक वाली चूत खाने को मिलेगी,” पापा ने कहा और भाभी के गालों और होंठों को चूमने लगे।
“पापा जी… ये गलत है… प्लीज…” भाभी ने हल्की सी हिचकिचाहट दिखाई, उनकी आवाज कांप रही थी।
“गलत-सही छोड़, बहू। आज तू मेरी है,” पापा ने कहा और उनकी पतली, सुराहीदार गर्दन को पकड़कर उनके सुलगते होंठों पर अपने होंठ रख दिए। “उम्म्म…” भाभी के मुंह से हल्की सिसकारी निकली। पापा उनके होंठ चूसने लगे, जैसे कोई भूखा शेर मांस नोच रहा हो। भाभी पहले तो हिचक रही थीं, लेकिन धीरे-धीरे उनके जिस्म में आग लगने लगी। वो भी पापा के होंठों का जवाब देने लगीं। “आह्ह… पापा जी…” उनकी सिसकारियां तेज हो गईं।
पापा ने भाभी के जूड़े की पिन निकाल दी। उनके काले, लंबे बाल हवा में लहराने लगे, जैसे काली घटाएं बरसने को तैयार हों। पेटीकोट और ब्लाउज में भाभी किसी जवान माल की तरह लग रही थीं, मानो चुदाई के लिए बनी हों। पापा उनके गालों पर चुम्मा देने लगे, फिर उनकी गर्दन पर, फिर उनकी छातियों की ओर बढ़े। “उफ्फ, तेरे ये 38 इंच के दूध… कितने रसीले हैं!” पापा ने कहा और भाभी का लाल ब्लाउज खोल दिया।
ब्लाउज के बटन एक-एक करके खुलते गए। भाभी की काली ब्रा बाहर आई, जिसमें उनके 38 इंच के दूध उभरे हुए थे। पापा ने ब्रा के हुक खोले और उसे उतार फेंका। “बाप रे… ये तो जन्नत के फल हैं!” पापा ने भाभी की छातियों को देखकर कहा। उनके सामने भाभी के गोरे, भरे-भरे कबूतर नंगे थे। पापा ने अपने हाथ उनके यौवन पर रख दिए और जोर-जोर से दबाने लगे। “आह्ह… पापा जी… धीरे… उफ्फ…” भाभी कराह रही थीं।
पापा ने उनके एक दूध को मुंह में लिया और चूसने लगे। “उम्म्म… कितना रस है तेरे दूधों में, बहू!” पापा मस्ती में बोले। भाभी की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। “आह्ह… उफ्फ… पापा जी… और चूसो…” भाभी अब मजे लेने लगी थीं। पापा ने उनके दोनों दूध बारी-बारी से चूसे, उनके निप्पल को दांतों से हल्के से काटा। “आह्ह… ओह्ह…” भाभी का जिस्म सिहर उठा।
पापा ने भाभी के पेटीकोट का नाड़ा खींचा और उसे नीचे सरका दिया। अब भाभी सिर्फ नारंगी चड्डी में थीं। पापा ने उनके चिकने चूतड़ों को सहलाया। “उफ्फ, तेरे ये पुट्ठे तो मक्खन जैसे हैं!” पापा ने कहा। भाभी ने हल्के से मुस्कुराते हुए अपनी चड्डी नीचे सरकाई। “पापा जी, मैं पहले डर रही थी, लेकिन अब मुझे मजा आ रहा है। आज मुझे जमकर चोदिए… जैसे कोई घरेलू माल को चोदते हैं!” भाभी ने कहा, उनकी आवाज में अब हवस झलक रही थी।
पापा ने भाभी की चड्डी पूरी तरह उतार दी। अब भाभी पूरी तरह नंगी थीं। पापा ने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनकी चूत को चाटने लगे। “उम्म्म… कितनी चिकनी बुर है तेरी!” पापा ने कहा। भाभी की बुर बिल्कुल साफ थी, जैसे मखमल का टुकड़ा। “आह्ह… पापा जी… उफ्फ… और चाटो…” भाभी सिसकारियां ले रही थीं। पापा उनकी चूत को चूस रहे थे, उनकी जीभ भाभी की बुर की फांकों में घूम रही थी। “ओह्ह… हाय… कितना मजा आ रहा है…” भाभी का जिस्म कांप रहा था।
करीब 20 मिनट तक पापा भाभी की चूत चूसते रहे। फिर उन्होंने अपना 8 इंच का तना हुआ लंड निकाला। “देख, बहू, ये है मेरा हथियार!” पापा ने गर्व से कहा। भाभी ने उनके लंड को देखा और उनकी आंखें चमक उठीं। “पापा जी… ये तो बहुत मोटा है… उफ्फ…” भाभी ने कहा। पापा ने अपना लंड भाभी की चूत पर रगड़ा। “आह्ह… पापा जी… डाल दो… प्लीज…” भाभी गिड़गिड़ाईं।
पापा ने धीरे से अपना लंड भाभी की चूत में डाला। “आह्ह… उफ्फ… कितना मोटा है…” भाभी कराह उठीं। पापा ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “घपाघप… घपाघप…” कमरे में चुदाई की आवाजें गूंज रही थीं। भाभी ने अपने पैर पापा की कमर में लपेट लिए और उनकी पीठ को नाखूनों से नोचने लगीं। “आह्ह… और जोर से… चोदो मुझे… उफ्फ…” भाभी चिल्ला रही थीं।
पापा ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। “ले, बहू, ले मेरा लौड़ा!” पापा बोले और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। भाभी की चूत गीली हो चुकी थी, जिससे लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। “आह्ह… ओह्ह… पापा जी… और तेज… फाड़ दो मेरी चूत…” भाभी की आवाज में हवस थी। पापा ने भाभी को और जोर से पेला। “उम्म्म… तेरी चूत तो जन्नत है, बहू!” पापा बोले।
करीब 30 मिनट तक पापा ने भाभी को अलग-अलग तरीके से चोदा। कभी वो उनके ऊपर चढ़े, कभी भाभी को अपने ऊपर बिठाया। “आह्ह… पापा जी… और जोर से…” भाभी बार-बार सिसकारियां ले रही थीं। उनके लंबे बाल उनके चेहरे पर आ रहे थे, लेकिन पापा ने उन्हें हटाने की बजाय और तेजी से धक्के मारे। “घपाघप… घपाघप…” चुदाई की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं।
“आह्ह… मैं झड़ने वाली हूं…” भाभी चिल्लाईं। पापा ने और तेज धक्के मारे। “ले, बहू, मेरा माल ले!” पापा ने कहा और भाभी की चूत में ही झड़ गए। “आह्ह… उफ्फ…” भाभी का जिस्म कांप उठा। दोनों पसीने से तर-बतर होकर बिस्तर पर लेट गए।
“बता, बहू, कैसी लगी मेरी ठुकाई?” पापा ने हांफते हुए पूछा।
“ससुर जी, आपने तो मेरी चूत की पलंगतोड़ चुदाई की! भगवान करे आप सौ साल जिएं और हर रात मुझे ऐसे ही पेलते रहें!” भाभी ने हंसकर कहा। फिर पापा ने भाभी को अपने लंड पर बिठाकर सारी रात चोदा। “उफ्फ… आह्ह… और जोर से… पापा जी…” भाभी रात भर सिसकारियां लेती रहीं।
आठवें दिन पापा ने 10 लाख रुपये बैंक में जमा किए और भैया को जेल से छुड़ा लिया। उसके बाद से भाभी चुपके-चुपके पापा से चुदवाती रहती हैं।
दोस्तों, आपको मेरी तृप्ति भाभी और पापा की ये चटपटी कहानी कैसी लगी? नीचे कमेंट करके जरूर बताएं!